यह लेख नगरों के बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति (Site and Situation of Towns) की अवधारणाओं की व्याख्या करता है।
नगरों के निर्माण में भूगोल की बड़ी भूमिका होती है। एक नगर अपने क्षेत्र में मानव द्वारा बनाए गए वातावरण का वास्तविक उदाहरण होता है। किसी भी नगर की भौगोलिक विशेषताएँ उसके विकास और संरचना को प्रभावित करती हैं।
किसी नगर की सबसे खास बात यह होती है कि वहाँ कौन-कौन से रास्ते आकर मिलते हैं। नगर के विकास पर उसके आसपास के संसाधनों और समृद्धि का भी असर पड़ता है। ये दोनों ही बातें नगर के विस्तार में अहम भूमिका निभाती हैं।
नगर को किसी स्थान पर स्थायी रूप से बनाए रखने में उसकी स्थिति सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह स्थिर और निश्चित होती है। हालाँकि, बसाव-स्थान एक निश्चित जगह पर होता है, लेकिन यह समय के साथ बदल भी सकता है। वहीं, बसाव-स्थिति सबसे अधिक गतिशील होती है, क्योंकि यह नगर को बाहरी क्षेत्रों से जोड़कर उसके जीवन को सक्रिय बनाए रखती है।
इस तरह, नगर के भौगोलिक वातावरण को समझने के लिए तीन सवालों का जवाब जानना जरूरी होता है:
- नगर का बसाव-स्थान कहाँ है?
- नगर की बसाव-स्थिति क्या है?
- नगर की स्थिति कहाँ है?
इन सवालों के जवाब देने से पहले इनके अर्थ को समझना जरूरी होता है।
बसाव-स्थान (Site)
बसाव-स्थान वह जगह होती है जहाँ पर कोई नगर बसता है। नगर का विस्तार किस दिशा में होगा, यह उसके बसाव-स्थान पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई नगर सड़क या नदी के किनारे बसा है, तो उसकी आकृति लंबी होगी। नगर बसाने के लिए अलग-अलग स्थानों का चुनाव किया जाता है, जैसे द्वीप, पहाड़, पहाड़ियों के बीच का समतल क्षेत्र, या खुला मैदान।
भूगोलवेत्ताओं को बसाव-स्थान का गहन अध्ययन करना पड़ता है, क्योंकि समय के साथ मानव अपने प्रयासों से इस स्थान को बदल सकता है। बड़े नगरों का बसाव-स्थान समय के साथ काफी बदल जाता है। बसाव-स्थान के अंतर्गत हम उस क्षेत्र की सतह की स्थिति, भूगर्भीय संरचना, जलस्रोतों की उपलब्धता आदि का अध्ययन करते हैं। यह नगर के विकास को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक होता है।
नगर का विकास और बसाव-स्थान
नगर शुरुआत में बसाव-स्थान की आकृति के अनुसार फैलता है। समय के साथ, जब नगर का विकास होता है, तो यह अधिक बड़े क्षेत्र में फैलने लगता है और आस-पास के क्षेत्रों को अपनी सेवाओं से जोड़ता है।
नगर का बसाव-स्थान यह दर्शाता है कि वह किस जगह पर पहली बार बसा था। पहले नगर छोटे क्षेत्र में होते थे, लेकिन समय के साथ वे उन दिशाओं में बढ़ते गए, जहाँ भूमि शहरी विकास के लिए अनुकूल थी। आमतौर पर नगर परिवहन मार्गों के साथ-साथ बढ़ते हैं, ताकि यातायात सुविधाएँ उपलब्ध रहें।
कठिन भू-भागों पर भी नगर का विस्तार
आज के समय में, यदि किसी नगर का बसाव-स्थान प्राकृतिक रूप से सुविधाजनक नहीं भी होता, तो भी वहाँ विकास जारी रहता है। कई बार नगर उन भू-भागों में भी फैल जाते हैं, जो रहने के लिए बहुत अनुकूल नहीं होते, जैसे दलदली भूमि, रेतीली जमीन या कठोर चट्टानों वाले क्षेत्र। जब कोई नगर व्यापार, उद्योग या प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है, तो लोग वहाँ की महँगी जमीन खरीदकर भी बसने लगते हैं।
उदाहरण:
- न्यूयॉर्क: दलदली और चट्टानी भूमि होने के बावजूद यह दुनिया का प्रमुख व्यापारिक नगर बन गया।
- शिकागो: ठंडे मौसम और झील के किनारे स्थित होने के बावजूद इसका तेज विकास हुआ।
- मुंबई और कोलकाता: समुद्र के किनारे बसे होने के कारण यहाँ दलदली भूमि थी, लेकिन समय के साथ यह भारत के सबसे बड़े महानगरों में बदल गए।
नगर के विस्तार का प्रभाव
नगर जब अपनी प्रारंभिक जगह पर पूरी तरह विकसित हो जाता है और आगे बढ़ने के लिए जगह कम पड़ने लगती है, तो वह आसपास के नए क्षेत्रों की ओर फैलने लगता है। यदि नगर के लम्बवत् विस्तार (ऊँचाई में वृद्धि) की संभावना कम हो जाती है, तो यह क्षैतिज (चौड़ाई में) विस्तार करने लगता है।
