भूकंप (Earthquake) क्या है?
भूकंप पृथ्वी की भूपटल (क्रस्ट) में अचानक होने वाला कंपन या लहर है, जो धरातल के नीचे चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था के कारण उत्पन्न होता है। यह पृथ्वी के स्थलमंडल में ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगों की वजह से होता है। भूकंप बहुत हिंसक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे शहर को ध्वस्त करने की क्षमता रखते हैं।
हमारी पृथ्वी मुख्य रूप से चार परतों से बनी है: इनर कोर (Inner Core), आउटर कोर (Outer Core), मैंटल (Mantle) और क्रस्ट (Crust)। क्रस्ट सबसे ऊपरी परत है, जिसके बाद मैंटल आता है। ये दोनों मिलकर लिथोस्फीयर (Lithosphere) बनाते हैं, जिसकी मोटाई 50 किलोमीटर है। यह लिथोस्फीयर अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से मिलकर बना है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) कहते हैं। धरती के अंदर सात मुख्य टेक्टोनिक प्लेट्स हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, रगड़ती हैं, एक-दूसरे के ऊपर चढ़ती हैं या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है। इसे ही भूकंप कहते हैं।
भूकंप का केंद्र (Focus) और उपकेंद्र (Epicenter): धरती के नीचे जहाँ भूकंप शुरू होता है, उसे फोकस (Focus) कहते हैं। इसके ठीक ऊपर जमीन पर जो बिंदु होता है, उसे अधिकेंद्र (Epicenter) कहते हैं। भूकंप की तीव्रता को अक्सर अधिकेंद्र से ही मापा जाता है।
भूकंप का परिमाण (Magnitude) और तीव्रता (Intensity)
जब भी भूकंप की खबर आती है, तो अक्सर “रिक्टर स्केल पर 7.5 की तीव्रता का भूकंप” जैसी शब्दावली का प्रयोग होता है। हालांकि, भूकंप में दो मुख्य चीजें देखी जाती हैं: परिमाण (Magnitude) और तीव्रता (Intensity)।
- परिमाण (Magnitude):
- यह भूकंप द्वारा मुक्त की गई ऊर्जा का माप है।
- इसे रिक्टर पैमाने (Richter Scale) पर मापा जाता है। इस पैमाने का आविष्कार चार्ल्स एफ. रिक्टर ने 1935 में किया था।
- रिक्टर पैमाना एक लघु-गणक (logarithmic) पैमाना है, जिसकी न्यूनतम और अधिकतम सीमा नहीं है।
- रिक्टर पैमाने पर अभी तक 8.9 गहनता तक के भूकंप आ चुके हैं। 1 से 9 तक के पैमाने का उपयोग होता है।
- रिक्टर पैमाने पर परिमाण में 1.0 का अंतर ऊर्जा में लगभग 31.6 गुना (10^1.5) के अंतर को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, 5.0 तीव्रता का भूकंप 4.0 तीव्रता के भूकंप की तुलना में दस गुना अधिक कंपन आयाम और 31.6 गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करेगा।
- विभिन्न स्थानों पर भूकंप की तीव्रता भिन्न-भिन्न होने के बावजूद इसका परिमाण एक जैसा रहता है।
- 1970 के बाद से, भूकंप की तीव्रता के मापन के लिए रिक्टर पैमाने के स्थान पर आघूर्ण परिमाण पैमाना (Moment Magnitude Scale – Mw) का उपयोग किया जाने लगा है।
- तीव्रता (Intensity):
- किसी स्थान पर भूकंप की तीव्रता वहाँ पर भूमि में गति और मानव पर पड़ने वाले प्रभाव के रूप में आँकी जाती है।
- भूकंप द्वारा विनाश का मूल्यांकन इमारतों, बाँधों, पुलों और अन्य वस्तुओं को इससे होने वाली हानि से किया जाता है।
- इसे संशोधित मरकली पैमाने (Modified Mercalli Scale – MMI) पर अंकित किया जाता है।
- यह पैमाना मनुष्य की ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव, विनाशकारी प्रभाव आदि पर निर्भर करता है। अतः यह पैमाना गुणात्मक है, परिमाणात्मक नहीं है।
- मरकली पैमाने पर भूकंप की तीव्रता को I से XII तक व्यक्त किया जाता है।
