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मास वेस्टिंग (Mass Wasting)भूगोल का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है, जो भू-आकृतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने वाले छात्रों के लिए बेहद आवश्यक है। यह गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से चट्टानों और मिट्टी के ढलान से नीचे की ओर खिसकने की प्रक्रिया है। मास वेस्टिंग की विभिन्न प्रकार की घटनाओं का अध्ययन न केवल परीक्षाओं की दृष्टि से बल्कि सिविल इंजीनियरिंग, आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण है। चाहे आप UGC NET, UPSC, RPSC, KVS, NVS, DSSSB, HPSC, HTET, RTET, UPPSC, या BPSC की तैयारी कर रहे हों, मास वेस्टिंग जैसे विषयों की गहरी समझ आपको न केवल परीक्षा में सफल बनाएगी, बल्कि आपको जमीनी स्तर पर इन घटनाओं के बारे में सोचने और समाधान विकसित करने में भी मदद करेगी।

मास वेस्टिंग (Mass Wasting) क्या है?

मास वेस्टिंग (Mass Wasting), जिसे मास मूवमेंट भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें चट्टान और मिट्टी गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से ढलानों से नीचे खिसकते हैं। यह प्रक्रिया अपरदन की अन्य विधियों से भिन्न है क्योंकि इसमें मिट्टी या चट्टान पानी, हवा या बर्फ जैसे माध्यम के कारण ही  ढलानों से नीचे नहीं खिसकती। बल्कि इसका सीधा संबंध ढलान और गुरुत्वाकर्षण से होता है। 

उदाहरण के लिए, जब पहाड़ों में लगातार बारिश होती है, तो मिट्टी ढलान के सहारे नीचे खिसकने लगती है, जिसमें बारिश का पानी केवल स्नेहक (lubricant) का काम करता है। इस तरह की घटनाएं अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों में देखी जाती हैं, जहां तेज बारिश और ढलानों के कारण भूस्खलन होता है। यह प्रक्रिया धीमी हो सकती है जैसे कि क्रीप (मिट्टी का धीमा खिसकना) या तीव्र गति वाली हो सकती है जैसे भूस्खलन।

क्रीप (Creep) 

क्रीप, मास वेस्टिंग (Mass Wasting) का एक प्रकार है, मिट्टी या चट्टान का ऊपरी भाग बेहद धीमी गति से ढाल के सहारे नीचे की ओर खिसकता है, लेकिन इसके प्रभाव दीर्घकालिक होते हैं। इसमें मिट्टी और चट्टान बहुत धीरे-धीरे ढलान से नीचे की ओर खिसकती है, जिसे सामान्यतः पहचाना मुश्किल होता है। यह प्रक्रिया ज्यादातर तापमान में बदलाव के कारण होती है, जैसे कि ठंड और गर्मी का चक्र। 

उदाहरण के लिए, सर्दियों में मिट्टी में मौजूद पानी (नमी के रूप में ) की वजह से मिट्टी जम जाती है और गर्मियों में पिघलने पर यही पानी स्नेहक (lubricant) के रूप में काम करता है, जिससे  मिट्टी नीचे की ओर खिसकती है। इससे ढलान पर स्थित पेड़ धीरे-धीरे मुड़ने लगते हैं, और सड़कें व इमारतें टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। क्रीप के कारण खेतों में भी हल्की सीढ़ियां (Terracettes) बन जाती हैं। यह प्रक्रिया धीमी होती है, लेकिन लंबे समय में इसका प्रभाव गहरा हो सकता है, खासकर अगर इसे समय पर न रोका जाए।

सोलीफ्लक्शन (Solifluction) 

सोलीफ्लक्शन एक प्रकार की मास वेस्टिंग (Mass Wasting)  है जो विशेष रूप से ठंडे या पर्वतीय क्षेत्रों में होती है। जब गर्मियों में पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्रों की मिट्टी में जमा बर्फ पिघलती है, तो मिट्टी पानी से संतृप्त होकर धीरे-धीरे ढलान की ओर खिसकने लगती है। इस प्रक्रिया का मुख्य कारण मिट्टी में अत्यधिक नमी होती है, जो मिट्टी को ढलान के नीचे की ओर धकेलती है। 

सोलीफ्लक्शन की वजह से ढलान पर छोटे-छोटे पत्थरों की धाराएं (Stone Rivers) या सीढ़ीनुमा आकृतियां बन जाती हैं। यह प्रक्रिया सामान्यतः उन क्षेत्रों में होती है जहां वनस्पति कम होती है, जैसे आर्कटिक या अल्पाइन क्षेत्र। उदाहरण के लिए, अलास्का या हिमालय में ठंडे मौसम में यह घटना आम है, जहां मिट्टी गर्मियों में पिघलने पर खिसक जाती है।

