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परिचय
प्राकृतिक रूप से मानव द्वारा हस्तक्षेप के बिना उगने वाले पेड़-पौधों तथा घास-फूस को प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं। भारत की प्राकृतिक वनस्पति को प्रभावित करने वाले कारकों में जलवायु सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जलवायु में भी वर्षा मात्रा की प्राकृतिक वनस्पति पर सबसे अधिक प्रभाव डालती है।
देश के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत श्रेणियों पर उगने वाली प्राकृतिक वनस्पति ऊंचाई पर निर्भर करती है। भारत की प्राकृतिक वनस्पति में वनों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ‘वन’ शब्द का प्रयोग वृक्षों व झाड़ियों के लिए किया जाता है। वन हमारे देश की महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक सम्पदा है, अतः इसका अध्ययन अनिवार्य है।
भारत में वनों का वितरण (Distribution of Forests in India)
सन् 1983 में भारत की 751 लाख हेक्टेयर अर्थात् भारत के कुल क्षेत्रफल के 22.8 प्रतिशत भाग पर वन उगे हुए थे। सन् 1951 में 735 लाख हेक्टेयर भूमि वनाच्छादित थी जो सन् 1960-61 में कम होकर 690 लाख हेक्टेयर रह गई। इसके पश्चात वनाच्छादित क्षेत्र में वृद्धि करने के कई प्रयास किए गए परन्तु वन क्षेत्र में वृद्धि करने में कोई सफलता नहीं मिली।
भारत की वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार देश में कुल 7,13,789 वर्ग किमी वनक्षेत्र है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है। 99,779 वर्ग किमी (3.04%) अत्यन्त सघन वन, 3,06,890 वर्ग कि.मी. (9.33%) सामान्य सघन वन और 3,07,120 वर्ग कि.मी. (9.34%) खुले वन क्षेत्र हैं। यह स्थिति सन्तोषजनक नहीं है क्योंकि भारत जैसे उष्ण कटिबन्धीय जलवायु वाले देश का लगभग एक तिहाई भाग वनों से ढका हुआ होना चाहिए।
भारत में प्रति व्यक्ति वनाच्छादित क्षेत्र केवल 0.05 हेक्टेयर है जबकि विश्व का औसत प्रति व्यक्ति वनाच्छादित क्षेत्र 0.52 हेक्टेयर है। प्रति व्यक्ति वनाच्छादित क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका में 1.8 हेक्टेयर, स्वीडन में 3.2 हेक्टेयर, रूस में 3.5 हेक्टेयर, आस्ट्रेलिया में 5.1 हेक्टेयर, ब्राजील में 8.6 हेक्टेयर तथा कनाडा में 22.7 हेक्टेयर है।
भारत में वन क्षेत्रों का वितरण बड़ा असमान है। ये उन प्रदेशों में बहुत कम देखने को मिलते हैं, जहाँ इनकी बहुत अधिक आवश्यकता है। उदाहरण के लिए गंगा के अधिक जनसंख्या तथा कृषि वाले मैदान में केवल 5% भाग पर ही वन पाए जाते हैं। उत्तर-पश्चिमी भारत में केवल 3 से 5% भाग ही वनों से आच्छादित है। हिमालय तथा तराई प्रदेश में लगभग 20% क्षेत्र पर वन हैं।
भारत में कुल क्षेत्र में वनाच्छादित क्षेत्र का अनुपात मिजोरम में सबसे अधिक है जहाँ 84.53 प्रतिशत भाग पर वन हैं। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (79.33 प्रतिशत) , मेघालय (76.00 प्रतिशत), मणिपुर (74.34 प्रतिशत) और नागालैंड (73.90 प्रतिशत) है।
राज्यों के अनुसार वनों के प्रतिशत क्षेत्र का वितरण चित्र 1 में दर्शाया गया है। वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार भारत के 16 राज्यों तथा 5 केन्द्रशासित प्रदेशों में वनाच्छादित क्षेत्र का प्रतिशत भारत के औसत प्रतिशत से अधिक है। परन्तु भारत के शेष भागों में वनों के क्षेत्रफल का प्रतिशत बहुत ही कम है। पंजाब तथा हरियाणा में तो वन केवल नाममात्र हैं। इन राज्यों में वनों के क्षेत्र का प्रतिशत क्रमशः 3.67 तथा 3.63 ही है।
