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इस लेख में आप ए. जे. हरबर्टसन (A. J. Herbertson) के जीवन, भूगोल में योगदान एवं उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जानेंगे।
ए. जे. हरबर्टसन का जीवन परिचय
विश्व को बृहद प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारक के रूप में प्रसिद्ध ब्रिटिश भूगोलवेत्ता ए. जे. हरबर्टसन(1865-1915) का जन्म 1865 में दक्षिणी इंग्लैण्ड में हुआ था। हरबर्टसन ने जर्मनी के फ्राइबर्ग (Freiberg) और फ्रांस के मांटपेलियर (Montpellier) तथा पेरिस विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। हरबर्टसन फ्रांसीसी भौगोलिक विचराधारा से अधिक प्रभावित थे।
प्रारंभ में उन्होंने मौसम विज्ञान (Meteorology) और समुद्रविज्ञान (Oceanography) के क्षेत्र में कार्य किया। वे बार्थोलोम्यू द्वारा प्रकाशित ‘मौसमविज्ञान की मानचित्रावली’ (Atlas of Meteorology) के सहलेखक भी थे।
हरबर्टसन की प्रथम नियुक्ति 1891 में डांडी यूनिवर्सिटी कालेज के वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रयोगशाला सहायक (डिमांस्टेटर) के पद पर हुई थी जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध समाजशास्त्री पैट्रिक गेडिस (P. Geddes) के सहायक के रूप में कार्य किया। वहाँ उन्होंने पैट्रिक गेडिस के निर्देशन में वनस्पति विज्ञन का अध्ययन किया।
1899 में आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मैकिण्डर की पदोन्नति रीडर से प्रोफेसर के पद पर हुई और उससे रिक्त हुई रीडर के पद पर ए. जे. हरबर्टसन को नियुक्त कर लिया गया। मैकिण्डर के सहयोगी के रूप में कार्य करते हुए ए. जे. हरबर्टसन का चयन रायल ज्योग्राफिकल सोसाइटी के सदस्य के रूप में कर लिया गया।
ए. जे. हरबर्टसन आजीवन अध्ययन-अध्यापन और लेखन कार्य में लगे रहे। उन्होंने ब्रिटेन में कई वर्षों तक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम को संचालित किया था और भौगोलिक शिक्षण पर अनेक प्रभावशाली लेख लिखे जिससे ब्रिटेन में भूगोल के अध्ययन-अध्यापन में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई। उन्होंने भूगोल की अनेक पुस्तकें लिखा और नये भूगोलवेत्ताओं का मार्गदर्शन किया।
ए. जे. हरबर्टसन की प्रमुख रचनाएं
- Recent Discussion on the Scope and Educational Approach to Geography (1904). (भूगोल के विषय क्षेत्र एवं शैक्षणिक उपागम पर अभिनव चर्चा)
- Major Natural Regions: An Essay in Systematic Geography (1905). (वृहत् प्राकृतिक प्रदेश : क्रमबद्ध भूगोल पर एक निबंध)
- Man and His Work (1911). (मानव और उसका कार्य)
- Geographical Survey of British lakes. (ब्रिटिश झीलों का भौगोलिक सर्वेक्षण)
- Natural Regions: A Systematic Approach to Geography (1913). (प्राकृतिक प्रदेश : भूगोल का एक क्रमबद्ध उपागम)
ए. जे. हरबर्टसन की प्राकृतिक प्रदेश की संकल्पना (Concept of Natural Regions)
ए. जे. हरबर्टसन विश्व के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारक के रूप में विख्यात् हैं। उन्होंने 1904 में रायल ज्योग्राफिक सोसाइटी के सम्मुख विश्व के बृहत् प्राकृतिक प्रदेशों से सम्बंधित एक शोध पत्र पढ़ा था जिसका प्रकाशन अगले वर्ष (1905) ‘भौगोलिक पत्रिका’ में हुआ। इसका शीर्षक था ‘बृहत् प्राकृतिक प्रदेश क्रमबद्ध भूगोल पर एक निबंध’ (Major Natural Regions – An Essay in Systematic Geography)।
