चिल्का झील (chilka lake), भारत के ओडिशा राज्य में स्थित, एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसे न केवल अपनी जैव विविधता बल्कि पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। यह झील एक लैगून है, जो बंगाल की खाड़ी से जुड़ी हुई है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां झील से जुड़े प्रमुख तथ्यों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील
चिल्का झील (chilka lake) का विस्तार लगभग 1,165 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। इसे एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील माना जाता है। मानसून के दौरान इसका क्षेत्रफल 1,165 वर्ग किमी तक बढ़ जाता है, जबकि गर्मियों में यह सिमटकर लगभग 900 वर्ग किमी रह जाता है।
स्थान और भूगोल
यह ओडिशा के तटीय क्षेत्र में स्थित है। यह पुरी, खुर्दा और गंजाम जिलों के बीच फैली हुई है। झील बंगाल की खाड़ी से एक संकीर्ण जलमार्ग के माध्यम से जुड़ी हुई है। झील के चारों ओर बालू के टीले, छोटे-छोटे द्वीप, और हरियाली से भरे क्षेत्र इसे प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं।
इस झील की लंबाई 65 किलोमीटर, चौड़ाई 8 से 20 किलोमीटर और गहराई 2 मीटर है। सूखे मौसम दिसंबर से जून के बीच इस झील के लिए दया व भार्गवी नदियाँ पानी का प्रमुख स्त्रोत होती हैं।
पक्षी अभयारण्य और प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग
यह झील दुनियाभर से आने वाले प्रवासी पक्षियों का प्रमुख गंतव्य है। यहां हर साल सर्दियों में साइबेरिया, मंगोलिया, ईरान और मध्य एशिया से हजारों प्रवासी पक्षी आते हैं।
- झील में पाए जाने वाले पक्षियों में फ्लेमिंगो, पेलिकन, ग्रे हेरॉन, स्टिल्ट और किंगफिशर प्रमुख हैं।
- नालबाना द्वीप, जो झील का एक हिस्सा है, पक्षियों के लिए एक सुरक्षित अभयारण्य है। इसे पक्षी संरक्षण क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है।
जलीय जैव विविधता
यह अपनी समृद्ध जलीय जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- यहां 225 से अधिक मछलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
- यह झील इरावडी डॉल्फिन्स का निवास स्थान है, जो एक दुर्लभ जलीय प्राणी है। सतपाड़ा क्षेत्र डॉल्फिन देखने के लिए प्रसिद्ध है।
- झील में केकड़ों, झींगों और अन्य समुद्री जीवों की प्रचुरता है, जिससे यह मत्स्य उद्योग के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रामसर साइट के रूप में मान्यता
चिल्का झील (chilka lake) को 1981 में अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि (Wetland) के रूप में रामसर साइट घोषित किया गया था। यह झील पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता संरक्षण के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
पर्यटन का प्रमुख केंद्र
चिल्का झील पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
- पर्यटक यहां बोटिंग, डॉल्फिन स्पॉटिंग और पक्षी देखने का आनंद लेते हैं।
- सतपाड़ा, बर्खुदा, और नालबाना जैसे क्षेत्र पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं।
- झील के चारों ओर फैले छोटे द्वीप, जैसे कलिजाई द्वीप और हनीमून द्वीप, झील के पर्यटन आकर्षण को बढ़ाते हैं।
कलिजाई मंदिर
इस झील के बीच स्थित कलिजाई द्वीप पर स्थित देवी कलिजाई का मंदिर स्थानीय समुदायों के लिए अत्यंत पवित्र है। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
जल स्तर और मौसम का प्रभाव
चिल्का झील (chilka lake) का जल स्तर और क्षेत्रफल मौसम के अनुसार बदलता रहता है। मानसून के समय झील में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जबकि गर्मियों में यह घट जाता है। इसके साथ ही, झील का पानी खारे और मीठे पानी का अनूठा मिश्रण है, जो इसे जलीय जीवन के लिए आदर्श बनाता है।
समुद्री और सांस्कृतिक महत्व
यह केवल प्राकृतिक सौंदर्य का स्थल नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों के जीवन का हिस्सा भी है।
- यहां के मछुआरे अपनी आजीविका के लिए झील पर निर्भर हैं।
- झील से जुड़ी कई मिथक और लोककथाएं प्रचलित हैं। यह झील ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है।
जैव विविधता के लिए खतरे और संरक्षण प्रयास
चिल्का झील का पारिस्थितिकी तंत्र मानवीय गतिविधियों, जैसे प्रदूषण और बालू खनन, के कारण खतरे में है। हालांकि, चिल्का विकास प्राधिकरण (Chilika Development Authority) द्वारा झील की जैव विविधता और पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि चिल्का झील भारत की एक अनमोल प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर है। अपनी जैव विविधता, पर्यटन और पारिस्थितिकी तंत्र के कारण यह न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी सुंदरता और अनोखी विशेषताएं इसे प्रकृति प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक आदर्श स्थान बनाती हैं।
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