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नगरों का वर्गीकरण (Classification of Towns)
हम जानते हैं कि कोई भी दो नगर एक जैसे नहीं होते। प्रत्येक नगर की अपनी अलग विशेषता होती है। सभी नगर अपने आकार, प्रकार, बसाव-स्थिति तथा कार्यों आदि की दृष्टि से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। परन्तु एक नगर भूगोलवेत्ता की दृष्टि में नगर का प्रकार्य (function) सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे नगर की अर्थव्यवस्था तथा उसके आंतरिक पक्ष का ज्ञान होता है।
आर०ई० डिकिन्सन के अनुसार, “कार्य (function) नगरीय जीवन को चलाने वाली शक्ति है और उसके विकास तथा आकारिकी (morphology) को काफी हद तक प्रभावित करते हैं।”
आरम्भ में बहुत-से विद्वानों ने नगरों का उनके आकार के आधार पर वर्गीकरण किया परन्तु डिकिन्सन का मत है कि नगरों के आकार की अपेक्षा उनके कार्यों का अधिक महत्त्व है क्योंकि इससे हमें तुलना करने के लिए आधार मिलता है।
नगरों के वर्गीकरण की विधियाँ (Methods of Classification)
नगर केवल एक कार्य तक सीमित नहीं रहते, बल्कि वे बहुमुखी कार्यों और व्यवसायों को सम्पादित कर रहे होते हैं। अतः कार्यों के आधार पर नगरों का वर्गीकरण करना कठिन काम है। फिर भी किसी नगर को उसके प्रधान कार्य के आधार पर विशिष्ट श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरण के लिए रोहतक एक शैक्षणिक नगर, कुरुक्षेत्र धार्मिक नगर, चण्डीगढ़ प्रशासनिक नगर तथा फरीदाबाद और पानीपत औद्योगिक नगर हैं। परन्तु यह जानकारी किसी वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर प्राप्त नहीं की गई, बल्कि यह बात सुना-सुनाई है तथा सामान्य ज्ञान पर आधारित है।
अतः नगरों का वर्गीकरण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से करने की आवश्यकता है। इस अध्ययन में नगरों के कार्यिक वर्गीकरण की विधियों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। मुख्य विधियाँ निम्नलिखित हैं-
1. पर्यवेक्षण अथवा आनुभविक अथवा परम्परागत विधि (Empirical Method)
2. आनुभविक अथवा पर्यवेक्षण व सांख्यिकीय विधि (Empirical-cum-Statistical Method)
3. शुद्ध सांख्यिकीय विधि (Pure Statistical Method)
इस लेख में हम केवल नगरों के कार्यिक वर्गीकरण की पर्यवेक्षण अथवा आनुभविक अथवा परम्परागत विधि की चर्चा करेंगे।
पर्यवेक्षण अथवा आनुभविक अथवा परम्परागत विधि (Empirical Method)
अनेक विद्वानों ने इस विधि का प्रयोग करके नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण किया है।
मार्शल रूसो (Marshall Aurousseau) का वर्गीकरण
सर्वप्रथम सन् 1921 में मार्शल रूसो ने नगरों को उनके कार्यों के आधार पर 6 वर्गों तथा 28 उपवर्गों में विभक्त किया। रूसो ने यह माना कि प्रत्येक नगर कई कार्यों को एक साथ सम्पन्न करते हैं लेकिन इन कार्यों में कोई एक कार्य अन्य सभी कार्यों से महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
