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जब पवनों का तापमान उनके प्रवाह स्थल की अपेक्षा कम होता है, तब वो शीतल पवनें कहलाती हैं। प्रस्तुत लेख में हम ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण स्थानीय शीतल पवनों की चर्चा करेंगे।
शीतल स्थानीय पवनें (Cold Local Winds)
बोरा (Bora)
बोरा एक शीतल स्थानीय पवन है जो उत्तर-पूर्व दिशा से एड्रियाटिक सागर के उत्तरी तट पर चला करता है। ये पवनें तेज झोकों के साथ बहती है, जिनमें वायु का वेग 128 किलोमीटर से 196 किलोमीटर प्रतिघण्टे तक अंकित किया जाता है। एड्रियाटिक सागर के उत्तरी-पूर्वी तट के पीछे यूगोस्लाविया के इस्त्रियन पठार के ऊपर शीतकाल में प्रतिचक्रवात उपस्थित रहने के कारण वायु अत्यधिक शीतल हो जाती है।
भू-मध्य सागर से जब शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात गुजरता है, तो उच्च वायुदाब क्षेत्र से न्यून दाब की ओर पवन प्रवाह होता है। यद्यपि उपर्युक्त शीतल भारी हवाएं नीचे उतरने पर दबने से कुछ गर्म हो जाती हैं, किन्तु फिर भी तटवर्ती क्षेत्रों की गर्म वायु की तुलना में उनका तापमान काफी नीचा रहता है।
इस प्रकार के पवन को अलास्का में विलीवाव (willywaw) कहा जाता है।
मिस्ट्रल (mistral)
यह भी एक अन्य स्थानीय पवन है, जो शीत ऋतु में चलती है तथा शुष्क और अत्यधिक शीतल होती है। Auvergne Plateau से फ्रांस के दक्षिणी तट पर स्थित रोन घाटी (Rhone Valley) में शीतल और भारी हवाओं के उतरने से प्रबल वेग से चलने वाले इन अत्यधिक शीतल पवन धाराओं की उत्पत्ति होती है। बोरा व मिस्ट्रल आदि पवनों से कभी-कभी छोटे-छोटे जहाज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
हिम झंझा (Blizzard)
अत्यधिक शीतल, वेगवान तथा हिमकणों से युक्त पवन को हिम-झंझा (blizzard) कहा जाता है। प्रारम्भ में इस पवन का नामकरण संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित रॉकी पर्वत के पूर्व की ओर मैदानी भागों में चलने वाली बर्फीली आँधियों के लिए किया गया था। इनकी उत्पत्ति शीतकालीन चक्रवातों के पृष्ठ भाग में स्थित प्रतिचक्रवातों से होती है। इन शीतप्रधान हवाओं का तापमान हिमांक से नीचे अंकित किया जाता है तथा इनमें भारी मात्रा में हिमकण प्रवाहित होते हैं।
आजकल उच्च अक्षांशों में चलने वाले पवनों में यदि हिमकण मिश्रित होते हैं, तो उन्हें भी ब्लिजार्ड की संज्ञा प्रदान की जाती है। ट्रेवार्था के अनुसार प्रवाही हिमचूर्ण युक्त शून्य तापमान वाले झंझा को ही एक वास्तविक ब्लिजार्ड कहते हैं। एन्टार्कटिक महाद्वीप में प्रायः ऐसे ब्लिजार्ड चला करते हैं जिनमें पवन-वेग कभी-कभी 80 मिलोमीटर प्रतिघण्टा तथा तापमान -7° सेल्सियस होता है।
सोवियत रूस तथा मध्य साइबेरिया में उत्तर-पूर्व से चलने वाली अत्यधिक सर्द हवाओं को बुरान (buran) तथा बर्फीली आँधियों को पुर्गा (purga) कहते हैं। शीत ऋतु में प्रबल वेग से चलने वाली अत्यधिक ठण्डी हवाओं को दक्षिणी फ्रांस में बाइज (bise) तथा दक्षिणी स्पेन में लेवाँतर (levanter) कहा जाता है। मैक्सिको की खाड़ी के निकटवर्ती क्षेत्रों तथा पश्चिमी कैरीबियन सागर में जाड़े के मौसम में उत्तर की ओर ठण्डी हवाओं की आँधियाँ आया करती हैं जिनकी उत्पत्ति शीतकालीन प्रतिचक्रवातों से होती है।
दक्षिणी अमेरिका में अर्जेन्टाइना के पम्पास क्षेत्र में युरुग्वे से प्रचण्ड वेग वाली सर्द हवायें चला करती हैं जिन्हें पैम्पीरो (pampero) कहते हैं। इन हवाओं के साथ धूलभरी आँधियाँ भी चला करती हैं जिनसे कभी-कभी वर्षा भी हो जाया करती है। कोस्टारीका के उत्तरी-पश्चिमी तट तथा समीपवर्ती प्रशान्त तटवर्ती क्षेत्रों में पापागायो की खाड़ी में शीतकालीन उत्तरी-पूर्वी हवाएं चलती हैं जिन्हें उस खाड़ी के नाम पर पापागायो कहा जाता है। ये हवाएं बड़ी प्रचण्ड होती हैं।
इस प्रकार से दक्षिणी मैक्सिको तथा उत्तरी मध्य अमेरिका से जाड़े के मौसम में टेहुयान्टिपेकर (tehuantepecer) नामक धूलभरी तेज आँधियाँ चला करती हैं। ब्राजील के उष्ण कटिबन्धीय कम्पोज तथा अमेजन घाटी में मई तथा जून के महीनों में भीषण शीत- लहरी का प्रकोप हो जाता है, जिसे फ्राइजेम (friagem) कहा जाता है। इन सर्द हवाओं का प्रकोप 3 से 5 दिन तक रहता है। इनके आगमन से वायु का तापमान काफी नीचे गिर जाता है जिससे वहाँ के आदिवासियों को बड़ा कष्ट होता है। कियाबा (Cuiaba) नामक स्थान पर 18 जून, 1933 को ऐसी ही भीषण शीत-लहरी का प्रकोप हुआ था जिसके फलस्वरूप तापमान 32.8° सेल्सियस से घटकर 1.1° सेल्सियस हो गया। वायुमण्डलीय दाब में 20 मिलीबार की आकस्मिक वृद्धि भी अंकित की गई थी।
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