Estimated reading time: 10 minutes
Table of contents
तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature)
तापमान के क्षैतिज वितरण का अर्थ है, अक्षांश के अनुसार तापमान का वितरण। हम जानते हैं कि किसी स्थान का तापमान मुख्यतः वहाँ प्राप्त सूर्याभिताप (insolation) की मात्रा पर निर्भर होता है। सूर्याभिताप की मात्रा पर सबसे अधिक प्रभाव किसी स्थान के अक्षांश का पड़ता है। इस प्रकार धरातल के तापमान वितरण पर अन्य सभी कारकों की अपेक्षा अक्षांश का सर्वाधिक नियंत्रण होता है।
तापमान के क्षैतिज वितरण को मानचित्रों पर समताप रेखाओं (isothermal lines) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाकर खींची जाने वाली रेखाओं को समताप रेखाएं कहते हैं। हमारे लिए यह जानना आवश्यक होगा की समताप रेखाएं किसी स्थान के वास्तविक तापमान को नहीं प्रदर्शित करतीं, बल्कि उनके द्वारा प्रत्येक स्थान का समुद्र तल पर अनुमानित ताप ही दिखाया जाता है।
ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि धरातल पर प्रत्येक स्थान अलग-2 ऊंचाई पर स्थित होते हैं और प्रति 100 मीटर की ऊँचाई 6° सेल्सियस की दर से तापमान कम होता है। जिससे एक ही अक्षांश पर स्थित विभिन्न ऊंचाई वाले स्थानों का तापमान अलग-2 होता है। अत: इन सभी स्थानों का समुद्र तल पर तापमान ज्ञात किया जाता है।
कैसे किया जाता है तापमान समुद्र तल के बराबर ? उदहारण 1 बंगलुरु का उदाहरण जो समुद्र तल से 900 मीटर ऊँचा है : बंगलुरु की समुद्र तल से ऊँचाई = 900 मीटर बंगलुरु में जुलाई का औसत मासिक तापमान = 22°C प्रत्येक 165 मीटर पर तापमान परिवर्तन = 1°C 900 मीटर पर तापमान परिवर्तन = 900/165 = 5.5°C यदि बंगलुरु समुद्र तल पर होता तो उसका तापमान वर्तमान तापमान से 5.5°C अधिक होता। अतः समुद्र तल पर बंगलुरु का काल्पनिक (समानीत) तापमान = 5.5°C +22°C = 27.5°C उदहारण 2 शिमला का उदाहरण जो समुद्र तल से 2202 मीटर ऊँचा है: शिमला की समुद्र तल से ऊँचाई = 2202 मीटर शिमला में जुलाई का औसत मासिक तापमान = 11°C प्रत्येक 165 मीटर पर तापमान परिवर्तन = 1°C 2202 मीटर पर तापमान परिवर्तन = 2202/165 = 13.34°C यदि शिमला समुद्रतल पर होता तो उसका तापमान वर्तमान तापमान से 13.34°C अधिक होता।अतः समुद्र तल पर शिमला का समानीत तापमान = 13.34°C +11°C = 24.34°C |
इस प्रकार स्थानों के वास्तविक तापमानों में आवश्यक संशोधन करके ही उन्हें मानचित्रों पर अंकित किया जाता है। इस प्रकार के संशोधन से तापमान के वितरण पर से ऊँचाई के प्रभाव को हटा कर शेष अन्य कारकों का प्रभाव दिखाया जाता है। यदि ऐसा न किया जाए, तो पर्वतों और पठारों वाले प्रदेश के तापक्रम का वितरण इतना जटिल हो जाए कि उनका प्रदर्शन ही सम्भव न हो पाए।
समताप रेखाओं की पारस्परिक दूरियों पर दृष्टिपात करते ही तापमान की प्रवणता (temperature- gradient) का बोध होता है। समताप रेखा मानचित्र पर तापमान में होने वाले परिवर्तन की दर को तापमान-प्रवणता कहते हैं। हम जानते हैं कि किसी भू-खण्ड के ढाल की तीव्रता अथवा मन्दता समोच्च रेखाओं की पारस्परिक दूरियों से प्रकट होती है। ठीक उसी प्रकार जब मानचित्र पर समताप रेखायें कम दूरी पर होती हैं, तब तापमान-प्रवणता तीव्र होती है।
इसके विपरीत, जब इन रेखाओं के बीच की दूरी अधिक होती है, तब तापमान-प्रवणता मन्द होती है। दूसरे शब्दों में, जब अधिक दूरी में तापमान परिवर्तन होता है, तब तापमान-प्रवणता मन्द कही जाती है, किन्तु जब तापमान परिवर्तन अपेक्षाकृत कम दूरी में अंकित किया जाता है, तब प्रवणता की तीव्रता का बोध होता है।
