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वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) (1845-1918) फ्रांस के सर्व प्रमुख भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने लगभग चार दशकों (1877-1918) तक फ्रांसीसी भूगोलेवत्ताओं का मार्गदर्शन किया और भूगोल विशेषरूप से मानव भूगोल और प्रादेशिक भूगोल को प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुँचा दिया। ब्लाश फ्रांस की प्रमुख विचारधारा – सम्भववाद (Possibilism) के जन्मदाता और मानव भूगोल के संस्थापक थे। इतिहास और भूगोल विषयों में शिक्षा प्राप्त करने वाले ब्लाश ने इटली, यूनान तथा कई पूर्वी यूरोपीय देशों का भ्रमण भी किया था।
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache): जीवन परिचय
- वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) का जन्म 1845 में पेरिस में हुआ था।
- स्थानीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् उन्होंने 1865 में पेरिस के एक शिक्षण संस्थान ‘इकोल नार्मल सुपीरियर’ (Ecole Normale Superieure) से इतिहास और भूगोल विषय के साथ उपाधि प्राप्त की।
- कुछ समय तक उन्होंने एथेन्स (यूनान) के फ्रांसीसी पुरातत्व कालेज में शिक्षक के रूप में कार्य किया और वहां से पुनः परिस लौट आए।
- पेरिस लौटकर वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) ने इतिहास विषय में अपना शोध कार्य पूरा किया और 1872 में पेरिस विश्वविद्यालय से डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की।
- इसके पश्चात् अगले पाँच वर्षों (1872-77) तक ब्लाश ने नान्सी विश्वविद्यालय में और 1877 से पेरिस के ‘इकोल नार्मल सुपीरियर’ नामक शिक्षण संस्थान में अध्ययन और शोध कार्य किया।
- ब्लाश ने 1891 यें ‘एनाल्स डी ज्योग्राफी’ (Annales de Geographic) नामक भूगोल पत्रिका की स्थापना की और उसका सम्पादन करना आरंभ किया। इस पत्रिका में उनके अनेक विद्वतापूर्ण लेख प्रकाशित हुए।
- 1894 में उन्होंने ‘एटलस जनरल बाइडल ला ब्लाश’ (Altas Generale Vidal La Bache) का प्रथम संस्करण प्रकाशित किया।
- 1898 में पेरिस के सारबोन (Sorbonne) विश्वविद्यालय में ब्लाश की नियुक्ति भूगोल से प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के पद पर हुई जहाँ वे मृत्यु पर्यंत (1918 तक) कार्यरत रहे।
- ब्लाश आजीवन भूगोल के प्रति समर्पित रहे और 36 वर्षों तक उच्चशिक्षण और शोधकार्यों से जुड़े रहे।
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) की रचनाएँ
ब्लाश एक महान चिन्तक, अध्येता, विद्वान शिक्षक होने के साथ ही एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने अपने शैक्षिक जीवन में भूगोल विषयक अनेक लेख और पुस्तकें लिखा था। ब्लाश अधिकांश लेख उनके द्वारा संस्थापित ‘एनल्स डी ज्योग्राफी’ नामक भौगोलिक पत्रिका में प्रकाशित हुए थे। ब्लाश के प्रमुख लेखों तथा भौगोलिक विचारों को एक पुस्तक ‘प्रिंसिपुल्स डी ज्योग्राफी हुमेन’ (Principles de Geographie Humaine) के रूप में उनके शिष्य और जामाता डी मार्तोन ने उनकी मृत्यु के पश्चात् 1921 में प्रकाशित किया था। उनकी प्रमुख पुस्तकें इस प्रकार हैं:
1. यूरोप के राज्य और राष्ट्र (Estats et National del Europe, 1889)
2. यूरोप की मानचित्रावली (Atlas of Europe. 1894)
3. फ्रांस का भूगोल (Tableau de la Geographie de la France, 1903)
4. पूर्वी फ्रांस का भूगोल (La France de la Est, 1917)
5. मानव भूगोल के सिद्धांत (Principles de Geographie Humaine, 1921)
‘’मानव भूगोल के सिद्धांत’ ब्लाश की सबसे प्रमुख और ख्यातिप्राप्त पुस्तक है जिसका प्रकाशन उनकी मृत्यु के पश्चात् 1921 में उनके शिष्य डी मार्तोन के सहयोग से हुआ था। फ्रांसीसी भाषा में लिखी गयी इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद ‘Principles of Human Geography’ के नाम से 1926 में प्रकाशित हुआ। इसमें मानव भूगोल के आधारभूत सिद्धांतों तथा तथ्यों का वर्णन किया गया है।
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) की विचारधारा
ब्लाश ने भूगोल के अध्ययन में कुछ संकल्पनाओं और सिद्धांतों पर अधिक बल दिया जिनमें प्रमुख हैं- (i) सम्भववाद की संकल्पना, (ii) पार्थिव एकता का सिद्धांत, (iii) लघु प्रदेश या पेज की संकल्पना और (iv) विशिष्ट जीवन पद्धति की संकल्पना । इनका विवरण नीचे दिया जा रहा है –
सम्भववाद की संकल्पना (Concept of Possibilism)
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) सम्भववाद के प्रतिपादक एवं प्रबल समर्थक और जर्मन विचारधारा नियतिवादी के कटु आलोचक थे। उन्होंने मानव की स्वतंत्रता तथा उसके कार्य कुशलता पर बल दिया और मनुष्य पर प्रकृति का नियंत्रण बताने वाले नियतिवाद की कड़ी आलोचनाएं की। उनका विचार था कि मनुष्य पर्यावरण का एक शक्तिशाली कारक है जो अपने क्रिया-कलापों द्वारा प्राकृतिक भूदृश्य में परिवर्तन करता है और सांस्कृतिक भूदृश्य का निर्माण करता है।
मनुष्य प्राकृतिक पर्यावरण से नियंत्रित नहीं है बल्कि इसने अपने विवेक और कार्यकुशलता से अनेक प्राकृतिक तत्वों पर विजय प्राप्त कर लिया है। मानवीय प्रयत्नों तथा क्रिया-कलापों को प्रधानता प्रदाने करने वाली इस विचारधारा को सम्भववाद (Possibilism) के नाम से जाना जाता है।
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) के अनुसार मनुष्य स्वयं समस्या और हल दोनों है तथा प्रकृति उसकी उपदेशिका मात्र है। उन्होंने मनुष्य के विवेक, कौशल तथा क्रिया-कलापों को अधिक महत्वपूर्ण समझा और मानवशक्ति में पूर्ण आस्था व्यक्त की थी। उनका मत था कि प्रकृति ने कोई ऐसा निश्चित मार्ग नहीं बना रखा है जिस पर चलने के लिए मनुष्य को बाध्य होना पड़े बल्कि प्रकृति मनुष्य के सम्मुख अनेक साधन तथा सम्भावनाएं प्रस्तुत करती है जिनका प्रयोग करने के लिए मनुष्य स्वतंत्र है।
ब्लाश के शब्दों में, ‘मनुष्य के लिए प्रकृति का स्थान एक सलाहकार से अधिक नहीं हो सकता।’ ब्लाश के मत का अनुसरण करते हुए ब्रूंश, डिमांजियां, ब्लांशार, डी मार्तोन आदि प्रमुख फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं ने अपनी रचनाओं में संभववाद का समर्थन तथा प्रचार किया।
