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इस लेख के माध्यम से हम नदी के अर्थ को समझेंने का प्रयास करेंगे।
नदी किसे कहते हैं(What is called a River)?
हम जानते हैं कि पृथ्वी के धरातल को समतल वाली प्रक्रियाओं या बलों में बहते हुए जल (नदी) का कार्य सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। वर्षा का जो जल धरातल पर किसी न किसी रूप में बहने लगता है, उसे बाही जल (runoff) कहते हैं। जब यही बाही जल एक निश्चित रूप में ऊँचाई से निचले ढाल पर गुरुत्वाकर्षण के कारण बहने लगता है तो उसे नदी या सरिता कहा जाता है।
अतः नदी किसी भी ढाल पर एक निश्चित मार्ग में बहने वाली जलराशि होती है, जिसमें जल के साथ चट्टान चूर्ण भी बहते हुए चलते हैं। नदियाँ मुख्य रूप से चार प्रकार की होती हैं- स्थायी नदी, अस्थायी नदी, आन्तरायिक नदी (intermittent river) तथा अल्पकालिक नदी (ephemeral river)। नदियाँ ऊँचे ढाल से निचले ढाल की ओर बहती हैं, तथा यह ढाल क्रमशः नदी के उद्गम से मुहाने (जहां नदी अपना पानी किसी दूसरी बड़ी जलराशि में डालती है) की ओर घटता जाता है।
प्रत्येक नदी का ढाल अलग-2 होता है। नदियाँ भूतल पर समतल करने का कार्य तीन रूपों में करती हैं, जिसे त्रिकल कार्य या त्रिपथ कार्य (three-phase work or three-way-work) कहा जा सकता है। ये तीन कार्य हैं – अपरदन, परिवहन तथा निक्षेप ।
FAQs
नदी एक प्राकृतिक जलधारा होती है, जो ऊँचाई से निचले ढाल की ओर बहती है। यह जल की एक स्थायी धारा है जो किसी निश्चित मार्ग में प्रवाहित होती है। वर्षा के पानी के धरातल पर बहने को ‘बाही जल’ (runoff) कहते हैं, और जब यह जल एक निश्चित मार्ग में बहता है तो इसे नदी कहते हैं।
नदी का कार्य त्रिपथ कार्य (three-way work) में विभाजित होता है:
अपरदन – चट्टानों का क्षरण करना।
परिवहन – जल और चट्टानों के कणों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना।
निक्षेप – जल के बहाव में कमी होने पर कणों का जमा होना।
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