भूस्खलन (Landslide) 

भूस्खलन मास वेस्टिंग (Mass Wasting) की सबसे खतरनाक और तेज गति वाली प्रक्रिया है। इसमें मिट्टी, चट्टान और मलबे का एक बड़ा हिस्सा अचानक खड़े ढलान से नीचे गिरता है। भूस्खलन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे तेज बारिश, भूकंप या मानवीय गतिविधियाँ जैसे खनन। उदाहरण के लिए, 2013 में उत्तराखंड में आई त्रासदी भूस्खलन का एक बड़ा उदाहरण है, जब भारी बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में अचानक मलबा और चट्टानें गिरने लगीं, जिससे कई गांव तबाह हो गए। भूस्खलन के परिणामस्वरूप नदियों का मार्ग भी बदल सकता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है। इसे रोकने के लिए बेहतर जल निकासी व्यवस्था और ढलान को स्थिर करने के उपाय किए जाते हैं।

मास वेस्टिंग के कारण

मास वेस्टिंग (Mass Wasting) के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें निष्क्रिय और सक्रिय कारणों में बांटा जा सकता है। निष्क्रिय कारणों में मिट्टी की संरचना, चट्टानों की प्रकृति, और स्थलाकृति (जैसे कि खड़ी ढलान) शामिल हैं। कमजोर चट्टानें या मिट्टी, जो आसानी से गिर सकती हैं, मास वेस्टिंग की प्रक्रिया को तेज कर देती हैं। उदाहरण के लिए, हिमालयी क्षेत्र में पतली चट्टानों और बारिश के कारण अक्सर भूस्खलन होता है। सक्रिय कारणों में भूकंप, मानवीय गतिविधियाँ जैसे कि ढलानों की कटाई या भारी निर्माण, और अत्यधिक बारिश शामिल हैं। ये सभी तत्व मिलकर ढलानों को अस्थिर कर सकते हैं और मास वेस्टिंग को प्रेरित कर सकते हैं।

मास वेस्टिंग के खतरे और निवारण

मास वेस्टिंग के खतरे

जान-माल का नुकसान: भूस्खलन से लोगों की जान जा सकती है और संपत्ति का भारी नुकसान हो सकता है। उदाहरण के लिए, 2014 में अमेरिका के ओसो में हुए भूस्खलन में 43 लोगों की जान गई थी।

सड़कों और इमारतों को नुकसान: भूस्खलन से सड़कों, इमारतों और पाइपलाइनों को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे यातायात और संचार बाधित हो सकता है।

बाढ़ का खतरा: पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण बनने वाले मलबा बांध नदियों के बहाव को रोक सकते हैं, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

मास वेस्टिंग के निवारण के उपाय

ढलानों को स्थिर करना: ढलानों को स्थिर करने के लिए विभिन्न इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि चट्टानों को रोकने के लिए दीवारों का निर्माण।

मलबा बांधों का निर्माण: मलबे को रोकने के लिए बांधों का निर्माण किया जा सकता है, जिससे नदियों का बहाव बाधित न हो और बाढ़ का खतरा कम हो।

जल निकासी व्यवस्था: ढलानों की बेहतर जल निकासी व्यवस्था से मिट्टी में नमी कम होती है, जिससे भूस्खलन का खतरा घटता है।

वनरोपण: पेड़ लगाने से मिट्टी स्थिर रहती है और भूस्खलन का खतरा कम होता है।

इन उपायों से प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। सतर्कता और जागरूकता से हम मास वेस्टिंग के खतरों से बच सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं।