इसलिए, बसाव-स्थान नगर के विकास की दिशा तय करता है और उसे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नगर के बसाव-स्थान की आवश्यकताएँ
नगर बसाने के लिए सही स्थान चुनना बहुत जरूरी होता है। यह स्थान कई प्राकृतिक और मानव निर्मित सुविधाओं से युक्त होना चाहिए ताकि लोग आराम से रह सकें और विकास हो सके। नीचे नगर के बसाव-स्थान की मुख्य आवश्यकताएँ दी गई हैं:
1. जल की उपलब्धता
नगर बसाने के लिए सबसे जरूरी चीज पानी है। नगर नियोजकों को ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए जहाँ पानी आसानी से और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। पानी न केवल पीने और घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक होता है, बल्कि मछली पालन, कृषि, उद्योग, यातायात और नगर की सुरक्षा में भी सहायक होता है। इसके अलावा, जलमार्गों से व्यापार और आवागमन की सुविधा भी मिलती है।
2. उपजाऊ मिट्टी और प्राकृतिक संसाधन
नगर के आसपास की भूमि उपजाऊ होनी चाहिए ताकि खेती-बाड़ी हो सके। झीलें और छोटे वन क्षेत्र भी महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये मनोरंजन, जल संसाधन और खाद्य सामग्री का स्रोत होते हैं।
3. भूमि का स्वरूप और ढलान
नगर के निर्माण में भूमि का ढलान भी महत्वपूर्ण होता है। ढलान का उपयोग पार्क बनाने या मकानों के निर्माण में किया जा सकता है। समतल और मजबूत भूमि पर इमारतों की नींव टिकाऊ होती है, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या कम होती है।
4. जल निकासी और मिट्टी की गुणवत्ता
नगर का जल निकासी तंत्र अच्छा होना चाहिए ताकि जलभराव और बाढ़ जैसी समस्याएँ न हों। इसके अलावा, जिस भूमि पर नगर बसाना है, उसकी मिट्टी की मजबूती का अध्ययन करना भी जरूरी होता है ताकि इमारतों की नींव मजबूत बनी रहे।
5. अनुकूल जलवायु
नगर बसाने से पहले वहाँ की जलवायु का ध्यान रखना आवश्यक है। बहुत अधिक ठंड (हिमपात), तेज हवाएँ, अत्यधिक शुष्कता या लगातार बारिश जैसी परिस्थितियाँ नगर के विकास में बाधा डाल सकती हैं। इसलिए, नगर का स्थान ऐसा होना चाहिए जहाँ जलवायु जीवन और व्यवसाय के लिए अनुकूल हो।
6. रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर
नगर बसाने का स्थान ऐसा होना चाहिए जहाँ प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधन उपलब्ध हों। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और उद्योग, व्यापार, यातायात तथा अन्य सेवाओं का विकास हो सकेगा। जब नगर में आर्थिक अवसर अधिक होंगे, तो वहाँ जनसंख्या वृद्धि और समृद्धि तेजी से होगी।
इस प्रकार, नगर के बसाव-स्थान का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए ताकि वह दीर्घकालिक रूप से सुरक्षित, सुविधाजनक और विकासशील बन सके।
बसाव-स्थिति (Situation)
स्मेल्स महोदय के अनुसार, बसाव-स्थिति का मतलब है किसी नगर की उसके आसपास के क्षेत्र के संदर्भ में स्थिति। इसमें नगर के चारों ओर फैली भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है, जैसे कि पहाड़, नदियाँ, मैदान, या जलस्रोत। इसके अलावा, यह अध्ययन नगर के आस-पास के क्षेत्र की जनसंख्या, संस्कृति, आर्थिक गतिविधियों और परिवहन सुविधाओं को समझने में भी मदद करता है। इस तरह, नगर की स्थिति को एक बड़े भौगोलिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है।
बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति में अंतर और संबंध
बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति दोनों किसी भी नगर या गाँव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बसाव-स्थान वास्तव में बसाव-स्थिति का एक छोटा हिस्सा होता है, लेकिन दोनों मिलकर किसी भी नगर के निर्माण और विकास को प्रभावित करते हैं।
बसाव-स्थान क्या है?
