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लद्दाखी (Ladakhis)का निवास-क्षेत्र (Habitat)
लद्दाखी जनजाति भारत के केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के मूल निवासी हैं। ये आदिवासी लेह, करगिल और जेस्काद तथा स्कुर्द जिस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा, में बसे हुए हैं।
भौगोलिक दशाएँ (Geographical Conditions)
- लद्दाख हिमालय की चार ऊँची पर्वतीय श्रृंखलाओं जास्कर, मुस्ताध, लद्दाख और कुलनुल से घिरा हुआ है।
- इस क्षेत्र की समुद्र तल से ऊँचाई 2750 से 7350 मीटर है।
- हिमालय के इस भू-भाग में अनेक छोटी-बड़ी नदियाँ बहती हैं जिनमें सिन्धु, जास्कर व श्योक नदियाँ उल्लेखनीय हैं।
- यह एक अत्यन्त शुष्क एवं शीत जलवायु वाला प्रदेश है। यहाँ की औसत वार्षिक वर्षा 10 सें०मी० से भी कम है।
- शीत ऋतु में जनवरी की रातों में तापमान -30° से -40° तक पहुँच जाता है।
- तापमान व आर्द्रता की कमी जैसी विषम परिस्थितियों के कारण यहाँ अधिक वन नहीं पाए जाते फिर भी स्थानीय स्तर पर लद्दाखी लोगों ने पहाड़ी पीपल (Poplar), शरपत (Willow) तथा हारपोपिया जैसे वृक्ष उगा रखे हैं। लद्दाख में पोपलर वृक्ष को पवित्र माना जाता है।
लद्दाखी (Ladakhis) के शारीरिक लक्षण (Physical Traits)
- कठोर प्राकृतिक दशाओं ने लद्दाखियों को मज़बूत, गठीला और सुडौल बना दिया है।
- मंगोलॉयड्स की भाँति इनका कद छोटा तथा गालों की हड्डियाँ उभरी हुई होती हैं। इनकी ठोडी छोटी, नाक थोड़ी चपटी, आँखें पतली और तिरछी होती हैं।
- मानव शास्त्रियों का विचार है कि लद्दाखी जनजाति का वर्तमान स्वरूप अनेक मानव प्रजातियों के मिश्रण का परिणाम है।
- इन लोगों में पूर्वी-भूमध्य सागरीय वर्ग के दर्दी (Dards) (जो गिल्गित क्षेत्र में अधिक पाए जाते हैं), उत्तरी भारत के मॉन्स (Mons) मंगोलियाई रक्त का भी मिश्रण हुआ है। अतः स्पष्ट है कि इस जनजाति की उत्पत्ति मंगोल और आर्य दोनों प्रजातियों के मिश्रण से हुई है।
लद्दाखी (Ladakhis) के व्यवसाय (Occupation)
- तीव्र ढलानों और अत्यधिक ठण्ड के कारण लद्दाख में खेती-बाड़ी का काम अत्यन्त निम्न स्तर पर होता है। इन लोगों की आजीविका आखेट पर निर्भर करती है।
- यहाँ समुद्र तल से 5100 मीटर की ऊँचाई तक अनेक – प्रकार के वन्य प्राणी पाए जाते हैं जिनमें जंगली बकरी, जंगली -भेड़, जंगली गधे, बरड़, हिरण, बारहसिंगा जैसा अन्टीलोप, याक और इबैक्स (Ibex) आदि प्रमुख हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर 1 5600 मीटर तक पहाड़ी खरगोश तथा मारमट जैसे छोटे जन्तु मिलते हैं।
- लद्दाखी आदिवासी मुख्यतः बर्फानी तेन्दुए, तिब्बती अन्टीलोप, लाल रीछ, मारखोर तथा जंगली बकरियों का शिकार करते हैं।
- यहाँ के पालतू पशुओं में भेड़-बकरियाँ, याक और झो (Jho) आते हैं। झो बैल जैसा जन्तु होता है जो याक और गाय की मिश्रित नस्ल है। यहाँ हल जोतने का काम झो ही करते हैं।
