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भारत में कोयले की संचित राशि (Reserves of Coal)
कोयले की संचित राशि की दृष्टि से भारत विश्व का पांचवाँ बड़ा देश जहाँ विश्व का लगभग 10% कोयले की संचित राशि है। भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग के अनुसार 01.04.2022 तक भारत में 1200 मीटर की गहराई तक कोयले की संचित राशि 361411.46 मिलियन टन थी। इसका वितरण तालिका 1 में दिखाया गया है।
तालिका 1
भारत में कोयले की संचित राशि (Coal Reserve in India)
राज्य | कोयले की संचित राशि (मिलियन टन में) | भारत की कुल संचित राशि का % |
ओडिशा | 88104.6 | 24.38 |
झारखंड | 86660.1 | 23.98 |
छत्तीसगढ | 74191.76 | 20.53 |
पश्चिम बंगाल | 33871.25 | 9.37 |
मध्य प्रदेश | 30916.73 | 8.55 |
तेलंगाना | 23034.2 | 6.37 |
महाराष्ट्र | 13220.71 | 3.66 |
अन्य | 11412.11 | 3.16 |
भारत | 361411.46 | 100 |
भू-वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत के कोयला क्षेत्रों को दो वर्गों विभाजित किया गया है:
गोंडवाना कोयला क्षेत्र
भारत में कोयले की कुल संचित राशि का 98% तथा कुल उत्पादन का 99% गोंडवाना कोयला क्षेत्रों से प्राप्त होता है। भारत के कुल 113 कोयला क्षेत्रों में से 80 गोंडवाना क्षेत्र हैं। ये 77,700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर फैले हुए हैं। इस समय भारत में 553 कोयला खाने तथा चार लिग्नाइट खानें कार्यरत हैं।
ये क्षेत्र झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र राज्यों में स्थित हैं। इन राज्यों में यह कोयला मुख्यतः नदी घाटियों में मिलता है। इस दृष्टि से झारखंड व पश्चिम बंगाल में दामोदर घाटी, मध्य प्रदेश व झारखण्ड में सोन घाटी, छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में महानदी घाटी तथा महाराष्ट्र व आन्ध्र प्रदेश में गोदावरी व वर्धा घाटी प्रसिद्ध है।
टरशियरी कोयला क्षेत्र
इस श्रेणी का कोयला मुख्यतः असम, मेघालय, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में मिलता है। संचित राशि, उत्पादन तथा गुणवत्ता की दृष्टि से इसका कोई विशेष महत्व नहीं है। इस श्रेणी की संचित राशि भारत में केवल 2% तथा उत्पादन केवल 1% है। यह मुख्यतः लिग्नाइट कोयला होता है।
भारत में कोयले का उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution of Coal in India)
भारत में कोयले का उत्पादन (Production of Coal in India)
भारत में कोयले का उत्पादन सन् 1774 में शुरू हुआ जब पश्चिम बंगाल के रानीगंज में भारत की पहली खान खोदी गई। कोयला उत्पादन में सन् 1900 तक कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। इसके पश्चात् भारत में कोयले के उत्पादन में तेजी से वृद्धि होने लगी। सन् 1900 में कोयले का उत्पादन केवल 60 लाख टन था जो 1914 में बढ़कर 160 लाख टन हो गया।
द्वितीय महायुद्ध के बाद कोयले की माँग बढ़ी और उत्पादन में और भी वृद्धि हो गई। सन् 1945 में 290 लाख टन कोयले का उत्पादन हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कोयले के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 1972 में कोयले के राष्ट्रीयकरण से इसके उत्पादन को विशेष प्रोत्साहन मिला। सन् 2019-20 में कोयले तथा लिग्नाइट का कुल उत्पादन 772.9 मिलियन टन रहा।
