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प्रायद्वीपीय भारत का नदी तंत्र (River System of Peninsular India)

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Peninsular River Map
प्रायद्वीपीय भारत का नदी तंत्र (Source: watershed atlas of India)

प्रायद्वीपीय भारत का नदी तंत्र (River System of Peninsular India)

पश्चिम की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य नदियाँ:-

लूनी नदी

  • लूनी नदी अजमेर के निकट अरावली श्रेणी से निकलती है तथा इसके बाएँ तट में अनेक सहायक नदियाँ, जैसे बांदी, सुकरी तथा जवाई आकर मिलती है। 
  • लूनी नदी बलोतरा के नीचे खारी हो जाती है तथा दक्षिण की ओर कच्छ की दलदल भूमि (‘रन ऑफ कच्छ‘) में जाकर समाप्त हो जाती है।

बनास नदी

  • बनास नदी माउंट आबू से निकलती है तथा पालमपुर होकर बहते हुए कच्छ की दलदल भूमि में जाकर मिलती है।

साबरमती नदी 

  • साबरमती नदी अरावली श्रेणी के दक्षिणी ढाल को अपवाहित करती है। 
  • इस नदी का एक संकीर्ण लम्बा बेसिन है, जिसका क्षेत्रफल 21700 वर्ग कि.मी. है। 
  • साबरमती में सहायक नदियां इसके पूर्वी भाग में आकर मिलती है तथा यह नदी खंभात की खाड़ी में मिलने से पहले लगभग एक उत्तरी-दक्षिणी मार्ग में बहती है।

माही नदी

  • माही नदी मध्य प्रदेश की विंध्य पहाडियों से निकलती है। 
  • यह दक्षिण-पश्चिम की ओर आनंद तथा बनासवाड़ा जिले से होकर गुजरती है तथा अन्ततः एक मुहाना बनाकर खंभात की खाड़ी में जाकर मिलती है।

शरावती नदी

  • शरावती नदी कर्नाटक के शिमोगा जिले से निकलती है तथा गारसोपा जलप्रपात उत्पन्न करती बनाती है। 
  • यह भारत का सबसे भव्य जलप्रपात है जो जोग जलप्रपात (271 मीटर) के नाम से प्रसिद्ध है। 
  • पश्चिमी घाट के अखण्ड जलविभाजक में एकमात्र दरार 13 कि.मी. चौड़ी पालक्कड़ (Palakkad) दर्रा है, जिसे पालघाट भी कहते हैं। 
  • पोन्नानी नदी इस दर्रे से होकर पश्चिम की ओर बहती है।

नर्मदा नदी 

  • नर्मदा नदी  की लम्बाई 1300 कि.मी. तथा अपवाह बेसिन 98,800 वर्ग कि.मी. है। 
  • यह नदी छत्तीसगढ़ के मैकाल पहाड़ियों में अमरकंटक पठार से निकलती हैं। 
  • नर्मदा नदी कुछ प्रभावशाली महाखड्डों से होकर गुजरती है, जिसमें सबसे भव्य है – जबलपुर के निकट धुंआधार जलप्रपात। 
  • जबलपुर से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए यह नदी विन्ध्य तथा सतपुड़ा श्रेणियों के बीच एक विभ्रंश घाटी (Rift Valley) से होकर गुजरती है। 
  • इस नदी की घाटी में समृद्ध जलोढ़ निक्षेप होते हैं। 
  • यह भरुच से आगे चौड़ी हो जाती है तथा एक 27 कि.मी. चौड़ा मुहाना (estuary) बनाकर खंभात की खाड़ी (अरब सागर) “में प्रवेश करती है। 

तापी नदी

  • तापी नदी की लम्बाई 700 कि.मी. तथा अपवाह बेसिन 66.900 वर्ग कि.मी. है। 
  • तापी नदी सतपुड़ा श्रेणी से निकलती है तथा सतपुड़ा के समानान्तर पश्चिम की ओर बहती है।
  • खंडवा-बुरहानपुर दर्रे के निकट नर्मदा तथा तापी एक दूसरे के करीब आ जाती हैं। 
  • जलगाँव के नीचे यह नदी नर्मदा की ही तरह विभ्रंश घाटी में बहती है लेकिन उत्तर में सतपुड़ा श्रेणी तथा दक्षिण में अजन्ता श्रेणी के बीच एक अत्यन्त संकुचित रूप में बहती है। 
  • सूरत शहर के नीचे यह एक मुहाना बनाती है तथा खंभात की खाड़ी में जा मिलती है।

अन्य नदियाँ

पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल को अपवाहित करने वाली अन्य नदियाँ हैं – उल्हास, सावित्री, वशिष्ठ, नेत्रवती, पेरियार तथा पामबियार। 

पूर्व की ओर बहने वाली  प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य नदियाँ:-

अनेक नदियां छोटानागपुर पठार से निकलती हैं तथा बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। छोटा नागपुर पठार से निकलने वाली नदियों में ब्रह्मानी सबसे महत्त्वपूर्ण है, जो बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।