औसत वार्षिक तापमान का क्षैतिज वितरण
यदि हम पृथ्वी पर तापमान के सामान्य वितरण को प्रदर्शित करने वाले मानचित्र को देखेंगे तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि तापमान स्थूल रूप से अक्षांश द्वारा निर्धारित होता है। यही कारण है कि अपनी सम्पूर्ण वक्रताओं के बावजूद समताप रेखाओं की सामान्य प्रवृत्ति पूर्व-पश्चिम ही होती है। हम कह सकते हैं कि समताप रेखाएं मोटे तौर पर अक्षांश रेखाओं के समानान्तर खींची जाती हैं। औसत वार्षिक तापमान-वितरण की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं :-
- उच्चतम तापमान भू-मध्य रेखा के निकट तथा निम्नतम तापमान ध्रुवों के समीप पाया जाता है।
- सामान्यतया समताप रेखाएं पूर्व से पश्चिम अक्षांश रेखाओं के समानान्तर खींची जाती हैं। समताप रेखाओं की यह प्रवृत्ति दक्षिणी गोलार्द्ध में, जहाँ उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा जल-भाग बहुत अधिक है, विशेष स्पष्ट दिखाई पड़ती है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएं अधिक सीधी तथा परस्पर दूर-दूर होती हैं, क्योंकि वहाँ महासागरों की अधिकता के कारण धरातल अधिक समांगी (homogeneous) है।
- जहाँ समताप रेखाएं महाद्वीपों से समुद्रों पर या महासमुद्रों से महाद्वीपों पर जाती हैं, उनमें काफी मोड़ आ जाते हैं तथा उनके पूर्व-पश्चिम मार्ग में विचलन आ जाता है। ऐसा विशेष रूप से उत्तरी गोलार्द्ध में पाया जाता है। इसके दो कारण हैं:- पहला, प्रचलित वायु तथा महासागरीय धाराओं द्वारा तापमान में अन्तर उत्पन्न कर देना, तथा दूसरा, स्थल और जल के तापन और शीतलन में अन्तर पाया जाना।
- उत्तरी अंध महासागर के पूर्वी भाग में गल्फ स्ट्रीम तथा अटलांटिक ड्रिफ्ट की गर्म जल धाराओं तथा दक्षिणी हवाओं के, सम्मिलित प्रभाव से समताप रेखाएं अधिक उत्तर की ओर मुड़ जाती हैं। इसी प्रकार उत्तरी प्रशान्त महासागर में क्यूरोसिवो तथा उत्तरी प्रशान्त ड्रिफ्ट और पछुवा हवाओं के कारण समताप रेखाएं ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं। इस प्रकार उच्च अक्षांशों में बहने वाली गर्म धाराओं के प्रभाव से समताप रेखाएं ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं तथा शीतल समुद्री धाराएं अपने अक्षांशों में समताप रेखाओं को भूमध्य रेखा की ओर झुका देती हैं। लैब्राडोर की ठण्डी धारा, कैलिफोर्निया की ठण्डी धारा, बेंग्युला तथा हम्बोल्ट ठण्डी धाराएं आदि उसके उदाहरण हैं।
- उत्तरी अमेरिका तथा उत्तरी यूरोप के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र उनके मध्यवर्ती क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक गरम रहते हैं। अफ्रीका, आस्ट्रेलिया तथा दक्षिणी अमेरिका के ऊष्ण कटिबन्धीय पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र मध्यवर्ती क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक ठण्डे रहते हैं।
- उच्च औसत वार्षिक तापमान (high mean annual temperature) की पेटी (26.7° सेल्सियस या अधिक) ऊष्ण कटिबन्धीय भागों में कहीं सकरी और कहीं चौड़ी होती है। महाद्वीपों पर इसकी चौड़ाई सबसे अधिक होती है, किन्तु प्रशान्त महासागर पर इसका पूर्णतया लोप हो जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल खण्डों की प्रधानता के कारण वहाँ ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक ऊँचे तापक्रम पाये जाते हैं, तथा यह गोलार्द्ध दक्षिणी गोलार्द्ध से अधिक गरम भी रहता है। औसत वार्षिक तापीय भू-मध्य रेखा (thermal equator) भौगोलिक भू-मध्य रेखा (0° अक्षांश) के उत्तर में पाई जाती है।
