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प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification)

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प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification): परिचय

मानवों के ऐसे समूह, जो शरीर की रचना,  सभ्यता (आचार, विचार आदि) एवं संस्कृति (खान-पान, पहनावा आदि) के साथ-साथ एक ही भाषा तथा प्राणी शास्त्र संबंधी गुणों की एकरूपता रखते हैं, ऐसे मानव समाज को एक प्रजाति (race) विशेष के अंतर्गत रखा जाता है। इस प्रकार देखा जाए तो मानव प्रजाति (race) एक जैविक विचार है (Human race is a biological concept)। मानव प्रजाति (race) से अभिप्राय किसी सामाजिक अथवा सांस्कृतिक वर्ग से नहीं, बल्कि प्राकृतिक नस्ल (natural breed) से है।

किसी भी मानव प्रजाति के शारीरिक लक्षण, वंशानुक्रमण (Heredity) द्वारा पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे भविष्य में जारी रहते हैं। मानव शास्त्रियों के एक समूह के अनुसार , “प्रजाति (race) मानव जाति का एक प्रमुख भाग है जो इस नस्ल की शारीरिक विशेषताओं से चिह्नित है।” वहीं मानव शास्त्रियों के दूसरे समूह के अनुसार, “प्रजाति (race) ऐसे लोगों का एक समूह है जिसमें न्यूनाधिक मात्रा में स्थाई पहचान के लक्षण पाए जाते हैं जिनसे संबंधित व्यक्ति निश्चित अर्थ जोड़ते हैं।”

ग्रिफिथ टेलर के अनुसार, “प्रजाति नस्ल को प्रकट करती है, न कि सभ्यता को (Race denotes breed, not culture) ” कई विद्वानों ने प्रजाति को अपने-अपने ढंग से  परिभाषित करने के प्रयास किए हैं, जिनमें से कुछ की परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं:

प्रजाति की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ (Important Definitions of Species)

फ़्रांस के भूगोलवेता, विडाल डी ला ब्लाश  (Vidal de La Blache, 1845-1918 )  के अनुसार, “हम प्रजाति का अर्थ उस वर्गीकरण से समझते हैं जो शारीरिक बनावट के लक्षणों पर आधारित है और जो मानव शरीर की आकृति को प्रभावित करता है।”

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(“We understand race to mean classification based on somatic characteristics affecting either the morphology or physiology of human body.”)

अमेरिकी मानव शास्त्री अल्फ्रेड लुइस क्रोबर (Alfred Louis Kroeber,1876-1960) के अनुसार, “प्रजाति एक मान्य जैविक संकल्पना है। यह वंशानुक्रम द्वारा एकबद्ध समूह है। यह नस्ल अथवा अनुवांशिक अथवा उप जातियाँ हैं। यह सामाजिक-सांस्कृतिक संकल्पना के रूप में मान्य नहीं है।”

(“A race is a valid biological concept. It is a group united by heredity. It is a breed or genetic strain or sub-species. It is not a valid socio-cultural concept.”)

ब्रिटिश मानवशास्त्री अल्फ्रेड कोर्ट हैडन (Alfred Cort Haddon, 1855-1940) के विचारानुसार, “प्रजाति किसी वर्ग विशेष को प्रदर्शित करती है जिसकी सामान्य विशेषताएं आपस में समरूपता प्रदर्शित करती हैं।”

(“The term race usually connotes a group of people who have certain well marked characteristics.”)

एच० ई० वेलिस के अनुसार, “प्रजाति मनुष्यों का प्राकृतिक वर्ग है जिसमें पैतृक रूप से सामान्य भौतिक समान रहते हैं।“

(“Race is a natural group of men displaying particular set of common hereditary physical traits.”)

उपरोक्त परिभाषाओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रजाति का अर्थ ऐसे मानव वर्ग से है, जिसके सभी मनुष्यों के शरीर के बाह्य लक्षण, जैसे-शरीर का कद, त्वचा का रंग, सिर और नाक की बनावट, बालों की प्रकृति, आंखों की आकृति, होंठों की मोटाई, रक्त वर्ग आदि एक जैसे हो और शारीरिक लक्षणों की ये समानताएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती हैं।

प्रजातियों के वर्गीकरण के आधार (Basis of Racial Classification)

प्रजातियों का वर्गीकरण मुख्य रूप से शरीर की बनावट के आधार पर किया जाता है और ये शारीरिक लक्षण दो प्रकार के होते हैं।

