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इस लेख में हम मौसम एवं जलवायु (Weather and Climate) का अर्थ, इनकी परिभाषाएं तथा इन दोनों में अंतर को जानेंगे।
साधारण मानव के लिए मौसम एवं जलवायु में अंतर करना कठिन है। लेकिन जलवायु विज्ञान में जलवायु (climate) एवं मौसम (weather) दोनों शब्दों का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। अतः इस विज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए इन शब्दों का वास्तविक अर्थ एवं अंतर समझ लेना चाहिए।
मौसम का अर्थ (Meaning of Weather)
मौसम वायुमण्डल की अल्पकालिक अथवा क्षणिक अवस्था को कहा जाता है। हम लोग अक्सर यह कहते हुए सुनते हैं कि अमुक दिन अमुक समय मौसम अच्छा था अथवा मौसम की खराबी से अमुक कार्य नहीं हो सका। किन्तु कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं कहता कि अमुक दिन या समय जलवायु अच्छी या बुरी थी।
अत: जब हम किसी विशेष दिन, सप्ताह अथवा महीने की वायुमण्डलीय दशाओं का किसी विशेष स्थान या क्षेत्र के सन्दर्भ में उल्लेख करते हैं तो उसका तात्पर्य “मौसम” से होता है। इस प्रकार मौसम किसी क्षेत्र विशेष में थोड़े समय के लिए वायुमंडलीय दशाओं जैसे तापमान, पवनों की दिशा व वेग, बादलों की मात्रा, वर्षा, आर्द्रता आदि दशाओं में होने वाले बदलाव को दर्शाता है।
मौसम की परिभाषाएं (Definition of Weather)
कोपे तथा द लाँग (Koeppe and de Long) के अनुसार “किसी विशेष स्थान और काल में वायुमण्डल की अवस्था को मौसम कहा जाता है।”
ट्रेवार्था ने मौसम को निम्नांकित शब्दावली में परिभाषित किया है- “किसी स्थान का मौसम वहाँ की वायुमण्डलीय दशाओं ( तापमान, वायुदाब, पवन, आर्द्रता एवं वृष्टि ) का अल्पावधिक योग होता है। मौसम वायुमण्डल की क्षणिक अवस्था होता है।”
क्रिचफील्ड (Howard J. Critchfield) के अनुसार, “मौसम वायुमण्डल की दिन-प्रतिदिन की दशा को कहते हैं, और इसका सम्बन्ध तापमान, आर्द्रता तथा वायु की गतियों में होने वाले अल्पकालिक परिवर्तनों से होता है।” इनके अनुसार मौसम की उत्पत्ति मुख्य रूप से उन प्रक्रियाओं के द्वारा होती है जो सौरविकिरण की विषमता को दूर करने का प्रयास करती हैं।
मौसम की अभिव्यक्ति उसके अनेक तत्वों के समन्वित रूप में की जाती है। मौसम के प्रमुख तत्वों में तापमान, आर्द्रता, वायु दाब, पवन तथा वृष्टि आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। वास्तव में इन्हीं तत्वों के योग से ही किसी प्रदेश के मौसम अथवा वहाँ की जलवायु का निर्माण होता है।
जलवायु का अर्थ (Meaning of Climate)
जहाँ एक ओर मौसम वायुमण्डल की अल्पकालिक अथवा क्षणिक अवस्था को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर “जलवायु” शब्द से किसी स्थान अथवा प्रदेश के मौसम के दीर्घकालिक औसत का बोध होता है। किसी स्थान अथवा प्रदेश के दिन-प्रतिदिन के मौसम के दीर्घकालीन औसत को ही वहाँ की जलवायु कहा जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय मौसम-विज्ञान संस्थान (World Meteorological Organization) ने जलवायु को निर्धारित करने के लिए मौसम के विभिन्न तत्वों (तापमान, आर्द्रता, वायु दाब, पवन तथा वृष्टि आदि ) का औसत निकालने के लिए 31 वर्षों की अवधि को प्रामाणिक माना है।
जलवायु को अंग्रेजी भाषा में क्लाइमेट (climate) कहते हैं। क्लाइमेट शब्द की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के ‘क्लाइमा’ (klima) शब्द से हुई है। क्लाइमा का शाब्दिक अर्थ झुकाव (inclination) अथवा ढाल (klino) होता है। ग्रीक दार्शनिकों ने जलवायु के सभी तत्वों में तापमान को ही सबसे अधिक महत्व प्रदान किया। उन्होंने भू-तल पर पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की जलवायु का मूल कारण सूर्य की किरणों का झुकाव माना था।
इरेटॉस्थनीज (Eratosthenes) प्रथम ग्रीक दार्शनिक था जिसने सूर्य की किरणों के झुकाव का महत्व समझा। हिपार्कस (Hipparcus) एक अन्य ग्रीक दार्शनिक था जिसने सौरकिरणों के आपतन कोण को जलवायु का इतना महत्वपूर्ण कारक मान लिया कि इसी के आधार पर उसने पृथ्वी को पाँच ताप कटिबन्धों अथवा जलवायु प्रदेशों (klimata) में विभाजित कर डाला जो इस प्रकार हैं- उष्ण कटिबन्ध, शीतोष्ण कटिबन्ध (दोनों गोलाद्धों में) तथा शीत कटिबन्ध (दोनों गोलाद्धों में)।