- उच्च अक्षांशीय प्रदेशों तथा महाद्वीपों के पूर्वी किनारे पर ताप प्रवणता (temperature gradient) अर्थात् एक अक्षांश से दूसरे अक्षांश तक तापमान-परिवर्तन की दर सर्वाधिक होती है। समताप रेखाओं के बीच दूरी अपेक्षाकृत कम होती है। इसके विपरीत, ऊष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों तथा महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पर ताप-प्रवणता कम पाई जाती है, अर्थात् समताप रेखाओं के बीच की दूरी अपेक्षाकृत अधिक होती है।
- दोनों गोलाद्धों में शीत ऋतु में निम्नतम तापमान महाद्वीपों पर पाए जाते हैं और उच्चतम तापमान भी ग्रीष्म ऋतु में महाद्वीपों पर ही पाये जाते हैं। इसका कारण महाद्वीपीय प्रभाव है। साइबेरिया, उत्तरी कनाडा तथा ग्रीनलैण्ड में शीत ऋतु में सबसे अधिक सर्दी पड़ती है तथा ये पृथ्वी पर सबसे ठण्डे प्रदेश हो जाते हैं।
- तापमान के वितरण पर पर्वत श्रेणियों का स्पष्ट प्रभाव दिखाई पड़ता है। उत्तरी अमेरिका में रॉकीज तथा दक्षिणी अमेरिका में एण्डीज पर्वत श्रेणियाँ उत्तर से दक्षिण फैली हुई हैं जिससे महासागरीय प्रभाव देश के भीतरी भागों में नहीं पहुँचने पाता। अतः उन पर्वतों के कारण शीत ऋतु में समताप रेखाएं उन्हें पार करते ही भू-मध्य रेखा की ओर तथा ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं। एशिया में हिमालय पूर्व से पश्चिम फैला होने के कारण उसके समीप समताप रेखायें एक दूसरे के निकट हो जाती हैं।
जनवरी के औसत तापमान का क्षैतिज वितरण
औसत मासिक तापमान की दृष्टि से जनवरी और जुलाई के महीने विशेष उल्लेखनीय हैं। जनवरी उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे ठंडा तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे गरम महीना है तथा जुलाई उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे गरम तथा दक्षिणी गोलार्द्ध का सबसे ठण्डा महीना है। ट्रेवार्था के अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी पर ताप वितरण की दृष्टि से जनवरी और जुलाई के महीने ताप की मौसमी चरम सीमाओं (seasonal extremes) का प्रदर्शन करते हैं।
- जनवरी के महीने में उत्तरी गोलार्द्ध में फैले हुए विशाल स्थल खण्डों के कारण समताप रेखाएं अधिक टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं तथा परस्पर निकट दिखाई पड़ती हैं। इसके विपरीत, दक्षिणी गोलार्द्ध में जलमण्डल की प्रधानता के कारण समताप रेखाएं कुछ मुड़ जाती हैं।
- महासागरों से महाद्वीपों पर जाते समय समताप रेखाएं अधिक सममित (symmetrical) होती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में अधिक समताप रेखाएं दिखाई गई हैं।
- उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित विभिन्न महाद्वीपों पर जनवरी की समताप रेखाएं भू-मध्य रेखा की ओर काफी मुड़ जाती हैं। इसका स्पष्ट अर्थ यह है कि ध्रुव प्रदेश से आने वाली ठंडी हवायें काफी दूर के प्रदेशों के तापमान को नीचा कर देती हैं, तथा महाद्वीपीय प्रभाव के कारण स्थल खण्डों के भीतरी भागों में स्थित प्रदेशों की शीत ऋतु कठोर होती है।
- दूसरी ओर, उत्तरी गोलार्द्ध के महासमुद्रों पर ये रेखाएं ध्रुव की ओर मुड़ जाती हैं जिससे यह प्रदर्शित होता है कि समान अक्षांशों में महासागर महाद्वीपों की अपेक्षा अधिक गर्म होते हैं। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि हम देख चुके हैं कि जल की अपेक्षा स्थल अधिक शीघ्र और अधिक मात्रा में ठण्डा होता है।
- जनवरी महीने में न्यूनतम तापमान उत्तरी-पूर्वी साइबेरिया में अंकित किया जाता है। दूसरा अत्यधिक शीतल प्रदेश ग्रीनलैण्ड में पाया जाता है।
