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इस लेख के माध्यम से हम पारिस्थितिक तंत्र की संरचना (Structure of Ecosystem) को समझेंगे।
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना (Structure of Ecosystem): परिचय
पारिस्थितिक तंत्र की संरचना (Structure of Ecosystem) को समझने के लिए हमें पहले जैव-स्तर, जैव-इकाई, अजैव इकाई, उच्च एवं निम्न श्रेणियों के विविध तंत्रों को जान लेना चाहिए। इन सभी घटकों को चित्र-1 द्वारा विस्तृत रूप में समझाया गया है। जीवमण्डल के सभी जीवों को दो जैविक स्तरों (Biotic Level) में बाँटा गया है।
1. निम्न श्रेणी जैविक स्तर (Lower Order Biotic Level) में वंशगुण (Genes), कोशिका (Cells), जैव इकाई अथवा तंतु (Tissues), अंग (Organs) एवं जैव इकाई अथवा शरीर (Organism) को शामिल किया जाता
2. उच्च श्रेणी जैविक स्तर (High Order Biotic Level) के अन्तर्गत जीवसमूह (Groups of organisms), जीवसंख्या (Population), जीव समुदाय (Communities) तथा जीवोम (Biota or Biomes ) को शामिल किया जाता है।
निम्न श्रेणी जैव स्तर के विविध तंत्रों का अध्ययन जीव विज्ञान (Biology) में किया जाता है। ये तंत्र हैं- वंश तंत्र, कोशिका तंत्र, तंतु तंत्र, अंग तंत्र और शरीर तंत्र, जबकि उच्चश्रेणी के जैव स्तरों के विभिन्न तंत्रों का अध्ययन पारिस्थितिकी(Ecology) विज्ञान में किया जाता है; जैसे- जैव तंत्र (Biosystem), जीवसंख्या तंत्र (Population System), पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) और भूजैविक तंत्र (Geo Biosystem) ।
निम्नस्तरीय जैविक इकाइयाँ (वंशगुण, कोशिका, तंतु, अंग, शरीर) भौतिक पर्यावरण (ऊर्जा, पदार्थ) के साथ अन्तःक्रिया करके अनेक जैव तंत्रों (Biosystems) का निर्माण करती हैं। निम्नस्तरीय लघुतम इकाइयों को जैव- इकाइयाँ (Biological Units or Components) तथा निम्नस्तरीय लघुतम तंत्रों को जैव तंत्र (Biosystem) कहा जाता है।
वृहद् उच्चस्तरीय जैव इकाइयों को पारिस्थितिक इकाइयाँ (Ecological Units) कहते हैं, जो कि भौतिक पर्यावरण से अन्तःक्रिया करके विभिन्न प्रकार के उच्चस्तरीय जैव तंत्रों का निर्माण करती हैं। इन उच्चस्तरीय वृहद् जैव तंत्रों को पारिस्थितिक जैव तंत्र (Eco Biosystem) कहते हैं। अतः पारिस्थितिक तंत्र की संरचना वृहद् स्तरीय जैविक इकाइयों के परिवारों के मिलने से होती है।
प्रत्येक पारिस्थितिक तंत्र की संरचना दो आधारभूत घटकों के द्वारा होती है, जिन्हें क्रमशः अजैविक तथा जैविक घटक कहा जाता है। पर्यावरण अथवा जीवमण्डल के जैविक और अजैविक संघटकों की देशकाल विशेष के अन्तर्गत सम्पन्न हुई अन्तःक्रिया से एक पारिस्थितिक तंत्र की संरचना होती है।
पारिस्थितिक तंत्र के घटक
अजैविक घटक (Abiotic Elements)
अजैविक अथवा निर्जीव संघटकों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है—
जलवायु तत्व (Climate)
जिसके अन्तर्गत तापमान, प्रकाश, वर्षा, आर्द्रता आदि तत्व जैव जगत की सीमा निर्धारित करने वाले संघटक हैं।
कार्बनिक तत्व (Organic Substances)
इन्हें शरीर निर्माणक पदार्थ कहा जाता है और ये अजैव एवं जैव तत्वों के संयोजन का कार्य करते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन एवं तरल पदार्थ आदि उल्लेखनीय हैं।
अकार्बनिक तत्व ( Inorganic Substances)
ये तत्व पारिस्थितिक तंत्र में पदार्थों के चक्रण (Cycling) में विशेष भूमिका अदा करते हैं। जैसे—जल, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, कार्बन, कैल्शियम, सल्फर और समयावधि आदि ।
जैविक घटक (Biotic Elements)
जैविक अथवा सजीव संघटकों को मोटे तौर पर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है
उत्पादक (Primary Producer)
हरी पत्ती वाले समस्त स्वपोषित पेड़-पौधे प्राथमिक उत्पादक कहे जाते हैं। ये सजीव और निर्जीव संघटकों के बीच मध्यस्थ का कार्य करते हैं। ये सौर ऊर्जा से प्रकाश संश्लेषण के द्वारा तथा मृदा से अपनी जड़ों द्वारा स्वयं अपना भोजन बनाते हैं और अन्य जीवों (शाकाहारी) के लिए भोज्य पदार्थ प्रदान करते हैं।
उपभोक्ता (Consumers)
ये वे परपोषित सजीव संघटक हैं जो स्वपोषित प्राथमिक उत्पादक पेड़-पौधों द्वारा उत्पन्न किया हुआ भोजन ग्रहण करते हैं।
अपघटक (Decomposers)
वे सूक्ष्म जीव जो मृत जीवों और पौधों का वियोजन करके अपना भोजन ग्रहण करते हैं। चित्र 2 में इनकी कार्यप्रणाली प्रदर्शित की गई है।
एक पारिस्थितिक तंत्र के अन्तर्गत जैविक संघटकों में सभी प्रकार के पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं तथा अति सूक्ष्म जीवों को शामिल किया जाता है। उनके पोषण एवं शोषण के आधार पर इन्हें स्वपोषित तथा परपोषित दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र अथवा इकोतंत्र के संघटकों का बहुत सरल वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
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