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भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (Major Sea Ports in India)

अंग्रेजी का पोर्ट (Port) शब्द लैटिन भाषा के पोर्टा (Porta) शब्द से बना है, जिसका अर्थ प्रवेश द्वार होता है। इसके द्वारा आयात और निर्यात का संचालन होता है। अतः पत्तन को प्रवेश द्वार कहते हैं। पत्तन कई प्रकार के होते हैं – समुद्री पत्तन, नदीय पत्तन और शुष्क पत्तनशुष्क पत्तन में वायुमार्गों द्वारा संपर्क बनाया जाता है। 

पत्तन भारत में विदेशी व्यापार के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य कर रहे हैं। एक ओर तो ये अपने पृष्ठ प्रदेश से विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केंद्र हैं तथा दूसरी ओर भारत आने वाली वस्तुओं को प्राप्त करके, देश के आंतरिक भागों में उनका वितरण करने वाले केंद्रों के रूप में भी कार्य करते हैं। पोताश्रयों के विकास के लिए सागर-तट का कटा-फटा होना आवश्यक है। 

हमें बंदरगाह तथा पत्तन का अध्ययन करने से पहले उनमें अंतर जान लेना आवश्यक है। 

बंदरगाह तथा पत्तन में अंतर (Difference between port and harbor)

बंदरगाह समुद्र का वह अंशतः परिबद्ध क्षेत्र है, जैसे-निवेशिका (Creek), नदमुख (Estuary) अथवा समुद्र-अंतर्गम (Inlet) आदि, जो आने वाले जहाजो को आश्रय देता है। 

पत्तन, गोदी (Docks), घाट एवं सामान उत्तारने की सुविधाओं सहित तट पर ऐसा स्थान होता है जहाँ पर समुद्र-मार्ग से आने वाले माल को उतारकर स्थल-मार्ग द्वारा आंतरिक भागों को भेजा जाता है। साथ ही आंतरिक भागों से आए माल को समुद्र-मार्ग द्वारा विदेशों को भेजा जाता है। 

पश्चप्रदेश (Hinterland)

बंदरगाह का संलग्न क्षेत्र जो इसकी सेवा करता है तथा इससे सेवा प्राप्त करता है; बंदरगाह का पश्चप्रदेश (Hinterland) कहलाता है। 

भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (Major Sea Ports in India)

Sea ports in india
मानचित्र पर भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (Major Sea Ports in India on Map)

भारत के लंबे तट पर 13 मुख्य पोताश्रय तथा 200 छोटे व मध्यम दर्जे के पोताश्रय हैं। मुंबई-जवाहरलाल नेहरु (न्हावा शेवा), कांडला, न्यू मारमूगाओ, न्यू मंगलौर एवं कोच्चि पश्चिमी तट पर तथा कोलकाता, हल्दिया, परादीप, विशाखापट्टनम, चेन्नई, एन्नोर व तुतीकोरन पूर्वी तट पर मुख्य पोताश्रय हैं। भारत का 75 प्रतिशत व्यापार मुख्य पतनों द्वारा होता है, जबकि शेष व्यापार मध्यम तथा छोटे आकार के पतनों के माध्यम से किया जाता है। मुख्य पतनों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है। 

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मुंबई (Mumbai Sea Port)

मुंबई भारत के पश्चिमी तट पर स्थित एक प्राकृतिक प्रोताश्रय है। यह भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण पोताश्रय है जहाँ से भारत का लगभग 20 प्रतिशत विदेशी व्यापार किया जाता है। इस पोताश्रय से भारत पश्चिमी देशों तथा पूर्वी अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार करता है। सन 1869 में स्वेज नहर के खुलने से यह पोताश्रय पश्चिमी देशों के अधिक निकट हो गया है। मुंबई का बड़ा विस्तृत पश्चप्रदेश (Hinterland) है जिसमें महाराष्ट्र का संपूर्ण भाग तथा मध्य प्रदेश गुजरात, राजस्थान एवं दिल्ली के विस्तृत भाग शामिल हैं।

जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru Sea Port)

