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21 जून का दिन बड़ा क्यों होता है? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

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21 जून की स्थिति, जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है

परिचय

21 जून को दिन ही भारत में या कहें उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा क्यों होता है? यह सवाल अक्सर हमारे मन में आता होगा। ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के रूप में जाने जाने वाले इस दिन का खगोलीय महत्व काफी रोचक और महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम जानेंगे कि 21 जून का दिन सबसे लंबा क्यों होता है, और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझेंगे।

ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) का परिचय

ग्रीष्म संक्रांति का अर्थ है “गर्मियों का प्रारंभ”। 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है। इस कारण सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा (23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश) पर पड़ती हैं, जिससे दिन की लंबाई सबसे अधिक होती है।

खगोलीय घटनाएँ और 21 जून

पृथ्वी का 23.5 डिग्री का झुकाव और सूर्य की स्थिति के कारण 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) होती है। इस दिन, सूर्य कर्क रेखा के सीध में होता है अर्थात् सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत होता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में दिन सबसे बड़ा और रात सबसे छोटी होती है। पृथ्वी का यह झुकाव ही हमारे लिए ऋतुओं का निर्माण करता है।

दिन-रात की अवधि

21 जून को दिन की लंबाई सबसे अधिक होती है क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं। इस कारण उत्तरी गोलार्ध में दिन का समय लंबा हो जाता है और रात का समय छोटा। यह खगोलीय घटना हर साल होती है और इसे “सबसे बड़ा दिन” कहा जाता है।

21 जून को परछाई भी साथ छोड़ देती है 

इस दिन की खास बात यह है कि एक ऐसा पल ऐसा भी आता है जब आपकी परछाई आपका साथ छोड़ देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि 21 जून के दिन सूरज सीधा सिर के ऊपर चमकता है अर्थात् लम्बवत होता है। इस दिन के बाद से दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं। यह प्रक्रिया 21 सितंबर तक चलती है। 21 सितंबर को दिन और रात एक समान हो जाते हैं। इसके बाद 21 सितंबर से रातें लंबी होने का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो 23 दिसंबर तक चलता है।

21 जून का वैश्विक महत्व

विभिन्न देशों में 21 जून का विशेष महत्व होता है। इस दिन को विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं और उत्सवों के रूप में मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों में इस दिन को मध्य ग्रीष्म दिवस (Midsummer Day) के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग सूर्य की उपासना करते हैं और लंबी रात का स्वागत करते हैं।

भारत में 21 जून का महत्व

भारत में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन योग के महत्व को पूरी दुनिया में प्रचारित किया जाता है। इसके अलावा, भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन से जुड़ी कई लोक परंपराएँ और उत्सव भी मनाए जाते हैं।

विज्ञान के नजरिए से 21 जून

विज्ञान के दृष्टिकोण से 21 जून का दिन खगोलीय अध्ययन और शोध के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन को लेकर कई भविष्यवाणियाँ और अनुसंधान किए जाते हैं। ग्रीष्म संक्रांति के समय ग्रहण और अन्य खगोलीय घटनाएँ भी हो सकती हैं, जो वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।

क्या आपने कभी 21 जून को सूर्यास्त या सूर्योदय का अनुभव किया है? हमें अपने विचार और अनुभव नीचे कमेंट में बताएं। इस लेख को सोशल मीडिया पर साझा करें।

FAQs

21 जून को सूर्य की स्थिति का दिन-रात की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ता है?

21 जून को सूर्य आकाश में लम्बवत होता है, जिससे उसकी किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं। इस कारण दिन की अवधि सबसे लंबी और रात की अवधि सबसे छोटी होती है, जिससे यह दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन कहलाता है।

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