तालिका 2
भारत में कोयले का उत्पादन (Production of Coal in India)
वर्ष | कुल उत्पादन (कोयला+लिग्नाइट) मिलियन टन में |
1950-51 | N.A. |
1960-61 | N.A. |
1970-71 | N.A. |
1980-81 | 119 |
1990-91 | 225.5 |
2000-01 | 332.6 |
2010-11 | 570.4 |
2019-20 | 772.9 |
भारत में कोयले का वितरण (Distribution of Coal in India)
भारत में कोयले का वितरण बड़ा असमान है। झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ मिलकर भारत का तीन-चौथाई से अधिक कोयला पैदा करते हैं। देखा जाए तो अधिकांश कोयला क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में केन्द्रित है।
भारत में कोयले का वितरण तालिका 3 में दिया गया है।
छत्तीसगढ़
सन् 2019-20 में 158.41 मिलियन टन (22.12%) कोयला पैदा करके यह भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य बन गया है। इस राज्य में बिलासपुर तथा सरगुजा कोयले के महत्वपूर्ण उत्पादक जिले हैं। बिलासपुर जिले में कोरबा कोयला क्षेत्र 500 वर्ग किमी० क्षेत्र पर फैला हुआ है और यहाँ 36.5 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं।
पिछले कुछ वर्षों से इस कोयला क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है क्योंकि यहाँ से भिलाई लोहा-इस्पात केन्द्र को कोयला भेजा जाता है। यहाँ से कोरबा ताप-विद्युत केन्द्र को भी बड़ी मात्रा में कोयला भेजा जाता है। सरगुजा जिले के बिसरामपुर, झिलमिली, खारसिया, सोनहट तथा कोरियागढ़ में कोयले की प्रमुख खाने हैं। रामपुरा महत्वपूर्ण खान है।
उड़ीसा
उड़ीसा में भारत की लगभग एक चौथाई (24.37%) कोयले की संचित राशि है, जो भारत में सर्वाधिक है। यह राज्य भारत का लगभग 21.53% कोयला ही पैदा करके उत्पादन की दृष्टि से द्वितीय स्थान पर आता है। उड़ीसा के अधिकांश कोयला भण्डार धनकनाल, सम्बलपुर तथा सुन्दरगढ़ जिलों में हैं। धनकनाल जिले का तलचेर कोयला क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है। कोयले की संचित राशि की दृष्टि से यह रानीगंज तथा झरिया के बाद भारत का तीसरा बड़ा कोयला क्षेत्र है।
अनुमान है कि यहाँ कोयले की संचित राशि 1861 करोड़ टन है। यह कोयला क्षेत्र 390 वर्ग किमी० पर विस्तृत है। यहाँ का कोयला भाप व गैस बनाने के लिए उपयुक्त है। तलचेर के ताप विद्युत केन्द्र तथा उर्वरक कारखाने को यहीं से काला प्राप्त होता है। इस राज्य के दूसरे कोयला क्षेत्र का नाम रामपुर हिमगीर है जो सम्बलपुर तथा सुन्दरगढ़ जिलों में स्थित है। यह 520 वर्ग किमी० के क्षेत्र पर फैला हुआ है और यहाँ 100 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं।
तालिका 3
भारत में कोयले का वितरण (Distribution of Coal in India)
राज्य | उत्पादन (मिलियन टन में) | कुल उत्पादन का % |
छत्तीसगढ | 158.41 | 22.12 |
ओडिशा | 154.15 | 21.53 |
मध्य प्रदेश | 132.53 | 18.51 |
झारखंड | 119.30 | 16.66 |
तेलंगाना | 52.60 | 7.35 |
महाराष्ट्र | 47.44 | 6.62 |
पश्चिम बंगाल | 34.60 | 4.83 |
अन्य | 17.06 | 2.38 |
भारत | 716.08 |
मध्य प्रदेश
इस राज्य में भारत का 8.5 प्रतिशत से अधिक कोयला भंडार है परन्तु यह राज्य भारत का लगभ 18.51 प्रतिशत कोयला पैदा करके तीसरे स्थान पर आता है। मध्य प्रदेश में शहडोल तथा सिधी जिलों में सिंगरौली कोयला क्षेत्र स्थित है। इसका विस्तार लगभग 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर है और यहाँ पर 832 करोड़ टन कोयले के भंडार है।
