यमुना नदी भारत की एक अत्यंत महत्वपूर्ण नदियों में से एक है, जिसका अपना सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पारिस्थितिक महत्व है। यह गंगा नदी की सबसे लंबी सहायक नदी भी है।

- उद्गम (Origin): यमुना नदी का उद्गम उत्तराखंड राज्य में यमुनोत्री ग्लेशियर (बंदरपूंछ रेंज) से लगभग 6,387 मीटर की ऊँचाई पर होता है। यह हिमालय के तलहटी से होकर दक्षिण की ओर बहती है और इंडो-गंगेटिक मैदानों में प्रवेश करती है।
- कुल लम्बाई (Total Length): यमुना नदी की कुल लम्बाई लगभग 1,376 किलोमीटर है। कुछ स्रोतों में इसकी लम्बाई 1,300 किलोमीटर से अधिक बताई गई है।
- प्रवाह मार्ग (Course): यह उत्तराखंड से निकलकर हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। दिल्ली में, नदी का 22 किलोमीटर का हिस्सा, वज़ीराबाद से ओखला तक, गंभीर रूप से प्रदूषित है। अंततः यह प्रयागराज (इलाहाबाद) में गंगा नदी और सरस्वती नदी के साथ त्रिवेणी संगम पर मिलती है, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।

- प्रमुख शहर (Major Cities): यमुना नदी के किनारे कई प्रमुख तीर्थस्थल और ऐतिहासिक शहर स्थित हैं। इनमें वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन और बटेश्वर प्रमुख हैं, जहाँ भगवान कृष्ण की लीलाएँ और भक्ति परंपराएँ विकसित हुईं। दिल्ली और आगरा जैसे बड़े शहर भी इसके तट पर स्थित हैं, जहाँ मुगल शासकों ने ताज महल, लाल किला और हुमायूँ का मकबरा जैसे भव्य स्मारक बनवाए। कुरुक्षेत्र, करनाल और पानीपत जैसे ऐतिहासिक युद्ध स्थल भी यमुना के पास स्थित हैं।
- प्रमुख सहायक नदियाँ (Main Tributaries): यमुना नदी की कई महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं:
- टोंस नदी (Tons River): यह यमुना की सबसे लंबी और सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र से बहती है और देहरादून के पास कालसी के नीचे यमुना में मिलती है।
- गिरी नदी (Giri River): यह हिमाचल प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो कुपार चोटी से निकलती है।
- चम्बल नदी (Chambal River): इस पर चार महत्वपूर्ण बांध हैं: गांधी सागर बांध, राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज।
- बनास नदी (Banas River): इसे ‘वन की आशा’ भी कहा जाता है और यह राजस्थान के राजसमंद जिले में अरावली रेंज से निकलती है।
- काली सिंध नदी (Kali Sindh River): यह मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती है और राजस्थान में सवाई माधोपुर के पास चम्बल नदी में मिलती है।
- सिंध नदी (Sindh River): यह मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में मालवा पठार से निकलती है और उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना में मिलती है। यमुना में चम्बल और बेतवा जैसी अन्य नदियाँ भी मिलती हैं।
- महत्व (Significance): यमुना नदी को ‘जीवनदायिनी’ कहा जाता है, क्योंकि यह लाखों लोगों के लिए पीने, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराती है। यह समृद्ध जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करती है। यह भगवान कृष्ण की भक्ति से अविभाज्य मानी जाती है। वैष्णव भक्ति आंदोलन मथुरा और वृंदावन में इसके तट पर फला-फूला। इतिहासकार अबुल फज़ल और लाहौरी ने भी इसके महत्व और स्वच्छ जल की गुणवत्ता का वर्णन किया है। सम्राट बाबर ने यमुना के पानी को अमृत बताया था। छठ पूजा जैसे त्योहारों के दौरान इसका धार्मिक महत्व भी है।
- चुनौतियाँ और संरक्षण प्रयास (Challenges and Conservation Efforts): गंभीर प्रदूषण, बिना उपचारित सीवेज का निर्वहन, औद्योगिक अपशिष्ट, और अनियंत्रित कचरा निपटान ने यमुना की स्थिति को अत्यंत गंभीर बना दिया है। मल कोलीफॉर्म का स्तर सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है। पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर दिल्ली में शून्य तक गिर जाता है। औद्योगिक सुविधाओं से भारी धातु और अन्य प्रदूषक छोड़े जाते हैं। विदेशी मछली प्रजातियों का आक्रमण भी एक चुनौती है। मूर्तियों के विसर्जन और कृषि अपवाह भी प्रदूषण के अन्य कारण हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, जल शक्ति मंत्रालय ने ‘यमुना मास्टर प्लान’ तैयार किया है। इस योजना में अपशिष्ट और गाद हटाना, नालों की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की सख्त निगरानी और उपचार के बुनियादी ढांचे का विस्तार शामिल है। यमुना एक्शन प्लान (YAP) और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन जैसी पहलें भी इस दिशा में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, समुदाय और धार्मिक संगठनों की भागीदारी के माध्यम से जागरूकता बढ़ाना और सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं। औद्योगिक विनियमन और जैव-निम्नीकरणीय विकल्पों का उपयोग भी प्रस्तावित है।