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हरियाणा: राजनैतिक उद्भव, पड़ोसी राज्य, स्थानिक सम्बन्ध एवं सामरिक महत्व

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इस लेख के माध्यम से आप हरियाणा के राजनैतिक उद्भव, पड़ोसी राज्य, स्थानिक सम्बन्ध एवं सामरिक महत्व के बारे में जानेंगे।

हरियाणा: राजनैतिक उद्भव

सन 1857 में अंग्रेजी शासकों ने प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम को दबा कर वर्तमान हरियाणा को पंजाब राज्य का हिस्सा बना दिया। वास्तव में लोगों की भाषा, वेशभूषा तथा अन्य आदतों की भिन्नता के कारण अलग राज्य की माँग पर निरन्तर संघर्ष जारी रहा। 23 अप्रैल 1966 को भारत सरकार ने ‘शाह आयोग’ का गठन किया। 

शाह आयोग की अनुशंसा पर संयुक्त पंजाब का हिन्दी भाषी क्षेत्र अम्बाला, करनाल, रोहतक, हिसार, गुड़गाँव के जनपद एवं पटियाला तथा पूर्वी पंजाब स्टेट्स के जींद एवं महेन्द्रगढ़ जनपद मिला कर हरियाणा राज्य का उद्भव 1 नवम्बर 1966 को हुआ।

हरियाणा: जिलों के निर्माण तिथि एवं उनका क्षेत्रफल

क्रम संख्यावर्तमान हरियाणा निर्माण तिथिक्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर
1अम्बाला1 नवम्बर 19661574
2करनाल1 नवम्बर 19662538
3रोहतक1 नवम्बर 19661745
4गुरुग्राम1 नवम्बर 19662766
5हिसार 1 नवम्बर 19663983
6महेन्द्रगढ़1 नवम्बर 19661859
7जींद1 नवम्बर 19662702
8भिवानी22 दिसम्बर 19723432
9सोनीपत22 दिसम्बर 19722122
10कुरूक्षेत्र23 जनवरी 19731530
11सिरसा26 अगस्त 19754277
12फरीदाबाद2 अगस्त 19792151
13यमुनानगर1 नवम्बर 19891768
14कैथल1 नवम्बर 19892317
15पानीपत1 नवम्बर 19891268
16रेवाड़ी1 नवम्बर 19891582
17पंचकूला15 अगस्त 1995898
18झज्जर15 जुलाई 19971834
19फतेहाबाद15 जुलाई 19972520
20मेवात4 अप्रैल 20051859
21पलवल15 अगस्त 20081359
22चरखी दादरी16 नवम्बर 20161346
हरियाणा के जिले उनके निर्माण की तिथि एवं क्षेत्रफल
district of haryana

हरियाणा के पड़ोसी राज्य

भारत में हरियाणा को भौगोलिक रूप से विशिष्ट स्थिति प्राप्त है। प्राकृतिक दृष्टि में पंजाब का मैदान, उत्तर प्रदेश का ऊपरी गंगा का मैदान, राजस्थान का मैदान एवं दिल्ली एक विशिष्ट भौगोलिक इकाई का निर्माण करती है। ये सभी एक ही अपवाह तन्त्र एवं मानसून धारा से जुड़े हुए प्राकृतिक प्रदेश हैं। इनमें ऐतिहासिक सम्बद्धता के कारण सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक समानताएँ पाई जाती हैं।

सिन्धु घाटी के अवशेष भी हरियाणा से गुजरात तक के विस्तृत क्षेत्र में पाए गए हैं। कृषि परिदृश्य में भी काफी समानता पाई जाती हैं। मैदानी भाग ने काफी प्रगति की है। प्रगतिशील पंजाब, सांस्कृतिक बहुलता से सम्पन्न राजस्थान, राष्ट्रीय राजनैतिक केन्द्र दिल्ली की समीपता तथा सम्पर्कता इस प्रदेश की सामाजिक तथा आर्थिक प्रगति ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों की तस्वीर को सांझा स्वरूप प्रदान करते हैं।

समन्वयता, आपसी मेल जोल तथा समरसता से यहाँ की संस्कृति सम्पन्न हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को छूते हुए उत्तरी राज्यों का यातायात मुख्यतः हरियाणा से होकर गुजरता है। सांझा सांस्कृतिक परिदृश्य आर्थिक ढांचे को भी सुदृढ़ता प्रदान करता है। अतः हरियाणा की केन्द्रीय स्थिति इस प्रदेश के विकास का मुख्याधार है।