मध्य प्रदेश का दूसरा महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र सोहागपुर है जो शहडोल जिले में स्थित है। छिंदवाड़ा जिले में पेंच घाटी तथा इसके निकटवर्ती भागों में बड़ी मात्रा में कोयले के भण्डार हैं। यहाँ से लगभग 30 लाख टन कोयला प्रति वर्ष प्राप्त किया जाता है। बैतूल जिले में पत्थरखेड़ा कोयला क्षेत्र में घटिया कोयला मिलता है। यहाँ से पत्थरखेड़ा ताप विद्युत केन्द्र को कोयला भेजा जाता है।
झारखंड
झारखंड कोयले की कुल संचित राशि के 23.97 % भंडार के साथ द्वीतीय स्थान पर आता है और यह राज्य समस्त भारत में चौथा बड़ा उत्पादक राज्य है। इस राज्य में भारत के 16.66% प्रतिशत कोयला पैदा किया जाता है। इस राज्य के मुख्य उत्पादक जिले धनबाद, हजारीबाग तथा पलामू हैं। झारखंड के मुख्य कोयला क्षेत्र निम्नलिखित हैं।
झरिया कोयला क्षेत्र (Jharia Coalfield)
उत्पादन तथा सुरक्षित भण्डारों की दृष्टि से यह भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है। यद्यपि इसका विस्तार केवल 440 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर ही है, तो भी इस क्षेत्र में 1,862 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं। यहाँ उच्च कोटि का बिटुमिनस कोयला मिलता है जिससे कोकर कोयला बनाया जाता है। भारत का 99% कोकर कोयता झरिया से ही प्राप्त होता है। यह सारे का सारा क्षेत्र धनबाद जिले में है।
बोकारो कोयला क्षेत्र (Bokaro Coalfield)
झरिया के बाद यह झारखण्ड का दूसरा बड़ा कोयला उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ 1,004 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं, और यह देश का लगभग 6% कोयला पैदा करता है। यह क्षेत्र झारखण्ड के हजारीबाग जिले में स्थित है। यहाँ का कोयला राउरकेला लोहा-इस्पात केन्द्र को भेजा जाता है।
रामगढ़ कोयला क्षेत्र (Ramgarh Coalfield)
यह दामोदर घाटी के ऊपरी भाग में स्थित है। यह लगभग 100 वर्ग किमी में फैला हुआ है, और यहाँ 2,000 लाख टन कोयले के भण्डार सुरक्षित हैं। यह त्रिभुजाकार क्षेत्र है और झारखण्ड के हजारीबाग जिले में स्थित है।
कर्णपुरा कोयला क्षेत्र (Karan Pura Coalfield)
यह कोयला क्षेत्र झारखण्ड के हजारीबाग, राँची तथा पलामू जिलों के 1,500 वर्ग किमी० क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ 1,075 करोड़ टन कोयले के सुरक्षित भण्डार हैं।
गिरडीह
यह कोयला क्षेत्र गिरडीह कस्बे के दक्षिण-पश्चिम में 28.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ पर 73 करोड़ टन कोयले के भण्डार हैं। इस क्षेत्र से प्राप्त होने वाला कोयला उत्तम जाति का होता है।
तेलंगाना
तेलंगाना में लगभग 23034 मिलियनटन कोयले के भण्डार हैं जो भारत के कुल कोयला भण्डारों का लगभग 6.37% भाग है। इस राज्य का कोयला गोदावरी नदी की घाटी में पाया जाता है। अदीलाबाद, करीमनगर, तथा वारंगल मुख्य उत्पादक जिले हैं।
पश्चिम बंगाल
यही भारत के लगभग 10% कोयला भण्डार पाए जाते हैं और यह राज्य देश के लगभग 5% कोयले का उत्पादन करता है। इस राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र रानीगंज है। यह पश्चिमी बंगाल का सबसे बड़ा तथा भारत का दूसरा बड़ा (झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र के बाद) कोयला क्षेत्र है। यह बर्दवान, पुरुलिया तथा बाकुरा जिलों में विस्तृत है।
