Search
Close this search box.

Share

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना

Estimated reading time: 7 minutes

यदि आप भूगोल विषय में B.A, M.A, UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPCS, या BPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना (Planetesimal Hypothesis) आपके लिए एक महत्वपूर्ण टॉपिक हो सकता है। यह परिकल्पना सौरमंडल की उत्पत्ति और विकास को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इस परिकल्पना के माध्यम से आप न केवल सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में जानेंगे, बल्कि यह भी समझ पाएंगे कि कैसे वैज्ञानिकों ने समय के साथ विभिन्न सिद्धांतों का विकास किया। इस लेख में, हम इस परिकल्पना के विभिन्न पहलुओं, इसके समर्थन में दिए गए तर्कों और इसके खिलाफ उठाई गई आपत्तियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्रस्तावना

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना का प्रतिपादन 1904 में शिकागो विश्वविद्यालय के दो प्रमुख वैज्ञानिकों, टी. सी. चेम्बरलेन और एफ. आर. मोल्टन ने किया था। इस परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की उत्पत्ति सूर्य के निकट एक तारे के आने से हुई है। यह एक द्वि-पितृ (Bi-parental) परिकल्पना है, जिसमें सौरमंडल की उत्पत्ति के लिए सूर्य और अन्य सितारे के योगदान को महत्व दिया गया है। इस परिकल्पना ने उस समय के वैज्ञानिक समुदाय में एक नई दिशा प्रदान की और सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में नई सोच को जन्म दिया।

परिकल्पना का विवरण

सूर्य में अत्यधिक तापमान के कारण सूर्य के तल से गैस और वाष्प की ऊँची-ऊँची लपटें उठती थीं, जिन्हें सौर-ज्वालाओं (prominences) का नाम दिया गया। चेम्बरलेन और मोल्टन के अनुसार, उस समय भ्रमण करता हुआ एक तारा सूर्य के निकट आ गया। उसने अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा सूर्य की सौर-ज्वालाओं की गैस और वाष्प को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। सूर्य से पदार्थ जेट के रूप में निकला और उसके घनीभूत होने पर छोटे-छोटे ग्रहाणुओं (planetesimal) की उत्पत्ति हुई। धीरे-धीरे बड़े आकार के केन्द्रक (Nuclei) विकसित हो गए और ग्रहों का निर्माण हुआ। इस प्रक्रिया में लाखों वर्षों का समय लगा और अंततः सौरमंडल का निर्माण हुआ।

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति

पृथ्वी की प्रारंभिक अवस्था

इस परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की प्रारंभिक अवस्था ठोस और ठंडी थी क्योंकि इसकी रचना ठोस और ठंडे ग्रहाणुओं से हुई थी। ग्रहाणुओं के जमाव से पृथ्वी का आकार बढ़ता गया और यह वर्तमान अवस्था को प्राप्त हुई। इसके आंतरिक भाग में उष्मा ग्रहाणुओं के आपस में टकराने और संपीडन से उत्पन्न हुई। यह उष्मा पृथ्वी के आंतरिक भाग को गर्म करती रही और धीरे-धीरे पृथ्वी की सतह पर भी इसका प्रभाव पड़ा। इस प्रकार, पृथ्वी की प्रारंभिक अवस्था और उसकी विकास प्रक्रिया को समझने में यह परिकल्पना महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

परिकल्पना की विवेचना

  1. ग्रहों की रचना: भ्रमण करते हुए तारे की आकर्षण शक्ति से सूर्य से थोड़ा-सा पदार्थ अलग हुआ जिससे ग्रहों की रचना हुई। गणना से पता चला है कि सभी ग्रहों की संहति सौरमंडल की संहति का 1/700 भाग ही है, जो इस सिद्धांत के अनुकूल है। यह तथ्य इस परिकल्पना को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत बनाता है और इसे अन्य परिकल्पनाओं से अलग करता है।
  2. पृथ्वी की उत्पत्ति: पृथ्वी की उत्पत्ति की प्रक्रिया उसकी रचना के अनुकूल प्रतीत होती है। इस परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की रचना ठोस और ठंडे ग्रहाणुओं से हुई थी, जो इसे अन्य परिकल्पनाओं से अलग बनाती है।
  3. नीहारिका के शीतल होने का अभाव: इस परिकल्पना में नीहारिका के शीतल होने की बात को नहीं माना गया, अतः यह नीहारिका के शीतल होने के दोषों से मुक्त है। यह परिकल्पना सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है और इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाती है।