जवाहरलाल नेहरु पोताश्रय मुंबई से लगभग 10 किमी० दूर ऐलीफेंटा गुफाओं (Elephanta Caves) के पार न्हावा शेवा में बनया गया है। इसके निर्माण से मुंबई पत्तन पर दबाव बहुत कम हो गया है। इसे यातायात के लिए 26 मई, 1989 को खोल दिया गया था। यह अति आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है जिससे माल को उतारने व चढ़ाने में बड़ी आसानी रहती है। यहाँ पर समुद्र काफी गहरा है और जलयानों को पोताश्रय में प्रवेश करने में कोई विशेष कठिनाई नहीं होती। इसका पश्चप्रदेश मुंबई जैसा ही है।

कांडला (Kandla Sea Port)

यह एक ज्वारीय पोताश्रय है जो कच्छ की खाड़ी के पूर्वी शीर्ष पर स्थित है। यहाँ पर आयात-निर्यात की मुख्य वस्तुओं में कच्चा तेल, तेल के विभिन्न उत्पाद, उर्वरक, खाद्यान्न, नमक, कपास, सीमेंट, चीनी तथा खाद्य तेल प्रमुख हैं। विभाजन के बाद कराची बंदरगाह के पाकिस्तान में चले जाने के बाद, मुंबई बंदरगाह पर भार अत्यधिक बढ़ गया जिसे कम करने के लिए इस बंदरगाह का विकास किया गया। यह पत्तन देश के उत्तर पश्चिमी भाग की आवश्यकताओं को पूरा करता है। इसके पश्चप्रदेश में गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तराखंड सम्मिलित हैं।

मारमूगाओ (Marmugao Sea Port)

यह गोवा के तट पर एक प्राकृतिक बंदरगाह है। व्यापार की दृष्टि से इसका पाँचवाँ स्थान है। यहाँ से मुख्यतः लौह अयस्क का निर्यात किया जाता है। मछलियों के उत्पादों, नारियल तथा मसालों का भी निर्यात किया जाता है। इसका पश्चप्रदेश अपेक्षाकृत छोटा है जो गोवा, कर्नाटक के उत्तरी मार्ग तथा महाराष्ट्र के दक्षिणी भाग पर विस्तृत है।

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न्यू मंगलौर (New Mangalore Sea Port)

यह कर्नाटक के तट पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है। इसने कर्नाटक के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहाँ से मुख्यतः कुन्द्रेमुख का लौह निर्यात किया जाता है। मुख्य आयात की जाने वाले पदार्थो में उर्वरक, पेट्रोलियम उत्पाद तथा खाने के तेल आदि हैं। इसके अतिरिक्त चाय, काफी, लुगदी, सूत, ग्रेनाइट, सीसा आदि का भी व्यापार किया जाता है। इसके पश्चप्रदेश में कर्नाटक का अधिकांश भाग तथा केरल का उत्तर भाग आते हैं। 

कोच्चि (Kochi Sea Port)

यह केरल के तट पर स्थित भारत का अन्य महत्त्वपूर्ण पोताश्रय है। यहाँ से चाय, कहवा, तया गर्म मसालों का निर्यात तथा खनिज तेल एवं रासायनिक उर्वरकों का आयात किया जाता है। कोच्चि तेल परिष्करणशाला को कच्चा तेल इसी पोताश्रय से प्राप्त होता है। कोच्चि, केरल, दक्षिण कर्नाटक ओर दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु की आवश्यकताओं को पूरा करता है। 

कोलकाता (Kolkata Sea Port)

कोलकाता पूर्वी तट का सबसे महत्त्वपूर्ण पोताश्रय है। यह पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी से 128 किमी० अंदर की ओर हुगली नदी के किनारे पर स्थित है। मुंबई की भाँति इस पत्तन का विकास भी अंग्रेजों ने किया था। इसे अंग्रेजी शासन के प्रारंभिक काल में भारत की राजधानी होने का लाभ भी मिला था। यह एक ज्वारीय पत्तन है। नदी में जल का न्यूनतम स्तर बनाए रखने तथा नौगम्यता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर तलमार्जन करना पड़ता है। हुगली नदी को जल की आपूर्ति गंगा पर बने फरक्का बराज से की जाती है। 

