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ताप-आर्द्रता सूचकांक (Temperature Humidity Index)
मानव शरीर पर तापमान एवं वायुमण्डल में उपस्थित आर्द्रता का संयुक्त रूप से प्रभाव पड़ता है। कभी तो मौसम हमे सुहावना लगता है, तो कभी शरीर थोडी सी मेहनत से ही पसीने से तर हो जाता है। सापेक्षिक आर्द्रता का मौसम के सुखकर अथवा कष्टप्रद होने से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है, क्योंकि हमारे शरीर के पसीने के वाष्पीकरण की दर इसी के द्वारा निर्धारित होती है।
वाष्पीकरण शरीर के शीतलन को प्रभावित करता है। यदि वायु का तापमान ऊँचा किन्तु सापेक्ष आर्द्रता कम हो, तो शरीर को कमरे के भीतर आराम मिलता है। किन्तु सापेक्ष आर्द्रता ऊंची होने पर वही तापमान कष्टकर प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए, 80° फारेनहाइट तापमान तथा 20% सापेक्ष आर्द्रता शरीर के लिए आरामदेह है किन्तु सापेक्ष आर्द्रता 90% से अधिक होने पर वही तापमान कष्टदायक होता है। इस सम्बन्ध में महत्पूर्ण भूमिका अदा करने वाले अन्य कारक वायु का वेग तथा शारीरिक विकिरण के द्वारा ऊष्मा-ह्रास की दर है।
कमरे के भीतर आराम की दृष्टि से पवन के वेग का कोई महत्व नहीं रहता। इसी सम्बन्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका के वेदर ब्यूरो ने निश्चित तापमान और आर्द्रता की दशाओं में कई व्यक्तियों की परीक्षा करके उनकी शरीर सुख सम्बन्धी प्रतिक्रियाओं के आधार पर ताप-आर्द्रता सूचकांक (temperature-humidity index) तैयार किए। ये सूचकांक आनुभविक सूत्र (empirical formula) पर आधारित हैं। वस्तुतः इस सूचकांक (THI) को ग्रीष्म काल में कमरों में काम करने वाले अमेरिकनों के शारीरिक सुख अथवा कष्ट के मापन के लिए निकाला गया था। इस गणितीय विधि को प्रारम्भ में Discomfort Index कहा गया, किन्तु काफी विवाद के उपरान्त इसे “ताप-आर्द्रता सूचकांक” की संज्ञा प्रदान की गई।
इस सूचकांक को निम्नलिखित तीन सूत्रों में से किसी एक के द्वारा निकाला जा सकता है:-
(i) THI = 0.4 (Tdry + Twet) +15
(ii) THI = 0.55 Tdry + 0.2 Tdew + 17.5
(iii) THI = Tdry (0.55 – 0.55RH) (Tdry – 58)
जहां
Tdry = ०फारेनहाइट में शुष्क बल्ब तापमान
Twet = ०फारेनहाइट में आर्द्र बल्ब तापमान
Tdew = ०फारेनहाइट में ओसांक
RH = दशमलव में व्यक्त की गई सापेक्ष आर्द्रता
उपर्युक्त सूत्रों की सत्यता सब स्थानों के लिए प्रमाणित नहीं होती, क्योंकि तापमान और आर्द्रता के सम्मिलित प्रभाव के सम्बन्ध में हर व्यक्ति की अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है। दूसरी बात यह भी है कि ऊँचे सूचकांक की रिपोर्ट पढ़कर भी कई लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है तथा उन्हें मौसम वास्तव से अधिक कष्टकर प्रतीत होने लगता है।
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