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अवस्थिति एवं स्थिति (Location and Situation)
अवस्थिति (Location)
अवस्थिति से अभिप्राय है कि कोई वस्तु, स्थान या घटना पृथ्वी के तल पर कहाँ स्थित है। भौगोलिक अध्ययन में स्थिति का ज्ञान आवश्यक होता है। इसको धरातल पर स्थित किसी ऐसे बिन्दु, भूभाग या स्थिति के रूप में देखा जाता है जहाँ कोई तथ्य, घटना या जीव स्थित होता है। किसी देश या प्रदेश की स्थिति का उसकी जलवायु, वनस्पति, कृषि, उद्योग, व्यापार, मानव जीवन, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक दशा पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।
अवस्थिति (Location) या स्थिति (situation) के प्रकार
अवस्थिति (Location) या स्थिति (situation) मुख्यतः तीन प्रकार की होती है, जिनका संक्षिप्त वर्णन नीचे किया जा रहा है:
ज्यामितीय स्थिति (Geometrical Location)
किसी स्थान की ग्लोब पर स्थिति जिसे अक्षांश तथा देशांतर रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है उसे उसकी ज्यामितीय स्थिति कहते हैं। किसी स्थान की देशांतरीय स्थिति का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव नहीं होता है यद्यपि सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का निर्धारण देशांतर के द्वारा ही होता है। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है; अतः 180° देशांतर (अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा) से प्रति देशांतर पश्चिम की ओर सूर्योदय 4 मिनट देर से होता है। अतः ग्रीनविच माध्य समय में प्रति 15° देशांतर पर 1 घंटा का अंतर पाया जाता है। स्थानीय समय (Local Time) ग्रीनविच रेखा (शून्य अंश देशांतर) से पूर्व की ओर प्रति देशांतर 4 मिनट की दर से बढ़ता है और पश्चिम की ओर इसी दर से घटता है।
किसी स्थान या क्षेत्र की अक्षांशीय स्थिति का प्रभाव अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। भूमध्य रेखा बृहत्तम अक्षांश वृत्त होती है जिसका मान शून्य अंश अक्षांश होता है। इससे उत्तर और दक्षिण में अक्षांश वृत्त क्रमशः छोटे होते जाते हैं और ध्रुव को बिन्दु द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिसका अक्षांशीय मान 90° होता है। भूमध्य रेखा से दूरी बढ़ने के साथ-साथ तापमान क्रमशः घटता जाता है। भूमध्य रेखा से दूरी बढ़ने पर ग्रीष्म में दिन की अवधि बढ़ती जाती है और शीत ऋतु में कम होती जाती है।
भूमध्य रेखा के समीपवर्ती भागों में तापमान ऊँचा रहता है तथा वर्षपर्यन्त मौसम प्रायः एक सा रहता है और वर्षा भी अधिक होती है। इसके विपरीत उच्च अक्षांशों में निम्न तापमान पाया जाता है और ध्रुवीय प्रदेश अत्यंत शीतल होने के कारण सदैव हिमाच्छादित रहते हैं। इस प्रकार किसी प्रदेश की जलवायु के निर्धारण में अक्षांशीय स्थिति सर्वप्रमुख और नियंत्रक कारक है।
जलवायु के अनुसार ही पशु तथा वनस्पति जगत् का निर्धारण होता है। इन सभी का प्रत्यक्ष सम्बंध मानवीय क्रियाओं से है। यही कारण है कि किसी स्थान या प्रदेश की अक्षांशीय स्थिति से उसकी जलवायु, वनस्पति, पशु, कृषि, उद्योग, व्यापार, मानव जीवन आदि का अनुमान लगाया जा सकता है।
प्राकृतिक स्थिति (Natural Situation)
प्राकृतिक स्थिति का तात्पर्य है किसी स्थान या क्षेत्र की महाद्वीप, महासागर, सागर, नदी, पर्वत आदि प्राकृतिक तत्वों के संदर्भ में स्थिति। प्राकृतिक स्थिति का मानवीय क्रिया-कलापों, आर्थिक विकास तथा सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक दशाओं पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पाया जाता है।
महाद्वीप और महासागर के सम्बंधों के अनुसार प्राकृतिक स्थिति दो प्रकार की होती है-
(1) महाद्वीपीय स्थिति, और (2) समुद्री स्थिति।
महाद्वीपीय स्थिति (Continental situation) कई प्रकार की होती है जिनमें प्रमुख हैं- पर्वतीय स्थिति, मध्यदेशीय स्थिति, गिरिपद (पीडमांट) स्थिति, दोआबी स्थिति आदि। समुद्री स्थिति (Maritime situation) भी कई प्रकार की होती है जैसे तटीय स्थिति, प्रायद्वीपीय स्थिति, द्वीपीय स्थिति, जलसंधि स्थिति, स्थलसंधि स्थिति आदि ।
सापेक्ष या भौगोलिक स्थिति (Relative or Geographical Situation)
किसी स्थान, देश या क्षेत्र की अन्य देशों या भूभागों के संदर्भ में निर्धारित स्थिति को सापेक्ष या भौगोलिक स्थिति कहते हैं। सापेक्ष स्थिति के कई प्रकार हैं-
(1) केन्द्रीय स्थिति (Central situation)
(2) परिधीय या सीमांत स्थिति (Peripheral or Marginal situation)
(3) आसन्न या संलग्न स्थिति (Adjacent situation)
(4) सामरिक स्थिति (Strategic situation)
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