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क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)

किसी भी विषय के अध्ययन की विभिन्न विधियों या उपागमों के विश्लेषण के लिए सबसे पहले उस विषय के दर्शन (philosophy) को समझना आवश्यक हो जाता है। भूगोल के अध्ययन का मुख्य केन्द्र बिन्दु स्थान या क्षेत्र (Place or Space) होता है। दूसरे शब्दों में हम कहें तो भूगोल मूल रूप से  क्षेत्रीय भिन्नताओं के अध्ययन से सम्बंधित है। भूगोल के अध्ययन को सुविधाजनक, सुगम, सुस्पष्ट और बोधगम्य बनाने के लिए भौगोलिक अध्ययनों में दो प्रधान विधियाँ प्रयुक्त होती हैं- 

(1) क्रमबद्ध विधि, और (2) प्रादेशिक विधि। 

इस प्रकार अध्ययन उपागम के आधार पर भूगोल का द्विभाजन क्रमबद्ध भूगोल और प्रादेशिक भूगोल (Systematic Geography) के रूप में किया जाता है। प्रस्तुत लेख में हम केवल क्रमबद्ध भूगोल की चर्चा करेंगे।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)

भौगोलिक अध्ययन के इस उपागम में अध्ययन किए जाने वाले क्षेत्र को एक पूर्ण इकाई मानकर उसके विभिन्न भौगोलिक तत्वों या प्रकरणों (topics) का क्रमिक रूप से अध्ययन किया जाता है। इसे विषयगत उपागम (topical approach) के नाम से भी जाना जाता है। 

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography) में अध्ययन किए जाने वाले क्षेत्र की स्थिति एवं विस्तार, उच्चावच, संरचना, अपवाह, जलवायु, जलाशय, मिट्टी एवं खनिज, प्राकृतिक वनस्पति, जीव जन्तु आदि प्राकृतिक तत्वों तथा विभिन्न मानवीय क्रियाओं जैसे आखेट, पशुपालन, कृषि, खनन, विनिर्माण उद्योग, व्यापार, परिवहन, विविध सेवाओं आदि के साथ ही जनसंख्या, मानव अधिवास आदि का क्रमशः अध्ययन किया जाता है। क्रमबद्ध विधि से किसी पूर्ण क्षेत्रीय इकाई के अंतर्गत किसी एक विषय या विषय समूह का भी क्रमबद्ध अध्ययन किया जा सकता है। 

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography) की मौलिक विशेषता यह है कि यह विषय या प्रकरण (topic) प्रधान होता है। क्रमबद्ध रीति से भौगोलिक अध्ययन के लिए लघु, मध्यम अथवा दीर्घ किसी भी क्षेत्रीय इकाई का चयन आवश्यकता एवं सुविधानुसार किया जा सकता है क्योंकि इस उपागम पर सामान्यतः क्षेत्रीय इकाई की मापनी का कोई विशिष्ट प्रभाव नहीं होता है। 

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भौगोलिक अध्ययन का क्षेत्र सम्पूर्ण भूमंडल (विश्व), महाद्वीप, देश अथवा कोई अन्य क्षेत्रीय इकाई हो सकता है किन्तु अध्ययन की विधि क्रमबद्ध ही होनी चाहिए। इसे उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। विश्व के क्रमबद्ध अध्ययन में सम्पूर्ण विश्व को अध्ययन इकाई माना जाता है और सभी भौगोलिक उपादानों (विषयों) का (स्थिति-विस्तार से लेकर जनसंख्या अधिवास तक) क्रमबद्ध विश्लेषण किया जाता है। इसी प्रकार एशिया के क्रमबद्ध अध्ययन हेतु सम्पूर्ण एशिया को और भारत के क्रमबद्ध अध्ययन में सम्पूर्ण भारत को अध्ययन की इकाई माना जाता है और उनमें विभिन्न भौगोलिक उपादानों का अध्ययन क्रमिक रूप से किया जाता है। 

इस प्रकार प्रयुक्त अध्ययन क्षेत्र में प्रकरण विशेष के वितरण प्रतिरूप का स्पष्टीकरण होता है और इसके माध्यम से कुछ निश्चित निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। क्रमबद्ध विधि से अध्ययन के द्वारा ही सामान्यीकरण, सिद्धांत एवं माडल निर्माण आदि किए जाते हैं। अनेक विद्वानों ने तो क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography) को ही वास्तविक भूगोल की संज्ञा दी है। 

यह प्रादेशिक भूगोल (Systematic Geography) का भी आधार है क्योंकि प्रादेशिक भूगोल क्रमवद्ध भूगोल (Systematic Geography) के प्रकरणों या विषयों का क्षेत्र विशेष पर प्रयोग मात्र है। वास्तव में क्रमबद्ध भूगोल भूगोल के दार्शनिक पक्ष पर बल देता है और प्रादेशिक भूगोल उन दार्शनिक सिद्धांतों का व्यावहारिक पक्ष है।

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