रानीगंज भारत के कोयला उत्पादन का जन्म-स्थान है। यहाँ से दो सौ वर्षों से भी अधिक समय से कोयला निकाला जा रहा है और फिर भी यह भारत का महत्वपूर्ण कोयला उत्पादक क्षेत्र है। यह कोयला क्षेत्र 1,500 वर्ग किमी० क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहाँ कोयले के 13,290 लाख टन सुरक्षित भण्डार हैं। यहाँ से उत्तम जाति का कोयला मिलता है। यह कोयला क्षेत्र गोंडवाना बेसिन के पूर्वी भाग में स्थित है।
अधिकांश खाने दामोदर नदी के उत्तर में है। इसका अधिकांश भाग पश्चिम बंगाल में है, जबकि इसका थोड़ा-सा भाग झारखंड के धनबाद जिले में है। यहाँ का कोयला बिटुमिनस और अर्ध-बिटुमिनस होता है। रानीगंज से उत्तम जाति का भाप और गैस बनाने वाला कोयला भी प्राप्त होता है। कहीं-कहीं कोकिंग कोयला भी मिलता है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित दार्जिलिंग तथा जलपाइगुड़ी में घटिया किस्म का लिग्नाइट कोयला मिलता है।
अन्य कोयला उत्पादक राज्य
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, असम, मेघालय, उत्तर प्रदेश में भी कोयले का उत्पादन होता है।
महाराष्ट्र का अधिकांश कोयला वर्धा घाटी में पाया जाता है। यहाँ पर चन्द्रपुर प्रमुख उत्पादक जिला है। इस जिले के प्रमुख कोयला क्षेत्रों के नाम चन्द्रपुर, घुघुस, बल्लारपुर तथा वरोरा हैं। यवतमाल जिले के वन क्षेत्र तथा नागपुर जिले के काम्पटी क्षेत्र में भाप व गैस बनाने वाला कोपला मिलता है। महाराष्ट्र का लगभग समस्त कोयला रेलवे द्वारा ढोया जाता है और ट्राम्बे, चोला (कल्याण), खापरखेड़ा, पारस, भुसावल, बल्लारशाह, नासिक तथा कोराडी स्थानों पर स्थित ताप-विद्युत केन्द्रों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड तथा मेघालय के गिरिपद तथा पहाड़ी क्षेत्रों में कोयले के 82 करोड़ टन भण्डार हैं। असम के लखीमपुर तथा शिवसागर जिलों में कोयता पाया जाता है। मुख्य क्षेत्र नामचिक-नामफुक, माकूम, मिकीर, नामबोर, तोगाई जादि हैं। अरुणाचल प्रदेश में नजीरा, जॉजी तथा दिसाई क्षेत्रों में कोयला मिलता है। मेघालय की गारो, खासी तथा जयन्तिया पहाड़ियों में कोयले के भण्डार मिलते हैं।
FAQs
छत्तीसगढ़, जो 158.41 मिलियन टन (22.12%) कोयला उत्पादन करता है, भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है।
ओडिशा में कोयले की संचित राशि सबसे अधिक है, जो भारत की कुल संचित राशि का 24.37% है।
भारत में कोयले का उत्पादन 1774 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में शुरू हुआ।
भारत में प्रमुख कोयला उत्पादन कंपनियों में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL), सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL), और नेयवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (NLC) शामिल हैं।
भारत में कोयले का प्रमुख उपयोग विद्युत उत्पादन, इस्पात उद्योग, सीमेंट निर्माण, और अन्य औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है।
भारत में कोयले का आयात मुख्य रूप से उच्च गुणवत्ता वाले कोकिंग कोल के लिए किया जाता है, जो इस्पात उत्पादन में उपयोग होता है।
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