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ज्वालामुखी चाहे कैसे भी हों, केन्द्रीय उद्गार वाले हों या दरारी उद्गार वाले, सब एक समान रूप से क्रियाशील नहीं होते हैं। कुछ ज्वालामुखी उद्गार के तुरंत बाद ही समाप्त हो जाते हैं तथा कुछ ज्वालामुखी कुछ समय के बाद पुन: प्रकट होते रहते हैं। इस प्रकार उद्गार के समय तथा दो उद्गारों के बीच अवकाश के आधार अर्थात् ज्वालामुखी की सक्रियता के आधार पर इन्हें तीन श्रेणियों में बाँटा गया है, जिनका वर्णन नीचे किया गया है :
नोट ज्वालामुखी के अन्य प्रकारों का अध्ययन करने के लिए नीचे दिए गए लेख को पढ़ें ज्वालामुखी के प्रकार |
सक्रियता के अनुसार ज्वालामुखी का वर्गीकरण (Classification of volcanoes according to duration of eruption)
जाग्रत ज्वालामुखी (active volcano)
जिन ज्वालामुखियों से लावा, गैस तथा अन्य विखण्डित पदार्थ सदा निकलते रहते हैं, उन्हें ‘जाग्रत या सक्रिय ज्वालामुखी’ कहते हैं। वर्तमान समय में विश्व के जाग्रत ज्वालामुखियों की संख्या 500 के लगभग अनुमानित की गई है। इनमें से प्रमुख हैं, इटली के एटना तथा स्ट्राम्बोली। स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी भूमध्य सागर में सिसली के उत्तर में ‘लिपारी द्वीप‘ पर स्थित है।
इस ज्वालामुखी से लगातार जलती हुई गैंसें निकलती रहती हैं, जिसके कारण आस-पास का भाग प्रकाशमान रहता है, इसी कारण इस ज्वालामुखी को ‘भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ‘ (lighthouse) कहते हैं। इसके अतिरिक्त इटली का एटना, इक्वेडोर का कोटोपैक्सी (विश्व का सबसे ऊँचा सक्रिय ज्वालामुखी), अंटार्कटिका का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी माउंट एर्बुश (इरेबस) तथा अंडमान-निकोबार के बैरेन द्वीप में सक्रिय ज्वालामुखी प्रमुख हैं।
प्रसुप्त ज्वालामुखी (dormant volcano)
ये वैसे ज्वालामुखी हैं, जो वर्षों से सक्रिय नहीं है, परन्तु कभी भी विस्फोट कर सकते हैं। जिससे अपार धन-जन की हानि उठानी पड़ सकती है। अत: ऐसे ज्वालामुखी को, जिनके उद्गार के समय तथा स्वभाव के विषय में कुछ निश्चित नहीं होता है तथा जो वर्तमान समय में शान्त से नजर आते हैं, ‘प्रसुप्त ज्वालामुखी’ कहलाते हैं। विसुवियस तथा क्राकाटाओ इस समय प्रसुप्त हैं । इनमें इटली का विसुवियस, जापान का फ्यूजीयामा, इंडोनेशिया का क्राकाताओ तथा अंडमान-निकोबार के नारकोंडम द्वीप (दिसंबर, 2004 के सुनामी के बाद इसमें सक्रियता के लक्षण दिखाई पड़े हैं) के ज्वालामुखी उल्लेखनीय हैं।
इटली का विसुवियस ज्वालामुखी इतिहास में कई बार जाग्रत तथा कई बार शांत हो चुका है। इसका प्रथम उद्गार 79 ई० में हुआ था जिसके कारण पोम्पियाई तथा हरकुलेनियन नगरों को काफी क्षति उठानी पड़ी। इसके बाद लगभग 1500 वर्षों बाद विसुवियस का उद्भेदन 1631 में हुआ। तत्पश्चात् विसुवियस के उद्गार 1803, 1872, 1906, 1927, 1928 तथा 1929 में हुए। वर्तमान समय में यह प्रसुप्त अवस्था में है।
शान्त ज्वालामुखी (extinct volcano)
इसके अंतर्गत वो ज्वालामुखी शामिल किए जाते हैं, जिनमें हजारों वर्षों से कोई उद्भेदन नहीं हुआ है तथा भविष्य में भी इसकी कोई संभावना नहीं है। इस प्रकार के ज्वालामुखी मुख में जल आदि भर जाता है एवं झीलों का निर्माण हो जाता हैं। अफ्रीका के पूर्वी भाग में स्थित केनिया व किलिमंजारो, इक्वेडोर का चिम्बाराजो, म्यांमार का पोपा, ईरान का देमबन्द व कोह सुल्तान और एंडीज का एकांकागुआ पर्वत श्रेणी इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
References
- भौतिक भूगोल, डॉ. सविन्द्र सिंह
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