  1. बाह्य लक्षण (External or superficial traits)
  2. आंतरिक लक्षण (Internal traits)

बाह्य लक्षणों में वे तत्व शामिल होते हैं जो सामने दिखाई देते हैं और बिना किसी यंत्र की सहायता से लक्षित होते हैं। इनमें बालों का रंग और बनावट, त्वचा का रंग, शरीर का कद, चेहरे की आकृति, आँखों का रंग एवं आकृति, सिर व नाक की बनावट, शारीरिक गठन आदि शामिल होते हैं।

आंतरिक लक्षणों में वे तत्व होते हैं जो एकदम दिखाई नहीं देते और उनका विश्लेषण यंत्रों की सहायता से किया जाता है। जैसे, शरीर की हड्डियों के ढाँचे की नाप, सिर की खोपड़ी की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात (Cephalic Index), कपाल की ऊँचाई,  नासिका सूचकांक (nasal index), कद आदि सम्मिलित किए जाते हैं।

basis of racial classification

प्रजातियों के वर्गीकरण को आधार प्रदान करने वाले मुख्य तत्व निम्नलिखित है:

त्वचा का रंग (Skin Color)

त्वचा के रंग को देखकर प्रजाति का अनुमान लगाया जा सकता है। आधुनिक प्राणी विज्ञान के अनुसार रक्ताणुओं की अधिकता अथवा न्यूनता के आधार पर रंग भेद आका जा सकता है। त्वचा के रंग को आधार मानकर मानव शास्त्रियों ने विश्व की जनसंख्या को पीत (yellow), गोरे (white) तथा काले (black) रंग के आधार पर मंगोलोइड, काकेसाइड तथा नीग्रो वर्गों में विभाजित किया है।

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बालों की संरचना एवं रंग (Texture and Color of Hair)

प्रजातियों के वर्गीकरण के लिए बालों की संरचना एवं रंग भी महत्वपूर्ण आधार है। हैडन (Haddon) की मानना है कि बालों की आकृति प्रजाति विशेष के वंशानुक्रम में लगातार चली जाती है। उस पर मनुष्य की आयु या स्त्री-पुरुष भेद का तथा जलवायु और भोजन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। डेनिकर ने भी बालों के रंग के आधार पर मानव जाति को चार वर्गों में बाँटा है। इन वर्गों के नाम – (1) सीधे बाल, (ii) लहरदार बाल, (iii) लच्छेदार बाल तथा (iv) घुंघराले बाल है।

शरीर का कद (Body Height)

प्रजातियों के वर्गीकरण के लिए मनुष्य के कद को मुख्य आधार माना गया है। टोपीनार्ड ने मानवीय कदों का अध्ययन करने के पश्चात उनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया है:-

ऊँचाई (सेमी.)कदप्रजातियाँ
148-158नाटा (छोटा)पिग्मी, अण्मानी
159-168मध्य (मंझला)खिरगीज, मलेशिया, सुमात्रा
169-171लम्बाद्रविड़, भूमध्यसागरीय, ऑस्ट्रेलियाई
172 व इससे अधिकबहुत लम्बानीग्रोइड, अफ़गान, अल्पाइन
टोपीनार्ड के अनुसार मानवीय कदों का वर्गीकरण

सिर की बनावट (शिरस्य सूचकांक (Cephalic Index))

मानव की प्राकृतिक रचना में शिरस्य सूचकांक सबसे अधिक स्थाई रहने वाला लक्षण है और शरीर के अन्य अंगों में परिवर्तन होने पर भी यह सबसे कम परिवर्तित होता है। सिर की लंबाई तथा चौड़ाई के अनुपात की शिरस्य सूचकांक (Cephalic Index) कहते हैं। शिरस्य सूचकांक ज्ञात करने के लिए सिर की चौड़ाई को सिर की लम्बाई से भाग देकर 100 से गुणा किया जाता है।

अतः शिरस्य सूचकांक (Cephalic Index)   =  सिर की चौड़ाई  /  सिर की लम्बाई × 100

शिरस्य सूचकांक के अनुसार निम्नलिखित तीन प्रकार की सिर आकृतियाँ मानी जाती है :