परिकल्पना पर आपत्तियां

  1. पदार्थ की मात्रा: सूर्य से थोड़ी-सी मात्रा में अलग हुए पदार्थ से इतने बड़े-बड़े ग्रहों की रचना संभव नहीं है। यह परिकल्पना इस तथ्य को स्पष्ट नहीं कर पाती कि कैसे इतने बड़े ग्रहों की रचना हो सकती है।
  2. ग्रहाणुओं की वृद्धि: ग्रहाणुओं के आपस में टकराने से उनकी वृद्धि मानी गई है, जो असंभव है क्योंकि ग्रहाणुओं को आपस में टकराकर गैस बन जाना चाहिए। यह परिकल्पना इस प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं कर पाती।
  3. पृथ्वी की अवस्था: इस परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी सदा ठोस अवस्था में रही, जबकि कई प्रमाण मिलते हैं कि पृथ्वी आरम्भ में गैस, फिर तरल और अंत में ठोस अवस्था में आई। यह परिकल्पना इन प्रमाणों को स्पष्ट नहीं कर पाती।
  4. ग्रहाणुओं का टकराना: ग्रहाणुओं का टकराकर इक्ट्ठा हो जाना असंभव है, टकराने पर ग्रहाणुओं को गैस में परिवर्तित हो जाना चाहिए। यह परिकल्पना इस प्रक्रिया को स्पष्ट नहीं कर पाती।
  5. कोणीय संवेग: यह परिकल्पना मानती है कि ग्रहों की रचना सूर्य से अलग हुए पदार्थ द्वारा हुई, लेकिन उनका कोणीय संवेग सूर्य की तुलना में काफी अधिक है, जो इस परिकल्पना के विपरीत है। यह परिकल्पना इस तथ्य को स्पष्ट नहीं कर पाती।

निष्कर्ष

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना ने सौरमंडल की उत्पत्ति के लिए एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं। यह परिकल्पना आज भी वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है और सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में नई सोच को प्रेरित करती है। इस परिकल्पना ने वैज्ञानिक समुदाय को सौरमंडल की उत्पत्ति के बारे में नए दृष्टिकोण और विचारों को विकसित करने के लिए प्रेरित किया है।

Test Your Knowledge with MCQs

प्रश्न 1: चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना का प्रतिपादन किस वर्ष किया गया था?

a) 1900
b) 1904
c) 1910
d) 1920

प्रश्न 2: चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की उत्पत्ति किसके सूर्य के निकट आने से हुई?

a) एक धूमकेतु
b) एक तारा
c) एक ग्रह
d) एक नीहारिका

प्रश्न 3: ग्रहाणु परिकल्पना में सूर्य से निकली गैस और वाष्प की लपटों को क्या कहा जाता है?

a) सौर-ज्वालाएं
b) सौर-लहरें
c) सौर-धूमकेतु
d) सौर-ग्रहण

प्रश्न 4: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की प्रारंभिक अवस्था कैसी थी?

a) गर्म और तरल
b) ठोस और ठंडी
c) गैसीय
d) तरल और ठंडी

प्रश्न 5: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों की रचना किस प्रकार के पदार्थ से हुई?

a) ठोस ग्रहाणु
b) गैसीय ग्रहाणु
c) तरल ग्रहाणु
d) धूमकेतु

प्रश्न 6: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों की रचना के लिए कौन से दो तत्व महत्वपूर्ण थे?

a) सूर्य और चंद्रमा
b) सूर्य और तारा
c) तारा और ग्रह
d) ग्रह और धूमकेतु

प्रश्न 7: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों की रचना के लिए पदार्थ किस रूप में निकला?

a) जेट
b) लहर
c) धूमकेतु
d) ग्रहण

प्रश्न 8: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, पृथ्वी की आंतरिक उष्मा किससे उत्पन्न हुई?

a) ग्रहाणुओं के टकराने से
b) सूर्य की गर्मी से
c) तारे की गर्मी से
d) नीहारिका के शीतल होने से

प्रश्न 9: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों की संहति सौरमंडल की संहति का कितना भाग है?

a) 1/100
b) 1/500
c) 1/700
d) 1/1000

प्रश्न 10: ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों का कोणीय संवेग किसकी तुलना में अधिक है?

a) सूर्य
b) चंद्रमा
c) तारा
d) धूमकेतु

उत्तर:

  1. b) 1904
  2. b) एक तारा
  3. a) सौर-ज्वालाएं
  4. b) ठोस और ठंडी
  5. a) ठोस ग्रहाणु
  6. b) सूर्य और तारा
  7. a) जेट
  8. a) ग्रहाणुओं के टकराने से
  9. c) 1/700
  10. a) सूर्य

FAQs

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना क्या है?

चेम्बरलेन और मोल्टन की ग्रहाणु परिकल्पना 1904 में प्रस्तुत की गई थी। इसके अनुसार, पृथ्वी और अन्य ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य के निकट एक तारे के आने से हुई। इस प्रक्रिया में सूर्य से गैस और वाष्प की लपटें उठीं, जो घनीभूत होकर छोटे-छोटे ग्रहाणुओं में बदल गईं। इन ग्रहाणुओं के जमाव से ग्रहों का निर्माण हुआ।

ग्रहाणु परिकल्पना में सौर-ज्वालाएं क्या हैं?

सौर-ज्वालाएं (prominences) सूर्य के तल से उठने वाली गैस और वाष्प की ऊँची-ऊँची लपटें हैं। ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, भ्रमण करता हुआ एक तारा सूर्य के निकट आकर इन सौर-ज्वालाओं की गैस और वाष्प को अपनी ओर आकर्षित करता है, जिससे ग्रहाणुओं की उत्पत्ति होती है।

ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, ग्रहों की संहति सौरमंडल की संहति का कितना भाग है?

ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार, सभी ग्रहों की संहति सौरमंडल की संहति का 1/700 भाग है। यह तथ्य इस परिकल्पना के अनुकूल है और इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मजबूत बनाता है।

You Might Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Category

Realated Articles