Estimated reading time: 4 minutes
क्षेत्रीय भिन्नता की संकल्पना (Concept of Areal Differentiation)
क्षेत्रीय भिन्नता की संकल्पना भूगोल की प्रमुख संकल्पनाओं में से एक है। सर्वप्रथम जर्मन भूगोलवेत्ता हेटनर ने अपने लेख में क्षेत्रीय भिन्नता की संकल्पना का स्पष्टीकरण किया था। उन्होंने भूगोल को क्षेत्रीय विज्ञान (Chorological Science) माना और बताया कि ‘भूगोल पृथ्वी के क्षेत्रों का अध्ययन है और ये क्षेत्र एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।’ हेटनर ने जर्मन भाषा में प्रकाशित विभिन्न लेखों के माध्यम से क्षेत्रीय भित्रता के स्पष्टीकरण को ही भूगोल का मुख्य उद्देश्य बताया।
हेटनर के अनुसार ‘प्राचीनकाल से आधुनिक काल तक भूगोल भूक्षेत्रों के ज्ञान का विषय रहा है जो एक-दूसरे से भिन्न हैं।’ उन्होंने मनुष्य को क्षेत्र की प्रकृति का अभिन्न अंग बताया । हेटनर (1905) ने यह भी लिखा है कि ‘भूगोल में पृथ्वी के क्षेत्रों तथा स्थानों का अध्ययन उनकी भिन्नताओं और भू-सम्बन्धों के संदर्भ में किया जाता है।’ उनके अनुसार भूगोल भूतल की प्रादेशिक भिन्नताओं का अध्ययन महाद्वीपों, देशों, जनपदों तथा स्थानों के संदर्भ में करता है।
फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता वाइडल डी ला ब्लाश ने भी क्षेत्रीय भिन्नता की संकल्पना को ही मान्यता दी थी। हेटनर से मिलते-जुलते अर्थ में ब्लाश ने लिखा है कि ‘भूगोल स्थानों का विज्ञान है जो देशों की विशेषताओं तथा संभाविताओं का विवेचन करता है।’ 1950 में ब्रिटिश भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल की परिभाषा इस प्रकार की ‘भूगोल वह विज्ञान है जो क्षेत्रों के विभेदीकरण और सम्बंधों के विशिष्ट संदर्भ में पृथ्वी के धरातल का वर्णन करता है।’
बीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश, फ्रांसीसी और अमेरिकी भूगोलवेत्ताओं ने भी भौगोलिक अध्ययनों में क्षेत्रीय भिन्नता के अनुसार भौगोलिक विश्लेषण को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है क्योंकि भूगोल की मूल विषय-वस्तु स्थान या क्षेत्र हैं जो स्थानांतर से भिन्न-भिन्न पाए जाते हैं।
क्षेत्रीय भिन्नता का अभिप्राय यह है कि भौतिक तथ्यों जैसे उच्चावच, जलवायु, जलाशय, मिट्टी एवं खनिज, वनस्पति, पशु जीवन आदि, और सांस्कृतिक तथ्यों जैसे जनसंख्या, कृषि, खनन, उद्योग, व्यापार, परिवहन के साधनों, गृह तथा बस्तियों आदि के वितरण में विषमता और भिन्नता पाई जाती है। पृथ्वी के किन्हीं भी दो क्षेत्र की धरातलीय बनावट बिल्कुल एक जैसी नहीं है। कहीं ऊँची-ऊँची पर्वत श्रेणियाँ हैं तो कहीं पर निचले समतल मैदान और कहीं-कहीं गहरी गहरी घाटियां भी हैं।
पृथ्वी के तल पर जल और स्थल के वितरण और उनकी स्थिति में भी अत्यधिक भिन्नता देखने को मिलती है। पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई भाग को महासागर घेरे हुए हैं जो क्षेत्रीय आकार, गहराई, तलीय बनावट आदि में असमान हैं। स्थलीय भाग पर कहीं वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदियां हैं तो कहीं पर मौसम विशेष में प्रवाहित होने वाली नदियां हैं और कहीं नदियों का अभाव है।
जलवायु और उसके तत्व जैसे तापमान, वायुदाब, आर्द्रता एवं वर्षण आदि में भी विविधता और स्थानिक भिन्नता पाई जाती है। विश्व के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की जलवायु पाई जाती है। भूतल के विभिन्न प्रदेशों में मिट्टी की बनावट और उर्वरता में अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है। किसी प्रदेश की वनस्पति का निर्धारण जलवायु और मिट्टी के द्वारा होता है।
भूतल के विभिन्न भागों की जलवायु और मिट्टी की भिन्नता के कारण वानस्पतिक विविधता पाई जाती है। उष्णार्द्र जलवायु वाले भूमध्यरेखीय प्रदेश में ऊँचे-ऊँचे सदाबहार और सघन वृक्ष उगते हैं। मध्यम वर्षा वाले उष्ण क्षेत्रों (सवाना) में मोटी घासें और वृक्ष मिलते हैं जबकि शीतोष्ण प्रदेशों में छोटी घासें तथा टैगा प्रदेश में कोमल लकड़ी वाले कोणधारी वन विकसित होते हैं। रेगिस्तानों और अर्द्ध-शुष्क भागों में कंटीली झाड़ियां उगती हैं ।
अन्य प्राकृतिक तत्वों की भांति पशु जगत् भी विविधता पूर्ण है। सांस्कृतिक या मानवीय तथ्य भौतिक पर्यावरण और मनुष्य के मध्य होने वाली अंतर्क्रिया के परिणाम होते हैं। भौतिक पर्यावरण और मानव दोनों की क्षेत्रीय भिन्नता अत्यधिक पाई जाती है, अतः सांस्कृतिक तत्वों और भूदृश्य में क्षेत्रीय भिन्नता का होना स्वाभाविक है। इसीलिए विश्व के विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या के वितरण, आर्थिक-सामाजिक विकास, ग्राम, नगर, कृषि, उद्योग, व्यापार, परिवहन के साधन आदि में पर्याप्त विषमता और भिन्नता देखने को मिलती है।
उपरोक्त विवरण का निष्कर्ष यह है कि भूगोल में जिन तथ्यों और भूदृश्यों का अध्ययन किया जाता हैं वे स्थानांतर से भिन्न-भिन्न होते हैं। किन्तु इन स्थानिक भिन्नताओं में भी मिलते-जुलते गुणों या गुणों की सादृश्यता (similarity) के आधार पर प्रदेशों का निर्धारण किया जाता है। क्षेत्रीय भिन्नता के विश्लेषण से क्षेत्र की विविधताएं प्रकट होती हैं। अतः क्षेत्रीय विभेदीकरण या भिन्नता (Areal differentiation) का वास्तविक अर्थ केवल क्षेत्रों में अंतर का होना नहीं है बल्कि क्षेत्र की विविधता (Areal diversity) भी है।
You Might Also Like
- जनसंख्या भूगोल की परिभाषा एवं विषय-क्षेत्र (Definition and Scope of Population Geography)
- The Contribution of Immanuel Kant: A Philosophical Foundation for Geography
- भूदृश्य की संकल्पना (Concept of Landscape)
- अल्फ्रेड हेटनर का भूगोल में योगदान (Alfred Hettner’s Contribution to Geography)
- मानव भूगोल की शाखाएँ (Branches of Human Geography)