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हिमालय का प्रादेशिक विभाजन (Regional Division of Himalaya)

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हिमालय में बड़े पैमाने पर प्रादेशिक विविधताएँ पाई जाती हैं। हिमालय को प्रदेशों में विभाजित करने के लिए विभिन्न विद्वान ने अपने-अपने मानदंड अपनाए हैं। जिनमें से कुछ के उदाहरण इस प्रकार हैं:-

सर सिडनी बरार्ड ने हिमालय को चार अनुप्रस्थ क्षेत्रों में विभाजित किया है-

  1. पंजाब हिमालय (सिंधु और सतलुज नदियों के बीच 500 कि,मी. लंबा)
  2. कुमाऊं हिमालय (सतलुज और काली नदियों के बीच 320 किमी लंबा)
  3. नेपाल हिमालय (काली और तिस्ता नदियों के बीच 800 किमी लंबा) और
  4. असम हिमालय (तिस्ता और ब्रह्मपुत्र नदियों के बीच 720 कि.मी.लंबा)

एसपी चटर्जी (1964) ने इसे निम्नलिखित क्षेत्रों में विभाजित किया है

  1. पश्चिमी हिमालय (कश्मीर, पंजाब और कुमाऊँ हिमालय)
  2. मध्य हिमालय (नेपाल हिमालय) और
  3. पूर्वी हिमालय (पूर्वाचल या पूर्वोत्तर पर्वतमाला)

आर एल सिंह (1971) ने हिमालय को तीन उपभागों में विभाजित किया है –

  • पश्चिमी हिमालय :- (1) कश्मीर हिमालय, और (2) हिमाचल हिमालय,
  • मध्य हिमालय :- (3) उत्तर प्रदेश हिमालय, (4) नेपाल हिमालय, तथा
  • पूर्वी हिमालय

हिमालय का प्रादेशिक विभाजन (Regional Division of Himalaya)

उच्चावच, पर्वत श्रृंखलाओं के संरेखण और अन्य भू-आकृतिक विशेषताओं के आधार पर, हिमालय को कई क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है

  1. कश्मीर हिमालय या उत्तर-पश्चिम हिमालय,
  2. हिमाचल और उत्तराखंड हिमालय,
  3. दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय,
  4. अरुणाचल हिमालय,
  5. पूर्वी पहाड़ियां और पहाड़
  6. हिमालय की उत्तर-पश्चिमी शाखाएँ।

कश्मीर हिमालय या उत्तर-पश्चिमी हिमालय

  • इसे पंजाब हिमालय भी कहा जाता है।
  • पंजाब या कश्मीर हिमालय सिंधु नदी से सतलुज नदी तक फैला हुआ है।
  • हिमालय के इस भाग में चार प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएँ पाई जाती हैं। ये हैं काराकोरम, लद्दाख, जास्कर और पीर पंजाल
  • कश्मीर हिमालय का उत्तरपूर्वी भाग, वृहत हिमालय और काराकोरम पर्वतमाला के बीच स्थित एक ठंडा मरुस्थल है।
  • K2 या गॉडविन ऑस्टिन (8611), नंगा पर्वत (8126), राकापोशी (7788), और हरामोश (7397) इस क्षेत्र की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ हैं।
  • बृहत हिमालय में ज़ोजिला, पीर पंजाल श्रेणी में बनिहाल, जास्कर श्रेणी में फ़ोटुला और लद्दाख श्रेणी में खारदुंग ला इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण दर्रे हैं।
  • यहाँ 5,575 मीटर की ऊँचाई पर स्थित काराकोरम दर्रा, भारत और तारिम बेसिन के बीच एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।
  • काराकोरम रेंज में महत्वपूर्ण ग्लेशियर हैं – वाल्टोरो, सियाचिन, हिस्पार, बतूरा और बिफाओ।
  • विश्व प्रसिद्ध कश्मीर घाटी भी वृहत हिमालय और पीर पंजाल के बीच स्थित है। जो करेवा के लिए प्रसिद्ध है। करेवा ग्लेशियल क्ले, कई प्रकार की ग्लेशियल सामग्री का मिश्रण है। जाफरान की खेती के लिए करेवा उपयुक्त है।
  • इस क्षेत्र में सिंधु और उसकी दो सहायक नदियाँ झेलम और चिनाब बहती हैं।
  • कश्मीर और उत्तर-पश्चिमी हिमालय अपनी अनूठी सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। पर्यटकों के अलावा हर साल कई तीर्थयात्री भी यहां आते हैं क्योंकि वैष्णो देवी, अमरनाथ गुफा और चरार-ए-शरीफ जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी कश्मीर हिमालय में स्थित हैं।
  • श्रीनगर झेलम नदी के तट पर स्थित है।
  • मीठे पानी की झीलें – डल और वूलर और खारे पानी की झीलें पैंगोंग्त्सो और त्सोमुरीरी भी इस क्षेत्र में पाई जाती हैं।
Passes in Jammu & Kashmir and Ladakh
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में स्थित प्रमुख दर्रे

