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विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (Electromagnetic Energy)

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विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (Electromagnetic Energy)

विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा, ऊर्जा का एक प्रकार है जो विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से बनता है। इसमें रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, इन्फ्रारेड, दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी, एक्स-रे और गामा किरणें आदि शामिल हैं। सौर प्रकाश भी एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (EMR) है।

किसी प्रकाश के स्त्रोत से उत्सर्जित ऊर्जा जब लघु प्रकाश अंश को वहन करती है तो इसे फोटॉन कहते हैं अर्थात् प्रकाश के छोटे-छोटे पैकेट को फोटॉन कहते हैं। तरंग सिद्धान्त के आधार पर प्रकाश, ऊर्जा के साथ सीधी रेखा से विचरण करता है। प्रकाश के दो प्रमुख दोलन घटक (Oscillating Component) होते हैं –

  • विद्युत ऊर्जा (Electrical Energy) एवं
  • चुम्बकीय ऊर्जा (Magnetic energy)

सौर ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा एवं चुम्बकीय ऊर्जा के बीच लगातार (Constantly) परिवर्तित होती हुई गमन करती है। यही कारण है कि हम इसे विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा के नाम से जानते हैं।

विद्युत-चुम्बकीय विकिरण (EMR) प्रकाश की तरह ही तरंगों के रूप में व्यवहार करता है। यह ऊर्जा प्रकाश की गति से यात्रा करता है, जो लगभग 300,000 किलोमीटर प्रति सेकंड है। अंतरिक्ष में दूरी बहुत बड़ी होती है, इसलिए प्रकाश को यात्रा करने में समय लगता है। सूर्य से निकलने वाले प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं।

उदाहरण के लिए, जब आप मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, तो आप विद्युत-चुम्बकीय विकिरण (EMR) के संपर्क में आते हैं। यह EMR रेडियो तरंगों के रूप में होता है, जो प्रकाश की तरह ही तरंगों के रूप में यात्रा करता है। रेडियो तरंगें मोबाइल फोन टावर से आपके फोन तक पहुंचने में बहुत कम समय लेती हैं, इसलिए आप तुरंत कॉल कर सकते हैं या इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि EMR के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ हानिकारक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक्स-रे और गामा किरणें उच्च ऊर्जा वाले EMR के प्रकार हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। हालांकि, EMR के कई प्रकार भी हैं जो हानिकारक नहीं हैं, जैसे कि दृश्य प्रकाश और रेडियो तरंगें।

विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा का संचरण (Propagation of Electromagnetic Energy)

विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा एक गतिशील ऊर्जा है। यह ऊर्जा तरंगों के रूप में प्रकाश की गति से यात्रा करती है। इन तरंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है: ज्यावक्रीय विद्युत तरंग (Sinusoidal Electric Wave) तथा ज्यावक्रीय चुम्बकीय तरंग (Sinusoidal Magnetic Wave)।  इन तरंगों के रूप में गति करने वाले ऊर्जा को विद्युत- चुम्बकीय ऊर्जा कहते हैं। ये तरंगें एक दूसरे के साथ-साथ और तरंग दिशा के समकोण पर होती हैं। कोई भी प्रकाश किरण जब प्रकाशिक माध्यम से गुजरती है, तो वह तरंगों की तरह व्यवहार करती है और प्रकाश की गति के नियमों का पालन करती है।

 जब विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा किसी पदार्थ के संपर्क में आती है, तो यह उस पदार्थ के साथ प्रतिक्रिया करती है। यह प्रतिक्रिया इस तरह होती है जैसे कि ऊर्जा और संवेग (गति) वाले छोटे-छोटे कणों (जिन्हें फोटॉन कहा जाता है) से मिलकर बनी हो। फोटॉनों का पदार्थों से टकराव विद्युत संकेतों को जन्म देता है। इन विद्युत संकेतों को सुदूर संवेदन में संवेदक द्वारा अंकित किया जाता है। संवेदक इन संकेतों को अंकीय (Digital) रूप में बदलता है, जिसके द्वारा प्रतिबिम्ब तैयार किए जाते हैं।

electromagnetic wave

विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के लक्षण (Properties of Electromagnetic Waves)

