Estimated reading time: 10 minutes
Table of contents
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का निवास क्षेत्र
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का भौतिक पर्यावरण
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) की शारीरिक रचना
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के इलाके में जीव-जंतु
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का व्यवसाय
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का भोजन
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का आवास
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के कपड़े
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के हथियार व औजार
- बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का सामाजिक संगठन एवं रीति रिवाज
- FAQs
- You Might Also Like
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का निवास क्षेत्र
वर्तमान समय में बुशमैन कालाहारी मरुस्थल में रहते हैं और इन्हें प्राय ‘कालाहारी के बुशमैन’ के नाम से जाना जाता है। अधिकतर बुशमैन नामीबिया व बोत्सवाना में है। यह एक पठारी क्षेत्र है। जो समुद्र तल से लगभग 1000 से 2000 मीटर ऊँचा है। इनको सान के नाम से भी जाना जाता है।
कालाहारी का अर्थ है ‘एक ऐसा विशाल शुष्क क्षेत्र जिसमें अनेक साल्ट पैन मिलते हैं।’
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का भौतिक पर्यावरण
जलवायु
कालाहारी मरुस्थल की जलवायु शुष्क एवं गर्म है। यह एक मरुस्थलीय प्रदेश है, जिसमें वर्षा बहुत कम होती है। थोड़ी बहुत वर्षा इसकी उत्तरी भाग में होती है। अधिकतर वर्षा दिसंबर से फरवरी के बीच केवल 3 महीने ही होती है। बाकी के 9 महीने सूखा मौसम रहता है। यहां तापमान औसत से ऊंचा ही रहता है। ग्रीष्म ऋतु में कभी-कभी तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है और रात के समय यह 10 डिग्री नीचे तक पहुंच जाता है।
मिट्टी
मरुस्थलीय भाग होने के कारण यहां ज्यादातर इलाके में बालू रेत के टीले अधिक पाए जाते हैं। जो 7 मीटर से लेकर 30 मीटर तक ऊंचे होते हैं। यहां कहीं कहीं पहाड़िया भी दिखाई देती है। रेत के अलावा यहां सफेद व काले रंग की बलुई मिट्टी भी देखने को मिलती है।
वनस्पति
यहां वर्षा कम होने के कारण घने वन नहीं पाए जाते। केवल उत्तरी कालाहारी में न्गामी झील के निकट ही वर्षा होती है,जहां घास उग जाती है। दक्षिणी भाग में वनस्पति का अभाव देखने को मिलता है। इस क्षेत्र के पूर्वी भाग में वनस्पति पाई जाती है। अन्य स्थानों पर सूखी कटीली झाड़ियां ही मिलती है। कुछ भागों में बबूल के पेड़ और छोटी बुशमैन घास ही पाई जाती है। मरुस्थल के सबसे सूखे भाग में फलीदार पौधे विशेषतया ‘बुशमैन खरबूजे‘ ही उगते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) की शारीरिक रचना
ये लोग दिखने में नीग्रोइड जाति से मेल खाते हैं। ये छोटे कद के होते हैं। पुरुषों की औसत ऊंचाई 150 सेंटीमीटर तथा स्त्रियों की ऊंचाई लगभग 120 सेंटीमीटर के आसपास मिलती है। इनका रंग चॉकलेटी भूरा होता है। इनके बाल घुंघराले तथा आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के इलाके में जीव-जंतु
कालाहारी मरुस्थल में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु देखने को मिलते हैं। ज्यादातर जीव जंतु ओकोवांगो दलदल तथा न्गामी झील के आसपास ही पाए जाते हैं। क्योंकि यहां वर्षा ऋतु में घास उगने पर इनको काफी मात्रा में चारा मिल जाता है।
