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नदी का परिवहन कार्य (River Transport Work)
नदियों द्वारा ऊँचे भागों से अपरदित चट्टान चूर्ण या मलबा (debris) का एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहाकर ले जाना नदी का परिवहन कार्य कहलाता है। ऐसा नहीं है कि नदियाँ केवल अपरदन द्वारा प्राप्त चट्टान चूर्ण या मलबे का परिवहन करती है, अपितु अपक्षय द्वारा विघटित एवं वियोजित पदार्थों तथा भूमि स्खलन (landslide), अपवात (slumping) तथा भूमि सर्पण (land creep) आदि द्वारा प्राप्त मलबे का भी परिवहन किया जाता है।
नदी द्वारा छोटे-बड़े तथा बिलकुल बारीक़ सभी प्रकार के कणों का परिवहन किया जाता है। नदी की परिवहन शक्ति की एक सीमा होती है, जिससे अधिक बोझ (load) होने पर नदी उसे ढोने में असमर्थ हो जाती है और अपने साथ लाए बोझ या मलबे का निक्षेप करने लग जाती है।
सामान्यतया नदी की परिवहन शक्ति को दो कारक सर्वाधिक प्रभावित करते हैं-
1. जल के साथ बहने वाले मलबे या बोझ के पदार्थों का आकार तथा मात्रा
महीन कणों वाले बारीक पदार्थों तो नदी के जल के साथ घुलकर आसानी से बहा लिए जाते हैं। परन्तु बड़े कणों वाले पदार्थों जो जल में नहीं घुलते, का परिवहन नदी की तली के साथ लुढ़कते हुए होता है।
2. नदी का वेग
नदी का वेग, जो नदी की परिवहन शक्ति को निर्धारित करता है, नदी की घाटी के ढाल, आकार तथा स्वरूप एवं जल के आयतन पर निर्भर करता है। यदि नदी बहने वाले रास्ते का ढाल तथा आकार स्थिर है, तो जल के आयतन में वृद्धि होने पर नदी वेग में वृद्धि होती है। उल्टी अवस्था होने पर नदी वेग कम हो जाता है।
यदि नदी घाटी का आकार तथा जल का आयतन स्थिर है तो अधिक ढाल होने पर नदी का वेग अधिक हो जाएगा। यदि ढाल तथा आयतन स्थिर है तो सीधे जलमार्ग में नदी वेग अधिक होगा और घुमावदार जलमार्ग का वेग कम होगा। इस तरह यदि नदी का वेग अधिक होगा तो नदी की परिवहन शक्ति निश्चय ही अधिक हो जाएगी।
गिलबर्ट महोदय ने नदी के वेग तथा नदी की परिवहन शक्ति के बीच popसम्बन्ध के आधार पर एक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है, जिसे गिलबर्ट का ‘छठी शक्ति का सिद्धान्त’ (Gilbert’s Sixth Power Law) कहते हैं। इस सिद्धान्त के अनुसार नदी की परिवहन शक्ति नदी के वेग की छठी शक्ति के अनुपात में होती है। अर्थात् यदि नदी के वेग को दुगुना कर दिया जाय तो नदी की परिवहन शक्ति 64 गुनी अधिक हो जाएगी। दूसरे शब्दों में नदी के वेग के दोगुना होने पर परिवहन किए जाने वाले बोझ का भार 64 गुना हो जाएगा। अर्थात् नदी पहले से 64 गुना अधिक भार का परिवहन करने लगेगी।
इस सिद्धांत को निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं-
परिवहन शक्ति ∝ (नदी का वेग)6
नदियों के द्वारा मलबे या अवसाद का परिवहन कई रूपों में किया जाता है। जिनमें से निम्नलिखित चार रूप अधिक महत्वपूर्ण हैं-
नदी परिवहन के रूप (form of river transport)
कर्षण द्वारा या लुढ़का कर (by traction)
जब चट्टानों के बड़े-बड़े टुकड़े नदी जल के साथ लुढ़कते हुए चलते हैं तो यह क्रिया ‘कर्षण’ कहलती है। इस क्रिया में चट्टानों के टुकड़े एक ही बार में परिवहित नहीं हो पाते, बल्कि पहले एक स्थान से दूसरे स्थान पर, फिर उससे तीसरे स्थान पर आदि रूप में परिवहित किया या बहाया जाता है। ये टुकड़े नदी की तली के साथ फिसलकर या लुढ़ककर चलते हैं।
उत्परिवर्तन द्वारा (by saltation)
इस विधि में चट्टानों के टुकड़े नदी जल के साथ नदी की तली पर उछल-उछल कर बहते हैं। चट्टानी टुकड़ों के उछलने या फुदकने की क्रिया बहुत धीरे-2 होती है। नदी परिवहन की यह क्रिया ‘उत्परिवर्तन’ कहलती है।
लटक कर (by suspension)
यह सामान्य नियम है कि जल में प्रत्येक वस्तु का भार कम हो जाता है। जब शैल-कण चट्टानों से अलग होकर नदी के जल में गिरते हैं, तो जल की प्लवनशीलता (buoyancy) के कारण उनके भार में कमी आ जाती है। इस क्रिया के कारण मध्यम आकार के टुकड़े जल में लटके रहते हैं तथा जल द्वारा दूर तक बहा लिए जाते हैं। इस विधि को लटकन विधि भी कहा जाता है। एक अनुमान के अनुसार मिसीसिपी नदी के बोझ का 90 प्रतिशत भाग लटकन के रूप में चलता है।
घुलकर (by solution)
चट्टानों के घुलनशील पदार्थ जल के साथ घुल कर मिल जाते हैं तथा जल के साथ अदृश्य रूप में बहते हुए चलते हैं।
References
- भौतिक भूगोल, डॉ. सविन्द्र सिंह
FAQs
नदी का परिवहन कार्य उन प्रक्रियाओं को दर्शाता है जिसमें नदी अपने ऊँचे भागों से अपरदित चट्टान चूर्ण या मलबे को एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहाकर ले जाती है। इसमें अपक्षय द्वारा विघटित पदार्थों तथा भूमि स्खलन, अपवात, और भूमि सर्पण द्वारा प्राप्त मलबे का भी समावेश होता है।
नदी की परिवहन शक्ति को दो मुख्य कारक प्रभावित करते हैं:जल के साथ बहने वाले मलबे के पदार्थों का आकार और मात्रा।
नदी का वेग, जो नदी की घाटी के ढाल, आकार, स्वरूप, और जल के आयतन पर निर्भर करता है।
उत्परिवर्तन विधि में चट्टानों के टुकड़े नदी की तली पर उछलते हुए चलते हैं। यह प्रक्रिया धीमी होती है और टुकड़े उछल-उछल कर आगे बढ़ते हैं।
गिलबर्ट के ‘छठी शक्ति का सिद्धान्त’ के अनुसार नदी की परिवहन शक्ति नदी के वेग की छठी शक्ति के अनुपात में होती है। इसका मतलब है कि यदि नदी के वेग को दुगुना कर दिया जाए, तो परिवहन शक्ति 64 गुना बढ़ जाएगी।
नदी का वेग और परिवहन शक्ति सीधे अनुपात में होते हैं। वेग बढ़ने पर नदी अधिक बोझ उठा सकती है, जबकि वेग कम होने पर परिवहन शक्ति कम हो जाती है।