स्वर्णरेखा नदी

  • स्वर्णरेखा नदी की लम्बाई 400 कि.मी. तथा बेसिन 28,000 वर्ग कि.मी. है।
  • यह नदी राँची के दक्षिण-पश्चिम से निकलती है, जहां इसके अनेक जलप्रपात हैं।
  • पूर्वी दिशा में बहते हुए यह जमशेदपुर से होकर गुजरती है तथा बालासोर के निकट बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। 
  • इसका अपवाह बेसिन झारखण्ड, उड़ीसा तथा प. बंगाल राज्यों में पड़ता है।

ब्राह्मणी नदी

  • ब्राह्मणी नदी की लम्बाई 420 कि. मी. है। 
  • ब्राह्मणी नदी कोयल तथा शंख नदियों के संगम से बनती है। 
  • ये नदियाँ राउलकेला में जाकर मिलती हैं तथा गदजात पहाड़ियों के पश्चिमी भाग को अपवाहित करती हैं।
  • यह नदी बंगाल की खाड़ी में पाराद्वीप बंदरगाह के ऊपर जाकर मिलती है। 
  • उत्तर में वैतरणी नदी होने के कारण भद्रक के नीचे एक डेल्टा क्षेत्र का निर्माण है।

महानदी 

  • महानदी की लम्बाई-885 कि.मी. तथा बेसिन – 141,600 वर्ग कि.मी. है।
  • उड़ीसा तथा छत्तीसगढ़ की सबसे प्रमुख नदी है। 
  • यह छत्तीसगढ़ बेसिन से निकलती है तथा रायपुर के पूर्वी एवं पश्चिमी भाग को अपवाहित करती है। 
  • दोनों तटों पर अनेक नदियों, उदाहरण के लिए शिवनाथ तथा संदूर के मिलने के बाद (200 से 700 मीटर की ऊँचाई के मध्य) संयुक्त रूप से जल का निकास पूर्व की ओर एक महाखड्ड (गॉर्ज) के द्वारा होता है, यहां जल को अवरुद्ध कर हीराकुंड बाँध का निर्माण किया गया है। 
  • पूर्वी घाट से होकर बंगाल की खाड़ी में अपने डेल्टा में अनेक वितरिकाओं के द्वारा प्रवेश करती है। 
  • कटक शहर महानदी डेल्टा के शीर्ष पर स्थित है। 

गोदावरी नदी

  • गोदावरी नदी की लम्बाई- 1465 कि.मी. तथा  बेसिन-312,800 वर्ग कि.मी. है। 
  • गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है। 
  • यह पश्चिमी घाट में नासिक के नीचे एक झरने से निकलती है तथा पूर्वी एवं दक्षिणी-पूर्वी महाराष्ट्र, बस्तर पठार (छत्तीसगढ़) तथा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आंध्र क्षेत्र को अपवाहित करती है। 
  • इसकी अनेक सहायक नदियाँ हैं, विशेषकर इसके बाएं तट पर, जैसे- पूर्णा, मनेर, पेनगंगा, प्राणहिता (वेनगंगा तथा वर्धा संयुक्त रूप से), इन्द्रावती, ताल तथा साबरी। 
  • दाहिने तट की सबसे प्रमुख सहायक नदी है मंजिरा
  • गोदावारी के डेल्टा की विशेषता अनेक पुरा-नहरें तथा लैगूनों (अनूप) से जुड़े हुए मैंग्रोव (गराना) है।
  • काकीनाड़ा के दक्षिण पूर्व में स्थित कोल्लेरू झील एक ऐसा ही अन्तः स्थलीय लैगून है।

कृष्णा नदी

  • कृष्णा नदी की लम्बाई 1290 कि.मी. तथा बेसिन 259,000 वर्ग कि.मी. है। 
  • कृष्णा नदी का उद्गम महाबलेश्वर के निकट पश्चिमी घाट में है। 
  • अनेक छोटी नदियाँ, जैसे कोयना तथा घाटप्रभा कृष्णा में आकर मिलती हैं, जिससे उसे एक अध:- द्रुममाकृतिक प्रतिरूप प्राप्त होती है। 
  • उत्तर में भीमा तथा दक्षिण में तुंगभद्रा इसकी अन्य सहायक नदियाँ हैं। 
  • कृष्णा नदी को अवरुद्ध कर (बांध बनाकर) नागार्जुन सागर जलाशय का निर्माण किया गया है। 
  • पूर्व की ओर विजयवाडा के नीचे श्री सेलम पहाड़ियों में महाखड्ड के आगे यह नदी पक्षी के पंजे के आकार के उर्वर डेल्टा (Birds Foot Delta) का निर्माण करती है। 

पेन्नार नदी

  • पेन्नार नदी दक्षिण मैसूर पठार के कोलार जिले से निकलती है। 
  • इसकी मुख्य सहायक नदियाँ चित्रावती तथा पापाघनी है। 
  • यह कुडप्पा क्वार्ट्जाइट के एक महाखड्ड होकर गुजरती है तथा बंगाल की खाड़ी में एक मुहाना के रूप प्रवेश करती है।