प्रशासनिक नगर
प्रशासनिक नगरों के दो उपवर्ग हैं
- राजधानी नगर
- राजस्व (Revenue) नगर
सुरक्षा नगर
सुरक्षा नगरों के तीन उपवर्ग हैं
- किला नगर
- छावनी नगर
- नौ-सैनिक नगर
सांस्कृतिक नगर
सांस्कृतिक नगरों के पाँच उपवर्ग हैं
- गिरजाघर वाले नगर
- विश्वविद्यालय वाले नगर
- कला नगर
- धार्मिक नगर
- तीर्थयात्रा विश्राम वाले नगर
उत्पादन नगर
उत्पादन नगरों के तीन उपवर्ग हैं
- औद्योगिक नगर
- व्यावसायिक नगर
- वित्तीय नगर
मनोरंजन नगर
मनोरंजन नगरों के तीन उपवर्ग हैं
- स्वास्थ्य केन्द्र नगर
- भ्रमण केन्द्र नगर
- अवकाश केन्द्र नगर
संचार नगर
संचार नगरों को तीन उपवर्गों में बाँट कर आगे और विभक्त किया गया है
- संग्रह नगर – (a) खनिज, (b) मछली संग्रह केन्द्र, (c) गोदाम नगर, (d) वनों के समीपवर्ती वन संग्रह केन्द्र
- वितरण नगर – (a) आयात केन्द्र, (b) निर्यात केन्द्र, (c) रसद आपूर्ति केन्द्र
- स्थानान्तरण नगर – (a) बाजार केन्द्र, (b) जल-प्रपात केन्द्र, (c) पुल वाले नगर, (d) विभिन्न मार्गों के मिलन केन्द्र, (e) ज्वार सीमान्त वाले नगर, (f) नौ-परिवहन सीमान्त नगर
आर०डी० मैकेन्जी (R.D. Mackenzie) का वर्गीकरण
सन् 1925 में मैकेन्जी ने मार्शल रूसो के वर्गीकरण को आधार मानकर नगरों के उत्पादन तथा वितरण को कार्यों के आधार पर चार वर्गों में बाँटा
- प्राथमिक सेवा केन्द्र – इस प्रकार के नगर प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले ग्रामीण क्षेत्रों तथा महानगर के बीच एक कड़ी का कार्य करते हैं।
- व्यापारिक केन्द्र – ये नगर वस्तुओं के एकत्रीकरण तथा वितरण का कार्य करते हैं।
- औद्योगिक केन्द्र – ये नगर केन्द्र विभिन्न प्रकार के औद्योगिक धन्धों में लगे हुए हैं।
- अन्य केन्द्र – ये मनोरंजन अथवा स्वास्थ्यवर्द्धक स्थान हैं, जो उपर्युक्त तीनों में से किसी भी कार्य में विशिष्टता नहीं रखते ।
डब्ल्यू० विलियम ओलसन (W. William Olsson) का वर्गीकरण
ओलसन ने उत्तरी स्वीडन के नगरों को तीन वर्गों में बाँटा
- औद्योगिक नगर – (a) खनिज धातु उत्खनन नगर, (b) कोयला उत्खनन नगर, (c) तेल उत्पादक नगर, (d) कपड़ा उत्पादक नगर, (e) सेल्यूलोज उत्पादक नगर ।
- वाणिज्य नगर
- रेलवे नगर
अन्य विद्वानों का वर्गीकरण
एच०ई० जेम्स (H.E. James) ने भारत के नगरों को उनके कार्यों के आधार पर 6 श्रेणियों में विभाजित किया। ये 6 श्रेणियाँ हैं- राजधानी नगर, धार्मिक नगर, औद्योगिक नगर, छावनी नगर, बाजार नगर और बन्दरगाह नगर । आर०बी० हाल (R.B. Hall) ने जापानी नगरों को उनके विकास के आधार पर सुरक्षा नगर, प्रशासनिक नगर, धार्मिक नगर, व्यापारिक नगर तथा आधुनिक औद्योगिक व्यापारिक नगर में विभक्त किया।
वी० नाथ (V. Nath) ने अपने लेख ‘Urbanization in India with special reference to the Growth of Cities’ में भारतीय नगरों को आठ प्रकार के नगरों में विभाजित किया, परन्तु उनका आधार यह था कि नगर किस प्रकार के प्रकार्य पर निर्भर करता है।
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