Search
Close this search box.

Share

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population)

Estimated reading time: 7 minutes

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population)

किसी प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों का वर्तमान प्रोद्योगिकी (technology) के अनुसार पूर्ण विकास करने तथा उसके उपभोग के लिए आवश्यक एक निश्चित जनसंख्या जिसे उच्चतम जीवन-स्तर प्राप्त होता है, अनुकूलतम जनसंख्या मानी जाती है। अनुकूलतम जनसंख्या का आधार मूल रूप से आर्थिक है लेकिन यह सामाजिक दशाओं तथा तकनीकी स्तर से भी जुड़ा है। देखा जाए तो जनसंख्या और संसाधन के बीच पूर्ण संतुलन स्थापित होना बहुत कठिन है किन्तु साम्य की अवस्था प्राप्त हो सकती है। अनुकूलतम जनसंख्या इसी साम्यावस्था को प्रकट करती है।

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population) क्या होती है?

‘अनुकूलतम’ (Optimum) एक सापेक्षिक शब्द है जिसका अर्थ देश-काल के अनुसार परिवर्तित हो सकता है। यदि हम अनुकूलतम जनसंख्या का निर्धारण जीवन स्तर तथा जीवन की गुणवत्ता के आधार पर करें तो किसी प्रदेश की वह जनसंख्या जिसे वहाँ उपलब्ध संसाधनों के अनुसार उच्चतम जीवन स्तर प्राप्त होता है, अनुकूलतम या अभीष्ट जनसंख्या कही जा सकती है। 

आर्थिक-सामाजिक दृष्टिकोण से किसी प्रदेश में मनुष्य की उस संख्या को अनुकूलतम माना जा सकता है जिससे वहाँ उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग होता है और लोगों का जीवन-स्तर उच्चतम होता है। जनसंख्या और संसाधन के सम्बन्ध की यह एक आदर्श स्थिति है जो किसी प्रदेश में सुगमता से प्राप्त नहीं होती है। किसी प्रामाणिक मापदंड के अभाव में विश्व के किसी भी देश में उपलब्ध समस्त संसाधनों का मूल्यांकन तथा सम्पूर्ण जनसंख्या से उनके सहसम्बन्ध का निर्धारण अत्यन्त जटिल और कठिन कार्य है। 

अत: यह ज्ञात कर पाना कि किसी प्रदेश के समस्त संसाधनों का अधिकतम एवं समुचित उपयोग हो रहा है अथवा नहीं? केवल कठिन ही नहीं प्रायः असम्भव हो जाता है। जहाँ तक उच्चतम जीवन स्तर का प्रश्न है, इसका अर्थ केवल अधिकतम प्रति व्यक्ति आय ही नहीं बल्कि प्रतिव्यक्ति पर्याप्त भोज्य पदार्थ, शुद्ध जल, शुद्ध वायु, उच्च स्तरीय आवास, पूर्ण विकसित परिवहन के साधन, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन की पूर्ण सुविधा, सर्वोत्तम व्यापारिक दशा, सांस्कृतिक विकास के पूर्ण अवसर आदि की उपलब्धता से भी है क्योंकि इनके अभाव में उच्चतम जीवन स्तर की कल्पना ही नहीं की जा सकती। 

सर्वप्रथम अठारहवीं शताब्दी में कैन्टीलोन (Cantilon) ने ‘Optimum Population’ (अनुकूलतम जनसंख्या) शब्दावली का प्रयोग किया और किसी निश्चित क्षेत्र में उपलब्ध दशाओं के भीतर व्यक्तियों की उस संख्या को अनुकूलतम जनसंख्या की संज्ञा दी जो उच्चतम जीवन स्तर कायम रखने में समर्थ होती है। अतः अनुकूलतम जनसंख्या का अर्थ है किसी प्रदेश में रहने और काम करने के लिए जनसंख्या का आदर्श आकार। जनसंख्या का आकार (Population size) इससे अधिक या कम होने पर जनसंख्या-संसाधन सन्तुलन बिगड़ जाता है और अतिजनसंख्या अथवा अल्प जनसंख्या की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population) की परिभाषाएं

अनुकूलतम जनसंख्या की परिभाषा कुछ अर्थशात्रियों, भूगोलविदों तथा समाज विज्ञानियों ने अनुकूलतम जनसंख्या को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है –

