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यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine Russia War): कारण, प्रभाव और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine Russia War) आधुनिक समय का सबसे जटिल और विनाशकारी संघर्षों में से एक बन चुका है। 24 फरवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद यह युद्ध वैश्विक चर्चा का केंद्र बन गया। हालाँकि, इसकी जड़ें कई वर्षों से गहरी थीं और यह केवल सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, आर्थिक नीतियों, सुरक्षा चिंताओं और भू-रणनीति से जुड़ा हुआ एक बड़ा विवाद है। इस युद्ध ने दुनिया के ऊर्जा संकट, खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित किया है। इस लेख में हम इस युद्ध के कारणों, प्रमुख घटनाओं, इसके वैश्विक प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं पर गहराई से चर्चा करेंगे।

Ukraine Russia War
Ukraine Russia War

2. युद्ध के प्रमुख कारण

2.1 ऐतिहासिक संदर्भ: सोवियत संघ और यूक्रेन का संबंध

यूक्रेन और रूस का इतिहास सदियों पुराना है। एक समय में, यूक्रेन सोवियत संघ (USSR) का हिस्सा था, लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यह एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। स्वतंत्रता के बाद, यूक्रेन ने अपने राजनीतिक और आर्थिक विकास की दिशा में पश्चिमी देशों के साथ संबंध मजबूत करने शुरू किए, जिससे रूस को खतरा महसूस हुआ। रूस हमेशा से यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र का हिस्सा मानता रहा है और उसे एक स्वतंत्र, पश्चिमी समर्थित देश के रूप में देखने के लिए तैयार नहीं था। यह ऐतिहासिक पृष्ठभूमि दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव का कारण रही है।

2.2 नाटो (NATO) विस्तार और रूस की चिंताएँ

नाटो (North Atlantic Treaty Organization) एक सैन्य गठबंधन है, जिसमें अमेरिका और यूरोप के कई देश शामिल हैं। यूक्रेन ने 2008 से नाटो सदस्य बनने की इच्छा जताई थी, लेकिन रूस इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखता था। रूस को डर था कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होता है, तो पश्चिमी देशों की सेनाएँ उसकी सीमा तक पहुँच जाएँगी, जिससे उसकी सामरिक स्थिति कमजोर हो जाएगी। रूस की इस चिंता को नज़रअंदाज करते हुए, अमेरिका और यूरोप ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की संभावनाएँ बढ़ानी शुरू कीं, जिससे तनाव और बढ़ गया।

2.3 क्रीमिया पर 2014 का रूसी कब्जा

2014 में, रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। रूस ने यह कदम तब उठाया जब यूक्रेन में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए और रूस समर्थित राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हटा दिया गया। रूस ने क्रीमिया में जनमत संग्रह कराया और दावा किया कि वहाँ के लोग रूस के साथ जाना चाहते थे। हालांकि, इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अवैध बताया और इसे यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन माना। क्रीमिया पर कब्जे के बाद ही रूस-यूक्रेन के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया और भविष्य में युद्ध की नींव पड़ गई।

2.4 डोनबास क्षेत्र में संघर्ष

क्रीमिया पर कब्जे के बाद, यूक्रेन के पूर्वी क्षेत्र डोनबास (Donbas) में रूसी समर्थित अलगाववादी सक्रिय हो गए। यहाँ के दो प्रमुख क्षेत्रों – डोनेट्स्क और लुहान्स्क में रूस समर्थित विद्रोहियों ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया। यूक्रेनी सेना और इन विद्रोहियों के बीच संघर्ष बढ़ता गया और 2022 में रूस ने इन क्षेत्रों को औपचारिक रूप से स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। इसके बाद रूस ने “शांति बनाए रखने” के नाम पर अपनी सेना वहाँ भेज दी, जिससे पूर्ण युद्ध की शुरुआत हो गई।

2.5 रूस की सैन्य और रणनीतिक महत्वाकांक्षाएँ

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हमेशा से रूस को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश करते रहे हैं। पश्चिमी देशों के बढ़ते प्रभाव को रोकने और यूक्रेन को अपने नियंत्रण में रखने के लिए उन्होंने सैन्य कार्रवाई की। रूस यह भी चाहता था कि अमेरिका और यूरोप की शक्ति कमजोर हो और विश्व राजनीति में उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे। इस उद्देश्य से रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, यह सोचकर कि वह जल्द ही उसे अपने नियंत्रण में ले लेगा।

3. यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine Russia War) की प्रमुख घटनाएँ

3.1 2022 में रूसी आक्रमण की शुरुआत

24 फरवरी 2022 को रूस ने कई मोर्चों से यूक्रेन पर हमला किया। रूसी सेना ने कीव, खारकीव, मारियुपोल, और अन्य प्रमुख शहरों को घेरने की कोशिश की। रूस ने उम्मीद की थी कि वह जल्द ही यूक्रेनी सरकार को गिरा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूक्रेन ने कड़ा प्रतिरोध किया, और युद्ध लंबे समय तक खिंचता चला गया।

3.2 कीव पर हमले और रूसी सेना की विफलता

रूसी सेना ने कीव (Kyiv) को घेरने की कोशिश की, लेकिन उसे भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। यूक्रेन की सेना और आम नागरिकों ने मिलकर रूसी सेना को पीछे धकेल दिया। इस असफलता के बाद, रूस ने अपनी सैन्य रणनीति बदल दी और पूर्वी व दक्षिणी यूक्रेन पर ध्यान केंद्रित किया।

3.3 मारियुपोल, बुखा और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष

मारियुपोल शहर में रूस और यूक्रेन की सेनाओं के बीच भीषण लड़ाई हुई। इस दौरान हजारों नागरिक मारे गए और शहर लगभग पूरी तरह नष्ट हो गया। वहीं, बुखा (Bucha) में रूसी सेना द्वारा आम नागरिकों की हत्या की खबरें आईं, जिससे दुनिया भर में आक्रोश फैल गया।

3.4 यूक्रेन को पश्चिमी देशों से सैन्य और आर्थिक सहायता

अमेरिका, यूरोप और NATO देशों ने यूक्रेन को हथियार, गोला-बारूद और आर्थिक सहायता प्रदान की। अमेरिका ने HIMARS, टैंक, मिसाइल और अन्य आधुनिक हथियार दिए, जिससे यूक्रेन की सैन्य शक्ति बढ़ी।

3.5 रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध

यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine Russia War) शुरू होते ही अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए। इन प्रतिबंधों से रूस की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, लेकिन रूस ने चीन, भारत और अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाकर अपनी अर्थव्यवस्था को संतुलित रखने की कोशिश की।

4. युद्ध के वैश्विक प्रभाव

4.1 ऊर्जा संकट और तेल-गैस की कीमतों में वृद्धि

रूस दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस निर्यातक है। युद्ध के कारण कई यूरोपीय देशों ने रूस से तेल और गैस खरीदना बंद कर दिया, जिससे वैश्विक ऊर्जा संकट गहरा गया।

4.2 खाद्य संकट और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव

यूक्रेन दुनिया का एक प्रमुख गेहूं निर्यातक देश है। युद्ध के कारण उसकी कृषि उत्पादन और आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे वैश्विक स्तर पर खाद्य संकट गहरा गया।

इस प्रकार यूक्रेन-रूस युद्ध (Ukraine Russia War) केवल दो देशों का संघर्ष नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। यह युद्ध कब और कैसे समाप्त होगा, यह कहना मुश्किल है, लेकिन यह निश्चित है कि इसके दीर्घकालिक प्रभाव वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर पड़ते रहेंगे।

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