- फिलीपींस के संदर्भ में, एक 5-स्तर का भूकंप 3-स्तर के भूकंप से अधिक तीव्रता वाला होता है क्योंकि इससे उत्पन्न होने वाला बल अधिक होता है। वहीं, न्यूजीलैंड में, भूकंप की गहराई तीव्रता को प्रभावित करती है। 6.0 तीव्रता का भूकंप 200 किमी गहराई में आने पर ऑकलैंड तक महसूस हो सकता है, लेकिन कम तीव्रता के साथ (थोड़ी सी कंपन)। जबकि वेलिंग्टन में 4.5 तीव्रता का भूकंप केवल 15 किमी गहराई में आने पर वेलिंग्टन में बहुत ज़्यादा ज़ोरदार कंपन (उच्च तीव्रता) पैदा कर सकता है, भले ही वह केवल 100 किमी दूर तक महसूस हो।
भूकंप की तीव्रता और प्रभाव
यहाँ विभिन्न रिक्टर और मरकली पैमानों पर भूकंप के संभावित प्रभावों का विवरण दिया गया है:
रिक्टर परिमाण | मरकली संख्या | विवरण | भूकंप प्रभाव | वार्षिक पुनरावृत्ति (अनु.) |
2.0 से कम | I | माइक्रो (सूक्ष्म) | महसूस नहीं होते, केवल भूकंप लेखी (सिस्मोग्राफ) द्वारा रिकॉर्ड किए जाते हैं। | लगभग 8,000 प्रतिदिन |
2.0-2.9 | II | माइनर (छोटे) | हल्का कंपन महसूस होता है, लेकिन दर्ज होते हैं। | लगभग 1,000 प्रतिदिन |
3.0-3.9 | III | अल्प (Slight) | ऐसा एहसास होता है जैसे कोई ट्रक गुजर गया हो, अक्सर आराम करते हुए व्यक्तियों द्वारा महसूस किया जाता है। | 49,000 प्रति वर्ष |
4.0-4.9 | IV | हल्के (Moderate) | खिड़कियाँ टूट सकती हैं, दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं। चलते हुए व्यक्तियों द्वारा महसूस किया जाता है। | 6,200 प्रति वर्ष |
5.0-5.9 | V | मध्यम (Rather Strong) | फर्नीचर जैसा भारी सामान हिल सकता है। सोते हुए व्यक्ति जाग जाते हैं, लटकती हुई घंटियां स्वतः बजती हैं। जान-माल के खासे नुकसान की संभावना। | 800 प्रति वर्ष |
6.0-6.9 | VI, VII | शक्तिशाली (Strong) | बड़ी से बड़ी इमारतों की नींव दरक सकती है, ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है। दीवारों में दरारें पड़ सकती हैं, प्लास्टर गिर सकते हैं। 160 किमी (100 मील) तक के व्यास में विनाशकारी हो सकते हैं। | 120 प्रति वर्ष |
7.0-7.9 | VIII, IX, X | बड़े (Large) | इमारतें ढह जाती हैं, जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं। कार चालक घबरा जाते हैं, फैक्ट्रियों की चिमनियां गिर जाती हैं। मकान धंस सकते हैं, लंबी दरारें पड़ सकती हैं, रेलवे लाइन मुड़ सकती हैं, भूस्खलन हो सकता है। विनाशकारी हो सकता है। | 10-15 प्रति वर्ष, 18 प्रति वर्ष |
8.0-8.9 | XI | महान (Great) | पूरे शहर को नुकसान पहुंचा सकता है। इमारतें और बड़े-बड़े पुल ध्वस्त हो जाते हैं। समुद्र में सुनामी आने का खतरा रहता है। कुछ ही इमारतें खड़ी रह पाती हैं, पुल नष्ट हो जाते हैं। | 1-2 प्रति वर्ष, 1 प्रति वर्ष |
9.0+ | XII | कथाजनक (Catastrophic) | मैदान में खड़े शख्स को धरती लहराती हुई दिखाई देगी और बहुत बड़े सुनामी का खतरा रहेगा। सर्वनाश, धरातलीय पदार्थ हवा में उछलने लगते हैं तथा धरातल धंसने लगती है। | अत्यधिक विरल (अज्ञात) |
भूकंप आने के कारण
भूकंप मुख्य रूप से पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण आते हैं। इन प्लेटों के हिलने के कई तरीके हैं:
- स्ट्राइक-स्लिप (Strike-Slip): इसमें प्लेटें अगल-बगल में खिसक जाती हैं।
- डिप-स्लिप (Dip-Slip): जब प्लेटें ऊपर-नीचे हिलती हैं, तो भी भूकंप आता है।
- ऑब्लिक (Oblique): यहाँ प्लेटें ऊपर-नीचे और अगल-बगल दोनों तरफ खिसकती हैं।
मानवीय गतिविधियाँ भी हल्के भूकंप का कारण बन सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
