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स्थानिक अंतःक्रिया की संकल्पना (Concept of Spatial Interaction)

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इस लेख में आप स्थानिक अंतःक्रिया की संकल्पना (Concept of Spatial Interaction) को जानेंगे।

स्थानिक अंतःक्रिया की संकल्पना (Concept of Spatial Interaction)

स्थानिक अंतःक्रिया (Spatial Interaction) का अर्थ

स्थानिक अंतःक्रिया (अन्योन्यक्रिया) का अभिप्राय दो या अधिक भौगोलिक क्षेत्रों के बीच होने वाली पारस्परिक क्रिया-प्रतिक्रिया, सम्पर्क, स्थानान्तरण तथा संयोजन (linkage) से है। इस संकल्पना की विस्तृत व्याख्या करते हुए उलमैन (E.L. Ullman, 1954) ने भूगोल को स्थानिक (क्षेत्रीय) अंतःक्रिया का अध्ययन बताया है। 

स्थानिक अंतःक्रिया शब्द का प्रयोग विभिन्न भौगोलिक तथ्यों के लिए किया जाता है जैसे दो क्षेत्रों के मध्य जनसंख्या प्रवास, वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान, यातायात, संचार आदि। दो स्थानों या क्षेत्रों के बीच होने वाली स्थानिक अन्तःक्रिया (पारस्परिक क्रिया) वस्तुओं, विचारों और मनुष्यों की गतिशीलता तथा सम्पर्क का परिणाम होती है। 

स्थानिक अंतःक्रिया (Spatial Interaction) द्विपक्षीय प्रक्रिया है

जब दो या दो से अधिक व्यक्ति या समूह एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं, उनके मध्य अंतः क्रिया आरंभ हो जाती है। अंतःक्रिया द्विपक्षीय प्रक्रिया है जिसमें दोनों पक्ष कम या अधिक मात्रा में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। स्थानिक अंतःक्रिया के लिए दो मौलिक दशाओं होना अनिवार्य है पहला सम्पर्क (Contact), और दूसरा संचार (Communication) इन दोनों के अभाव में स्थानिक अंतःक्रिया नहीं हो सकती। 

स्थानिक अंतःक्रिया (Spatial Interaction) के किए आवश्यक मौलिक दशाएँ

सम्पर्क और संचार

दो स्थानों या क्षेत्रों के मध्य सम्पर्क होना अंतःक्रिया का प्रारंभिक बिन्दु होता है। आपसी सम्पर्क जितना ही अधिक होगा, क्षेत्रों के मध्य अंतः क्रिया भी उतना ही अधिक होती है। दो स्थानों के बीच जनसंख्या के आवास प्रवास तथा वस्तुओं एवं विचारों के आदान-प्रदान से पारस्परिक सम्पर्क स्थापित होता है। दो स्थानों के बीच सम्पर्क के दो प्रधान माध्यम होते हैं-

सम्पर्क के माध्यम

(1) यातायात के साधन और (2) संचार के साधन । 

मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान को जाने के लिए किसी सवारी के साधन जैसे रेलगाड़ी, मोटरगाड़ी, वायुयान, जलयान, पशु सवारी आदि का प्रयोग करता है अथवा पैदल यात्रा करता है। वस्तुओं के स्थानांतरण के लिए भी किसी परिवहन साधन की आवश्यकता होती है। नवाचार (Innovation) और विचारों का प्रसार या विसरण (diffusion) प्रायः संचार साधनों के माध्यम से होता है। वर्तमान समय में डाक, तार, टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, पुस्तकें, समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाएं, इन्टरनेट आदि संचार के प्रमुख साधन हैं जिनके द्वारा विचारों, संदेशों आदि का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान को सुगमतापूर्वक हो सकता है। 

प्राचीनकाल में संचार माध्यमों की सीमितता के कारण दूरवर्ती और प्राकृतिक अवरोधों से आवद्ध क्षेत्रों से सम्पर्क नहीं हो पाता था जिसके कारण स्थानिक अंतक्रिया भी कम हो पाती थी। आज तीव्रगामी संचार माध्यमों के द्वारा विश्व के विभिन्न भाग परस्पर बहुत निकट आ गए हैं और उनके बीच की सम्पर्क दूरी बहुत कम हो गई है। रेडियो, दूरदर्शन, इण्टरनेट, अखबार आदि के माध्यम से विश्वभर के समाचार प्रतिदिन मिलते रहते हैं। एक स्थान से दूसरे स्थान तक किसी सूचना या समाचार के पहुँचने में कुछ मिनट का समय ही पर्याप्त होता है। 

फिर भी दो पास-पास स्थित या संलग्न क्षेत्रों तथा सुगम पहुँच वाले (अभिगम्य) क्षेत्रों के बीच पारस्परिक सम्पर्क और अंतःक्रिया अधिक गहन होती है। विश्व के विभिन्न भागों के संसाधनों और उत्पादनों में पर्याप्त भिन्नता पाईजाती है जो व्यापारिक क्रिया का मूलाधार होती है। वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय के लिए एक क्षेत्र का दूसरे क्षेत्र के साथ सम्पर्क का होना आवश्यक होता है। किसी वस्तु की अधिकता वाले स्थान से उस वस्तु का अन्य भागों को निर्यात किया जाता है और आवश्यक पदार्थों को अन्य क्षेत्रों से मंगाया जाता है। 

इस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों के मध्य वस्तुओं के आदान-प्रदान और व्यापार के रूप में पारस्परिक सम्पर्क और अंतःक्रिया होती है। जिस प्रकार दो व्यक्तियों या समाजों के बीच सामाजिक अंतःक्रिया होती है उसी प्रकार दो स्थानों या क्षेत्रों के बीच स्थानिक अन्तः क्रिया होती है। 

स्थानिक अंतःक्रिया (Spatial Interaction) के प्रकार

स्थानिक अंतःक्रिया संयोजक और वियोजक दोनों प्रकार की होती है। जो अंतःक्रिया दो क्षेत्रों के मध्य सहयोग, सद्भावना, एकीकरण, संगठन आदि को बढ़ाने वाली होती है उसे संयोजक अंतःक्रिया कहते हैं। इसके विपरीत जो अंतःक्रिया विघटन और पृथक्करण में सहायक होती हैं और परस्पर संघर्ष उत्पन्न करती है उसे वियोजक अंतः क्रिया कहा जा सकता है।

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