तरंग गति को व्यक्त करने के लिए तीन प्राचल (Parameters) लक्षणों को समझना अति आवश्यक है –

  1. तरंग दैर्ध्य (Wave Length)
  2. तरंग आवृत्ति (Wave Frequency)
  3. तरंग वेग (Wave Velocity)

तरंग दैर्ध्य (Wave Length)

प्रकाश अथवा विद्युत-चुम्बकीय तरंग एक पूरे कम्पन के समय जितनी दूरी तय करती है उसे तरंग दैर्ध्य कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी विद्युत-चुम्बकीय तरंग दो उत्तरोत्तर तरंग-शीर्षों (Successive Wave Peaks) के बीच की दूरी को तरंग- दैर्ध्य कहते हैं। तरंग दैर्ध्य को ग्रीक भाषा के लैम्बडा (𝞴) शब्द से प्रदर्शित करते हैं। 

इसे नापने की इकाई वही होती है जो कि दूरी की होती है, जैसे कि माइक्रोन, सेमी., मीटर इत्यादि। यहाँ पर तरंग दैर्ध्य की मापने वाली इकाइयों को समझना अतिआवश्यक है। इसको नापने की इकाइयां तथा चिन्हों को मीटर में लिखने के तरीके को सारणी में दिखाया गया है।

इकाईचिह्नमीटर लघु रूप
किलोमीटरकिमी. (km)1000 मी. = 103 मी.
मीटरमी. (m)1 मी. = 100 मी.
सेंटीमीटरसेमी. (cm)0.01 मी. = 10-2 मी.
मिलीमीटरमिमी. (mm)0.001 मी. = 10-3 मी.
माइक्रोमीटर𝝻 m0.000001 मी. = 10-6 मी.
नैनोमीटरnm0.0000000001 मी. = 10-9 मी.
तरंग दैर्ध्य मापने की इकाइयाँ

तरंग आवृत्ति (Wave Frequency)

जैसा कि स्पष्ट है कि विद्युत-चुम्बकीय तरंग कम्पन करती हुई गुजरती हैं। कम्पन के समय कई उत्तरोत्तर तरंग-शीर्षों का निर्माण होता है। इस प्रकार एक निश्चित अवधि में जितने तरंग-शीर्ष बनते हैं, उनकी संख्या या आवृत्ति या बारम्बारता को तरंग आवृत्ति कहते हैं। संक्षेप में यह कह सकते हैं कि विद्युत-चुम्बकीय तरंग प्रति सेकण्ड में जितना कम्पन करती है उसे तरंग आवृत्ति कहते हैं। 

इसको नापने की इकाई प्रति सेकन्ड या हर्ट्ज होती है। तरंग आवृत्तियों को नापने की इकाइयों को सारणी में दर्शाया गया है। गणितीय सूत्र के अनुसार तरंग आवृत्ति को ग्रीक के nu (𝞶) अक्षर से प्रदर्शित करते हैं।

इकाई बिंदुआवृति
हर्ट्ज़Hz1
किलोहर्ट्ज़ KHz103
मेगाहर्ट्ज़MHz106
गीगाहर्ट्ज़GHz109
तरंग आवृत्ति मापने की इकाइयाँ

तरंग वेग (Wave Velocity)

कोई तरंग प्रति सेकण्ड में जितनी दूरी तय करती है उसे तरंग चाल या वेग कहते हैं। चूँकि विद्युत-चुम्बकीय विकिरण प्रकाश की चाल से चलता है इसलिए विद्युत- चुम्बकीय तरंगों को भी प्रकाश का ही वेग माना जाता है। निर्वात रूप से चलने पर प्रकाश की चाल 3 ×108 सेमी. प्रति सेकेण्ड है। वास्तव में 299793 किमी. प्रति सेकण्ड है परन्तु इसे पूर्ण अंकों में प्रस्तुत करने के लिए 3,00,000 किमी. प्रति सेकेण्ड अथवा 3 x 108 सेमी. मान लिया जाता है। 