हिमाचल और उत्तराखंड हिमालय

  • इसे कुमाऊं हिमालय भी कहा जाता है।
  • हिमालय का यह भाग पश्चिम में सतलुज नदी और पूर्व में घाघरा की सहायक काली नदी के बीच फैला हुआ है।
  • यह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में स्थित है।
  • यह क्षेत्र भारत की दो प्रमुख नदी प्रणालियों – सिंधु और गंगा द्वारा अपवाहित है। सिंधु की सहायक नदियाँ – रावी, ब्यास और सतलज और गंगा की सहायक नदियाँ – यमुना और घाघरा इस क्षेत्र में बहती हैं।
  • हिमालय की सभी तीन मुख्य पर्वत श्रृंखलाएँ – वृहत हिमालय, लघु या मध्य हिमालय और शिवालिक श्रृंखला इसी खंड में स्थित हैं।
  • लघु हिमालय को हिमाचल प्रदेश में धौलाधार और उत्तराखंड में नागभिता कहा जाता है।
  • धर्मशाला, मसूरी, शिमला और कसौली जैसे अधिकांश हिल स्टेशन और रानीखेत और लैंडडाउन जैसे स्वास्थ्य केंद्र यहाँ स्थित हैं।
  • हिमालय के इस भाग के दक्षिणी भाग में अनेक अनुदैर्घ्य घाटियाँ (द्वार) भी पाई जाती हैं, जिनमें देहरादून, कोथरीदून, पाटलीदून, चंडीगढ़-कालका का दून, नालागढ़ दून, हरिके दून और कोटदून आदि उल्लेखनीय हैं।
  • वृहत हिमालय की कुमाऊं और गढ़वाल पहाड़ियां भोटिया जाति से आबाद हैं। ये लोग लगभग 3200 से 4100 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं और ये खानाबदोश लोग हैं जो गर्मियों में अपने जानवरों जैसे भेड़, बकरी, साही, खच्चर, गधे आदि के साथ बुग्याल (हिम रेखा के पास घास के मैदान) में प्रवास करते हैं और वापस लौट जाते हैं। सर्दियों में घाटियों में वापिस लौट आते हैं।
  • भागीरथी (गंगा), अलकनंदा और यमुना नदियों का उद्गम यहीं होता है।
  • हिमालय के इस हिस्से में नंदा देवी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, कामत, त्रिशूल और हेमकुंड साहिब जैसी कुछ महत्वपूर्ण चोटियाँ पाई जाती हैं।
Passes in Himachal Pradesh and Uttarakhand
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित प्रमुख दर्रे

दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय

  • इसे नेपाल हिमालय या मध्य हिमालय भी कहा जाता है।
  • यह काली नदी और तीस्ता नदी के बीच लगभग 800 किमी की लंबाई में फैले हिमालय का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • हिमालय की सबसे ऊँची चोटियाँ जैसे माउंट एवरेस्ट (भारत-नेपाल सीमा पर), कंचनजंगा, धौलागिरी, मकालू और अन्नपूर्णा आदि यहाँ स्थित हैं।
  • लेप्चा जनजातियाँ इन पहाड़ों के ऊँचे भागों में पाई जाती हैं और उनके दक्षिणी भागों में मिश्रित आबादी जिसमें नेपाली, बंगाली और मध्य भारतीय जनजातियाँ शामिल हैं।
  • सिक्किम और दार्जिलिंग हिमालयी जीवों, वनस्पतियों, प्राकृतिक सुंदरता और रंगीन ऑर्किड के लिए प्रसिद्ध हैं।
Passes in Assam, Arunachal Pradesh and Sikkim
असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में स्थित प्रमुख दर्रे