- परमाणु विस्फोट या रासायनिक विस्फोट (Explosion Earthquake): ऐसे भूकंप के झटके किसी परमाणु या रासायनिक विस्फोट की वजह से पैदा होते हैं।
- सुरंगों को खोदना या बड़े भूवैज्ञानिक/जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स (Induced Earthquake): जैसे बाँधों का निर्माण या किसी जलस्रोत को भरना।
- गुफाओं और सुरंगों का टूटना (Collapse Earthquake): जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से छोटे भूकंप के झटके लगते हैं।
भूकंप के प्रकार (प्राकृतिक कारणों से):
- Volcanic Earthquak: ये भूकंप किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं। ये गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं।
पैसिफिक रिंग ऑफ़ फायर (Pacific Ring of Fire)
प्रशांत महासागर के किनारे स्थित एक क्षेत्र है जिसे “सर्कम-पैसिफिक बेल्ट” के रूप में भी जाना जाता है। यह क्षेत्र दुनिया के सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार भूकंपों से चिह्नित है। दुनिया में लगभग 90% भूकंप और लगभग तीन-चौथाई सक्रिय ज्वालामुखी प्रशांत रिम में स्थित हैं। यह एक घोड़े की नाल के आकार का है जो 40,000 किमी (25,000 मील) में फैला हुआ है। रिंग ऑफ़ फायर का निर्माण महासागरीय और महाद्वीपीय प्लेटों के अवक्षेपण (subduction) के कारण होता है। सबडक्शन वह प्रक्रिया है जिसमें एक प्लेट दूसरे के नीचे मेंटल में गति करती है, जिससे विस्फोट होते हैं और ज्वालामुखियों का निर्माण होता है।
रिंग ऑफ़ फायर में आने वाले कुछ महत्वपूर्ण स्थानों में बोलीविया, चिली, इक्वाडोर, पेरू, कोस्टा रिका, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, रूस, जापान, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका शामिल हैं।
भारत में भूकंप: भारत में अब तक सबसे ज्यादा भूकंप हिमालय पर्वत और इसके आसपास के इलाके में आते हैं। लगभग चार करोड़ वर्ष पहले भारतीय उपमहाद्वीप यहीं पर यूरेशियाई प्लेट से टकराया था और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ था। यह हर साल एक सेंटीमीटर ऊपर ऊंचा उठ रहा है, और इसी हलचल के कारण इस इलाके में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है और इसी खतरे के हिसाब से देश को कई जोन में बांटा गया है (जोन-1 से जोन-5)।
- जोन-5 (सबसे ज्यादा खतरा): गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य।
- जोन-4: मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके।
- जोन-3: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ भाग।
- जोन-2 (सबसे कम खतरा): तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा।
- जोन-1: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से।
म्यांमार में भूकंप (28 मार्च 2025 का भूकंप): 28 मार्च 2025 को, मध्य म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में 7.7 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप (Mw 7.7) आया, जिसका उपकेंद्र सागाइंग शहर और मंडालय शहर के बीच स्थित था। यह भूकंप 10 किमी की उथली गहराई पर आया। यह म्यांमार में 1912 या 1839 के बाद से सबसे प्रभावशाली भूकंपीय घटना मानी जाती है।
