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सांस्कृतिक आत्मसात्करण/सात्मीकरण (Cultural Assimilation) का अर्थ
*सांस्कृतिक आत्मसात्करण या सात्मीकरण एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत कोई व्यक्ति या समूह अपनी नवीन परिस्थितियों के साथ धीरे-धीरे अचेतन रूप से पूर्ण समायोजन की ओर अग्रसर होता है। जब दो या दो से अधिक संस्कृतियां एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं, पहले उनमें पारस्परिक संघर्ष होता है किन्तु बाद में अपने में कतिपय परिवर्तन तथा आपसी समझौते से वे एक-दूसरे को अपने में मिलाने का प्रयास करती हैं।
यह एक प्रगतिशील एवं गत्यात्मक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न व्यक्तियों तथा समूहों के मध्य मतभेद कम होते हैं और उनकी क्रिया तथा मनोवृत्ति (विचारों) में सामान्य हित के प्रति समानता तथा सम्मान में वृद्धि होती है। जब विभिन्न व्यक्तियों या समूहों में सात्मीकरण हो जाता है तब उनके मध्य विद्यमान मतभेद समाप्त हो जाते हैं और उनके उद्देश्यों तथा हितों में समानता आ जाती है।
संघर्ष (conflict) से एकीकरण की ओर अग्रसर होने का प्रथम चरण समायोजन (adjustment) और अन्तिम चरण सात्मीकरण या आत्मसात्करण (Assimilation) होता है। सामाजिक-सांस्कृतिक आत्मसात्करण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत विभिन्न संस्कृतियां या सांस्कृतिक समूह एक समान सांस्कृतिक इकाई के रूप में मिल जाते हैं।
भारतीय संस्कृति इसका उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें समय-समय पर बाहर से आने वाली संस्कृतियां भारतीय संस्कृति के साथ घुल-मिल गयी हैं। जब दो व्यक्ति या मानव समूह अपना स्थान या देश छोड़कर भिन्न संस्कृति वाले किसी अन्य स्थान या देश में जाकर बस जाता है और वहाँ की भाषा, प्रथा, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि को धीरे-धीरे अपना लेता है तब इस सांस्कृतिक प्रक्रिया को आत्मसात्करण कहा जायेगा।
समाजशास्त्री बोगार्ड्स (E.S. Bogardus) के अनुसार, “आत्मसात्करण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा अन्य व्यक्तियों की मनोवृत्तियां एकीकृत हो जाती हैं और इस प्रकार वे एक संयुक्त समूह के रूप में विकसित होते हैं।” (Assimilation is a process whereby attitudes of many persons are united and thus develop into a united group) 1
सांस्कृतिक आत्मसात्करण/सात्मीकरण में सहायक कारक
सात्मीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने तथा सहायता प्रदान करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
घनिष्ठ सामाजिक सम्पर्क (Intimate social contact)
जब दो व्यक्ति या मानव समूह एक- दूसरे के समीप निवास करते हैं अथवा उनमें प्रत्यक्ष सामाजिक सम्पर्क पाया जाता है तब सात्मीकरण तीव्र और सरल होता है।
सहिष्णुता (Toleration)
सहिष्णुता या सहनशीलता के परिणामस्वरूप दो भिन्न मानव समूहों में सम्पर्क, संचार तथा मेल-जोल सरल होता है। सहिष्णुता के अभाव में अफ्रीका में नीग्रो (काले) और यूरोपीय (गोरे) प्रजाति के लोगों में सैकड़ों वर्ष साथ रहने पर भी सात्मीकरण नहीं हो पाया है।
सांस्कृतिक समानता (Cultural similarity)
जिन संस्कृतियों में समानता के तत्व अधिक होते हैं उनमें सात्मीकरण के अवसर प्रायः अधिक पाये जाते हैं। भाषा, धर्म, वेश-भूषा, रहन-सहन आदि की समानता होने पर सात्मीकरण शीघ्र और सरलता पूर्वक होता है।
मिश्रण (Amalgamation)
जब भिन्न प्रजातियों तथा रक्त समूहों से सम्बन्धित व्यक्तियों में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित होता है तब रक्त मिश्रण होता है। प्रजाति मिश्रण संस्कृतियों के मिश्रण को प्रोत्साहन प्रदान करता है और सात्मीकरण में सहायक होता है।
समान आर्थिक स्थिति (Similar economic condition)
जब दो व्यक्तियों या समूहों की आर्थिक स्थिति एक जैसी होती है और उनके आर्थिक उद्देश्य या व्यवसाय मिलते-जुलते होते हैं तब उनमें सात्मीकरण शीघ्र होता है।
सांस्कृतिक आत्मसात्करण/सात्मीकरण के अवरोधक कारक
पृथकता (Isolation)
एक-दूसरे से दूर-दूर रहने वाले मानव समूहों के मध्य सम्पर्क तथा संचार के अभाव में सात्मीकरण की संभावना कम रहती है।
ऊँच-नीच की प्रबल भावना (Feeling of superiority and inferiority)
यह विभिन्न व्यक्तियों तथा समूहों के आत्मसात्करण में बाधक होती है। भारतीय हिन्दू समाज में व्याप्त ऊँच-नीच की भावना सामाजिक-सांस्कृतिक सात्मीकरण में प्रमुख बाधा है।
भौतिक तथा सांस्कृतिक भिन्नता
इसके कारण विभिन्न मानव समूह एक-दूसरे को भिन्न समझते हैं और सात्मीकरण के विषय में विचार नहीं रखते हैं।
सामाजिक उत्पीड़न (Social persecution)
जब शक्तिशाली या सांस्कृतिक रूप से बहुसंख्यक लोग कमजोर तथा अल्पसंख्यक लोगों को कष्ट पहुँचाते हैं तब दोनों वर्गों में अविश्वास तथा संघर्ष की स्थिति बनी रहती है जिसके कारण सात्मीकरण नहीं हो पाता है। जर्मनी में जर्मन लोगों ने यहूदियों को सैकड़ों वर्षों तक प्रताड़ित किया जिसके कारण उनमें सात्मीकरण नहीं हो पा रहा है।
FAQs
सांस्कृतिक आत्मसात्करण एक प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति या समूह धीरे-धीरे नई परिस्थितियों के साथ समायोजन करते हुए एक समान सांस्कृतिक इकाई में मिल जाता है।
घनिष्ठ सामाजिक सम्पर्क, सहिष्णुता, सांस्कृतिक समानता, मिश्रण, और समान आर्थिक स्थिति सांस्कृतिक आत्मसात्करण में सहायक होते हैं।
पृथकता, ऊँच-नीच की प्रबल भावना, भौतिक और सांस्कृतिक भिन्नता, और सामाजिक उत्पीड़न सांस्कृतिक आत्मसात्करण में बाधक होते हैं।
जिन संस्कृतियों में समानता के तत्व अधिक होते हैं, उनमें आत्मसात्करण के अवसर अधिक होते हैं। भाषा, धर्म, वेश-भूषा, रहन-सहन आदि की समानता होने पर आत्मसात्करण शीघ्र और सरलता पूर्वक होता है।
हाँ, जब भिन्न प्रजातियों और रक्त समूहों से संबंधित व्यक्तियों में वैवाहिक संबंध स्थापित होता है, तब रक्त मिश्रण होता है, जो संस्कृतियों के मिश्रण को प्रोत्साहित करता है और आत्मसात्करण में सहायक होता है।