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एलिसी रेकलस का भूगोल में योगदान (Elisee Reclus’s Contribution to Geography)
- एलिसी रेकलस (Elisee Reclus) (1830-1905) फ्रांस के आरंभिक भूगोलवेत्ता थे जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
- एलिसी रेकलस (Elisee Reclus) जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर के शिष्य और उनके अनुयायी थे।
- उन्होंने फ्रांसीसी भाषा में ‘ला टेरे’ (La Terre) नामक भौतिक भूगोल की पुस्तक लिखी थी जिसका प्रकाशन 1867 में हुआ था।
- एलिसी रेकलस (Elisee Reclus) ने ‘विश्व का नवीन भूगोल’ (नावेली ज्योग्राफी यूनिवर्सल) नामक ग्रंथमाला को प्रकाशित किया था। इस ग्रंथमाला के 19 ग्रंथ 1875 से लेकर 1894 तक के बीस वर्षों में प्रकाशित हुए थे।
- उन्होंने ने रिटर की ग्रंथमाला ‘अर्डकुण्डे’ की प्रादेशिक विधि का अनुकरण किया और ‘विश्व का नवीन भूगोल’ ग्रंथमाला में वैज्ञानिक विवरणों को सुरुचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया। इसमें भौगोलिक तथ्यों को स्पष्ट करने के उद्देश्य से अनेक रंग-बिरंगे मानचित्र भी प्रदर्शित किए गए थे।
- एलिसी रेकलस (Elisee Reclus) के ग्रंथों का प्रभाव फ्रांस के अतिरिक्त ब्रिटेन तथा अन्य यूरोपीय देशों के भूगोलवेत्ताओं पर भी पड़ा।
- उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में ‘पृथ्वी और उसके निवासी’ (L Homme et la terre) नामक पुस्तक लिखी थी जो उनकी मृत्यु के पश्चात् (1908) प्रकाशित हो सकी थी। सामाजिक भूगोल की इस पुस्तक में पृथ्वी पर मानव जाति के ऐतिहासिक विकास और उसके संसाधनों का वर्णन किया गया है।
- एलिसी रेकलस (Elisee Reclus) आदर्शवादी थे और राजनीतिक विचाराधारा से जुड़े थे। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन सामाजिक न्याय और सामाजिक परिस्थितियों को समर्पित कर दिया था।
- राजनीतिक और सामाजिक अराजकतावादी कार्यकलापों के कारण रेकलस अपनी युवावस्था में जेल गए और उन्हें देश निकाला की सजा भी भुगतनी पड़ी थी।
- रेकलस (Elisee Reclus) कभी भी फ्रांस के किसी विश्वविद्यालय में भूगोल के विभाग के शैक्षिक पद पर नहीं रहे और अपनी जीविका अपने लेखन कार्य से अर्जित करते थे।
- उन्होंने अपनी पुस्तक ‘पृथ्वी और उसके निवासी’ में स्वीकार किया है कि मानव पर्यावरण की उपज नहीं है बल्कि वह उसका एक महत्वपूर्ण भाग है। इस प्रकार वे सम्भववाद के समर्थक थे।
- उन्होंने मानव प्रकृति सम्बंधों की सत्य आधारित व्याख्या वैज्ञानिक ढंग से की है। किसी विश्वविद्यालय के प्रभावशाली पद पर न होने के कारण शैक्षिक भूगोल के विकास पर रेकलस का प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा यद्यपि उनका योगदान कम महत्वपूर्ण नहीं था।
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