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प्रजाति के वर्गीकरण का इतिहास (History of Classification of Races)
प्रजातियों के वर्गीकरण के लिए सबसे प्रथम प्रयास स्वीडिश प्रकृति विज्ञानी कार्ल लिनायूस (Carl Linnaeus, 1707-1778) ने 18वीं शताब्दी के मध्य में किया था। उन्होंने मानव जाति को चार प्रजातियों में बांटा जो निम्न प्रकार से है:
- यूरोपीय श्वेत प्रजाति,
- एशियाटिक पीली प्रजाति,
- अमेरिकन लाल प्रजाति तथा
- अफ्रीकन काली प्रजाति
1775 में जर्मन मानवशास्त्री जोहान्न फ़्रिएद्रिच ब्लूमैनबैक (Johann Friedrich Blumenbach,1752-1840) ने पाँच प्रकार की महाद्वीपीय प्रजातियों का वर्णन किया जिनके नाम हैं
- कॉकेशियन- श्वेत प्रजाति,
- मंगोलियन-पीली प्रजाति,
- इथोपियन – काली प्रजाति,
- अमेरिकन-लाल प्रजाति तथा
- मलायन, ब्राउन प्रजाति
उसके पश्चात 19वीं शताब्दी के मध्य काल में फ्रांसीसी मानवशास्त्रियों ने तीन प्रकार की मानव प्रजातियों को मान्यता दी। इनके नाम 1. कॉकेशियन, 2. नीग्रोइड तथा 3. मंगोलोइड थे।
कूविअर (Cuvier) ने त्वचा के रंग के आधार पर तीन प्रजातियों के नाम बताए। ये प्रजातियां 1. श्वेत (कॉकेशियन), 2. पीली (मंगोल) तथा 3. काली (नीग्रो) थीं।
समय के बीतने के साथ त्वचा के रंग के अलावा अन्य शारीरिक लक्षणों को भी प्रजातियों के वर्गीकरण में महत्व दिया जाने लगा। उदाहरण के लिए, हक्सले (Herxley) ने बालों की बनावट के आधार पर प्रजातियों का वर्गीकरण किया, वहीं टोपीनार्ड (Topinard) ने नासिका सूचकांक को प्रजातियों के वर्गीकरण का आधार माना।
हैडन का प्रजाति वर्गीकरण (Classification of Races by Hadden)
हैडन ने अपनी पुस्तक ‘Races of Men’, (1924 में प्रकाशित हुई) में त्वचा के रंग के अतिरिक्त शरीर के कद तथा सिर की आकृति को भी वर्गीकरण का आधार बनाया। उन्होंने मानव जाति को निम्नलिखित तीन प्रकार की प्रजातियों में विभाजित किया:
उल्त्रिची प्रजातियां (Ultrichi Races):
ये लोग काली त्वचा वाले नीग्रो तथा नैगरिटो लोग होते हैं जिनके बाल छल्लेदार या घुंघराले होते हैं और बालों की ऊर्ध्वकार (Cross-section) 40 से 50 तक होती है। ये प्रजातियां मुख्य रूप से सूडान, जायरे, युगाण्डा, टंगानिका, तंजानिया मैडागास्कर, न्यूगिनी, तथा अण्डमान द्वीप समूह में पाई जाती हैं। नैगरिटो प्रजाति नाटे कद की तथा नीग्रो प्रजाति लम्बे कद की होती है। ये दीर्घ शिरस्य (लम्बी खोपड़ी) वाली प्रजातियां हैं।
सीमोट्रिक प्रजातियाँ (Cymotrichi Races):
इन प्रजातियों के लोगों के बाल लहरदार (wavy) होते हैं और बालों की उर्ध्वकाट (vertical) 60 से 71 तक होती है। त्वचा के रंग के रंग के आधार पर इन्हें निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जाता है
क. काली प्रजाति के आस्ट्रेलियनः