बोल्डिग (Boulding) के अनुसार, “वह जनसंख्या जिस पर जीवन-स्तर अधिकतम होता है, अनुकूलतम जनसंख्या कहलाती है।” 

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डाल्टन (Dalton) के शब्दों में, “अनुकूलतम जनसंख्या वह है जो प्रतिव्यक्ति अधिकतम आय देती है।”

पिटर्सन (Peterson) के शब्दों में, “अनुकूलतम जनसंख्या व्यक्तियों की वह संख्या है जो किसी दी हुई प्राकृतिक, सांस्कृतिक तथा सामाजिक पर्यावरण में अधिकतम आर्थिक प्रतिफल को उत्पन्न करती है।” 

कार साउन्डर्स के अनुसार, “अनुकूलतम जनसंख्या वह है जो अधिकतम कल्याण उत्पन्न करती है।”

आर०एन० सिंह और एस०डी० मौर्य ने भौगोलिक पारिभाषिक शब्दकोष में “अनुकूलतम जनसंख्या की परिभाषा इस प्रकार दी है- किसी क्षेत्र या प्रदेश में निवास करने वाले व्यक्तियों की वह आदर्श संख्या जो उस क्षेत्र के संसाधनों के पूर्ण उपयोग के लिए उपयुक्त होती है और जिससे सामान्य जीवन स्तर यथासंभव उच्चतम हो सकता है, अनुकूल जनसंख्या कहलाती है।” 

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अनुकूलतम जनसंख्या के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों के विचारों में उल्लेखनीय अन्तर है। जहाँ एक ओर डाल्टन प्रति व्यक्ति अधिकतम आय को और साउन्डर्स अधिकतम आर्थिक कल्याण को अनुकूलतम जनसंख्या के निर्धारण का आधार बताते हैं वहीं दूसरी ओर बोल्डिग ने उच्चतम जीवन स्तर को इसका आधार माना है।आर०एन० सिंह एवं एस०डी० मौर्य ने संसाधनों के पूर्ण उपयोग और उच्चतम जीवन स्तर के लिए आवश्यक जनसंख्या को आधार स्वीकार किया है। 

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population) के निर्धारण के मापदण्ड

किसी देश या प्रदेश में अनुकूलतम जनसंख्या का आकार क्या हो? इसका निर्धारण करना सुगम कार्य नहीं है। अधिकतम आर्थिक उत्पादन अथवा उच्चतम जीवन स्तर या अधिकतम सामाजिक कल्याण को सीमांकित करना अत्यन्त कठिन है। इतना ही नहीं, अधिकतम आर्थिक उत्पादन, सैन्य शक्ति, सामाजिक कल्याण आदि के उद्देश्यों से अनुकूलतम जनसंख्या का आकार अलग-अलग हो सकता है। 

अनुकूलतम जनसंख्या के निर्धारण हेतु जिन मापदण्डों को प्रयोग में लाया जा सकता है उनमें सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP), प्रति व्यक्ति आय, पूर्ण रोजगार, उच्चतम जीवन-स्तर, संसाधनों का पूर्ण उपयोग, संतुलित जनांकिकीय संरचना, प्रदूषण रहित विकास आदि प्रमुख हैं। इन सबका संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है 

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP)

अधिकतम आर्थिक उपयोगिता का आकलन प्रायः सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Products) के रूप में किया जाता है। यह मापदंड अधिक सार्थक नहीं है क्योंकि यदि समाज के विभिन्न वर्गों तथा व्यक्तियों में इसका वितरण अधिक असमान है तब सभी व्यक्तियों का जीवन स्तर उच्च नहीं हो सकता। प्रति व्यक्ति आय GNP पर ही आधारित होती है और औसत आय को प्रकट करती है, अतः यह वास्तविकता से दूर और भ्रामक हो सकती है। 

पूर्ण रोजगार

योग्यता के अनुसार सभी व्यक्तियों को रोजगार की उपलब्धता भी एक महत्वपूर्ण मापदण्ड है। इससे आय के वितरण में असंतुलन कम होता है और आश्रित जनसंख्या का भार भी निम्नतम होता है। 

उच्चतम जीवन स्तर

यह एक सामाजिक अवधारणा है जो उच्चतम आय, और पूर्ण रोजगार के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य तथा जीवन की सभी आवश्यक सुविधाओं की प्राप्ति से सम्बन्धित है। 

