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इस लेख के माध्यम से आप प्रायोगिक भूगोल में वलय-आरेख (Ring Diagram) क्या होता तथा इसकी रचना कैसे होती है, के बारे में जानेंगे।
वलय-आरेख (Ring Diagram) क्या होता है ?
जैसा कि इसके नाम से विदित है, वलय-आरेख (Ring diagram) में दिए हुए पद-मूल्यों को अलग-अलग वृत्तों के द्वारा प्रकट किया जाता है तथा प्रत्येक वृत्त का अर्द्धव्यास सम्बन्धित पद-मूल्य के वर्गमूल के अनुपात में होता है। अतः आरेख बनाने के लिए दिए हुए मूल्यों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करके पहले न्यूनतम अथवा अधिकतम मूल्य वाले वृत्त का सुविधानुसार कोई अर्द्धव्यास छाँट लेते हैं।
वलय-आरेख (Ring Diagram) की रचना विधि
मान लीजिए, न्यूनतम संख्या प्रकट करने वाले वृत्त का अर्द्धव्यास 1 सेमी छाँटा गया है, तो अगली किसी संख्या के वृत्त का अर्द्धव्यास ज्ञात करने के लिए उस संख्या के वर्गमूल में न्यूनतम संख्या के वर्गमूल का भाग देने से प्राप्त भजनफल में 1 सेमी की गुणा की जायेगी, अर्थात्
द्वितीय संख्या के वृत्त का अर्द्धव्यास = √ द्वितीय संख्या / √ न्यूनतम संख्या x 1
इसी प्रकार, तृतीय संख्या के वृत्त का अर्द्धव्यास = √ तृतीय संख्या / √ न्यूनतम संख्या x 1
इसके विपरीत यदि अधिकतम मूल्य प्रकट करने वाले वृत्त का अर्द्धव्यास सुविधानुसार छाँटा गया है तो उपरोक्त सूत्र में न्यूनतम संख्या के वर्गमूल के स्थान पर अधिकतम संख्या का से वर्गमूल रखकर, अधिकतम संख्या के सुविधानुसार चुने गए अर्द्धव्यास की गुणा की जाएगी।
उदाहरण दिए गए आँकड़ों को वलय-आरेख (Ring diagram) के द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
भूमि का वर्गीकरण | क्षेत्रफल (हजार हेक्टेयर में ) | क्षेत्रफल का वर्गमूल | वृत्त का अर्धव्यास |
---|---|---|---|
Forests | 34 | 5.83 | 1.00 |
Fallow Land | 145 | 12.04 | 12.04 / 5.83 x 1 = 2.06 |
Other uncultivated land excluding Fallow Land | 254 | 15.93 | 15.93 / 5.83 x 1 = 2.73 |
Land not available for cultivation | 368 | 19.18 | 19.18 / 5.83 x 1 = 3.28 |
Net Area Sown | 3,570 | 59.74 | 59.74 / 5.83 x 1 = 10.24 |
सर्वप्रथम दिए हुए आँकड़ों को आरोही क्रम में लिखिए। मान लीजिए, न्यूनतम संख्या अर्थात् वन भूमि का क्षेत्रफल प्रकट करने वाले वृत्त का अर्द्धव्यास 1 सेमी है, शेष संख्याओं को प्रकट करने वाले वृत्तों के अर्द्धव्यासों की उपरोक्त प्रकार से गणना कीजिए, जैसा सारणी में दिया गया है।
अर्द्धव्यास ज्ञात हो जाने पर इन वृत्तों को अलग-अलग अथवा संकेन्द्र वृत्तों के रूप में अथवा एक-दूसरे के भीतर परिधि के किसी एक उभयनिष्ठ बिन्दु पर स्पर्श करते हुए खींचा जा सकता है। प्रत्येक वृत्त को संकेत के अनुसार छायांकित करके उस पर प्रदर्शित मूल्य (यहाँ क्षेत्रफल) का अंकों में मान लिखिए। इस प्रकार वलय-आरेख (Ring diagram) बनकर तैयार हो जाएगा।