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सांस्कृतिक विसरण/प्रसार (Cultural Diffusion) का अर्थ
किसी कालावधि में एक स्थान या क्षेत्र से किसी तथ्य या तथ्यों के बाहर की ओर प्रसार, प्रचार या विस्तार की प्रक्रिया को विसरण कहते हैं। यह एक सांस्कृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी समाज या समुदाय में आविष्कृत या शोधित सांस्कृतिक (मानव निर्मित) तत्वों का अन्य समाजों या समुदायों में प्रसार होता है।
ऐतिहासिक रूप से किसी सांस्कृतिक तत्व के उद्गम स्थल की अपेक्षा उसके वर्तमान विस्तार के विषय में सामान्यतः अधिक जानकारी उपलब्ध होती है। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मानव प्राकृतिक बाधाओं पर विजय प्राप्त करता गया जिससे नये-नये सांस्कृतिक भूदृश्यों का प्रादुर्भाव हुआ।
प्राचीन काल में मानव सभ्यता एवं संस्कृति का विकास कुछ प्रमुख स्थलों पर हुआ जिन्हें सांस्कृतिक उद्गम- स्थल (Cultural hearth) के नाम से जाना जाता है। प्राचीन काल में मेसोपोटामिया, सिन्धुघाटी, ह्वांग हो घाटी, नील घाटी (मिस्त्र), यूनान, रोम आदि ऐसे ही सांस्कृतिक उद्गम स्थल थे जहाँ प्राचीन मानव सभ्यताओं का विकास हुआ था।
इस प्रकार प्राचीन काल से ही एक सीमित क्षेत्र में विकसित होने वाली संस्कृति, आविष्कारों, तथा नवीनताओं (नवाचारों) का प्रसार विभिन्न माध्यमों से दूरवर्ती क्षेत्रों में भी होता रहा है। इस प्रकार सांस्कृतिक विसरण किसी उद्गम स्थल से अन्य क्षेत्रों के लिए मानव-संस्कृति के प्रसार की प्रक्रिया है।
पालतू पशुओं, पौधों, विचारों, ज्ञान, भाषा, संस्कृति, तकनीकों, नवाचारों (innovations) आदि का समय-समय पर विसरण (प्रसार) होता रहता है जिसके अन्तर्गत पहले वे किसी स्थान पर उत्पन्न होते हैं और कालान्तर में अन्यान्य भूभागों में पहुँच जाते हैं।
सांस्कृतिक विसरण के तत्व
सांस्कृतिक विसरण के तत्वों को निम्नलिखित श्रेणियों के अन्तर्गत रखा जा सकता है-
(1) मानव का विसरण (diffusion of man),
(2) पौधों तथा पशुओं का विसरण (diffusion of plant and animals),
(3) नवीन तकनीकों का विसरण (diffusion of new techniques),
(4) संस्कृति एवं विचारों का विसरण (diffusion of culture and ideas),
सांस्कृतिक विसरण पर हैगरस्ट्रैण्ड के विचार
स्वेडिस भूगोलवेत्ता हैगरस्ट्रैण्ड (T. Hagerstrand) ने 1953 में स्थानिक विसरण (Spatial diffusion) की प्रक्रिया का विस्तृत विवेचन किया और नवाचार विसरण माडल (Models of innovation diffusion) प्रस्तुत किया। 1953 में स्वेडिश भाषा में प्रकाशित उनकी पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद 1968 में प्रकाशित हुआ।
हैगरस्टैण्ड के अनुसार सांस्कृतिक तत्वों का विसरण किसी एक केन्द्र अथवा कई केन्द्रों से हो सकता है। प्रसार की प्रक्रिया के अनुसार नवाचार विसरण के प्रमुख प्रकार हैं
(1) विस्तारशील विसरण (Expansion diffusion),
(2) सांसर्गिक विसरण (Contagious diffusion),
(3) क्षैतिज विसरण (Horizontal diffusion),
(4) पुनर्स्थापन विसरण (Relocation diffusion),
(5) सोपानी विसरण (Cascade diffusion),
(6) पदानुक्र पदानुक्रमीय विसरण (Hierarchical diffusion) आदि।
हैगरस्टैण्ड ने सांसर्गिक विसरण प्रक्रिया के आरम्भिक अध्ययन में चार अवस्थाओं वाले माडल को प्रस्तुत किया और इसके पारगमन (Passage) के लिए नव प्रवर्तन/नवाचार लहर (innovation wave) शब्दावली का प्रयोग किया। इसे सामान्यतः विसरण लहर (diffusion wave) के नाम से जाना जाता है।
उन्होंने अपने आनुभविक अध्ययनों के आधार पर विसरण प्रक्रिया के सामान्य क्रियात्मक माडल का निर्माण किया। हैगरस्ट्रैण्ड माडल की संरचना के दो आधारभूत तथ्य हैं सम्पर्क क्षेत्र (Contact field), और माध्य सूचना क्षेत्र (Mean information field)।
FAQs
सांस्कृतिक विसरण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें किसी स्थान या क्षेत्र से सांस्कृतिक तत्वों का अन्य स्थानों पर प्रसार होता है। यह प्रक्रिया समाजों और समुदायों के बीच आविष्कृत या शोधित सांस्कृतिक तत्वों के फैलाव को दर्शाती है।
सांस्कृतिक विसरण के मुख्य तत्वों को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
1. मानव का विसरण
2. पौधों तथा पशुओं का विसरण
3. नवीन तकनीकों का विसरण
4. संस्कृति एवं विचारों का विसरण
सांस्कृतिक उद्गम-स्थल वे प्रमुख स्थल हैं जहाँ प्राचीन काल में मानव सभ्यता एवं संस्कृति का विकास हुआ था। प्रमुख सांस्कृतिक उद्गम-स्थलों में मेसोपोटामिया, सिन्धुघाटी, ह्वांग हो घाटी, नील घाटी (मिस्त्र), यूनान, और रोम शामिल हैं।
सांसर्गिक विसरण एक प्रकार का सांस्कृतिक विसरण है जिसमें नवाचार या सांस्कृतिक तत्व एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है, जैसे किसी बीमारी का फैलाव।
सांस्कृतिक विसरण समाज में विविधता और नवीनता को बढ़ावा देता है। यह विभिन्न समाजों और समुदायों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है, जिससे नए विचार, तकनीकें, और परंपराएँ विकसित होती हैं।