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चट्टानों का वर्गीकरण (Classification of Rocks)

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परिचय (Introduction)

पृथ्वी के क्रस्ट(Crust) में मिलने वाले सभी प्रकार के मुलायम व कठोर पदार्थ को चट्टान (Rock) कहते हैं। चट्टानों का निर्माण विभिन्न प्रकार के खनिजों (Minerals) के सम्मिश्रण से होता है। वैसे तो पृथ्वी के क्रस्ट(Crust) में तत्वों की संख्या लगभग 110 है, किन्तु इसके लगभग 98% से भी अधिक भाग की संरचना में केवल 8 प्रमुख निर्माणकारी तत्वों का ही योगदान है। 

ये तत्व हैं- ऑक्सीजन, सिलिकन, एल्युमिनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, एवं मैग्नेशियम । 

यद्यपि क्रस्ट (Crust) में खनिजों (Minerals) की संख्या 2,000 से भी अधिक है। किन्तु कुल 24 खनिजों को ही चट्टान (Rock) निर्माता खनिज की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि अधिकांश चट्टानों (Rocks) का निर्माण इन्हीं से हुआ है। इनमें से भी मात्र 6 खनिज ही प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।

इन खनिजों में फेल्सपार (feldspar), क्वाट्र्ज (स्फटिक) (quartz (crystal)), पॉयरॉक्सींस (pyroxenes), एम्फीबोल्स (amphibole), अभ्रक (mica) व ओलीविन (olivine) उल्लेखनीय हैं। चट्टान निर्माणकारी खनिज वर्गों में सिलिकेट (फेल्सपार, अभ्रक आदि) सर्वप्रमुख हैं तथा ऑक्साइड (क्वार्ट्ज, हेमाटाइट, मैग्नेटाइट आदि) और कार्बोनेट (कैल्साइट, डोलोमाइट आदि) का स्थान क्रमशः उसके बाद आता है।

चट्टानों का वर्गीकरण (Classification of Rocks)

निर्माण विधि के आधार पर चट्टानों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है:-

आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks) 

आग्नेय चट्टानों का निर्माण क्रस्ट के नीचे मौजूद गर्म एवं तरल मैग्मा के ठंडा होने से होता है। आग्नेय चट्टान रवेदार होती हैं। इन्हें प्राथमिक चट्टान भी कहते हैं, क्योंकि पृथ्वी की उत्पत्ति के पश्चात सबसे पहले इनका ही निर्माण हुआ था। अवसादी व रूपान्तरित चट्टान भी इन्ही से निर्मित हैं। इनमें परतें तथा जीवावशेष (Fossils) नहीं पाए जाते हैं।

इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का प्रभाव कम तथा भौतिक व यांत्रिक अपक्षय का प्रभाव अधिक होता है, परिणामस्वरूप इन चट्टानों में विघटन (Disintegration) और वियोजन (Decomposition) होते रहते हैं। क्रस्ट का लगभग 90% भाग आग्नेय चट्टानों से बना है। स्थिति एवं संरचना के अनुसार आग्नेय चट्टानें दो प्रकार की होती हैं-

(i) अन्तर्जात (अन्तः निर्मित) आग्नेय चट्टानें (Intrusive igneous Rocks) :

जब ज्वालामुखी उद्गार के समय मैग्मा धरातल के ऊपर न पहुँचकर धरातल के नीचे ही ठंडा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है, तो इस प्रकार आंतरिक आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है। इसके दो उपवर्ग हैं-

(क) पातालीय अन्तर्जात आग्नेय चट्टानें (Plutonic Igneous Rocks) :

इनका निर्माण पृथ्वी के अंदर काफी अधिक गहराई पर होता है। जहाँ पर तापमान अधिक होने के कारण मैग्मा अत्यधिक धीमी गति से ठंडा होता है, जिसके फलस्वरूप इसके रवे बड़े-बड़े होते हैं। ग्रेनाइट चट्टान इसी प्रकार की चट्टान का उदाहरण है। इसका नामकरण प्लूटो (यूनानी देवता) के नाम पर किया गया है, जो पाताली देवता माने जाते हैं।