यहां अनेक प्रकार के जंगली हिरण, जंगली बकरी, जंगली भेड, जेबरा, जिराफ, शतुरमुर्ग, दरियाईघोड़ा, हाथी, गैंडा आदि पशु मिलते हैं। इनके अलावा मांसाहारी जीवो में शेर, जंगली कुत्ते, भेड़ीए आदि पाए जाते हैं। छोटे जंतुओं में खरगोश, चूहे, चमगादड़, गिलहरी मिलते हैं। पक्षियों में यहां जलमुर्गी, अबाबील ,चील, बाज, आदि देखने को मिलते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का व्यवसाय
बुशमैन जनजाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय आखेट या शिकार करना है। ये कुशल शिकारी होते हैं। पुत्र अपने पिता से बचपन में ही शिकार करना सीखने लग जाता है और 11 से 12 साल की उम्र तक वह कुशल शिकारी बन जाता है। वे अपना भोजन प्राप्त करने के लिए शाकाहारी जानवरों जैसे हिरण, जेबरा, जिराफ आदि तथा मांसाहारी पशु जैसे शेर, चीता, बाघ, सियार आदि का भी शिकार कर लेते हैं।
इनके अलावा वे खरगोश, चूहा, चमगादड़, दीमक आदि को मारकर भी खा जाते हैं। बड़े जानवरों का शिकार करने के लिए वे पशुओं की हड्डियों से बने औजार तथा तीर कमान का उपयोग करते हैं। वे अपने तीर को विषैला बनाने के लिए सांप की थैली, मकड़ी के सूखे शरीर, पेड़ों के रस आदि का उपयोग करते हैं।
बुशमैन जनजाति कुशल शिकारी होते हैं, कि वे जानवर के पांव के निशान से ही पहचान कर लेते हैं कि वह किस जाति का है वह कितना भूखा है या उसका पेट भरा हुआ है। ये लोग बड़ी कुशलता से विभिन्न प्रकार के जानवरों की आवाज निकाल लेते हैं। जिससे वे जानवर उनके पास आ जाते हैं और वे लोग उनका शिकार कर लेते हैं।
कई बार इनको शिकार करने के लिए 40 से 50 किलोमीटर दूरी तक जानवरों का पीछा भी करना पड़ सकता है। शिकार का पीछा करते हुए जब ये अपने पड़ोसी आखेटक जनजाति की सीमा में चले जाते हैं, तो उस क्षेत्र के दल से मिलकर अपने शिकार का इन्हें बंटवारा करना होता है। इनको शिकार का एक तिहाई भाग उस जनजाति को देना पड़ता है।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का भोजन
बुशमैन जनजाति के लोग सर्वभक्षी होते हैं। उनका भोजन आखेट से प्राप्त किया गया मांस होता है। ये लोग कच्चे मांस व खून का सेवन करते हैं। एक बार में एक बुशमैन आआधी भेड खा जाता है। ये लोग चीटियां, उनके अंडे, दीमक, यहां तक की अपनी जूं भी खा जाते हैं। दीमक इनका प्रिय भोजन होता है। इसलिए दीमक को ‘बुशमैन का चावल’ भी कहा जाता है।
बेर एवं तरबूज भी इनका प्रिय भोजन होता है। ये लोग भोजन की कमी होने पर कीड़े-मकोड़े, छिपकली, यहां तक की साँप को भी खा जाते हैं। जब अगस्त के महीने में जल सूख जाता है, तब यह लोग तरबूज गांठदार जड़े जैसे बी व गा से भोजन और जल दोनों प्राप्त करते हैं। ये लोग शतुरमुर्ग के अंडों के खोल तथा हिरण के पेट से बनी थैली में पानी लाते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का आवास
बुशमैन जनजाति के लोग चलवासी शिकारी होते हैं। ये अपने शिकार की खोज में इधर से उधर भटकते रहते हैं। इसलिए इनका कोई स्थाई निवास नहीं। होता ये मौसम की विषमताओं से बचने के लिए कहीं भी गुफाओं या खोहों में रह लेते हैं। कभी-कभी बुशमैन अस्थाई निवास के रूप में घास-फूस व तिनको की सहायता से झोपड़िया बना लेते हैं।
बुशमैन दल का एक छोटा सा निवास क्षेत्र होता है। जो उनके राज्य के समान होता है। प्राय: यह एक अल्पकालीन गांव होता है। जिसमें 8 से 10 झोपड़िया होती हैं। ज्यादातर ये अपना निवास सूखे के दिनों में किसी जल स्रोत के निकट बनाते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के कपड़े
गर्मी अधिक होने के कारण यह लोग बहुत ही कम वस्त्र पहनते हैं। इनके वस्त्र जानवरों की खालों से बनाए जाते हैं। कुछ लोग खाल के तिकोने टुकड़े को लंगोट के रूप में बांध लेते हैं तथा स्त्रियां वर्गाकार टुकड़े को कमर से घुटने तक लपेट लेती है। इसे स्थानीय भाषा में क्रोस कहते हैं। रात में ठंड से बचने के लिए ये खालो से बनाए हुए लबादे पहन लेते हैं।