शिरस्य सूचकांकवर्गप्रजातियाँ
75 से कमदीर्घ शिरस्य (Dalicho-Cephalic)
(लम्बी खोपड़ी)
नीग्रो, नीग्रोइड, मेलेनेशियन, द्रविड़, पुरा द्रविड़,उत्तरी एवं दक्षिणी यूरोप के निवासी
75 से 80मध्य शिरस्य (Meso-Cephalic)
(मध्यम खोपड़ी)
बुशमैन, हाटेनटॉट, भूमध्य सागरीय, नार्डिक
80 से अधिकलघु शिरस्य (Brachy Cephalic)
(चौड़ी खोपड़ी)
तुर्क, मंगोल, तुगसं, आल्प्स-कार्पोमियन
शिरस्य सूचकांक के अनुसार सिर की आकृति

कपाल का उन्नतांशीय सूचकांक (Altitudinal Index)

कुछ खोपड़ियाँ महराबदार (Arch like)  होती हैं और कुछ ऊपर से चौरस होती हैं। खोपड़ी की महराब (Arch) की ऊँचाई के अनुसार संपूर्ण मानव जाति को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा गया है:-

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58 से कम ऊंचाईप्लेटी-सैफालिक (Platy Cephalic)
58 से 63ऑरथो-सैफालिक (Ortho-Cephalic)
63 से अधिकहिप्ली-सैफालिक (Hypli-Cephalic)
खोपड़ी की महराब (Arch) की ऊँचाई के अनुसार मानव जाति का वर्गीकरण

नासिका सूचकांक (Nasal Index)

नासिका सूचकांक नासिका की चौड़ाई तथा नाक की लंबाई माप कर प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है। इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है।

नासिका सूचकांक (Nasal Index)   =  नाक की चौड़ाई  /  नाक की लम्बाई x 100

नासिका सूचकांक के आधार पर नाक को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जाता है।

नासिका सूचकांकवर्गप्रजातियां
75 से कमपतली नाक (Leptorrhine)काकेशियस, नार्डिक
75 से 85मध्यम नाक (Mesorrhine)मंगोल
85 से अधिकचपटी चौड़ी नाक (Platorrhine)नीग्रोइड
नासिका सूचकांक के आधार पर नाक का वर्गीकरण

नेत्र कोटर सूचकांक (Orbital Index)

आँख के गोलक छिद्र की लम्बाई-चौड़ाई का अनुपात या सूची (Index) नीग्रीटो प्रजाति में लगभग 80 होता है,  आस्ट्रेलॉईड प्रजाति में 87, मैडिटरेनियन प्रजाति में 88 तथा अल्पाइन एवं मंगोलॉइड प्रजातियों में 95 से 99 तक होता है।

रक्त वर्ग (Blood Group)

नई वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार रक्त वर्ग के आधार पर मनुष्यों का वर्गीकरण किया जाता है। लेन्सटीनर ने मानव के रक्त को पहली बार अंग्रेजी के अक्षरों के नाम पर क्रमश: A, B, AB तथा O पुकारा। रक्त वर्ग (Blood Group)  के आधार पर संपूर्ण मानव प्रजातियों को तीन वर्गों में बाँटा है। इन वर्गों के नाम काकेसाइड (B से अधिक A), मंगोलॉइड (उच्च B) तथा नैग्रोइट (A और B दोनों) हैं।

शारीरिक गठन (Body Build)

शारीरिक बनावट व संरचना हेतु कंधों की चौड़ाई, सीने की चौड़ाई और गहराई, कूल्हे की चौड़ाई तथा अन्य परिमाप जिनका वर्णन यहां नहीं है, की माप कुछ सामाजिक समूहों में की गई है। शारीरिक गठन के आधार पर लोगों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे पाइकनिक (Pyknic) (नाटा और गठीला), एथेलेटिक (Athletic) (बड़ा और तगड़ा) तथा लेप्टोसम (Leprosome) (लम्बा व पतला)।

FAQs

प्रजाति का क्या मतलब होता है?

प्रजाति से अभिप्राय उस मानव वर्ग से है, जो वंशानुक्रम के द्वारा शारीरिक लक्षणों समानता रखता हो।

जलवायु का प्रभाव किन-2 शारीरिक लक्षणों पर स्पष्ट रूप से पड़ता है?

जलवायु का प्रभाव मानव की त्वचा के रंग, जीवाणु रस, आँखों के रंग, बालों की रचना तथा सिर व जबड़े की बनावट पर पड़ता है।

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