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धुँआरे (Fumaroles): अर्थ, क्षेत्र एवं महत्त्व

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धुँआरे ज्वालामुखी क्रिया के पश्चात निकलने वाले गर्म गैसों और वाष्प के उद्गार के छिद्र होते हैं, जो ज्वालामुखी की सक्रियता के अंतिम लक्षण माने जाते हैं। इनसे निकलने वाले पदार्थों में गंधक और बोरिक एसिड जैसी महत्वपूर्ण खनिजें होती हैं। धुँआरे न केवल प्राकृतिक रूप से आकर्षक होते हैं, बल्कि उनका आर्थिक महत्व भी होता है, जैसे विद्युत उत्पादन। यह लेख धुँआरे के विभिन्न पहलुओं, प्रमुख क्षेत्रों, और इनके आर्थिक उपयोग पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जो भूगोल के गहन अध्ययन और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

धुँआरे (Fumaroles) का अर्थ

धुँआरे या धूम्रछिद्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘फ्यूमरोल’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है ऐसा छिद्र जिससे होकर गैस तथा वाष्प धरातल पर प्रकट होती हैं। धुँआरे को दूर से देखने पर ऐसा लगता है मानो जोरों से धुँआ ही धुँआ, निकल रहा है। इसी कारण से इन्हें ‘धूम्रछिद्र अथवा धुँआरे’ कहते है। धुँआरे का सीधा सम्बन्ध ज्वालामुखी क्रिया से होता है। जब ज्वालामुखी उद्गार के बाद लावा, राख, विखण्डित पदार्थ आदि का निकलना बंद हो जाते हैं तो कभी-कभी थोड़ी -2 देर बाद तथा कभी-कभी लगातार गर्म वाष्प तथा गर्म गैसें निकलती रहती हैं।

धुँआरे के उद्गार की प्रक्रिया के बारे में कहा जा सकता है कि ज्वालामुखी के उद्गार के बाद मैगमा के ठंडा होने तथा सिकुड़ने से गर्म गैस तथा वाष्प का निर्माण होता है जो ऊपर की तरफ एक संकरी नली से होकर धरातल पर प्रकट होता है। इस प्रकार धुंआरे ज्वालामुखी की सक्रियता के अंतिम लक्षण भी कहे जा सकते हैं।

अलास्का में कटमई ज्वालामुखी के समीप धुँआरा (Credit: youtube.com)

धुँआरे (Fumaroles) के प्रमुख क्षेत्र

धुंआरे का बहुत बड़ा क्षेत्र अलास्का में कटमई ज्वालामुखी के समीप कई वर्गमील क्षेत्र में पाया जाता है। इस क्षेत्र में धुंआरे अत्यधिक मात्रा में एक घाटी में समूह में पाए जाते हैं। इस धुंआरे की घाटी को ‘दस सहस्र धूम्र घाटी’ (A Valley of Ten Thousand Smokes) कहा जाता है। यहाँ पर घाटी से इतनी अधिक मात्रा में धुँआरे प्रकट होते हैं कि उनकी निश्चित संख्या बताना कठिन है। इस घाटी में धुंआरे एक निश्चित दरार के सहारे पाए जाते हैं। वे छिद्र जिनसे होकर वाष्प तथा गैस निकलती हैं, आकार में प्राय: छोटे-छोटे होते हैं। साधारण तौर पर 10 फीट चौड़े धूम्र छिद्र देखने को मिलते हैं। 

देश धुँआरा/क्षेत्र का नाम
अलास्का दस सहस्र धूम्र घाटी
ईरान कोह सुल्तान धुँआरा
न्यूजीलैण्डप्लेण्टी की खाड़ी में ‘वाइट टापू का धुँआरा’
धुँआरे के प्रमुख क्षेत्र

गेसर एवं गर्म जलस्रोत की अपेक्षा धुँआरे द्वारा निकलने वाली वाष्प का तापमान बहुत अधिक होता है। गैस एवं वाष्प का तापमान 645° सेण्टीग्रेड तक होता है। गैस तथा वाष्प के तापमान का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जब ये गैसें तथा वाष्प बाहर निकलती हैं तो अदृश्य होती हैं परन्तु इनमें लकड़ी की पतली शहतीरें डाली जाए तो ये शीघ्र जलने लगती हैं। 

धुँआरों से निकलने वाले पदार्थों एवं गैसों में वाष्प का प्रतिशत सर्वाधिक (98.4 से 99.99 प्रतिशत) होता है। धुँआरे के साथ अन्य गैसों भी निकलती हैं, जिसमें महत्वपूर्ण गैसें हैं- कार्बनडाइआक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, हाइड्रोजन सल्फाइड, नाइट्रोजन तथा कुछ ऑक्सीजन एवं अमोनिया । धुँआरे के साथ वाष्प तथा गैस के साथ-साथ कुछ खनिज पदार्थ भी बाहर आते हैं। इनमें सबसे प्रमुख गन्धक होती है । 