किन्तु आगे चलकर वैज्ञानिकों को अपने सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर इस बात को समझते देर नहीं लगी कि वास्तव में किसी प्रदेश की जलवायु एकमात्र सूर्य से प्राप्त ऊष्मा पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि अन्य बहुत से कारण होते हैं जो जलवायु को प्रभावित करते हैं। हिन्दी भाषा का “जलवायु” शब्द जल तथा वायु से मिलकर बना है। कदाचित् यह शब्द वायुमण्डल के संघटन का द्योतक है, क्योंकि पृथ्वी के गैसीय आवरण में जल (वाष्प, द्रव एवं ठोस अवस्था में) की ही प्रधानता रहती है। जलवायु अथवा क्लाइमेट आदि शब्दों की व्युत्पत्ति चाहे जिस प्रकार की जाए, इनका अर्थ बहुत ही व्यापक है।
जलवायु की परिभाषाएं (Definition of Weather)
ट्रेवार्था के अनुसार “दिन-प्रतिदिन के मौसम की दशाओं की विविधता का समन्वय अथवा साधारणीकरण ही जलवायु कहलाता है।” किन्तु जलवायु को “औसत मौसम” ही मान लेना भारी भूल होगी, क्योंकि मौसम के विभिन्न तत्वों का औसत से विचलन उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना स्वयं उनका औसत।
क्रिचफील्ड के मतानुसार, “पृथ्वी और वायुमण्डल के बीच लम्बी अवधि तक ऊर्जा एवं द्रव्यमान के विनिमय की प्रक्रियाओं से उत्पन्न दशाओं को जलवायु कहते हैं।” जलवायु मौसम के तत्वों का सांख्यिकीय औसत ही नहीं अपितु उससे कुछ अधिक है। वायुमण्डल की ऊष्मा, आर्द्रता एवं वायु की गतियों आदि की दशाओं का समुच्चय जलवायु कहलाता है। इन्हीं के अनुसार किसी प्रदेश की जलवायु के यथार्थ चित्रण के लिए वहाँ की वायुमण्डलीय दशाओं के औसत, उनकी प्रवृत्तियों तथा संभावनाओं के अतिरिक्त उनकी अतिशयताओं (extremes) का भी शामिल किया जाना चाहिए।
कोपे तथा द लाँग के अनुसार, “जलवायु” मौसम की दीर्घकालिक अवस्था का समन्वित अथवा संक्षिप्त रूप है।” वस्तुतः जलवायु का यथार्थ चित्रण तभी होता है जब उसके अन्तर्गत मौसम के विभिन्न तत्वों (मुख्य रूप से तापमान तथा वृष्टि) की पराकाष्ठाओं (Extremes) अथवा आवृत्तियों (Frequencies) का समावेश होता है।
अन्य वैज्ञानिकों की भांति इन्होंने भी जलवायु को मौसम का समुच्चय बताया है तथा इस तथ्य को स्वीकार किया है कि यह मौसम की औसत दशाओं का प्रदर्शन करते हुए भी उसमें होने वाले परिवर्तनों पर विशेष बल देता है।
ऊपर दी गई विभिन्न परिभाषाओं से निष्कर्ष रूप में यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी प्रदेश में पाई जाने वाली वायुमण्डलीय दशाओं का दीर्घकालिक औसत ही उस प्रदेश की जलवायु कहा जाता है। किसी क्षेत्र विशेष में दैनिक मौसम जिस प्रकार का होता है तथा प्रत्येक ऋतु में उसका जो प्रतिरूप होता है, उसी से वहाँ की जलवायु निर्धारित होती है। जब किसी स्थान अथवा प्रदेश की जलवायु का वर्णन किया जाता है तो निश्चित रूप से वह जलवायु के विभिन्न तत्वों के रूप में होता है।
यहाँ यह समझ लेना चाहिए कि मौसम तथा जलवायु के मूलभूत तत्वों में कोई अन्तर नहीं होता। इस प्रकार तापमान, वायु दाब, आर्द्रता, वृष्टि, सूर्य प्रकाश की अवधि, मेघों की मात्रा, पवन वेग एवं उसकी दिशा, तड़ित् झंझा, कोहरा तथा विभिन्न प्रकार के तूफान आदि जलवायु के महत्वपूर्ण अवयव हैं। ये ही अवयव विभिन्न अनुपातों में परस्पर मिलकर जलवायु के विभिन्न प्रकारों का निर्माण करते हैं।
मौसम एवं जलवायु में अंतर (Differences between Weather and Climate)
मौसम एवं जलवायु के अर्थ एवं परिभाषाओं को समझने के बाद इन दोनों में पाए जाने वाले अंतरों को निम्नलिखित रूप में दर्शाया जा सकता है:
मौसम (weather) | जलवायु (climate) |
---|---|
मौसम किसी दिए गए समय में वायुमंडल की भौतिक दशा को कहते हैं। | जलवायु किसी स्थान की पर्याप्त लम्बे समय में ली गई मौसमी दशाओं का सम्मिलित रूप है। |
मौसम अल्पावधि अर्थात् एक दिन या एक सप्ताह की वायुमंडलीय दशाएँ होती हैं। | जलवायु को निर्धारित करने में 31 वर्षों की अवधि ली जाती है। |
मौसम में विभिन्न मौसमी तत्वों जैसे सौर विकिरण, वायु का तापमान, पवन, आर्द्रता, वर्षण, मेघों की मात्रा का कुल योग होता है। | जलवायु के निर्धारण में जलवायु के तत्वों जैसे तापमान, वर्षा आदि का इनकी औसत दशाओं से विचलन, चरम दशाओं (तूफान, बाढ़, सूखा आदि), तथा मौसमी दशाओं के प्रभावों की संभावनाओं का भी अध्ययन किया जाता है। |
मौसम सामान्यतया छोटे क्षेत्रों से संबंधित होता है। | जलवायु का अध्ययन अपेक्षकृत बड़े क्षेत्रों के संदर्भ में किया जाता है। |
मौसम अस्थाई होता है, जो अक्सर बदलता रहता है। | जलवायु लम्बे समय तक स्थाई होती है। |
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