लद्दाखी (Ladakhis) का भोजन (Food)
- लद्दाखियों का प्रिय भोजन सत्तू, भात व रोटी हैं। सत्तू आटे से, भात कोदा नामक मोटे अनाज से तथा रोटी फ़ाफ़ड़ा तथा गेहूँ को पीस कर बनाई जाती है।
- ‘जौ’ से चॉग नामक एक विशेष प्रकार की देसी मदिरा बनाई जाती है जिसका उपयोग धार्मिक एवं सामुदायिक उत्सवों तथा पारिवारिक आयोजनों में किया जाता है। कहीं-कहीं चावलों से भी मदिरा बनाई जाती है।
- यहाँ फ़लों से बनाई गई चीनी का उत्पादन कम होने के कारण चाय नमकीन पी जाती है।
लद्दाखी (Ladakhis) के वस्त्र (Clothes)
- वर्ष-भर पड़ने वाली कड़ाके की ठण्ड से बचने के लिए ये लोग मोटी ऊन के बने हुए लबादे या चोगे पहनते हैं जो घुटनों से भी नीचे तक होते हैं। उसके नीचे ऊनी पायजामा, कमीज और आधे बाजू की स्वेटर पहनी जाती है।
- सिर पर ये लोग गोल गद्देदार टोपी या चमड़े की टोपी पहनते हैं जिसका पीछे से लटकता हुआ फ़ाल कानों और गर्दन की ठण्ड से रक्षा करता है।
- प्रायः ये लोग चमड़े के जूते पहनते हैं जिसके तले बकरी की खाल से बने होते हैं।
- स्त्रियों की पोशाकें पुरुषों से भिन्न होती हैं। ये रंग-बिरंगे, लम्बे, ऊनी फ्रॉक पहनती हैं जो घुटनों तक लम्बे होते हैं। ये फ्रॉक ऊनी पायजामों के साथ पहने जाते हैं। इनके ऊपर जैकेट पहनी जाती है। जैकेट के बाहर की ओर छाती व पेट से ऊपर एक चौड़ा मोटा कपड़ा बकसुए (Safety Pin) के साथ गर्दन से लटका होता है ताकि घरेलू काम-काज के दौरान ऊनी जैकेट व वस्त्र मैले न हो जाएँ। स्त्रियाँ सिर पर सुन्दर व चमकीला स्कार्फ भी बाँधती हैं।
FAQs
लद्दाखी जनजाति भारत के केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख के मूल निवासी हैं। ये लोग लेह, करगिल, जेस्काद, और स्कुर्द (पाकिस्तान के अवैध कब्जे में) जैसे क्षेत्रों में निवास करते हैं।
लद्दाखी लोग मुख्यतः आखेट पर निर्भर होते हैं, क्योंकि यहाँ की विषम भौगोलिक दशाओं के कारण खेती-बाड़ी कम होती है। ये लोग बर्फानी तेन्दुए, तिब्बती अन्टीलोप, लाल रीछ, मारखोर, और जंगली बकरियों का शिकार करते हैं। इनके पालतू पशुओं में भेड़-बकरियाँ, याक और झो (याक और गाय की मिश्रित नस्ल) शामिल हैं।
लद्दाखियों का प्रिय भोजन सत्तू, भात, और रोटी है। सत्तू आटे से, भात कोदा नामक मोटे अनाज से, और रोटी फ़ाफ़ड़ा और गेहूँ से बनाई जाती है। ‘जौ’ से चॉग नामक एक विशेष प्रकार की देसी मदिरा बनाई जाती है, जिसका उपयोग धार्मिक और सामुदायिक उत्सवों में किया जाता है। यहाँ चीनी की कमी के कारण चाय नमकीन पी जाती है।
लद्दाख में कड़ाके की ठण्ड से बचने के लिए लोग मोटी ऊन के बने हुए लबादे या चोगे पहनते हैं, जो घुटनों से नीचे तक होते हैं। इसके नीचे ऊनी पायजामा, कमीज, और आधे बाजू की स्वेटर पहनी जाती है। सिर पर गोल गद्देदार टोपी या चमड़े की टोपी पहनी जाती है। स्त्रियाँ रंग-बिरंगे, लम्बे, ऊनी फ्रॉक पहनती हैं, जो घुटनों तक लम्बे होते हैं और इन्हें ऊनी पायजामों के साथ पहना जाता है।