(ख) मध्यवर्ती अन्तर्जात आग्नेय चट्टानें (Hypabyssal Igneous Rocks):

ज्वालामुखी उद्गार के समय धरातलीय अवरोध के कारण मैग्मा दरारों, छिद्रों एवं नली में ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है। कालान्तर में अपरदन की क्रिया के उपरान्त ये चट्टानें धरातल पर विभिन्न रूपों में नजर आने लगती हैं। डोलेमाइट और मेग्नेटाइट इन चट्टानों के महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। इसके मुख्य रूप हैं- लैकोलिथ, फैकोलिथ, लोपोलिथ, बेथोलिथ, सिल, डाइक आदि।

(ii) बाह्य आग्नेय चट्टानें (Extrusive Igneous Rock) :

जब तरल एवं तप्त मैग्मा या लावा पदार्थ भूपर्पटी के ऊपर आ जाता है तो तेजी से ठंडा होकर ठोस रूप धारण कर लेता है, तो इस प्रकार बाह्य आग्नेय चट्टान का निर्माण होता है। इसे ज्वालामुखी चट्टान भी कहते हैं। इन चट्टानों के रवे बहुत छोटे होते हैं। बेसाल्ट इसका अच्छा उदाहरण है। इस चट्टान के क्षरण से ही काली मिट्टी का निर्माण होता है, जिसे रेगुर (Regur) कहते हैं। रंध्रविहीन ग्लासी मैग्मा के अंतर्गत ऑब्सीडियन,प्यूमिस, परलाइट व पिच स्टोन आते हैं। 

अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks) 

पृथ्वी तल पर आग्नेय व रूपान्तरित चट्टानों के अपरदन व निक्षेपण के फलस्वरूप निर्मित चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहते हैं। इन पुनर्निर्मित चट्टानों में परतों का विकास होने के कारण इन्हें प्रस्तरित या परतदार चट्टान भी कहा जाता है। इनके निर्माण में जैविक अवशेषों का भी योगदान होता है।सम्पूर्ण क्रस्ट के लगभग 75% भाग पर अवसादी चट्टानें विस्तृत हैं, परन्तु क्रस्ट के निर्माण में इसका योगदान मात्र 5% है।

रूपान्तरित चट्टानें (Metamorphic Rocks) 

जब ताप एवं दबाव के कारण आग्नेय तथा अवसादी चट्टानों के संगठन तथा स्वरूप में परिवर्तन या रूपान्तरण हो जाता है। तब रूपान्तरित चट्टानों का निर्माण होता है। ये चट्टानें सर्वाधिक कठोर एवं जीवाश्म रहित होती है।

अवसादी चट्टानों के रूपान्तरण से बनी शैलें

(i) शेल स्लेट
(ii) चूना पत्थर तथा डोलोमाइटसंगमरमर
(iii) चॉक एवं डोलोमाइट
संगमरमर
(iv) बालुका पत्थरक्वार्ट्जाइट
(v) कांग्लोमरेट तथा बड़े कणों वाली आग्नेय चट्टान
नीस
अवसादी चट्टानों के रूपान्तरण से बनी शैलें

आग्नेय चट्टानों के रूपान्तरण से बनी शैलें

(i) ग्रेनाइट
नीस
(ii) बेसाल्ट
एम्फीबोलाइट
(iii) बेसाल्ट
सिस्ट
आग्नेय चट्टानों के रूपान्तरण से बनी शैलें

रूपान्तरित चट्टानों के पुनः रूपान्तरण से बनी शैलें

(i) स्लेट
फाइलाइट
(ii) फाइलाइट
सिस्ट
(iii) गैब्रो
सरपेंटाइन
रूपान्तरित चट्टानों के पुनः रूपान्तरण से बनी शैलें
चट्टानों का वर्गीकरण

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