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इस लेख में आप अविख्यात फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं (French Geographer) लूसियन गालो,पियरे डिफोतें,मैक्सीमिलें सोरे,जीन गाटमैन,एण्ड्री सीगफ्रीड,जेक्विस अन्सेल के बारे में जानेंगे।
अविख्यात फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता (Noted French Geographer)
लूसियन गालो (Lucien Gallois)
- लूसियन गालो (1857-1941) ब्लाश के शिष्य और प्रमुख फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता थे।
- ब्लाश की मृत्यु (1918) के पश्चात् सारबोन विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर पद पर गालो की नियुक्ति की गई थी।
- 1890 में उन्होंने अपना शोध ग्रंथ ‘पुनर्जागरण कालीन भूगोल’ (Les Geographie Alle Monds de la Renaissance) प्रकाशित किया था।
- लूसियन गालो ने वार्षिक भौगोलिक पत्रिका (Annales de Geographie) के प्रकाशन में 1890 से ही ब्लाश के सहयोगी के रूप में कार्य किया था।
- प्रथम विश्व युद्ध की अवधि (1914-18) में उन्होंने सार बेसिन, उत्तरी-पूर्वी फ्रांस, मध्य यूनान, सालोनिका और स्वेज का भौगोलिक अध्ययन किया था।
- ब्लाश की मृत्यु के पश्चात् गालो ने उनके द्वारा संस्थापित भौगोलिक पत्रिका ‘ज्योग्राफी यूनिवर्सल’ (Geographie Universale) के सम्पादन का कार्य किया और फ्रांसीसी भूगोल का मार्गदर्शन किया।
- डी मार्तोन ने लिखा है कि फ्रांसीसी भौगोलिक विचार धारा के विकास में गालो ने उत्कृष्ट योगदान दिया है।
- गालो के उत्कृष्ट कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिकी ज्योग्राफिकल सोसाइटी ने 1926 में उन्हें ‘कुलेम पदक’ (Cullem medal) प्रदान किया था।
- राजनीतिक भूगोल के प्रमुख व्याख्याता गालो की दो प्रमुख पुस्तकें हैं-
- (i) पुनर्जागरण कालीन भूगोल (Les Geographie Alle Monds de la Renaissance, 1890), (ii) पेज प्राकृतिक प्रदेश (Régions Naturelles noms de Pays, 1908)
पियरे डिफोतें (Pierre Defontaines)
- पियरे डिफातें ब्रूंश के घनिष्ट मित्र और फ्रांस के प्रमुख मानव भूगलवेत्ता थे।
- उन्होंने गालो, डी मार्तोन और ब्रूंश जैसे महान विद्वानों से शिक्षा प्राप्त की थी।
- उन्होंने 1918 में विधि में डाक्ट्रेट की उपाधि प्राप्त की और उसी वर्ष उनका सम्पर्क ब्रूंश से हुआ। ब्रूंश के विचारों और कार्यों से प्रभावित होकर डिफोतें मानव भूगोल के अध्ययन की ओर प्रवृत्त हो गए और आगे चलकर भूगोल में अनेक महत्वपूर्ण अध्ययन किए।
- पियरे डिफातें ने 1921 में एक डिप्लोमा के लिए ‘लिमोसिन का प्रागैतिहासिक भूगोल’ (Prehistoric Geography of Limousin) शीर्षक से शोध प्रबंध प्रस्तुत किया था।
- उन्होंने सारबोन विश्वविद्यालय से 1932 में ‘मध्य गैरोन’ विषय पर शोध ग्रंथ प्रस्तुत करके डाक्ट्रेट (पी. एचडी.) की उपाधि प्राप्त की थी।
- डिफोते ‘फ्रांस का मानव भूगोल’ के दूसरे खण्ड को तैयार करने में ब्रूंश के सहलेखक भी थे।
- उनका मुख्य योगदान मानव भूगोल के सैद्धांतिक विवेचन से सम्बन्धित है। उन्होंने मानव भूगोल के अध्ययन दो वर्गों में विभक्त किया है-
- (1) मनुष्य का पर्यावरण से संघर्ष
- (2) पारस्परिक अंतःक्रिया से उत्पन्न प्रतिफलों की व्याख्या जिसके अंतर्गत उनका वर्गीकरण और सीमांकन सम्मिलित होता है।
- डिफोंतें सम्भववाद के समर्थक थे तथा मानवीय कार्य-कलापों को अधिक महत्व प्रदान करते थे।
मैक्सीमिलें सोरे (Maximelien Sorre)
- मैक्सीमिलें सोरे (1880-1963) ने 1913 में भूमध्यसागरीय पिरेनीज़ पर अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया था।
- उन्होंने पहले लिले विश्वविद्यालय में और फिर पेरिस विश्वविद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर के पद पर कार्य किया।
- ‘मानव भूगोल के आधार’ (Foundations of Human Geography) उनकी सबसे महत्वपूर्ण और चिरसम्मत (classical) पुस्तक है जो चार खण्डों में 1941 से 1952 के मध्य प्रकाशित हुई थी।