पार्थिव एकता का सिद्धांत (Principle of Terrestrial Unity)
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) पार्थिव एकता या अंतर्सम्बन्धों के सिद्धांत को मानव भूगोल का प्रमुख सिद्धांत मानते थे। ब्लाश के अनुसार सभी भौगोलिक प्रगति में प्रमुख विचार पार्थिव एकता का है। उनके शब्दों में, “मानव भूगोल के तत्व पार्थिव एकता से सम्बंधित हैं और केवल उसी के माध्यम से उनकी व्याख्या की जा सकती हैं।” पार्थिव एकता एक सार्वभौमिक सत्य है जो प्रत्येक देश काल में विद्यमान होती है।
जिस प्रकार ब्रह्मांड में विभिन्न आकाशीय पिण्ड (नक्षत्र) एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षण के कारण संतुलित रहते हैं उसी प्रकार भूतल पर भी विविध प्रकार के भौगोलिक तथ्य एक-दूसरे से प्रभावित तथा सम्बंधित होते हैं। ब्रूश, डिमांजियाँ आदि फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता भी इसी सिद्धांत को मानते थे।
लघु प्रदेश या पेज की संकल्पना (Concept of Small Region or Pays)
वाइडल डी ला ब्लाश (Vidal de la Blache) प्रादेशिक आधार पर भौगोलिक अध्ययन को अधिक सार्थक और महत्वपूर्ण मानते थे। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन से फ्रांस में प्रादेशिक भूगोल पर अधिक संख्या में शोध प्रबंध और ग्रंथ लिखे गए। ब्लाश ने ‘पेज’ (Pays) संकल्पना को प्रतिपादित किया था।
‘पेज’ (Pays) संकल्पना के अनुसार लम्बे समय तक की विकास प्रक्रिया में एक समुदाय का उसके स्थानीय पर्यावरण (प्राकृतिक भूदृश्य) के साथ गहन सम्बंध विकसित हो जाता है और उनका अन्तर्सम्बन्ध इतना बढ़ जाता है कि एक की कल्पना दूसरे के बिना करना कठिन हो जाता है। इस प्रकार मानव बसाव वाले प्रत्येक क्षेत्र की अपनी पृथक् पहचान बन जाती है और उनका विशिष्ट व्यक्तित्व प्रकट होता है। अलग-अलग स्थानीय सामाजिक-सांस्कृतिक समूहों वाले ऐसे निवास क्षेत्रों को ब्लाश ने ‘पेज’ की संज्ञा प्रदान की है।
ब्लाश के अनुसार इस प्रकार की लघु क्षेत्रीय इकाइयों का सूक्ष्म विश्लेषण ही भौगोलिक अध्ययन का प्रमुख कार्य है। उनके विचार से भूगोल उन तत्वों के अध्ययन पर केन्द्रित है जो एक ही क्षेत्र साथ-साथ उपस्थित और क्रियाशील हैं तथा पारस्परिक संबंधों के आधार पर प्रत्येक क्षेत्र को पृथक् पहचान प्रदान करते हैं।
उन्होंने फ्रांस के ग्रामीण इलाको में अलग-अलग सांस्कृतिक लक्षणों वाली और मुख्यतः आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था वाली छोटी-छोटी क्षेत्रीय इकाइयों को पेज कहा है। ब्लाश के अनुसार भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय इकाइयों का अध्ययन भूगोल का केन्द्र बिन्दु हैं।
विशिष्ट जीवन पद्धति या जेनरे द वी’ (genere de vie)
ब्लाश का निश्चित मत था कि एक ही प्रकार के पर्यावरण में निरन्तर कई पीढ़ी तक रहता चला आ रहा मानव समुदाय अपने सामूहिक प्रयास से सामाजिक और आर्थिक जीवन की एक विशिष्ट और प्राय: अभिन्न अंग बन जाता। अद्वितीय जीवन पद्धति, संस्कार और मूल्य बोध विकसित कर लेता है जो इस समुदाय की मानसिकता का किसी क्षेत्र में लम्बे समय के दौरान विकसित होने वाली विशिष्ट जीवन पद्धति और मूल्य बोध की इसी सम्मिलित मानसिकता को ब्लाश ने ‘जेनरे द वी’ (genere de vie) की संज्ञा दी है।
