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इस लेख में आप आदिमकालीन मानचित्रों (Ancient Maps) जैसे मार्शल द्वीप वासियों, एस्किमो, रेड इंडियन, ऐजटेक, बेबीलोन, मिस्र के मानचित्रों के बारे में जानेंगे।
आदिमकालीन मानचित्र (Ancient Maps)
प्रस्तुत लेख में हम विश्व के विभिन्न भागों में निवास करने वाली कुछ आदिम जनजातियों जैसे क्षेत्र के एस्किमो, प्रशांत महासागर के मार्शल द्वीपों पर रहने वाली जनजातियों, अरब मरुस्थल के बद्दू तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया, पश्चिम-एशिया व पूर्वी भूमध्य सागर के तटीय क्षेत्र के मूल निवासियों द्वारा बनाए गए रेखाचित्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
मार्शल द्वीप वासियों के समुद्री चार्ट
आदिम कालीन मानचित्रों (Ancient Maps) में प्रशांत महासागर के मार्शल द्वीपों पर रहने वाले निवासियों द्वारा बनाए गए जल यात्रा चार्टों का विशेष महत्व है। इनके द्वारा बनाए गए रेखाचित्र ताड़ के पत्ते की मध्य शीला एवं कवचों से बने होते थे, जिनका उपयोग मार्शल द्वीप के निवासी 19वीं शताब्दी के मध्य तक समुद्री मार्गो की जानकारी हेतु प्रयोग में लाते रहे हैं।
इन चार्टों में सीधा जाल खुले समुद्र को दर्शाता है तथा कवच विभिन्न द्वीपों की स्थितियों को प्रदर्शित करते हैं। इन पर बनी वक्र रेखाएं द्वीपों की ओर आने जाने के मार्गो को दर्शाती हैं। इनके द्वारा बनाए गए रेखाचित्रों को देखकर यह तो समझा जा सकता है कि इन आदिम जनजातियों के द्वारा बनाए गए रेखाचित्र व चार्ट समझने में आसान नहीं होते थे।
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एस्किमो जनजाति द्वारा बनाए गए मानचित्र
एस्किमो जनजाति के लोग मानचित्र बनाने में बहुत ही निपुण हैं। एस्किमो जनजाति अलास्का, ग्रीनलैंड, कनाडा तथा बैफिन द्वीप के बर्फ से ढके हुए क्षेत्रों में निवास करते हैं। ये लोग साक्षर न होकर तथा बिना किसी उपकरण की सहायता से हजारों किलोमीटर लंबे चौड़े क्षेत्र के मानचित्र बना लेते हैं। जिससे उनकी मानचित्र कला में निपुणता का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
एस्किमो लोगों द्वारा बनाया गया मानचित्र इतना होता है कि उसकी तुलना आज के मानचित्र से की जा सकती है और कभी-कभी तो ये मानचित्र उनके निवास क्षेत्र के बारे में इतने उपयोगी सिद्ध होते हैं, जितना की आधुनिक मानचित्र भी नहीं होते। उदाहरण के लिए हडसन की खाड़ी में स्थित 150 किलोमीटर से भी अधिक लम्बाई में फैले बेलचर द्वीप समूह के एस्किमो द्वारा बनाए गए मानचित्र तथा ब्रिटिश एडमिल्ट्री चार्ट में बहुत अधिक समानता देखने को मिलती है।
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रेड इंडियन तथा ऐजटेक मानचित्र
हालांकि अमेरिका में रहने वाले रेड इंडियन के द्वारा बनाए गए मानचित्रों की प्रशंसा बहुत की जाती है। फिर भी उनके द्वारा बनाए गए मानचित्र कुछ भद्दे दिखाई देते हैं तथा उन्हें एस्किमो मानचित्रों की श्रेणी मेंन हीं रखा जा सकता।