कावेरी नदी

  • कावेरी नदी की लम्बाई 765 कि.मी. तथा बेसिन 87,990 वर्ग कि.मी. है।  
  • गंगा की ही तरह एक पवित्र नदी है। इसलिए इसे दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है। 
  • यह मैसूर पठार के दक्षिणी भाग से एक पथरीली पर्वतीय नदी के रूप में निकलती है तथा क्षिप्तिकाओं, प्रपातों एवं जलप्रपातों का निर्माण करती है। 
  • इसका अपवाह बेसिन ग्रीष्मकालीन मानसून. पश्चगमन मानसून तथा शीतकालीन मानसून के दौरान वर्षा प्राप्त करती है। 
  • मैसूर से 20 कि.मी. ऊपर इस नदी पर बाँध बनाकर कृष्णासागर जलाशय का निर्माण हुआ है। 
  • यह श्रीगंगापट्टनम तथा शिवसमुद्रम द्वीप होकर गुजरती है। 
  • इस नदी पर हैगनकाल प्रपात है, जहाँ इस नदी के पठार मार्ग का लगभग अन्त हो जाता है। 
  • डोडाबेटा चोटी (2636 मीटर) के पूर्व में नीलगिरि पर्वत में एक अन्य संकीर्ण महाखड्ड है। जिसे भवानी तथा उसकी सहायक नदी मोयार अपवाहित करती है, जो मैटूर बांध के लिए स्थान प्रदान करते हैं।
  • कोयम्बटूर बेसिन को अपवाहित करते हुए कावेरी भवानी नदी से संगम के बाद मैदान क्षेत्र में प्रवेश करती है। 
  • तिरुचरापल्ली से कुछ कि.मी. ऊपर यह नदी बिखर कर तमिलनाडु के तंजावुर जिले में चतुर्थांश डेल्टा का निर्माण करती है।

अमरावती नदी

  • अमरावती, कावेरी नदी की सहायक नदी है। 
  • इसका उद्गम केरल और तमिलनाडु की सीमा पर है तथा इसकी लंबाई 175 किमी. है। 
  • यह करूर जिले में कावेरी से मिलती है तथा कोयम्बटूर जिले में 60,000 एकड़ भूमि की सिंचाई करती है।
  • इसके बेसिन में काफी औद्योगीकरण हुआ है, जिस कारण इसके जल का उच्च प्रदूषण हुआ है।

तम्ब्रापानी नदी

  • तिरूनिवेली जिले की  यह नदी पश्चिम घाट के पालनी पहाड़ियों के ढाल से निकलती है तथा मदुरई से गुजरती है।
  •  यह रामनाथपुरम प्रायद्वीप से होकर यह नदी मन्नार की खाड़ी में जाकर मिलती है।

FAQs

गोदावरी को दक्षिण की वृद्ध गंगा क्यों कहा जाता है?

गोदावरी नदी दक्षिणी भारत की सबसे बड़ी नदी है जिसकी लम्बाई 1,465 किमी० तथा अपवाहित क्षेत्र 3,12,812 वर्ग किमी है। पूर्णा, मनप्रभा, पेनगंगा, वेनगंगा, वर्धा, प्रणहिता, इन्द्रावती, मानेर तथा सवासी इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह 120 किमी० चौड़ा डेल्टा बनाती है। इसके विशाल आकार एवं विस्तार के कारण इसे प्रायः वृद्ध गंगा या दक्षिण गंगा कहा जाता है।

पश्चिमी तट पर नदियाँ डेल्टा क्यों नहीं बनाती हैं?

पश्चिमी घाट से 600 से भी अधिक नदियाँ निकलकर पश्चिमी तट तक जाती हैं और बड़ी मात्रा में तलछट बहाकर लाती हैं। परन्तु ये सभी छोटी तथा तीव्रगामी नदियाँ हैं और तट पर अपना तलछट जमा करने में असमर्थ हैं। नर्मदा तथा तापी दो बड़ी नदियाँ है, लेकिन ये दोनों द्रोणी भ्रंश में बहती हैं। अतः पश्चिमी तट पर नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती।

हिमालय की नदियाँ बारहमासी क्यों होती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ मौसमी क्यों होती हैं?

हिमालय से निकलने वाली नदियों के उद्गम स्रोत हिमालय के बर्फीले इलाकों में हैं। ग्रीष्मऋतु में यह बर्फ पिघलकर नदियों को जल प्रदान करती है। इस प्रकार इन नदियों में शुष्क ऋतु में भी जल प्रवाहित होता रहता है और ये नदियाँ बारहमासी हैं। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय नदियां वर्षा के जल पर ही निर्भर करती हैं। इनमें वर्षा की ऋतु में तो पर्याप्त जल मिलता है परन्तु शुष्क ऋतु में ये सूख जाती हैं। अतः प्रायद्वीपीय नदियां मौमी हैं।

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