Estimated reading time: 3 minutes
जैवविविधता (Biodiversity) का अर्थ
जैवविविधता का सामान्य अर्थ होता है किसी भी विस्तृत क्षेत्र की पर्यावरणीय दशाओं में पौधों एवं जन्तुओं के समुदायों के जीवों की प्रजातियों (species of organisms) की विविधता (variety)। उदाहरण के लिए उष्णकटिबन्धी वर्षा वन पारिस्थितिक तंत्र, सवाना पारिस्थितिक तंत्र, शीतोष्ण घास प्रदेश पारिस्थितिक तंत्र, मानसूनी प्रदेश पारिस्थितिक तंत्र, टुण्ड्रा एवं टैगा पारिस्थितिक तंत्र की जैवविविधता। सागरीय पारिस्थितिक तंत्रों की जैवविविधता का भी पर्याप्त महत्व होता है।
जैवविविधता (biodiversity) शब्द का सर्वप्रथम उपयोग वाल्टर जी० रोजेन द्वारा सन् 1986 में किया गया। वास्तव में ‘जैवविविधता’ शब्द, ‘जीवीय विविधता’ (biological diversity) का संक्षिप्त (लघुकृत, contracted) रूप है। ‘जीवीय विविधता’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अमेरिकी प्रसिद्ध जीवविज्ञानी ई० लवचाय द्वारा सन् 1980 में किया गया था। आगे चलकर ई० ओ० विलसन ने ‘जैवविविधता’ (biodiversity) शब्दावली का विश्वभर में व्यापक प्रचार एवं प्रसार किया।
विभिन्न विद्वानों ने ‘जैवविविधता’ को कई रूपों में निरूपित एवं परिभाषित किया है, परन्तु जीन (gene) विविधता के तत्व, प्रजातियाँ एवं पारिस्थितिक तंत्र (भौतिक पर्यावरणीय दशायें) जैवविविधता की सभी परिभाषाओं के क्रोड में परिलक्षित होते हैं
जैवविविधता (Biodiversity) की परिभाषाएं
सी० जे० बैरो (2005) के अनुसार “किसी निश्चित क्षेत्र (पारिस्थितिक तंत्र) की प्रत्येक प्रजाति (species) में जननिक विषमता (variation) के साथ-साथ विभिन्न प्रजातियों की विविधता को जैवविविधता कहते हैं।”
संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने जैवविविधता को निम्न रूप में परिभाषित किया है:
“जैवविविधता किसी भी प्रदेश में जीन, प्रजातियों तथा पारिस्थितिक तंत्रों का समग्र रूप है।”
डी० कैस्ट्री (1996) के अनुसार “किसी निश्चित समय में किसी निश्चित स्थान के जीन, प्रजातियों एवं पारिस्थितिकीय विविधता के समुदाय एवं उनकी पारस्परिक क्रिया के सम्मिलित रूप को जैवविविधता कहते हैं।”
वाई० अंजानेयुलू (2004) के शब्दों में “जैवविविधता को जीवन की विविधता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके अनतर्गत जीवों में विभिन्नता एवं विविधता के समग्र रूप, तथा उन पारिस्थितिकीय संकुलों (ecological complexes), जिनके अन्तर्गत विभिन्न जीव रहते हैं, तथा जिनमें पारिस्थितिक तंत्र या समुदाय की विविधता, प्रजाति विविधता एवं जेनेटिक विविधता होती है, को सम्मिलित किया जाता है।”
जैवविविधता की उपर्युक्त चार परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि जैवविविधता के 4 प्रमुख तत्व हैं : जीन, प्रजाति, पारिस्थितिक तंत्र (क्षेत्र) तथा समय। अत: जैवविविधता को जननिक, प्रजाति, पारिस्थितिक तंत्र एवं कालिक परिवर्तनों (temporal variations) के सन्दर्भ में देखा जाता है।
इस प्रकार जैवविविधता को उपरोक्त परिभाषाओं को ध्यान में रखते हुए सविन्द्र सिंह (2007) ने निष्कर्ष रूप में निम्न प्रकार से परिभाषित किया है :
“किसी भी निश्चित क्षेत्र या प्रदेश या पारिस्थितिक तंत्र में जीन, प्रजाति एवं आवास (पारिस्थितिक तंत्र) की विविधता एवं समय के सन्दर्भ में जीवित जीवों के प्रकार, उनकी विभिन्नता एवं परिवर्तनशीलता को जैवविविधता कहते हैं। जैवविविधता में स्थानिक (spatial) एवं कालिक (temporal) परिवर्तन होते रहते हैं।”
One Response