ऐजटेक के द्वारा बनाए गए मानचित्र दिखने में रुचिकर होते हैं तथा वे आज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध भी हैं। इनके मानचित्रों में एस्किमो मानचित्रों की तरह स्थलाकृतिक विवरणों की अपेक्षा ऐतिहासिक घटनाओं के चित्रण पर अधिक बल दिया गया है। इनके बनाए गए मानचित्रों में नदियों, मैदानों, मार्गो, मंदिरों आदि सभी को प्राकृतिक चिह्नों से दर्शाया गया है। मानचित्र में किसी गांव के नजदीक बनी आकृति उस गांव के नाम को दर्शाती है। इस प्रकार ऐजटेक मानचित्र बहुत अधिक अलंकृत होते हैं।
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बेबीलोन मानचित्र
प्राचीन कालीन बेबीलोन मानचित्रकला का अनुमान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सेमाइटी संग्रहालय में रखी गई आग में पकी हुई मिट्टी की एक टिकिया पर बनाए गए मानचित्र को देखकर लगाया जा सकता है। यह मानचित्र बेबीलोन शहर से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर की ओर गा सुर नामक नगर में खुदाई के दौरान प्राप्त हुआ था। इस मानचित्र की आयु लगभग 4500 वर्ष के आसपास बताई जाती है तथा विश्व में ज्ञात अब तक यह सबसे पुराना माना जाता है। इसकी लंबाई 8 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई 7 सेंटीमीटर के आस पास है।
इस मानचित्र पर दो पर्वत श्रेणियां के बीच एक नदी दिखाई गई है, जो संभव रूप से इराक की फरात नदी है। इस मानचित्र के दक्षिण में कोई झील या समुद्र है जिसमें नदी गिरती हुई दिखाई गई है। मानचित्र पर वृत्तों के द्वारा उत्तर, पूर्व तथा पश्चिम दिशाएं दर्शाई गई हैं। ब्रिटिश संग्रहालय में ऐसी बहुत सी मिट्टी की टिकिया हैं, जिन पर विभिन्न नगरों अथवा संपूर्ण बेबीलोन के प्राचीन ढंग से बनाए गए मानचित्र अंकित हैं। देखा जाए तो मानचित्रकला के वर्तमान स्तर के दृष्टिकोण से इनका इतना महत्व नहीं है फिर भी इनसे मानचित्र कला की प्राचीनता पर अवश्य ही प्रकाश पड़ता है।
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मानचित्रकला के क्षेत्र में प्राचीन बेबीलोन के दो प्रमुख योगदानों को हमेशा याद रखा जाता है
- पहला, ये लोग 12 पर आधारित संख्यात्मक प्रणाली प्रयोग में लाते थे। इस प्रणाली में वृत्त को 60 डिग्री में, प्रत्येक डिग्री को 60 मिनट में तथा प्रत्येक मिनट को 60 सेकंड में बाँटा गया जिसका वर्तमान प्रणाली से भी सीधा संबंध है।
- दूसरा, प्राचीन बेबीलोन लोग पृथ्वी को समुद्र पर तैरती हुई एक वृताकार तश्तरी के समान चपटी मानते थे। उनके अनुसार पृथ्वी के ऊपर स्वर्ग की महराबदार छत है तथा सबसे ऊपर आकाश है। उनकी इस धारणा को मध्यकालीन युग तक सच भी माना जाता रहा।
मिस्र के मानचित्र
ज्ञात तत्वों के आधार पर यह माना जाता है कि भू सर्वेक्षण का कार्य सबसे पहले नील नदी की घाटी तथा डेल्टा में ही शुरू हुआ था। यह माना जाता था कि टैक्स इकट्ठा करने के उद्देश्य से भूमि को सावधानी पूर्वक मापा गया था तथा उनकी सीमाएं अंकित की गई थी। रेम्सेस द्वितीय ने 1300 ईसा वर्ष पूर्व अपने राज्य का क्रमबद्ध सर्वेक्षण भी करवाया था।
अतः यह बात तय है कि इस भू सर्वेक्षण से प्राप्त परिणामों का अभिलेखन व मानचित्रण हुआ होगा। यहां यह संकेत करना आवश्यक है कि मिस्र में इन भू सर्वेक्षण के द्वारा निर्धारित की गई विभिन्न स्थानों के बीच की दूरियों का प्रयोग करके बहुत वर्ष पश्चात इरेटास्थनीज नामक यूनान के विद्वान ने पृथ्वी की परिधि की गणना की थी।