सोलफतारा क्या होता है?
ऐसे धुंआरे, जिनसे अधिक मात्रा में गन्धक निकलता है, उन्हें ‘गन्धकीय धुँआरे’ अथवा ‘सोलफतारा’ कहते हैं। इटली के नेपल्स नगर के पास एक सोलफतारा नामक गन्धकीय धुँआरा है, जिससे सदैव गन्धकीय धुंआ निकला करता है । इसी आधार पर ऐसे धुँआरे, जिनसे गन्धक का धुँआ निकलता है,’सोल्फतारा’ कहे जाते हैं। 
सोलफतारे का अर्थ

धुंआरे (Fumaroles) का महत्व

धुंआरे देखने में मनमोहक व आकर्षकदृश्य प्रस्तुत करते हैं। इसके साथ ही साथ इनका आर्थिक उपयोग भी होता है। इनसे निकलने वाले पदार्थों से महत्वपूर्ण गन्धक तथा बोरिक एसिड प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार गर्म वाष्प तथा गैसों को  गहरे गड्ढों में एकत्रित करके विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।

इटली के टस्कनी प्रान्त में इस विधि से बिजली प्राप्त की जाती है, जिसका प्रयोग आस-पास के नगरों (पिसा, फ्लोरेन्स, नेपल्स आदि) में प्रकाश तथा शक्ति के लिए किया जाता है। इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया में धुंआरे द्वारा 650 फीट गहरे गड्ढे से बिजली उत्पन्न की जाती है। जब गैस एवं वाष्प अत्यधिक तीव्रता से प्रकट होती है तो उनसे सीधी बिजली पैदा की जाती है। गड्ढे खोदने की आवश्यकता नहीं होती है।

References

  1. भौतिक भूगोल, डॉ. सविन्द्र सिंह

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Q1. धुँआरे (Fumaroles) किस प्रक्रिया से सम्बंधित होते हैं?

a) भूकंप
b) ज्वालामुखी क्रिया
c) तटरेखा अपरदन
d) पर्वतीय निर्माण

Q2. धुँआरे शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के ‘फ्यूमरोल’ शब्द से हुई है?

a) ग्रीक
b) संस्कृत
c) लैटिन
d) फ्रेंच

Q3. धुँआरे से निकलने वाले वाष्प का तापमान कितना हो सकता है?

a) 100°C
b) 300°C
c) 645°C
d) 1000°C

Q4. ‘दस सहस्र धूम्र घाटी’ कहाँ स्थित है?

a) हवाई
b) जापान
c) अलास्का
d) आइसलैंड

Q5. धुँआरे से निकलने वाले वाष्प का प्रतिशत कितना होता है?

a) 50-60%
b) 70-80%
c) 90-95%
d) 98.4-99.99%

Q6. सोलफतारा (Solfatara) क्या है?

a) ज्वालामुखी का एक प्रकार
b) भूकंप का एक कारण
c) गंधकीय धुँआरे
d) समुद्र की एक विशेषता

Q7. धुँआरे से निकलने वाली प्रमुख गैसों में से कौन सी गैस शामिल नहीं है?

a) कार्बनडाइऑक्साइड
b) हाइड्रोजन सल्फाइड
c) मीथेन
d) हाइड्रोक्लोरिक एसिड

Q8. किस देश के टस्कनी प्रान्त में धुँआरे से बिजली उत्पन्न की जाती है?

a) जापान
b) संयुक्त राज्य अमेरिका
c) इटली
d) फ्रांस

Q9. धुँआरे का आर्थिक उपयोग किस रूप में किया जा सकता है?

a) कृषि
b) पर्यटन
c) विद्युत उत्पादन
d) मछली पालन

Q10. धुँआरे किस प्रकार के खनिज पदार्थ का स्रोत होते हैं?

a) सोना
b) चांदी
c) गंधक
d) प्लैटिनम


Answers:

A1. b) ज्वालामुखी क्रिया
A2. c) लैटिन
A3. c) 645°C
A4. c) अलास्का
A5. d) 98.4-99.99%
A6. c) गंधकीय धुँआरे
A7. c) मीथेन
A8. c) इटली
A9. c) विद्युत उत्पादन
A10. c) गंधक

FAQs

धुँआरे (Fumaroles) क्या होते हैं?

धुँआरे वे छिद्र होते हैं जिनसे होकर गर्म गैस और वाष्प धरातल पर प्रकट होती हैं। ये ज्वालामुखी क्रिया के अंतिम चरण का संकेत देते हैं।

धुँआरे से कौन-कौन सी गैसें निकलती हैं?

धुँआरे से मुख्य रूप से वाष्प, कार्बनडाइऑक्साइड, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, हाइड्रोजन सल्फाइड, नाइट्रोजन और थोड़ी मात्रा में ऑक्सीजन और अमोनिया गैसें निकलती हैं।

सोलफतारा क्या है?

सोलफतारा वे धुँआरे होते हैं जिनसे अधिक मात्रा में गंधक निकलती है। इन्हें ‘गंधकीय धुँआरे’ भी कहा जाता है।

धुँआरे से वाष्प का प्रतिशत कितना होता है?

धुँआरे से निकलने वाली वाष्प का प्रतिशत 98.4% से 99.99% तक होता है।

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