- सभी महाद्वीपों के पश्चिमी किनारे पूर्वी भागों की अपेक्षा अधिक गरम होते हैं। इसका प्रमुख कारण पछुवा हवाएं हैं जो महासागरों के ऊपर चलकर आती हैं तथा पश्चिमी भागों के तापमान में वृद्धि कर देती हैं।
- उत्तरी ध्रुव के चारों ओर के क्षेत्र में समताप रेखाओं का सर्वथा अभाव है। इस अत्यन्त ठण्डे प्रदेश में मौसम सूचक केन्द्रों की कमी के कारण उपयुक्त आँकड़े प्राप्त करने में बड़ी कठिनाई होती है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में महाद्वीपों पर जनवरी की समताप रेखाओं के बीच की कम दूरी अधिक तीव्र ताप-प्रवणता (temperature gradient) की द्योतक है।
- जनवरी की औसत तापीय भू-मध्य रेखा (mean January heat equator) की स्थिति भू-मध्य रेखा के दक्षिण में पाई जाती है।
- इस महीने में धरातल पर सर्वोच्च तापमान की पेटी 30° दक्षिणी अक्षांश के समीप महाद्वीपों पर पाई जाती है।
जुलाई के औसत तापमान का क्षैतिज वितरण
- जुलाई महीने के औसत ताप-मानचित्र पर उत्तरी गोलार्द्ध में (जहाँ ग्रीष्म ऋतु होती है) समताप रेखाएं बहुत अधिक वक्र तथा अनियमित दिखाई गई हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में, जहाँ जुलाई शीत ऋतु होती है, मध्य तथा उच्च अक्षांशों में स्थल खण्ड के अभाव होने से समताप रेखाएं महासागरों पर जनवरी की ही भाँति सीधी होती हैं, यद्यपि तटवर्तीं क्षेत्रों में ये रेखाएं भू-मध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं।
- उच्च तापमान (लगभग 32.2° सेल्सियस) की एक लम्बी विस्तृत पेटी उत्तरी अफ्रीका से दक्षिणी-पश्चिमी एशिया होती हुई पश्चिमोत्तर भारत तक फैली हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में उच्च तापमान की ऐसी ही दूसरी पेटी पायी जाती है।
- उत्तरी-पूर्वीं साइबेरिया की शीतकालीन पेटी का अब लोप हो जाता है तथा यह भाग समान अक्षांश वाले अन्य भागों की अपेक्षा अधिक गरम हो जाता है। ऐसा महाद्वीपीय प्रभाव (continentality) के कारण होता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में इस महीने में महासागरों की अपेक्षा महाद्वीप अधिक गरम होते हैं। उत्तरी प्रशान्त महासागर तथा उसके समीपवर्ती स्थल खण्डों के तापमान में इस समय सर्वाधिक अन्तर पाया जाता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में जनवरी की अपेक्षा जुलाई की समताप रेखाएं कम तथा परस्पर दूर-दूर पाई जाती हैं।
- सभी समताप रेखाएं उत्तर की ओर खिसक जाती हैं, फिर भी उनकी सामान्य प्रवृत्ति में कोई परिवर्तन नहीं पाया जाता।
- जुलाई में 26.7° सेल्सियस की समताप रेखा द्वारा प्रदर्शित सबसे गरम भू-भाग भू-मध्य रेखा के उत्तर में पाया जाता है, तथा महाद्वीपों पर जुलाई की औसत तापीय भू-मध्य रेखा (mean July heat equator) भौगोलिक भू-मध्य रेखा से काफी उत्तर की ओर खिसक जाती है।
- जुलाई महीने की समताप रेखाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे महाद्वीपों पर उत्तरी ध्रुव तथा महासागरों पर भू-मध्य रेखा की ओर मुड़ जाती हैं।
- जुलाई में महाद्वीपों के पश्चिमी भाग में ताप-प्रवणता में विशेष अन्तर दृष्टिगोचर नहीं होता, किन्तु महाद्वीपों के आन्तरिक भागों तथा पूर्वी किनारे पर ताप-प्रवणता क्षीण हो जाती है।
You Might Also Like
- डॉ० एल० डी० स्टाम्प (Dr. L. Dudley Stamp) के अनुसार भारत के जलवायु प्रदेश
- पवन का अर्थ एवं महत्व (Meaning and Importance of Wind)
- जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Distribution and Density of Population)
- तापमान विसंगति (Thermal Anomaly)
- अक्षांश एवं देशान्तर (Latitude and Longitude)