संसाधनों का पूर्ण उपयोग

इसका अर्थ किसी ज्ञात तकनीकी के द्वार समस्त ज्ञात संसाधनों के पूर्ण उपयोग से है। कालानुसार नवीन तकनीकों के प्रयोग से नये-नये संसाधनों का पता चलता रहता है और पूर्व संसाधनों की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती रहती है। अतः यह आधार देश-काल के अनुसार अधिक परिवर्तनशील है।

जनांकिकीय संरचना

अनुकूलतम जनसंख्या का सम्बन्ध जनांकिकीय संरचना से भी होता है। जनसंख्या में आयु, लिंग आदि जनांकिकीय तत्व संतुलित होने पर निर्भरता अनुपात सामान्य होता है तथा जन्मदर और मृत्युदर का अन्तर लगभग समाप्त हो जाता है और दोनों निम्न होते हैं जिससे जनसंख्या लगभग स्थायी हो जाती है।

प्रदूषण रहित विकास

अनुकूलतम जनसंख्या को केवल आर्थिक उत्पादन और आय के संदर्भ में ही नहीं देखा जा सकता। यदि अधिकतम आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से पर्यावरण को निरन्तर क्षति पहुंचायी जा रही है और मृदा अपरदन, निर्वनीकरण, जल तथा वायु प्रदूषण आदि में भारी वृद्धि हो रही है जो वर्तमान तथा भविष्य में गंभीर पर्यावरणी संकट उत्पन्न कर सकती है, तब उच्चतम आर्थिक दशा होते हुए भी जनसंख्या को अनुकूलतम नहीं माना जा सकता है। टेलर (G.R. Taylor) के मतानुसार अनुकूलतम जनसंख्या का अधिकतम वह है जो पर्यावरण अथवा समाज को या पोषण की कमी से व्यक्ति के स्वास्थ्य को क्षति पहुँचाये बिना ही अनिश्चितकाल तक स्थिर रह सके। 

अनुकूलतम जनसंख्या (Optimum Population) की संकल्पना का महत्व

 अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पना का विकास प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.) में हुआ। जनसंख्याविदों ने भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से इस विचारधारा की व्याख्या की जिसकी अनेक सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक आधारों पर आलोचनाएं भी हुई। रूसी तथा अन्य साम्यवादी लेखकों के विचार में यह माल्थस के व्यक्तिवादी सिद्धान्त का ही एक रूप है। 

बहुत से जनसंख्याविदों का मत है कि वर्तमान संसार में अर्थव्यवस्था तथा समाज की गतिशीलता और निरन्तर प्राविधिकी के विकास से संसाधनों और जनसंख्या के संतुलन का आकलन अत्यन्त जटिल हो गया है जिससे अनुकूलतम जनसंख्या का निर्धारण बहुत कठिन हो गया है। कुछ अन्य लोगों के अनुसार संसाधनों के वास्तविक आकलन के अभाव में कुल जनसंख्या के आधार पर कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। किन्तु ऐसा नहीं है कि अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पना का कोई महत्व नहीं है। 

वास्तव में अति जनसंख्या और अल्प जनसंख्या की गणना ‘अनुकूलतम’ के संदर्भ में ही की जा सकती है, अतः इसका व्यावहारिक कम किन्तु सैद्धान्तिक महत्व अधिक है। टाबर (Taeuber, 1970) इसे एक आकर्षक अवधारणा मानते हैं किन्तु उनका यह भी मत है कि इसका व्यावहारिक स्वरूप अत्यन्त भ्रामक होता है। लगभग इसी प्रकार के विचार राबिन्सन (Robinson 1964) के भी हैं। सावी (1966) के अनुसार अनुकूलतम जनसंख्या का विचार एक उपयोगी उपकरण है किन्तु इसकी सही माप में असंख्य कठिनाइयाँ तथा बाधाएँ उपस्थित होती हैं। 

इस प्रकार स्पष्ट होता है कि अनुकूलतम जनसंख्या के मापन में अनेक कठिनाइयाँ तथा अवरोधक हैं जिसके कारण ही इसका व्यावहारिक महत्व कम है। किन्तु जनसंख्या और संसाधनों के अन्तर्सम्बन्ध की व्याख्या हेतु यह एक महत्वपूर्ण संकल्पना है जिसके संदर्भ में ही अन्य कई संकल्पनाओं की व्याख्या की जा सकती है।

You Might Also like

One Response

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Category

Realated Articles