इस भूकंप के कारण 17 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए। 14 अप्रैल 2025 तक, ASEAN कोऑर्डिनेटिंग सेंटर फॉर ह्यूमैनिटेरियन असिस्टेंस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट (AHA) ने 3,655 मौतों की सूचना दी थी, और ये संख्या बढ़ने की उम्मीद है। अनुमानित कुल प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति 10.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो म्यांमार के वित्त वर्ष 2024/25 के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 14 प्रतिशत है।
- सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र: मंडलॉय (Mandalay), सागाइंग (Sagaing), और बागो (Bago) सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र थे, जहाँ कुल क्षति का 82% हिस्सा था। मंडलॉय में 50%, सागाइंग में 21% और बागो में 12% क्षति हुई। नै पाइ ताव यूनियन टेरिटरी (Nay Pyi Taw Union Territory) और मगवे क्षेत्र (Magway Region) में भी महत्वपूर्ण क्षति हुई।
- क्षति का वितरण:
- आवासीय भवन: 4.97 बिलियन अमेरिकी डॉलर (कुल क्षति का 45%)।
- गैर-आवासीय भवन: 2.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर (कुल क्षति का 24%)। इसमें सांस्कृतिक विरासत स्थल भी शामिल हैं, जैसे 9,643 धार्मिक संरचनाएं (5,402 पगोडा, 3,841 मठ, 187 ननशालय, 50 ईसाई चर्च, 136 मस्जिद, 26 हिंदू मंदिर और 1 चीनी मंदिर)।
- बुनियादी ढाँचा (Infrastructure): 3.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर (कुल क्षति का 31%)। इसमें सड़कें, पुल, और बाँध शामिल हैं, जिससे पानी, स्वच्छता, बिजली और दूरसंचार जैसी आवश्यक सेवाएँ बुरी तरह बाधित हुईं। 198 सिंचाई बाँध, जिनमें नै पाइ ताव के 12 बाँधों में से चार को मामूली क्षति हुई। 76,000 से अधिक शौचालय ढह गए, जिससे स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य का गंभीर जोखिम पैदा हुआ।
- सामाजिक प्रभाव: सबसे अधिक प्रभावित प्रशासनिक डिवीजनों में प्रभावित परिवारों को खपत में 25% तक नुकसान हो सकता है। कमजोर समूह, जैसे कि जिनके पास बेहतर स्वच्छता या जल आपूर्ति नहीं है, या जो सबसे गरीब हैं, औसत परिवारों की तुलना में अधिक प्रभावित हुए।
भूकंप के दौरान और बाद में सुरक्षा उपाय (NDRF के दिशानिर्देशों के अनुसार): भूकंप के दौरान सुरक्षा उपाय
- मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे खड़े हो जाएँ और उसे मजबूती से पकड़ लें।
- यदि ऐसा कोई विकल्प नहीं है, तो खुले स्थान पर चले जाएँ जहाँ कोई खतरनाक वस्तु न हो।
- लिफ्ट का उपयोग करने से बचें; इसके बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।
- यदि संभव हो तो गैस और बिजली की आपूर्ति बंद कर दें, ताकि आग और अन्य खतरों से बचा जा सके।
भूकंप के बाद सुरक्षा उपाय
- क्षतिग्रस्त इमारतों के पास जाने से बचें, क्योंकि वे कभी भी गिर सकती हैं।
- खुले स्थानों पर भी सावधानी से चलें, क्योंकि जमीन में दरारें आ सकती हैं।
- यदि आप कहीं फँसे हुए हैं, तो माचिस या आग जलाने से बचें, क्योंकि इससे गैस लीकेज का खतरा हो सकता है।
- मुँह पर कपड़ा बाँधकर रखें ताकि धूल और गैस से बचा जा सके।
भूकंप के फायदे
भूकंप से वैज्ञानिकों को धरती की अंदरूनी संरचना को समझने में मदद मिलती है। भूकंपों की वजह से ही ऊँचाई वाले इलाकों का निर्माण होता है, जैसे पर्वत, पठार, घाटियाँ। इससे उस इलाके की जलवायु पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और इन स्थानों पर वनों का निर्माण होता है, जीवन पनपता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है। भूकंपों की वजह से ही हमारी दुनिया का यह स्वरूप हमें देखने को मिल रहा है।
मुझे उम्मीद है कि यह विस्तृत जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।