Estimated reading time: 2 minutes
डॉ. एम एस स्वामीनाथन: भारत में हरित क्रांति के जनक (Dr. M.S. Swaminathan: Father of Green Revolution in India)
भारत में हरित क्रांति के जनक व विश्व प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डा. एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार दिनांक 28.09.2023 को 98 वर्ष की आयु स्वर्गवास हो गया।
आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें:
- डॉ. एमएस स्वामीनाथन को “भारत में हरित क्रांति का जनक” कहा जाता है।
- डा. एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, तमिलनाडु में हुआ था।
- उन्होंने भारत को कृषि उपज (विशेषकर खाद्य फसलों) के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। जिसके लिए उन्होंने धान व गेहूं की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को विकसित किया और किसानों की पैदावार बढ़ी।
- डा. एमएस स्वामीनाथन ने कृषि विज्ञान में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से जेनेटिक्स में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। इसके अतिरिक्त उन्हें 81 डाक्टरेट उपाधियां दुनियाभर के विश्वविद्यालयों से मिली हैं।
- उनको 1967 में पदम श्री व 1972 में पदम भूषण सम्मान से विभूषित किया गया।
- 1987 में उन्हें पहले विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया तथा 1989 में स्वामीनाथन को देश के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पदम विभूषण से नवाजा गया।
- उन्होंने सतत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की स्थापना की।
- डॉ. स्वामीनाथन ने कृषि, आनुवंशिकी और खाद्य सुरक्षा पर कई किताबें और शोध पत्र भी लिखे हैं।
- उन्होंने पादप आनुवंशिक (plant genetic) संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग के महत्व पर जोर दिया।
- डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक के रूप में कार्य किया।
- डॉ. स्वामीनाथन जैविक खेती और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की पहल में शामिल रहे हैं।
- कृषि और खाद्य सुरक्षा में उनके योगदान के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मान्यता मिली है।
- उनकी अध्यक्षता में स्वामीनाथन आयोग ने कृषि में समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ भारत में कृषि संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें कीं।
इस प्रकार कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों का जीवन बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। वे नवाचार के पावरहाउस थे। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। यह खाद्य पोषण सुरक्षा के प्रबल समर्थक रहे।यह उनकी ही देन थी कि भारत को 1960 के अकाल के दौरान उससे पार पाने में कामयाब रहा।
You May Also Like