हरबर्टसन ने प्राकृतिक प्रदेशों को भौगोलिक अध्ययन की इकाई माना था। उनके विचार से किसी प्राकृतिक प्रदेश के अजैविक (inorganic) तत्वों और जैविक (organic) तत्वों (वनस्पति तथा जीव-जन्तु) में निश्चित साहचर्य (association) पाया जाता है जिसका स्पष्टीकरण प्राकृतिक वनस्पतियों तथा जीव-जन्तुओं की नियमित परिस्थितियों के रूप में होता है। हरबर्टसन ने यह भी बताया कि प्राकृतिक प्रदेश निरपेक्ष या पूर्ण (absolute) प्रदेश नही बल्कि सापेक्ष (relative) प्रदेश होते हैं।
ए. जे. हरबर्टसन ने विश्व के वृहत् प्राकृतिक प्रदेशों के निर्धारण में प्राकृतिक वनस्पति को प्रमुख आधार माना था। प्राकृतिक वनस्पति मुख्यतः जलवायु और मिट्टी द्वारा नियंत्रित होती है। इसीलिए हरबर्टसन के प्राकृतिक प्रदेश अधिकांशतः जलवायु प्रदेशों का अनुकरण करते हैं। यद्यपि हरबर्टसन ने प्राकृतिक प्रदेशों का निर्धारण मूलतः प्राकृतिक वनस्पति की समानता के आधार पर किया किन्तु उनका विश्वास था कि एक प्राकृतिक प्रदेश के अंतर्गत भूतल की संरचना (structure), भूविन्यास या उच्चावच (configuration or relief), जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति और जीव जगत् की सामान्य समरूपता पायी जाती है।
उनके अनुसार किसी प्राकृतिक प्रदेश के अन्तर्गत प्राकृतिक दशाओं में समरूपता के कारण उसमें रहने वाले मनुष्यों की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक दशाओं में भी समरूपता उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार हरबर्टसन ने प्राकृतिक प्रदेशों और मानव के बीच निश्चित संबंध पर गहराई से विचार किया और दोनों को अंतर्सम्बंधित सिद्ध करने का प्रयास किया।
1911 में प्रकाशित ‘मानव और उसका कार्य’ (Man and His Work) नामक पुस्तक में ए. जे. हरबर्टसन ने प्राकृतिक प्रदेशों और मानव के बीच सम्बंधों की व्याख्या की है। इसमें उन्होंने अपना स्पष्ट विचार व्यक्त किया है कि प्राकृतिक दशाएं मानव को इतनी सीमा तक प्रभावित करती हैं कि वे मानवीय कार्यों में प्रकट होने लगती हैं। हरबर्टसन द्वारा निर्धारित विश्व के बृहत् प्राकृतिक प्रदेश निम्नांकित हैं-
1. उच्च हिमाच्छादित प्रदेश,
2. टुण्ड्रा तुल्य प्रदेश
3. पश्चिमी यूरोप तुल्य प्रदेश,
4. सेंट लारेंस तुल्य प्रदेश,
5. टैगा (साइबेरिया) तुल्य प्रदेश,
6. अल्टाई तुल्य प्रदेश,
7. भूमध्य सागरीय प्रदेश,
8. चीन तुल्य प्रदेश,
9. तूरान तुल्य प्रदेश,
10. ईरान तुल्य प्रदेश,
11. सहारा तुल्य प्रदेश,
12. मानसूनी प्रदेश,
13. सूडान तुल्य प्रदेश,
14. तिब्बत तुल्य प्रदेश,
15. विषुवत् रेखीय प्रदेश,
ए. जे. हरबर्टसन के प्राकृतिक प्रदेशों की संकल्पना को परवर्ती भूगोलविदों विशेषकर आक्सफोर्ड सम्प्रदाय के उनके शिष्यों ने कुछ संशोधित किया और प्राकृतिक प्रदेशों तथा मानव के संबंधों की व्याख्या में मानवीय तत्वों के महत्व को भी स्वीकार किया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि बाद के समयों में स्वयं हरबर्टसन भी मानवीय महत्ता को स्वीकार करने लगे थे और यह मत भी व्यक्त किया था कि मानवीय क्रिया-कलाप आर्थिक विकास के स्तर को प्रकट करते हैं।
FAQs
ए. जे. हरबर्टसन का जन्म 1865 में दक्षिणी इंग्लैण्ड में हुआ था।
हरबर्टसन ने अपने कैरियर की शुरुआत मौसम विज्ञान (Meteorology) और समुद्रविज्ञान (Oceanography) के क्षेत्र में की थी।
हरबर्टसन के अनुसार प्राकृतिक प्रदेशों का निर्धारण प्राकृतिक वनस्पति, जलवायु, मिट्टी, भूतल की संरचना, भूविन्यास या उच्चावच और जीव जगत की सामान्य समरूपता पर आधारित होता है।
हरबर्टसन ने अपनी पुस्तक ‘Man and His Work’ में प्राकृतिक प्रदेशों और मानव के बीच सम्बंधों की व्याख्या की है।
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