अरुणाचल हिमालय

  • इसे असम हिमालय के नाम से जाना जाता है।
  • अरुणाचल हिमालय पूर्व में भूटान हिमालय से दिफू दर्रे तक फैला हुआ है।
  • यहाँ हिमालय की ऊँचाई पुनः कम होने लगती है। इस क्षेत्र की प्रमुख चोटियाँ कुला कांगड़ी, नमचा बरवा, कांगटो, चोमोल्हारी आदि हैं।
  • उत्तर से दक्षिण की ओर तेजी से बहने वाली नदियों ने हिमालय के इस हिस्से में गहरी खाई बना दी है। नामचा बरवा को पार करने के बाद ब्रह्मपुत्र एक बड़ी खाई बनाती है।
  • हिमालय के इस भाग में अनेक जनजातियाँ निवास करती हैं। पश्चिम से पूर्व की ओर, ये जनजातियाँ मोनपा, डफला, अबोर, मिश्मी, निशि और नागा हैं। ये जनजातियाँ झूम खेती (स्थानांतरित कृषि) करती हैं। इसे ‘काटो और जलाओ’ खेती कहा जाता है।
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पूर्वी पहाड़ियाँ और पहाड़

  • ये ब्रह्मपुत्र नदी के पूर्व में उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली हैं।
  • इन्हें कई स्थानीय नामों से जाना जाता है जैसे उत्तर में पटकाई, बुम, नागा हिल्स और मणिपुर हिल्स, दक्षिण में मिज़ो या लुशाई, अराकान हिल्स
  • ये पहाड़ियाँ भारत और म्यांमार के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती हैं।
  • मणिपुर घाटी के मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध झील है जिसे लोकतक झील कहा जाता है। यह चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है।
  • मिजोरम, जिसे ‘मोलासेस बेसिन‘ के नाम से जाना जाता है, मुलायम और असंगठित चट्टानों से बना है।
  • बराक, मणिपुर और मिजोरम की प्रमुख नदी है। बराक स्वयं मेघना नदी की एक सहायक नदी है।
  • नागालैंड में बहने वाली अधिकांश नदियाँ ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियाँ हैं।
  • मणिपुर के पूर्वी भाग में बहने वाली नदियाँ चिंदविन नदी की सहायक नदियाँ हैं। चिंदyoastविन नदी स्वयं म्यांमार में बहने वाली इरावदी नदी की एक सहायक नदी है।

हिमालय की उत्तर-पश्चिमी शाखाएँ

सिंधु नदी के महाखड्ड से परे, हिमालय की ये शाखाएँ उत्तर-पश्चिम दिशा में मुड़ती हैं। इनमें हजारा, सुलेमान, बुगती, किरथर आदि शामिल हैं।

FAQs

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पूर्वी हिमालय में अधिक वर्षा क्यों होती है?

पश्चिमी हिमालय पूर्वी हिमालय की अपेक्षा समुद्र तट से दूर स्थित है। अत: पूर्वी हिमालय में मानसून पवनें पश्चिमी हिमालय की मुकाबले जल्दी पहुंच जाती है जिनमे नमी की मात्रा अधिक होती है और यहां पहाड़ियों की आकृति कीप आकार की होती है जिसमें मानसून पवनें फंस जाती हैं और बहुत तेज बरसात करती है।
वहीं पश्चिमी हिमालय की तट से अधिक दूरी होने के कारण मानसून पवनों में नमी की मात्रा कम हो जाती है और यहां वर्षा की मात्रा पश्चिमी जेट स्ट्रीम की स्थिति से भी प्रभावित होती है।

पश्चिमी हिमालय में सर्दियों में वर्षा क्यों होती है?

पश्चिमी हिमालय में सर्दियों में बरसात पश्चिमी विक्षोंभों के कारण होती है। पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर के पास उत्पन्न होने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात हैं जो पश्चिम जेट स्ट्रीम के प्रभाव में आकरउत्तरी पश्चिमी भारत में पहुंचते हैं। यहां हिमालय की अवरोध के कारण ये जनवरी- दिसंबर के महीनों में यह बरसात करते हैं।

पश्चिमी हिमालय तथा पूर्वी हिमालय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

पश्चिमी हिमालय तथा पूर्वी हिमालय में निम्नलिखित अन्तर देखने को मिलते हैं:
पश्चिमी हिमालय तथा पूर्वी हिमालय में अन्तर

दून से आप क्या समझते हैं?

लघु हिमालय तथा शिवालिक के बीच कहीं-कहीं विस्तृत घाटियाँ पाई जाती हैं जिन्हें पश्चिम में ‘दून’ तथा पूर्व में ‘दुआर’ कहते हैं। इन्हें हिमालय में प्रवेश द्वार माना जाता है। देहरादून, कोटरीदून, तथा पटलीदून इसके प्रमुख उदाहरण हैं। 
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