ब्लाश अनुसार इस तथ्य का निर्धारण वंशानुगत गुण (संस्कृति) ही करते हैं कि किसी समुदाय द्वारा अपने क्षेत्रीय पर्यावरण में विद्यमान संसाधनों का उपयोग किस प्रकार और किस सीमा तक किया जायेगा। इस प्रकार ‘जेनरे द वी’ सांस्कृतिक भूदृश्य का परिचायक है जो किसी समुदाय या विशिष्ट सांस्कृतिक समूह परम्परा, दृष्टिकोण, लक्ष्य, संस्थाओं, प्रौद्योगिकी आदि के रूप में परिलक्षित होता है।
मानव भूगोल के तथ्य ( Facts of Human Geography)
वाइडल डी ला ब्लाश को आधुनिक फ्रांसीसी मानव भूगोल का संस्थापक माना जाता है। मरणोपरान्त प्रकाशित उनकी पुस्तक ‘मानव भूगोल के सिद्धांत’ (Principle de Geographie Humaine) में मानव भूगोल के तथ्यों को तीन मूल वर्गों में विभक्त किया गया है- (i) जनसंख्या, (2) सांस्कृतिक तत्व, और (3) यातायात के साधन । पुस्तक के अंत में परिशिष्ट के रूप में कुछ अन्य तथ्यों की विवेचना की गयी है। उसके अंतर्गत (i) प्रजातियों का निर्माण, (ii) आविष्कारों के प्रकार, (iv) मानव सभ्यता, और (v) नगरों के अध्ययन को सम्मिलित किया गया है।
फ्रांसीसी भूगोल पर ब्लाश का प्रभाव (Impact of Blache on French Geography)
वाइडल डी ला ब्लाश अत्यंत प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले विद्वान भूगोलवेत्ता थे जिनके द्वारा निर्देशित मार्ग पर फ्रांस में भौगोलिक चिन्तन की धारा लगभग 50 वर्षों तक अबाध गति से प्रवाहित होती रही। ब्लाश द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों, संकल्पनाओं और अध्ययन उपागमों को उनके शिष्यों तथा शिष्यों के शिष्यों ने सम्पूर्ण फ्रांस में फैला दिया और ब्लाश की विचारधारा फ्रांस की भौगोलिक विचारधारा का पर्याय बन गयी थी।
बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में फ्रांस के सभी विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थानों में भूगोल के प्रोफेसर और अध्यक्ष ब्लाश के शिष्य अथवा शिष्यों के शिष्य थे। गालो, ब्रूश, डिमाजियाँ, ब्लांशार, शोले (पाचोले, डी मार्तोन, बलिंग, डिफोने आदि सभी प्रमुख फ्रांसीसी भूगोलवेता ब्लाश के शिष्य और अनुयायी थे। उन सभी ने ब्लाश की विचारधारा का व्यापक प्रचार-प्रसार किया। ब्लाश के द्वारा अपनाई गई पार्थिव एकता की संकल्पना फ्रांसीसी भौगोलिक चिन्तन की केन्द्र बिन्दु बन गई और प्रायः सभी फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता संभववाद के समर्थक हो गए थे।
ब्लाश के अधिकांश शिष्य यथा ब्रूंश, डिमांजियाँ, ब्लांशार, डिफोते आदि मानव भूगोलवेत्ता थे जो प्रादेशिक विधि से मानवीय तथ्यों के अध्ययन में संलग्र रहे किन्तु ही मार्लोन जैसे कुछ भौतिक भूगोलवेत्ता भी थे जिन्होंने प्राकृतिक दृश्यों का प्रादेशिक अध्ययन किया था। वास्तव में, किसी भी देश-काल में कोई एक भूगोलवेत्ता इतना प्रभावशाली नहीं कि फ्रांस में वाइडल डी ला ब्लाश।
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