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हरबर्ट स्पेन्सर का जैविक सिद्धान्त (Biological Theory of Spencer) 

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इस लेख को पढ़ने के बाद आप हरबर्ट स्पेन्सर के जैविक सिद्धान्त (Biological Theory of Spencer) की आलोचनात्मक व्याख्या कर पाएंगे।

हरबर्ट स्पेन्सर का जैविक सिद्धान्त (Biological Theory of Spencer)

ब्रिटिश दार्शनिक हरबर्ट स्पेन्सर (1820-1903) ने प्राकृतिक शक्तियों के आधार पर सामाजिक तथा जैविक विकास की व्याख्या करने का प्रयास किया है। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि के लिए प्राकृतिक नियमों का सहारा लिया। उनका जैविक सिद्धान्त सैडलर और डबलडे के सिद्धान्तों से मिलता-जुलता है। 

स्पेन्सर का विश्वास था कि जनसंख्या को नियंत्रित करने का उत्तरदायित्व प्रकृति स्वयं संभालती है और मनुष्य इससे मुक्त रहता है। इस कथन के अनुसार जैसे-जैसे मनुष्य व्यक्तिगत, वैज्ञानिक तथा आर्थिक विकास की ओर ध्यान देता है उसकी सन्तानोत्पत्ति की मनोवृत्ति क्षीण होती जाती है तथा प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। 

व्यक्तिगत विकास में संलग्न होने पर शारीरिक और मानसिक परिश्रम अधिक करना पड़ता है और खाली समय भी कम मिलता है। इससे प्रजनन क्षमता में कमी आती है जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करती है। स्पेन्सर प्रजनन क्षमता का अर्थ केवल संतानोत्पत्ति से ही नहीं लगाते बल्कि इसके अंतर्गत बच्चों के लालन- पालन (स्तनपान आदि) को भी सम्मिलित करने हैं। इस सिद्धान्त को ‘प्रजननता फलन विश्लेषण’ (Analysis of Fertility Function) की संज्ञा दी जा सकती है।

प्रजनन क्षमता में परिवर्तन की प्रवृत्ति की व्याख्या के लिए उन्होंने विकासवादी सिद्धान्त (evolution theory) का सहारा लिया है। उनका मत है कि जिस प्रकार छोटे जीवों की प्रजनन प्रक्रिया सरल होती है और प्रजनन दर उच्च होती है उसी प्रकार अविकसित (पिछड़े) समाज में भी प्रजनन दर उच्च पाई जाती है। बड़े जीवों की प्रजनन प्रक्रिया जटिल होती है और प्रजनन दर नीची होती है। इसी भांति विकसित समाज में व्यक्तिगत तथा आर्थिक विकास में संलग्नता के परिणामस्वरूप प्रजनन दर निम्न पाई जाती है। 

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सिद्धान्त की आलोचना (Criticism of Theory)

  • स्पेन्सर का यह कथन कि व्यक्तिगत तथा आर्थिक विकास में संलग्नता के साथ जीवन में जटिलता बढ़ने से ही प्रजनन क्षमता कम हो जाती है, सत्य नहीं है क्योंकि प्रजनन क्षमता घटने के अनेक अन्य सामाजिक-आर्थिक कारण भी होते हैं जिनकी स्पेन्सर ने चर्चा नहीं की है।
  • स्पेन्सर ने प्रजननता की माप के लिए किसी ठोस आधार का प्रयोग नहीं किया है बल्कि व्यक्तिगत विकास में संलग्नता का सहारा लिया है जो अधिक व्यक्तिनिष्ठ है।
  • स्पेन्सर द्वारा जनसंख्या वृद्धि या ह्रास के लिए केवल प्राकृतिक शक्तियों को उत्तरदायी मानना उचित नहीं है क्योंकि इस पर अनेक जनांकिकीय, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि कारकों का भी प्रभाव पाया जाता है।

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