कोलकाता एक विशाल और संपन्न पृष्ठभूमि को सुविधाएँ प्रदान करता है। कोलकाता आस्ट्रेलिया और सिंगापुर के सामने पड़ने वाला भारत का सबसे बड़ा पोताश्रय है। यहाँ जलयानों की भारी भीड़ लगी रहती है, जिसके कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसका पश्चप्रदेश बहुत बड़ा है जो देश के पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी भाग पर विस्तृत है। 

हल्दिया (Haldia Sea Port)

यह कोलकाता से 105 किमी० दक्षिण की ओर स्थित है। इसका विकास कोलकाता से भीड़ कम करने के लिए किया गया है। यहाँ पर एक तेल परिष्करणशाला है। यहाँ बड़े-बड़े जलयान रुक सकते हैं। इस बंदरगाह के निर्माण से पहले इन जलयानों को कोलकाता जाना पड़ता था। कोलकाता तथा हल्दिया पत्तन मिलकर विविध प्रकार की वस्तुओं का आयात-निर्यात करते हैं। इनमें इंजीनियरी का सामान, मशीनें, पेट्रोलियम और इसके उत्पाद, रसायन, चाय, चीनी, लोहा, इस्पात, जूट उत्पाद, कपास और सूती धागे प्रमुख हैं। हल्दिया का पश्चप्रदेश कोलकाता जैसा ही है। 

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पारादीप (Paradeep Sea Port)

पारादीप पोताश्रय कोलकाता तथा चेन्नई के बीच उड़ीसा के तट पर स्थित है। यहाँ से उड़ीसा का लौह-अयस्क निर्यात किया जाता है। इसके विकसित होने से कोलकाता पोताश्रय पर भार कुछ कम हुआ है। इस पोताश्रय से मुख्यतः लौह-अयस्क तथा कोयले का व्यापार होता है। इसका पश्चप्रदेश छोटा है और उड़ीसा में ही सीमित है। 

विशाखापत्तनम् (Visakhapatnam Sea Port)

यह आंध्र प्रदेश के तट पर स्थित बहुत ही गहरा पोताश्रय है। इसकी वास्तविक स्थिति खुले तट से थोड़ी-सी दूर है और इसमें काफी सुधार किया गया है। इसकी क्षमता 167 लाख टन है। यहाँ से मैंगनीज, लौह-अयस्क, गर्म मसाले आदि निर्यात किए जाते हैं। आयात की जाने वाली वस्तुओं में खाद्यान्न, तेल, उर्वरक, कोयला, विलास की वस्तुएँ तथा अन्य औद्योगिक उत्पाद प्रमुख हैं। इस पोताश्रय पर जलयानों का निर्माण तथा उनकी मरम्मत का काम भी किया जाता है। 

चेन्नई (Chennai Sea Port)

यह भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्राचीनतम कृत्रिम पोताश्रय है। यहाँ से तेल उत्पादों, उर्वरकों, लौह अयस्क, तथा दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं का व्यापार होता है। यहाँ अक्तूबर-नवम्बर के महीनों में समुद्री चक्रावत आते हैं, और इन महीनों में यह पोताश्रय जलयानों के लिए उपयोगी नहीं है। तट के पास जल कम गहरा है, जिस कारण बड़े-बड़े जहाज वैसे भी यहाँ नही रुक पाते। इसके प्रश्चप्रदेश में तमिलनाडु का उत्तरी भाग तथा आन्ध्रप्रदेश का दक्षिणी भाग सम्मिलित है। 

इन्नोर (एण्णर) Ennore Sea Port

एक नया पत्तन है। इसका निर्माण चेन्नई से 25 किमी० दूर उत्तर की ओर किया गया है। चेन्नई पत्तन पर दबाव कम करने के लिए इस पत्तन को बनाया गया है। इन्नोर पत्तन कंपनी लिमिटेड इस पत्तन का प्रबंध करती है। इसका पश्चप्रदेश चेन्नई जैसा ही है। 

तूतीकोरिन (Tuticorin Sea Port)

इस तमिलनाडु के तट पर हाल ही में विकसित किया गया है। इस बंदरगाह से कोयला, नमक, खाद्यान्न, खाने के तेल, चीनी तथा तेल उत्पादों का व्यापार किया जाता है। इसके पश्चप्रदेश में केवल तमिलनाडु का दक्षिणी भाग ही आता है।

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