तरंग वेग को गणितीय सूत्र के अनुसार अंग्रेजी के C अक्षर से प्रदर्शित किया जाता है। यहाँ पर यह बता देना आवश्यक है कि C का मान नियतांक (Constant) अथवा स्थिर होता है परन्तु यह तभी सम्भव होता है जब विद्युत-चुम्बकीय तरंग किसी निर्वात से गुजर रही हो क्योंकि भिन्न-भिन्न घनत्व वाले माध्यमों से संचरण करने पर इसके वेग में अन्तर उत्पन्न होता है।

तरंग दैर्ध्य, आवृत्ति एवं वेग में पारस्परिक सम्बन्ध (Interrelation Between Wavelength, Frequency and Velocity)

जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि तरंग दैर्ध्य को लैम्बडा (𝞴) से, तरंग आवृत्ति को नू (𝞶) से तथा तरंग वेग को ‘सी’ (c) से प्रदर्शित किया जाता है। इनका एक दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध है (चित्र 2.5) जिसको निम्न सूत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है – 

 वेग = आवृत्ति  X  तरंग दैर्ध्य  या (C = 𝞶 x 𝞴)

आवृत्ति एवं तरंग दैर्ध्य ज्ञात करने के लिए भी उपरोक्त सूत्र को इस प्रकार प्रयोग कर सकते हैं।

आवृत्ति (𝞶) = वेग (c) / तरंग दैर्ध्य (𝞴)

तथा तरंग दैर्ध्य (𝞴) =  वेग (c) / आवृत्ति (𝞶) 

उदाहरण के लिए यदि दृश्य स्पैक्ट्रम (Visible spectrum) 4 × 105  सेमी. से 7.6 × 105 सेमी. तक है तो इसे आवृत्ति इकाई में बदला जा सकता है। इसे निम्न उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है –

V = c / 𝞴 = 3 x 10-10 / 4 x 10-5= 3 x 1010+5 / 4 = .75 × 1015 Hz या 7.5 × 1014 Hz

V = c / 𝞴 = 3 x 10-10 / 7.6 x 10-5= 3 x 1015 / 7.6 = .39 × 1015 Hz या .39 × 1014 Hz

अतः दृश्य स्पैक्ट्रम को आवृत्ति की इकाई 7.5 x 1014 Hz से 3.9×1014 Hz में व्यक्त किया जा सकता है। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि प्रकाश का वेग (c) = 3 × 1010 सेमी./सेकण्ड हमेशा स्थिर (Constant) रहता है।

relationship between wavelength and frequency

विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा का स्रोत (Source & EMR) 

सूर्य विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सभी पदार्थ शून्य से अधिक निरपेक्ष तापमान के साथ विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा को प्रसारित करते हैं। निरपेक्ष तापमान को पारम्परिक रूप से केल्विन (Kelvins) K में मापा जाता है। निरपेक्ष शून्य (0 K = -273.15°C) सम्भावित तापमान सबसे न्यूनतम होता है। यहाँ पर कोई भी वस्तु ठंडी नहीं हो सकती क्योंकि 0 K पर अणु गति नहीं करते हैं।

पृथ्वी के धरातल का वैश्विक औसत तापमान 288 K (केल्विन) है तथा पृथ्वी पर स्थित ज़्यादातर वस्तुओं का तापमान इसी के आसपास होता है। कुछ वस्तुओं का तापमान थोड़ा ज़्यादा या कम हो सकता है, लेकिन यह बहुत कम होता है। अत: पृथ्वी के धरातलीय पर स्थित विभिन्न आकृत्तियां विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा को उत्सर्जित करती हैं। सूर्य का तापमान लगभग 6000K है। सूर्य अपनी ऊर्जा का 44% प्रकाश के रूप में प्रसारित करता है तथा 48% अवरक्त विकिरण रूप में छोड़ता है।

