जब भी भूगोल विषय को पढ़ते हैं, हमारे मन में एक महत्वपूर्ण प्रश्न अक्सर आता है कि भूगोल के जनक (Bhugol Ke Janak) कौन है? यह सवाल न केवल हमारी सामान्य जिज्ञासा का हिस्सा है, बल्कि कई प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अक्सर पूछा जाता है। इस लेख में हम इस प्रश्न का विस्तृत उत्तर देने का प्रयास करेंगें और भूगोल के जनक से संबंधित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
भूगोल का जनक कौन है? | Bhugol Ke Janak
भूगोल के जनक (Bhugol Ke Janak) को लेकर विभिन्न भूगोलवेताओं के अलग -2 विचार देखने को मिलते हैं, लेकर अधिकतर पुस्तकों एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की उत्तर कुंजी को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि हिकेटियस ही भूगोल के जनक हैं। इसके कारणों का वर्णन नीचे किया गया है :
हिकेटियस को भूगोल का जनक क्यों माना जाता है?
हिकेटियस (Hecataeus) एक प्राचीन यूनानी भूगोलवेत्ता थे, जिन्हें “भूगोल का जनक (Bhugol Ke Janak)“ भी कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने भूगोल लेखन की साहित्यिक परंपरा की शुरुआत की। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक जेस पीरियड्स (पृथ्वी का विवरण) को भूगोल के क्षेत्र में पहला संगठित प्रयास माना जाता है। इस पुस्तक में उन्होंने उस समय के विश्व के ज्ञान को सुव्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया।
हालांकि, कुछ परीक्षाओं में “भूगोल का पिता या भूगोल का जनक” के रूप में एराटोस्थनीज को प्राथमिकता दी जाती है।
एराटोस्थनीज को भूगोल का जनक क्यों माना जाता है?
कुछ भूगोलवेता एराटोस्थनीज (Eratosthenes), जो एक प्राचीन ग्रीक विद्वान थे, को “भूगोल का जनक” मानते हैं। क्योंकि एराटोस्थनीज ने सबसे पहले “Geography” शब्द का उपयोग किया था, जिसका अर्थ है “पृथ्वी का वर्णन।” उनके कुछ महत्वपूर्ण योगदान इस प्रकार हैं:
- उन्होंने पृथ्वी की परिधि को मापा, जो उस समय काफी सटीक था।
- पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का अनुमान लगाया।
- अक्षांश और देशांतर रेखाओं का इस्तेमाल करके दुनिया का पहला व्यवस्थित मानचित्र बनाया।
- उन्होंने भू-गणित (Geodesy) की नींव रखी, जो पृथ्वी के आकार और उसके आयामों के अध्ययन से संबंधित है।
- लीप वर्ष की खोज का श्रेय भी उन्हें जाता है।
इस प्रकार, एराटोस्थनीज ने भूगोल को एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप दिया, जिसके कारण उन्हें “भूगोल का जनक” और “व्यवस्थित भूगोल का पिता” कहा जाता है।
आधुनिक भूगोल का जनक कौन है? | Adhunik Bhugol Ke Janak
अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट (Alexander Von Humboldt) को “आधुनिक भूगोल का जनक (Adhunik Bhugol Ke Janak)” कहा जाता है।
उनके योगदान:
- “Cosmos” नामक पुस्तक लिखी, जिसमें भूगोल के विभिन्न पहलुओं का विवरण है।
- पनामा नहर बनाने का विचार सबसे पहले उन्होंने प्रस्तुत किया।
- जलवायु विज्ञान (Climatology) और परमा-फ्रॉस्ट (Permafrost) का विकास किया।
मानव भूगोल का जनक कौन है? (Manav Bhugol ke Janak)
बहुत से लोग मानव भूगोल का जनक फ्रेडरिक रैटज़ल (Friedrich Ratzel) मानते हैं, लेकिन वो आधुनिक मानव भूगोल के जनक हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
हम मानव भूगोल के जनक की बात करें तो, फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता “पॉल विदाल डी ला ब्लाश” (Paul Vidal de la Blache) को माना जाता है। उन्होंने भूगोल को सबसे पहले एक सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखने की नई दिशा प्रदान की। उनका मुख्य योगदान क्षेत्रीय भूगोल और “पॉसेबिलिज़्म” (Possibilism) के सिद्धांत को विकसित करना था, जिसमें यह समझाया गया कि मानव अपने पर्यावरण के साथ तालमेल बैठाकर विकास कर सकता है और पर्यावरण केवल संभावनाएँ प्रदान करता है, जिनका उपयोग मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के अनुसार करता है।
उनकी पुस्तक “Principles of Human Geography” मानव भूगोल के अध्ययन में मील का पत्थर मानी जाती है। उनके कार्यों ने मानव और पर्यावरण के बीच संबंधों को समझने में क्रांतिकारी बदलाव लाए।
आधुनिक मानव भूगोल के जनक (Adhunik Manav Bhugol ke Janak)
आधुनिक मानव भूगोल के जनक फ्रेडरिक रैटज़ल (Friedrich Ratzel) माने जाते हैं। वे एक जर्मन भूगोलवेत्ता और नृविज्ञान विशेषज्ञ थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मानव भूगोल को एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान किया। रैटज़ल ने मानव समाजों और उनके पर्यावरण के बीच संबंधों का गहन अध्ययन किया और इस पर आधारित कई सिद्धांत प्रस्तुत किए। उनका प्रमुख योगदान “भौगोलिक निर्धारणवाद” (Geographical Determinism) का सिद्धांत है, जो यह बताता है कि मनुष्य का सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर्यावरण और भौगोलिक परिस्थितियों से प्रभावित होता है। उनकी पुस्तक “Anthropogeographie” को मानव भूगोल के अध्ययन का आधार माना जाता है, जिसने इस क्षेत्र को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया।
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