बसाव-स्थान किसी नगर या गाँव के भौतिक (भौगोलिक) विशेषताओं पर जोर देता है। यह वह स्थान होता है, जहाँ किसी नगर या गाँव की स्थापना की जाती है। उदाहरण के लिए, कोई नगर किसी नदी के किनारे, पहाड़ी क्षेत्र में, या समतल भूमि पर बस सकता है।
बसाव-स्थिति क्या है?
बसाव-स्थिति किसी स्थान की प्राकृतिक और मानवीय परिस्थितियों को ध्यान में रखती है। इसमें जलवायु, मिट्टी, जलस्रोत, व्यापारिक मार्गों से निकटता, अन्य नगरों से संपर्क आदि शामिल होते हैं।
बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति में अंतर
- बसाव-स्थान एक विशिष्ट क्षेत्र होता है, जबकि बसाव-स्थिति अधिक व्यापक होती है।
- बसाव-स्थान केवल भौतिक विशेषताओं को दर्शाता है, जबकि बसाव-स्थिति प्राकृतिक और मानवीय दोनों परिस्थितियों को ध्यान में रखती है।
- किसी भी नगर का निर्माण बसाव-स्थान के आधार पर होता है, लेकिन उसका विकास बसाव-स्थिति पर निर्भर करता है।
नगरों के विकास में बसाव-स्थिति की भूमिका
गाँव और नगर दोनों के लिए बसाव-स्थान महत्वपूर्ण होता है, लेकिन नगर बनने में बसाव-स्थिति की अधिक भूमिका होती है। बसाव-स्थिति गाँव के आकार को बढ़ाकर उसे नगर में बदलने का काम करती है। किसी भी नगर का विकास केवल आंतरिक संसाधनों पर निर्भर नहीं करता, बल्कि बाहरी क्षेत्रों के संसाधनों पर भी निर्भर करता है। यही कारण है कि नगरों का विस्तार और विकास बसाव-स्थिति के अध्ययन से जुड़ा होता है।
उदाहरण: बर्लिन नगर का अध्ययन
एक भूगोलवेत्ता रेटजेल ने बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति के बीच अंतर को समझाया। उसने बर्लिन नगर का अध्ययन किया और पाया कि यह ऐसा स्थान था, जहाँ बड़े नगर के रूप में विकसित होने की संभावना नहीं थी। लेकिन इसकी बसाव-स्थिति, यानी जर्मनी के उपजाऊ मैदान में स्थित होने के कारण, यह एक महत्वपूर्ण नगर बन गया।
नगरों का बसाव-स्थान अलग-अलग होता है
कभी भी दो नगरों का बसाव-स्थान एक जैसा नहीं होता। नगरों को उनके बसाव-स्थान के आधार पर वर्गीकृत करना कठिन होता है, क्योंकि हर स्थान की भौतिक दशाएँ अलग होती हैं। कोई भी नगर तभी विकसित हो सकता है, जब वहाँ की भौतिक दशाएँ (जैसे भूमि, जलवायु, जलस्रोत, परिवहन सुविधाएँ) अनुकूल हों। यही भौतिक दशाएँ नगरों को उनके बसाव-स्थान के आधार पर वर्गीकृत करने में सहायक होती हैं।
निष्कर्ष
किसी भी नगर या गाँव के विकास में बसाव-स्थान और बसाव-स्थिति दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बसाव-स्थान वह विशिष्ट भूमि होती है, जहाँ नगर बसता है, जबकि बसाव-स्थिति उन कारकों को दर्शाती है, जो नगर के विकास को प्रभावित करते हैं। नगरों का निर्माण भौतिक दशाओं के आधार पर होता है, लेकिन उनका विकास बसाव-स्थिति पर निर्भर करता है।