Neighboring states of Haryana

हरियाणा: स्थानिक सम्बन्ध

हरियाणा प्रदेश गंगा-सिन्धु मैदान का उत्तर-पश्चिमी हिस्सा है। गंगा-सिन्धु का मैदान यहाँ के अधिकांश भू-भाग को घेरे हुए है। गंगा-सिन्धु के विशाल मैदान के विस्तार ने निकटस्थ राष्ट्रीय राजधानी एवं भारतीय राज्यों के साथ हरियाणा के परस्पर सम्बन्धों की प्रकृति निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस प्रदेश के इतिहास में स्थानिक सम्बन्ध सर्वकालों में महत्वपूर्ण रहे हैं। यहाँ से समस्त क्षेत्र सर्वगम्य हैं जिसके कारण इस प्रदेश की सांस्कृतिक भूमिका अद्वितीय रही है। 

यहाँ पश्चिमी एशिया एवं यूरोप से आई सांस्कृतिक धाराओं का पदार्पण संकीर्ण दरों (खैबर एवं बोलान) एवं नदी घाटियों से रास्ता खोजकर हुआ है। यद्यपि इन मार्गों के विकास का समय निश्चित तौर से निर्धारित नहीं किया जा सकता, फिर भी भौगोलिक दृष्टि से सर्वप्रथम सांस्कृतिक तंरगों की प्रक्रिया उत्तर पश्चिमी भागों से शुरू हुई होगी। 

पुरातत्ववेताओं के अनुसार लगभग चार हज़ार वर्ष पहले सैंधव सभ्यता इस भू-भाग पर विद्यमान थी। नदी तटों की सर्वोत्तम भूमि अधिवास क्षेत्र के रूप में प्राचीन व्यावसायिक केन्द्रों की सम्पन्नता को समेटे हुए है।

हरियाणा के अन्य राज्यों से परस्पर सम्बन्धों तथा राजनैतिक समरूपता एवं सर्वगम्यता के कारण कृषि, उद्योग, परिवहन एवं संचार व्यवस्था में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भू-मण्डलीकरण के दौर में नये सांस्कृतिक एवं आर्थिक तत्वों के पदार्पण ने इस प्रदेश को एक नई विशिष्टता एवं सम्पन्नता का बोध कराया है। 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मे स्थित उप-नगरों का विकास भी इसी कड़ी का हिस्सा है जिनमें फरीदाबाद, गुड़गाँव, रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, बहादुरगढ़ उप-नगर एवं रोहतक प्रमुख हैं। क्षेत्रीय असमानता को दूर करने तथा विकास को ग्रामोन्मुखी बनाने हेतु छोटे कस्बे भी औद्योगिक मानचित्र पर सामने आये हैं जिनमें मानेसर, झज्जर, कुण्डली, घरौण्डा, समालखा, धारूहेड़ा, बावल, रोजका मेव प्रमुख हैं। 

मारुति, हीरो हॉण्डा, इंडियन ऑयल एवं अनेक सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियाँ अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की स्थापना कर सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ क्रान्तिकारी बदलाव आ रहे हैं।

हरियाणा: सामरिक महत्व

प्रदेश की भौगोलिक अवस्थिति इस प्रकार है कि व्यापारिक काफिले, यात्रीगण एवं सेनाएँ भारत को उत्तर-पश्चिमी जगत से जोड़ने वाले खैबर तथा बोलान दर्रे के मार्ग के अलावा समुद्री मार्ग, सिन्धु नदी से समुद्र की ओर एवं समुद्र से नदी के रास्ते से राजस्थान के मरुस्थल में होकर भारत प्रवेशद्वार-हरियाणा में पहुँचते रहे हैं। 

इस कारण हरियाणा प्रदेश का आर्थिक, कूटयोजनात्मक एवं सामरिक महत्व अत्यधिक है। वैश्वीकरण के दौर में नयी परिवहन एवं संचार व्यवस्था ने भौगोलिक दूरियों को पाट दिया है। राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एवं वैश्विक संस्थान राष्ट्रीयराजधानी क्षेत्र की आर्थिक सम्पदा का सरल विदोहन करने के लिए हरियाणा में आधार खोज रही हैं।

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