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रोमन काल में भौगोलिक अध्ययन के प्रमुख पक्ष (Major Aspects of Geographical Study in Roman Period)
रोमन काल में भूगोलवेत्ताओं का प्रमुख योगदान ऐतिहासिक भूगोल, प्रादेशिक भूगोल, गणितीय भूगोल रोमन तथा मानचित्र कला के क्षेत्र में रहा। हालांकि रोमन काल के प्रादेशिक वर्णनों में भौतिक तथ्यों के वर्णन भी मिलते हैं लेकिन भौतिक भूगोल में रोमन विद्वानों का योगदान बहुत अधिक नहीं था। इस प्रकार रोमनकाल में भौगोलिक अध्ययन के प्रमुख पक्षों का वर्णन निम्नलिखित है
ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography)
ऐतिहासिक भूगोल के विकास में स्ट्रैबो का योगदान अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वे ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन भौगोलिक परिस्थितियों से सम्बद्ध करके करते थे। उन्होंने अपने भौगोलिक वर्णन में यह स्पष्ट किया था कि यूरोप की समशीतोष्ण जलवायु के परिणामस्वरूप वहाँ के लोग परिश्रमी, कुशल शासक, सैनिक और अनुशासित होते हैं।
प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography)
स्ट्रैबो और टालमी दोनों को महान प्रादेशिक भूगोलवेत्ता माना जाता है। स्ट्रैबो ने अपने ‘भौगोलिक विश्वकोश’ में यूरोप (यूनान, इटली, स्पेन), एशिया (भारत, सीरिया, अरब, मेसोपोटामिया, एशिया माइन, फारस) तथा अफ्रीका (नीलघाटी, लीबिया) के अनेक देशों का प्रादेशिक भूगोल लिखा था। टालमी ने अपनी ग्रंथमाला ‘ज्योग्रफिया’ में यूरोप, एशिया और अफ्रीका के ज्ञात भूभागों का प्रादेशिक भूगोल लिखा है। उन्होंने यूरोपीय देशों इटली, फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल, मध्य यूरोप आदि यूरोपीय देशों तथा भारत, चीन, मध्य एशिया तथा समीपवर्ती एशियाई देशों की विशेषताओं का वर्णन किया है।
गणितीय भूगोल और मानचित्रकला (Mathematical Geography and Cartography)
स्ट्रैबो ने पृथ्वी को 360 अंशों में विभाजित किया और प्रत्येक अंश के मध्य की दूरी लगभग 700 स्टेडिया (70 मील) निर्धारित की थी जो वास्तविकता के निकट थी। टालमी ने गणितीय भूगोल में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उसके पहले निर्मित कई प्रक्षेपों में सुधार किया तथा प्रक्षेपों की निर्माण विधियों का वर्णन किया । टालमी ने अपने विश्व मानचित्र के लिए संशोधित शंक्वाकार प्रक्षेप की रचना की और ज्ञात सूचनाओं के आधार पर अक्षांश और देशांतर रेखाओं को निर्धारित करके विश्व का मानचित्र बनाया।
उन्होंने विश्व के विभिन्न क्षेत्रों के मानचित्र निर्माण के लिए मानचित्र निर्माण की विधियों का विवरण अपने ग्रंथों में दिया है। टालमी ने उस समय रोमन साम्राज्य के अंतर्गत सम्मिलित क्षेत्रों का और ज्ञात भागों के समुद्री मार्गों का भी मानचित्र तैयार किया था। टालमी की मानचित्र कला और मानचित्रों को पंद्रहवीं शताब्दी तक व्यापक प्रतिष्ठा प्राप्त थी।
खगोलीय भूगोल (Astronomical Geography)
खगोलीय भूगोल में यद्यपि स्ट्रैबो का योगदान बहुत कम रहा किन्तु टालमी ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ब्रह्माण्ड में नक्षत्रों का वेध करने के पश्चात् 1022 नक्षत्रों की सूची बनाई थी। उन्होंने पृथ्वी को ब्रह्मांड के मध्य में बताया था और विचार व्यक्त किया था कि सभी आकाशीय पिण्ड पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। यह मत यूरोप में पंद्रहवीं शताब्दी तक मान्य था किन्तु बाद में यह मत असत्य सिद्ध हो गया।
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