इनके बालों में छोटी-छोटी लहरें होती हैं।ये औसत कद तथा लम्बे सिर वाले होते है। ये प्रजाति मुख्य रूप से आस्ट्रेलिया, दक्षिणी भारत तथा ब्राजील में निवास करती है। श्रीलंका के बैद्दा, मलाया, सुमात्रा, सेलेबीस तथा इण्डोनेशिया के कुछ अन्य द्वीपों की प्रजातियां भी इसी वर्ग की हैं।
ख. भूरे व कत्थई तथा गोरे वर्ण की कॉकेशियन प्रजातियां:
इसमें मैडिटरेनियन (Mediterranean) लोग गहरे भूरे रंग के, अल्पाइन (Alpine) लोग भूरे रंग के तथा नॉरडिक्स (Nordics) गोरे रंग के होते हैं। इनमें मैडिटरेनियन तथा नॉरडिक्स प्रजातियां मंझले सिर वाली तथा अलपाइन प्रजातियाँ चौडे सिर वाली होती हैं। दक्षिणी-पूर्वी यूरोप, उत्तरी भारत, अफगानिस्तान, ईरान, अरब, उत्तरी अफ्रीका, स्पेन, तथा आरमीनिया की प्रजातियां इसी वर्ग की हैं। जापान की आइनू (Ainu) जाति भी इसी वर्ग की है। नॉरडिक प्रजाति उत्तरी-पश्चिमी यूरोप में रहती हैं।
लिओट्रिकी प्रजातियां (Leiotrichi Races):
इनके बाल सीधे होते हैं और इनके बालों की ऊर्ध्वाकाट लगभग 80 होती है। इनकी त्वचा का रंग पीला या कत्थई, कद मंझला तथा सिर चौड़ा होता है। इनकी कुल छः उपप्रजातियां हैं जिनमें से तीन वर्ग चीन, उत्तरी साइबेरिया तथा मंचूरिया, चौथा वर्ग रूसी तुर्किस्तान व मध्य एशिया, पाँचवा वर्ग पश्चिमी साइबेरिया तथा छठा वर्ग तिब्बत, सीकयांग (चीन) तथा मलाया में रहता है।
ग्रिफिथ टेलर का प्रजाति वर्गीकरण (Classification of Races by Griffith Taylor)
ग्रिफिथ टेलर ने शिरस्य सूचकांक तथा बालों की बनावट के आधार पर मानव प्रजातियों को वर्गीकृत किया है। इनके अनुसार मानव की निम्नलिखित सात प्रजातियां हैं:
नीग्रिटो (Negrito) :
इस प्रजाति के लोगों का सिर बहुत पतला, कद नाटा, नाक चौड़ी तथा चपटी, बाल छल्लेदार तथा त्वचा का रंग काला होता है। इनका जबड़ा बहुत आगे की ओर निकला हुआ होता है जिस कारण चेहरा बाहर की ओर उभरा हुआ उत्तल (Convex) बन जाता है। प्रजाति मिश्रण के कारण शुद्ध रक्त वाले नीग्रिटो बहुत कम रह गए हैं। ये लोग दूरस्थ वनों तथा पर्वतीय प्रदेशों में ही रहते हैं। अधिकांश नीग्रिटो श्रीलंका, मलाया, फिलीपाइन, तथा न्यूगिनी के अतिरिक्त अफ्रीका के जायरे प्रदेश, युगाण्डा, केमरून तथा अण्डमान द्वीपों में निवास करते हैं।
नीग्रो (Negro) :
इनका सिर लम्बा होता है जिसका शिरस्य सूचकांक 70 से 72 तक होता है। इनके बाल लम्बे व ऊन जैसे, त्वचा काली, जबड़े बाहर निकले हुए तथा नाक चौडी व चपटी होती है। अफ्रीका में सूडान एवं गिनी तट तथा न्यू गिनी के पापुआ प्रदेश इनके मुख्य निवास प्रदेश हैं।
आस्ट्रेलाइड (Australoid) :