Test Your Knowledge with MCQs

  1. मास वेस्टिंग का प्रमुख कारण क्या है?
    a) हवा
    b) बर्फ
    c) गुरुत्वाकर्षण
    d) पानी
  2. क्रीप (Creep) किस प्रकार की मास वेस्टिंग है?
    a) तेज और अचानक होने वाली
    b) धीमी और लंबी अवधि में होने वाली
    c) पानी की मदद से होने वाली
    d) भूकंप से उत्पन्न
  3. सोलीफ्लक्शन (Solifluction) मुख्य रूप से किन क्षेत्रों में होती है?
    a) रेगिस्तानी क्षेत्रों में
    b) पर्वतीय और ठंडे क्षेत्रों में
    c) समुद्री तटों पर
    d) समतल मैदानों में
  4. भूस्खलन (Landslide) किस स्थिति में अधिक संभावना होती है?
    a) अधिक वर्षा और ढलानों की कटाई
    b) शुष्क मौसम
    c) समुद्री तूफानों के दौरान
    d) घने वनस्पति वाले क्षेत्रों में
  5. निम्नलिखित में से कौन सा मास वेस्टिंग का धीमा रूप है?
    a) मलबा प्रवाह
    b) क्रीप
    c) भूस्खलन
    d) रॉकफॉल
  6. मास वेस्टिंग की प्रक्रिया किस ग्रह पर नहीं देखी गई है?
    a) पृथ्वी
    b) मंगल
    c) शुक्र
    d) शनि
  7. भूस्खलन के परिणामस्वरूप किस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं?
    a) नदी का मार्ग बदलना
    b) बाढ़ का आना
    c) सड़कों का क्षतिग्रस्त होना
    d) उपरोक्त सभी
  8. मिट्टी और चट्टानों का खिसकना किस प्रक्रिया के कारण होता है?
    a) अपरदन
    b) ज्वालामुखी विस्फोट
    c) गुरुत्वाकर्षण
    d) समुद्री ज्वार
  9. मास वेस्टिंग के प्रभाव से कौन से क्षेत्र अधिक प्रभावित होते हैं?
    a) घने वन
    b) शहरी क्षेत्र
    c) पहाड़ी और ढलानदार क्षेत्र
    d) रेगिस्तानी क्षेत्र
  10. मास वेस्टिंग के खतरे को कम करने के लिए कौन सा उपाय सही है?
    a) जल निकासी में सुधार
    b) वृक्षारोपण
    c) ढलानों को स्थिर करना
    d) उपरोक्त सभी

उत्तर (Answers)

  1. c) गुरुत्वाकर्षण
  2. b) धीमी और लंबी अवधि में होने वाली
  3. b) पर्वतीय और ठंडे क्षेत्रों में
  4. a) अधिक वर्षा और ढलानों की कटाई
  5. b) क्रीप
  6. d) शनि
  7. d) उपरोक्त सभी
  8. c) गुरुत्वाकर्षण
  9. c) पहाड़ी और ढलानदार क्षेत्र
  10. d) उपरोक्त सभी

FAQs

मास वेस्टिंग क्या है?

मास वेस्टिंग वह प्रक्रिया है जिसमें मिट्टी, चट्टान और मलबा ढलान से गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में नीचे की ओर खिसकते हैं। यह प्रक्रिया अपरदन से अलग है क्योंकि इसमें मलबा पानी, हवा या बर्फ में नहीं बहता। मास वेस्टिंग की घटनाएं धीमी (जैसे क्रीप) से लेकर तेज (जैसे भूस्खलन) हो सकती हैं। यह पर्वतीय क्षेत्रों, जहां ढलानें खड़ी होती हैं, में अधिक आम है। इसकी रोकथाम के लिए जल निकासी सुधार, ढलानों का स्थिरीकरण और वृक्षारोपण जैसे उपाय किए जाते हैं।

मास वेस्टिंग के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?

मास वेस्टिंग के प्रमुख प्रकारों में क्रीप, सोलीफ्लक्शन, रॉकफॉल, मलबा प्रवाह और भूस्खलन शामिल हैं। क्रीप धीमी प्रक्रिया है जो समय के साथ होती है, जबकि भूस्खलन तेज और अचानक होती है। सोलीफ्लक्शन ठंडे क्षेत्रों में होती है, जहां पिघली हुई मिट्टी ढलान पर खिसकती है। रॉकफॉल में चट्टानें सीधे नीचे गिरती हैं, और मलबा प्रवाह में मिट्टी और चट्टान पानी के साथ बहती है। ये सभी प्रक्रियाएं गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से होती हैं।

सोलीफ्लक्शन किस प्रकार की मास वेस्टिंग है?

सोलीफ्लक्शन ठंडे क्षेत्रों की विशेष मास वेस्टिंग प्रक्रिया है, जहां पर्माफ्रॉस्ट के कारण मिट्टी पानी से संतृप्त हो जाती है। जब गर्मियों में यह पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है, तो मिट्टी धीमी गति से ढलान पर खिसकने लगती है। यह प्रक्रिया आर्कटिक और अल्पाइन क्षेत्रों में आम है। सोलीफ्लक्शन से ढलान पर पत्थरों की धाराएं या सीढ़ीनुमा ढांचे बनते हैं। यह प्रक्रिया सामान्यतः उन क्षेत्रों में होती है जहां वनस्पति कम होती है, और इसकी गति धीमी होती है।

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