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‘मनुष्य एवं जीवमण्डल प्रोग्राम’ (MAP) के एक्शन प्लान तथा साइंटफिक पैनेल ने जीवमण्डल आगार के विभिन्न मण्डलों में किए जाने वाले कार्यों का निर्धारण किया है। माइकेल बैटिसी (1986) ने इन कार्यों को संक्षिप्त रूप में निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया है :
जीवमण्डल आगार के विभिन्न मंडलों के कार्य (Functional Pattern of Biosphere Reserve)
क्रोड क्षेत्र (Core Area)
क्रोड क्षेत्र में निम्न कार्य सम्पादित किए जाने चाहिए
- प्रत्येक जीवमण्डल आगार में एक या कई क्रोड क्षेत्र (core) area) होते हैं। ये या तो पूर्ण रूप से प्राकृतिक होते हैं या कम से कम प्रभावित (मनुष्य तथा बाहरी जन्तुओं द्वारा) होते हैं। ये क्षेत्र पूर्ण रूप से रक्षित होते हैं। सामान्य रूप से जीवमण्डल आगार के क्रोड क्षेत्र उसके आस-पास के पारिस्थितिक तंत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।
- क्रोड क्षेत्र का आकार तथा विस्तार उस क्षेत्र की स्थलाकृति तथा संरक्षण के उद्देश्यों पर निर्भर करता है। घनी मानव जनसंख्या वाले क्षेत्रों में जीवमण्डल आगार का क्रोड क्षेत्र छोटा होना चाहिए तथा विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र में बड़ा होना चाहिए।
- क्रोड क्षेत्र प्रकृति आगार (nature reserve), वन्य प्रदेश (wilderness areas) या अन्य प्रकार के पूर्ण रूप से रक्षित क्षेत्रों के समरूप होते हैं। क्रोड क्षेत्र के पूर्ण रक्षण का अर्थ यह नहीं होता है कि उसमें किसी भी तरह का कार्य तथा हस्तक्षेप न हो, बल्कि उसमें विभिन्न प्रकार के संरक्षी प्रबन्धन (protective management) से सम्बन्धित कार्य अवश्य किए जाते हैं। हाँ, क्रोड क्षेत्र में किसी भी प्रकार का मानव अधिवास नहीं होना चाहिए।
- इस क्षेत्र में ऐसे शोध कार्य किए जाते हैं जिनका क्रोड क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा क्रोड क्षेत्र में पर्यावरणीय दशाओं के पर्यवेक्षण एवं नियमित मॉनीटरिंग का कार्य भी किया जाता है।
- क्रोड क्षेत्र के चारों तरफ सुनिर्धारित मध्यवर्ती क्षेत्र (buffer zone) होता है। क्रोड क्षेत्र तथा मध्यवर्ती क्षेत्र का एकाकी स्वायत्तशासी प्रशासनिक इकाई (single and autonomous administrative unit) से सम्बन्ध होता है। अर्थात् इनकी देख-रेख एक ही प्रशासनिक तंत्र द्वारा होती है।
बफर मण्डल (Buffer zone)
- यद्यपि इस मध्यवर्ती (बफर) मण्डल के प्रबन्धन में कई प्रशासनिक अधिकारियों का हाथ रहता है, तथापि इनके पास सुस्थापित कानूनी तथा प्रशासनिक अधिकार होना चाहिए। इस मध्यवर्ती मण्डल में केवल वे कार्य ही किए जाने चाहिए जिनका सम्बन्ध क्रोड क्षेत्र के संरक्षण से हो। ऐसे कार्यों के अन्तर्गत निम्न को सम्मिलित किया जाता है :
(1) शोध कार्य (R),
(2) पर्यावरणीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण (E),
(3) पर्यटन तथा आमोद-प्रमोद (T) या प्रबन्धन से सम्बन्धित अन्य कार्य।
संक्रमण मण्डल (Transition Zone)
- ‘जीवमण्डल आगार के मध्यवर्ती (बफर) मण्डल के चारों तरफ स्थित संक्रमण क्षेत्र (transition area) का मुख्य कार्य विकासीय कार्यों एवं योजनाओं से सम्बन्धित होता है अर्थात् संक्रमण मण्डल की प्रमुख भूमिका विकास कार्य से सम्बन्धित होती है।
- शोधकर्ताओं, प्रबन्धकों तथा स्थानीय लोगों के बीच परस्पर सहयोग होना चाहिए ताकि संसाधनों के विकास एवं नियोजन को प्रभावी बनाया जा सके। इस तरह स्पष्ट हो जाता है कि संक्रमण मण्डल का प्रमुख कार्य होता है पर्यावरण एवं विकास में घनिष्ट सम्बन्ध स्थापित करना।
- यह आवान्तर मण्डल वास्तव में जीवभौगोलिक होता है न कि प्रशासनिक इकाई, अतः इसका क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत एवं खुला होता है।
- चूँकि इस संक्रमण मण्डल का प्रबन्धन कई प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा होता है अतः प्रबन्धन एवं विकासीय कार्यक्रमों के लिए इनमें समुचित परस्पर सहयोग होना आवश्यक होता है।
मध्यवर्ती (बफर) मण्डल में या उसके बाहर पारिस्थितिक तंत्र के उपयोग एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक या कई प्रकार के कार्यात्मक क्षेत्र होते हैं, यथा :
(अ) प्रायोगिक शोध क्षेत्र (experimental research areas-ER)
(ब) परम्परागत भूमि उपयोग वाले क्षेत्र (traditional use areas-TU)
(स) पुनर्वास क्षेत्र (rehabilitation area- RA)