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पुनर्जागरण काल के भूगोलवेत्ता (Geographers of Renaissance Period)

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पुनर्जागरण काल के भूगोलवेत्ता (Geographers of Renaissance Period)

पीटर एपियन (Peter Apian)

  • पीटर एपियन (1405-1552) एक मानचित्रकार थे जिन्होंने 1530 में निर्मित अपने मानचित्र में पृथ्वी को पान के पत्ते की आकृति में या हृदयाकार (heart shape) दिखाया था। 
  • इस मानचित्र में अक्षांश और देशांतर रेखाओं को वक्राकार दिखाया गया था। इस पर एक ही गोलार्द्ध प्रदर्शित किया जा सकता था और दूरियां तथा दिशा दोनों अशुद्ध थीं। 
  • एपियन के प्रक्षेप का महत्व इस संदर्भ में अधिक है कि उसने सही समय पर सही दिशा में पथ प्रदर्शन किया था। 

गरहार्ड मरकेटर (Gerhard Mercator)

  • मरकेटर सोलवीं शताब्दी का महान मानचित्रकार था। 
  • उन्होंने 1538 में उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्धो के लिए अलग-अलग मानचित्र बनाकर सम्पूर्ण पृथ्वी का मानचित्र तैयार किया था। 
  • मरकेटर को वास्तविक ख्याति उसके द्वारा 1569 में निर्मित शुद्ध आकृति बेलनाकार प्रक्षेप से हुई। उसी के नाम पर यह प्रक्षेप मरकेटर प्रक्षेप के नाम से जाना जाता है। 
  • मरकेटर प्रक्षेप पर सम्पूर्ण पृथ्वी के मानचित्र को समानांतर खींची गयी अक्षांश-देशांतर रेखाओं के जाल पर प्रदर्शित किया जाता है। शुद्ध दिशा प्रक्षेप (True bearing projection) होने के कारण यह जलयान चालकों या नाविकों के लिए विशेष उपयोगी है। 

सेबस्टियन मुस्टर (Sebastian Muster)

  • जर्मन विद्वान सेबस्टियन मुस्टर (1489-1552) पुनर्जागरण काल के विश्व भूगोल का प्रथम लेखक था।
  • उन्होंने 120 सहयोगी लेखकों के योगदान से छः खण्डों में एक पुस्तक प्रकाशित (1544) की थी; जिसका नाम ‘विश्व भूगोल’ (Cosmography Universal) था। 
  • पुस्तक के सभी खण्डों का प्रकाशन लगभग 18 वर्षों में सम्पन्न हुआ था। पुस्तक के प्रथम खण्ड में समकालीन विश्व भूगोल का संक्षिप्त परिचय है और शेष पांच खण्डों में विश्व के विभिन्न प्रदेशों का विस्तृत भौगोलिक वर्णन है। यह पुस्तक कई दशाब्दियों तक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ के रूप में प्रतिष्ठित रही। 
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फिलिप क्लूवेरियस (Philip Cluverius)

  • जर्मन लेखक क्लूवेरियस युवावस्था में 12 वर्षों तक (1601-13) जर्मनी के बाहर भ्रमण और सैनिक अभियान में लगा रहा। उसने पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा पश्चिमी द्वीप समूह की यात्रा की थी। 
  • क्लूवेरियस 1615 से 1622 (मृत्यु) तक भूगोल सम्बंधी लेखन कार्य करता रहा। 
  • क्लूवेरियस ने ‘विश्व भूगोल का परिचय’ (An Introduction to Universal Geography) नामक ग्रंथ लैटिन भाषा में लिखा था जो छः खण्डों में 1616 से लेकर 1624 तक प्रकाशित हुआ था। इसका अंतिम (छठां) अंक उसकी मृत्यु (1622) के पश्चात् 1624 में प्रकाशित हुआ था। 
  • प्रथम खण्ड में पृथ्वी का सामान्य विवरण तथा शेष पाँच खण्डों में यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया और अन्य प्रदेशों का भौगोलिक विवरण दिया गया है। 

नथैनियल कार्पेन्टर (N. Carpenter)

  • आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कार्यरत ब्रिटिश भूगोलवेत्ता नथैनियल कार्पेन्टर (1589-1628) द्वारा लिखित अंग्रेजी भाषा में विश्व भूगोल पर प्रथम पुस्तक 1625 में प्रकाशित हुई थी। 
  • कार्पेन्टर जर्मन भूगोलवेत्ता क्लूवेरियस का समकालीन और उससे प्रभावित था। 

बर्नहार्ड वारेनियस (Bernhard Varenius)

  • सत्रहवीं शताब्दी के महान भूगोलवेत्ता वारेनियस (1622-1650 ई०) का जन्म हेम्बर्ग के समीप एल्ब नदी के तट पर स्थित हिजेकर नगर में हुआ था। 
  • उन्होंने हेम्बर्ग विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र, भौतिकी, गणित और जीव विज्ञान में शिक्षा प्राप्त की थी। 
  • वारेनियस ने 1649 में ‘जापान और स्याम का भौगोलिक वर्णन’ (Description Regni Japoniae it Siam) नामक पुस्तक प्रकाशित किया। 
  • वारेनियस की दूसरी पुस्तक ‘सामान्य भूगोल’ (Geographia Generalis) 1650 में प्रकाशित हुई। उसने भूगोल को दो वर्गों में विभाजित किया- (1) क्रमबद्ध भूगोल (Systematic geography), और (2) विशिष्ट या प्रादेशिक भूगोल (Special or Regional geography)। 
  • वारेनियस प्रथम भूगोलवेत्ता था जिसने क्रमवद्ध भूगोल और प्रादेशिक भूगोल के द्विधात्व (dichotomy) की नींव रखी थी। 
  • उसके अनुसार सामान्य भूगोल में विषय के सिद्धान्तों तथा नियमों की और प्रादेशिक भूगोल में विभिन्न प्रदेशों के विशिष्ट स्वरूपों का वर्णन किया जाता है।
  • सामान्य भूगोल में विश्व को एक इकाई मानकर उसकी भौगोलिक दशाओं का अध्ययन किया जाता है जबकि प्रादेशिक (विशिष्ट) भूगोल में विश्व के प्रदेशों तथा विशिष्ट देशों का वर्णन किया जाता है। 
  • वारेनियस ने सामान्य भूगोल को निम्नांकित 3 भागों में विभक्त किया है :
    • निरपेक्ष भाग (Absolute part) – यह पार्थिव भाग है जिसमें पृथ्वी के आकार एवं आकृति, महाद्वीपों, महासागरों और वायुमंडल का वर्णन सम्मिलित होता है।
    • सापेक्षिक भाग (Relative part ) – यह ग्रहीय भाग है जिसके अंतर्गत पृथ्वी का अन्य आकाशीय पिण्डों (ग्रहों) तथा सूर्य से सम्बंध और विश्व जलवायु पर उसके प्रभाव की व्याख्या की जाती है।
    • तुलनात्मक भाग (Comparative part)- इसमें पृथ्वी का सामान्य वर्णन, भूतल पर स्थानों की सापेक्ष स्थिति और नौसंचालन के सिद्धांतों का वर्णन सम्मिलित होता है। 
  • वारेनियस के विचार से भूगोल के अंतर्गत भूतल की स्थलाकृतियों, जलवायु, जलाशयों, वनों, मरुस्थलों, खनिज पदार्थों, पशुओं और मानव बस्तियों का अध्ययन किया जाता है। 
  • उन्होंने सांस्कृतिक भूदृश्य को मानवीय प्रभाव का परिणाम बताते हुए इसके अंतर्गत निवासियों, उनकी प्रकृति, भाषा, धर्म, कला, संस्कृति, व्यापार, नगर और शासन के वर्णन को सम्मिलित करने पर बल दिया था। 
  • वारेनियस प्रथम भूगोलवेत्ता था जिसने बताया कि पृथ्वी पर अधिकतम तापमान भूमध्यरेखीय पेटी में नहीं बल्कि अयन रेखाओं (कर्क और मकर रेखाओं) के समीप स्थित मरुस्थलीय भागों में पाया जाता है। इस प्रकार बारेनियस को सत्रहवीं शताब्दी तक का श्रेष्ठतम भूगोलवेत्ता माना जाता है।
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