ये लोग शरीर पर एक विशेष प्रकार का लेप भी लगाते हैं। यह लेप जानवरों की चर्बी में लाल या सफेद मिट्टी मिलाकर बनाया जाता है। इस लेप से ये लोग धूप व कीड़ों मकोड़ों से बचे रहते हैं। इन लोगों में नहाने का प्रचलन नहीं है। स्त्रियां अपने श्रृंगार के लिए अलग-अलग बीजों को धागे में बांधकर आभूषण बनाती है। तथा शतुरमुर्ग के अंडों के छिलकों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ कर उन्हें डोरी में पिरोया जाता है और उससे माला बनाई जाती है।
बर्तन
बुशमैन जनजाति के लोग भोजन कच्चा ही खाते हैं। इसलिए इन्हें बर्तनों की जरूरत नहीं पड़ती। ये खाने के बर्तन या तो शुतुरमुर्ग के अंडे की खोल को बीच में से काट कर बनाते हैं या फिर मिट्टी से बनाते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) के हथियार व औजार
बुशमैन जनजाति के हथियार व औजार बहुत ही साधारण किस्म के होते हैं। ये लोग अपने औजारों तथा हथियारों को शिकार तथा अन्य कामों के लिए प्रयोग में लाते हैं। शिकार के लिए ये तीर कमान तथा लकड़ी का प्रयोग करते हैं। तीर को विषैले रस में बुझाया जाता है। ताकि शिकार आसानी से मर सके। पत्थर के भाले तथा हड्डियों के चाकू बनाए जाते हैं। शतुरमुर्ग अथवा जिराफ की टांगों की हड्डियों को छीलकर इनसे बढ़िया नोक के तीर तैयार किए जाते हैं।
बुशमैन जनजाति (Bushman Tribe) का सामाजिक संगठन एवं रीति रिवाज
किसी क्षेत्र विशेष में बुशमैन जनजाति का केवल एक ही दल रहता है जिसमें लगभग 30 से लेकर 100 तक सदस्य होते हैं। किस स्थान पर रहना है और कहां पर शिकार करना है, इस बात का फैसला दल का मुखिया करता है। यदि एक दल के बाण से घायल हुआ जानवर किसी दूसरे दल के क्षेत्र में पहुंच जाता है, तो उन्हें जुर्माने के रूप में उसका एक तिहाई मास दूसरे क्षेत्र के दल को देना पड़ता है।
औरते व बच्चे पौधे, जड़े, बेरी आदि इक्कठा करने के अलावा पानी का भी प्रबंध करते हैं। इन लोगों का मानसिक विकास बहुत ही कम हुआ है। ये लोग ईश्वर और धर्म आदि को नहीं मानते। भूत-प्रेतों और टोने-टोटके में इनका विश्वास रहता है। अपौष्टिक तथा अनियमित भोजन करने से और जलवायु की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण ये लोग अनेक प्रकार की बीमारियों से घिरे रहते हैं जैसे मलेरिया, काला बुखार, पेचिस, निमोनिया, जुखाम व फ्लू आदि जिसके कारण इनमें मृत्यु दर अधिक मिलती है।
लगातार धूल भरी आंधियां चलने से इनके चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं और और 20 साल की उम्र में ही ये लोग बूढ़े दिखाई देने लगते हैं। कदाचित ही कोई बुशमैन 40 वर्ष की आयु तक जी पाता है। इन कारणों से बुशमैन की संख्या तेजी से कम हो रही है।
FAQs
बुशमैन को सान (San) के नाम से भी जाना जाता है।
बुशमैन वर्तमान समय में कालाहारी मरुस्थल में रहते हैं, मुख्यतः नामीबिया और बोत्सवाना में।
बुशमैन का प्रिय भोजन दीमक होता है, जिसे वे ‘बुशमैन का चावल’ कहते हैं।
बुशमैन लोग छोटे कद के होते हैं, पुरुषों की ऊंचाई 150 सेंटीमीटर और स्त्रियों की ऊंचाई लगभग 120 सेंटीमीटर होती है। इनका रंग चॉकलेटी भूरा होता है और बाल घुंघराले होते हैं।
बुशमैन का मुख्य व्यवसाय आखेट या शिकार करना है।
बुशमैन सर्वभक्षी होते हैं और उनका भोजन आखेट से प्राप्त किया गया मांस होता है, वे कच्चा मांस और खून का सेवन भी करते हैं।
बुशमैन चलवासी शिकारी होते हैं, जो गुफाओं या खोहों में रहते हैं और अस्थाई झोपड़ियाँ बनाते हैं।
बुशमैन के बर्तन शुतुरमुर्ग के अंडे के खोल या मिट्टी से बनाए जाते हैं।
2 Responses