- प्रथम खण्ड में मानव-पर्यावरण सम्बंधों तथा पालतू पशुओं और खेतिहर पौधों का; द्वितीय खण्ड में मानव बसाव, यातायात के साधनों तथा सामाजिक-आर्थिक तथ्यों का; तृतीय खण्ड में उद्योग धंधों के उत्पादन का; और चतुर्थ खण्ड में ग्रामीण तथा नगरीय आवासों (habitat) की विस्तृत व्याख्या तकनीकी आधारों पर की गई है।
- आधुनिक फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं में मैक्सीमिलें सोरे का अध्ययन सर्वाधिक वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। इस प्रकार मैक्सीमिलें सोरे ने मानव भूगोल को आधुनिकतम स्वरूप प्रदान करने में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
जीन गाटमैन (Jean Gottmann)
- जीन गाटमैन का जन्म 1915 में फ्रांस में हुआ था। वे फ्रांस के अग्रणी भूगोलवेत्ताओं में से हैं जिन्होंने अपने शोधपत्रों तथा पुस्तकों को अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया।
- गाटमैन डिमांजियाँ और डी मार्तोन के शिष्य और फ्रांस प्रमुख नगरीय भूगोलवेत्ता थे।
- उन्होंने फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन, अध्यापन और शोध कार्य किया था।
- गाटमैन ने मानव भूगोल के सैद्धांतिक पक्षों से सम्बंधित कई विद्वतापूर्ण लेख लिखे जो फ्रांसीसी तथा अमेरीकी शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
- उन्होंने ब्लाश, ब्रूंश, डिमांजियां, ब्लॉशर आदि फ्रांसीसी भूगोलवेत्ताओं के कार्यों की समीक्षा की और फ्रांसीसी भौगोलिक विचारधारा को अंग्रेजी भाषी लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया।
- ‘मेगालोपोलिस’ (Megalopolis) और ‘मध्य शताब्दी की वर्जीनिया’ (Verginia of Mid Century), उनके प्रसिद्ध लेख हैं जो अमेरिकी शोध पत्रिकाओं में क्रमशः 1954 और 1955 में प्रकाशित हुए थे।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्तरी-पूर्वी तट पर बोस्टन के कुछ उत्तर से लेकर वाशिंगटन के कुछ दक्षिण तक लगभग 1000 किमी. की लम्बाई में विस्तृत सतत नगरीकृत क्षेत्र के लिए जीन गाटमैन ने ‘मेगालोपोलिस’ शब्दावली का प्रयोग किया। नगरीय भूगोल में इसे जीन गाटमैन का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है।
- उन्होंने यूरोप महाद्वीप के नगरों का अध्ययन 1962 में प्रकाशित किया था। उन्होंने 1966 में ‘अधिकृत भूमि का नियोजन’ ‘(Planning of Occupied Land) नामक शोध शृंखला को भी प्रकाशित किया।
एण्ड्री सीगफ्रीड
- एण्ड्री सीगफ्रीड फ्रांस के प्रमुख राजनीतिक भूगोलवेत्ता थे जिन्हें निर्वाचन भूगोल (Electroral geography) का जनक माना जाता है।
- उन्होंने फ्रांस के राजनीतिक दलों तथा निर्वाचन के विभिन्न भौगोलिक पक्षों का अध्ययन किया था। इनके लेख फ्रांस की प्रतिष्ठित भौगोलिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे।
- 1945 में वे फ्रेंच अकादमी के सदस्य चुने गए थे।
- सीगफ्रीड ने 10 पुस्तकें प्रकाशित की थी जिनमें ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लैटिन अमेरिका, न्यूजीलैण्ड, स्वेज नहर, पनामा नहर तथा भूमध्य सागर पर लिखी गई पुस्तकें अधिक महत्वपूर्ण हैं।
जेक्विस अन्सेल (Jacques Ancel)
- जेक्विस अन्सेल फ्रांस के प्रमुख राजनीतिक भूगोलवेत्ता थे।
- उन्होंने ‘यूरोप के राजनीतिक भूगोल’ (Manual Geographique de Politique Europeene ) को तीन खण्डों में क्रमशः 1936, 1940 और 1945 में प्रकाशित किया था।
- उन्होंने 1936 में भूराजनीति या ‘जिओपालिटिक’ (Geopolitique) नामक पुस्तक प्रकाशित किया था।
- वे जर्मन विद्वान हाशोफर की भूराजनीतिक विचारधारा के प्रबल विरोधी और आलोचक थे।
- उनकी प्रमुख पुस्तकें इस प्रकार हैं-
- यूरोप का राजनीतिक भूगोल (Manual Geographique de Politique Europeene), 1936-45
- बालकन का जनसंख्या भूगोल (Population Geography of Balkan), 1930
- भूराजनीति या जिओपालिटिक’ (Geopolitique), 1936
- सीमांत क्षेत्रों का भूगोल (Geography of Frontiers), 1938