सूर्य लगभग ब्लैक बॉडी है इसलिए यह एक तारा है। ब्लैक बॉडी एक सैद्धान्तिक वस्तु है जिसकी विशिष्ट विशेषतायें मानी जाती हैं जो हमें विद्युत चुम्बकीय विकिरण की व्याख्या करने में सहायता करता है। यहाँ पर यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि जो वस्तु 100% विकिरण को अवशोषित करती है या जो वस्तु 100% विकिरण (Radiate) करती है उन दोनों को ही Black Body कहते हैं। चूंकि सूर्य पूर्ण ऊर्जा को विकिरित करता है इसलिये इसे Black Body कहा जाता है। 

ब्लैक बॉडी विकिरण

जब कोई वस्तु ऊर्जा को विकिरण के रूप में छोड़ती है, तो उसे ब्लैक बॉडी विकिरण कहा जाता है। ब्लैक बॉडी एक आदर्श वस्तु है जो सभी तरंगदैर्ध्य के प्रकाश को पूरी तरह से अवशोषित और उत्सर्जित करती है। ब्लैक बॉडी का तापमान उसके विकिरण के प्रचलित तरंग दैर्ध्य के निर्धारण से होता है।  जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, विकिरण का रंग लाल से नारंगी, पीले, सफेद और अंत में नीले रंग में बदल जाता है। 6000K पर, ब्लैक बॉडी सभी दृश्य तरंग दैर्ध्य पर समान मात्रा में विकिरण उत्सर्जित करती है, जिससे यह सफेद दिखाई देती है। उच्च तापमान पर, ब्लैक बॉडी अधिक ऊर्जावान विकिरण उत्सर्जित करती है, जिसमें अदृश्य अल्ट्रावायलेट प्रकाश भी शामिल होता है।

black body radiation curves

उदाहरण के लिए सूर्य एक ब्लैक बॉडी का एक अच्छा उदाहरण है। इसका तापमान लगभग 6000K है, जिसके कारण यह पीले रंग का दिखाई देता है। जब आप किसी धातु को गर्म करते हैं, तो वह लाल, नारंगी, पीले और अंत में सफेद रंग में बदल जाती है। इसे इस प्रकार भी समझा जा सकता है कि एक जलती मोमबत्ती को ध्यान से देखो। 

जलती मोम बत्ती की ज्वाला (Flame) के केन्द्र से बाहर की ओर हल्का नीला दृष्टिगोचर होता है क्योंकि वहां ज्वाला सबसे गर्म होती है। जिसका तापमान 1670K होता है। ज्वाला का केन्द्रीय भाग नारंगी (Orange) लगता है जिसका तापमान 1070 K जो वाह्य भाग (Outer care) से 600K कम है। 

सामान्यतः ज्वाला में बाह्य कोर से लेकर आन्तरिक कोर तक तापमान (600-140°C) अलग-अलग होने के कारण प्रत्येक भाग में अलग-अलग रंग दृष्टिगोचर होते हैं। यह जलते पदार्थ, आस-पास के तापमान, तथा आक्सीजन की मात्रा पर निर्भर करता है। हम रंग के प्रयोग से किसी ज्वालामुखी से निकलते हुए लावा के तापमान को निश्चित दूरी से ज्ञात कर सकते हैं। हमें रंग, तापमान की जानकारी देते है तथा किसी वस्तु में निहित तापमान की मात्रा को बता सकते हैं।

यदि हम एक ऐसा संवेदक (Sensor) तैयार करें तो हमें विभिन्न तरंग दैर्ध्य पर विद्युत-चुम्बकीय ऊर्जा का संसूचन करने में सक्षम हो तो हम सुदूर संवेदन में इसका उपयोग सरलता पूर्वक कर सकते हैं तथा वस्तुओं के तापमान का आकलन सुविधापूर्वक कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने इन्हीं तथ्यों को आधार मानकर कई प्रकार के सुदूर संवेदक तैयार कर दिए हैं जो सफलतापूर्वक उपग्रहों पर कार्य कर रहे हैं।

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