यह प्रजाति भी लम्बे सिर वाली होती है जिसका शिरस्य सूचकांक 72 से 74 होता है। इनकी त्वचा का रंग चमकदार कत्थई, चाकलेटी से जैतूनी तक होता है और इनके बाल घुंघराले होते हैं। जबड़े कुछ आगे की ओर निकले हुए तथा नाक की चौडाई मध्यम वर्ग की होती है। अग्रेजों के आस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले ये लोग समस्त आस्ट्रेलिया महाद्वीप में वितरित थे परंतु अंग्रेजों के आने के बाद ये आदिवासी लोग मरुस्थलीय क्षेत्रों की ओर प्रवास कर गए। इस प्रजाति के लोग भारत के मध्य एवं दक्षिणी भागों में भी निवास करते हैं।
मैडिटरेनियन प्रजाति (Mediterranean Race ) :
इस प्रजाति का सिर आस्ट्रेलाइड लोगों के सिर की भांति लम्बा होता है और इनका शिरस्य सूचकांक 74 से 77 तक होता है। इनकी नाक अण्डाकार, बाल घुंघराले, थोड़ा आगे निकले हुए जबड़े तथा त्वचा का रंग जैतूनी या काँसे जैसा है। इस प्रजाति के लोग महाद्वीपों के बाहरी भागों में बसे हुए हैं। इनमें यूरोप के पुर्तगाली, अफ्रीका के मिस्री, आस्ट्रेलिया के माइक्रोनेशियन (Micronesians), उत्तर अमेरिका के इरोकऑय (Iruqois) तथा दक्षिण अमेरिका के तुपी (Tupi) प्रमुख हैं।
नॉरडिक प्रजाति (Nordic Race):
ये मध्य सिर वाले लोग होते है और इनका शिरस्य सूचकांक 78 से 82 तक होता है। इनकी त्वचा का रंग हल्का भूरा एवं गुलाबी झलक लिए होता है। इनके बाल लहरदार, चेहरा चपटा तथा नाक लम्बी होती है। नाक का अग्रभाग चोंच की भांति मुड़ा हुआ होता है। मानव इतिहास के प्रारम्भिक चरणों में इस प्रजाति के लोग यूरोप, एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका में निवास करते थे।
अल्पाइन प्रजाति (Alpine Race) :
यह चौड़े सिर वाली प्रजाति है जिसका शिरस्थ सूचकांक 82 से 85 तक होता है। इनकी त्वचा का रंग भूरे से सफेद, बाल सीधे तथा नाक पतली होती है और इनका चेहरा व जबड़ा एक सीध में होते हैं। इनकी दो शाखाएं हैं जिनके नाम पश्चिमी तथा पूर्वी शाखा है। पश्चिमी शाखा में स्विस. स्लाव (Slav), आरमेनियम तथा अफ़गान लोग हैं। इनका रंग अधिक गोरा होता है। पूर्वी शाखा में फ़िन्स, मगयार, मन्चू, सिओकस सम्मिलित हैं। इनकी त्वचा पीली होती है। इतिहास के आरम्भ में यह प्रजाति उत्तर अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका तथा उत्तरी यूरोप में निवास करती थी।
मंगोलियन प्रजाति (Mongolian Race):
इस प्रजाति के लोग गोल सिर वाले होते हैं जिनका शिरस्य सूचकांक 85 से 90 होता है। इनकी त्वचा का रंग पीले से खुबानी (apricot) जैसा, नाक पतली, चेहरा अवतल तथा जबड़ा भीतर की ओर होता है। प्रारम्भ में यह प्रजाति मध्य एशिया में रहती थी परंतु बाद में यह पश्चिम में तुर्किस्तान तथा पूर्व में तटीय प्रदेशों तक फैल गई।
इस प्रकार देखा जाए तो शारीरिक बनावट के आधार पर मानव जाति को तीन प्रमुख प्रजातियों में बांटा गया है। इनके नाम काकेसाईड, मंगोलोइड तथा नीग्रोइड़ हैं।
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