मध्य प्रदेश देश में सबसे अधिक वनावरण (77493 वर्ग किमी.) है जिसके बाद अरुणाचल प्रदेश (66431 वर्ग किमी.), छत्तीसगढ़ (55717 वर्ग किमी.), ओडिशा (52156 वर्ग किमी.) और महाराष्ट्र (50798 वर्ग किमी.) आते हैं। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र में वनावरण क्षेत्र का प्रतिशत सबसे अधिक है। तालिका 1 में वनों का प्रादेशिक वितरण दर्शाया गया है :
तालिका 1 भारत में वनों का वितरण
राज्य / संघशासित क्षेत्र | कुल वनावरण | भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत |
आंध्र प्रदेश | 29,784 | 18.28 |
अरूणाचल प्रदेश | 66,431 | 79.33 |
असम | 28,312 | 36.09 |
बिहार | 7,381 | 7.84 |
छतीसगढ | 55,717 | 41.21 |
गोवा | 2,244 | 60.62 |
गुजरात | 14,926 | 7.61 |
हरियाणा | 1,603 | 3.63 |
हिमाचल प्रदेश | 15,443 | 27.73 |
झारखंड | 23,721 | 29.76 |
कर्नाटक | 38,730 | 20.19 |
केरल | 21,253 | 54.7 |
मध्य प्रदेश | 77,493 | 25.14 |
महाराष्ट्र | 50,798 | 16.51 |
मणिपुर | 16,598 | 74.34 |
मेघालय | 17,046 | 76 |
मिजोरम | 17,820 | 84.53 |
नागालैंड | 12,251 | 73.9 |
ओडिशा | 52,156 | 33.5 |
पंजाब | 1,847 | 3.67 |
राजस्थान | 16,655 | 4.87 |
सिक्किम | 3,341 | 47.08 |
तमिलनाडु | 26,419 | 20.31 |
तेलंगाना | 21,214 | 18.93 |
त्रिपुरा | 7,722 | 73.64 |
उत्तर प्रदेश | 14,818 | 6.15 |
उत्तराखंड | 24,305 | 45.44 |
पश्चिम बंगाल | 16,832 | 18.96 |
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह | 6,744 | 81.75 |
चंडीगढ | 22.88 | 20.07 |
दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन एवं दीव | 227.75 | 37.83 |
जम्मू एवं कश्मीर | 21,387 | 39.15 |
लद्दाख | 2,272 | 1.35 |
लक्षद्वीप | 27.1 | 90.33 |
दिल्ली | 195 | 13.15 |
पुदुच्चेरी | 53.3 | 10.88 |
योग | 7,13,789 | 21.71 |
बिहार को छोडकर 10 प्रतिशत से कम वन क्षेत्र वाले राज्य देश के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थिति है। ये राज्य है: राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और लद्दाख। गुजरात, राजस्थान और हरियाणा अर्ध-मरुस्थली क्षेत्र हैं। पंजाब और हरियाणा की अधिकतर भूमि पर खेती होती है। यहाँ के अधिकतर वन खेती के लिए साफ कर लिए गए हैं।
10 से लेकर 20 प्रतिशत वनावरण वाले राज्य के आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना तथा पश्चिम बंगाल हैं। इन राज्यों की अधिकतर भूमि पर या तो खेती होती. है या बस्तियां बसी है। उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों में असम को छोड़ कुल भूमि के 70 प्रतिशत से भी अधिक भाग में वन है। यहां पहाड़ी भूमि है तथा भारी वर्षा होती है, जो वनों की वृद्धि के लिए बहुत उपयुक्त है।
वास्तविक वनावरण के प्रतिशत के आधार पर भारत के राज्यों को चार प्रदेशों में विभाजित किया गया है
1. अधिक वनावरण वाले प्रदेश
2. मध्यम वनावरण वाले प्रदेश
3. कम वनावरण वाले प्रदेश
4. बहुत कम बतावरण वाले प्रदेश।
अधिक वनावरण वाले प्रदेश
इस प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक वनावरण वाले राज्य सम्मिलित हैं। असम के अलावा सभी पूर्वी राज्य इस वर्ग में शामिल हैं। जलवायु की अनुकूल दशाएं मुख्य रूप से वर्षा और तापमान अधिक वनावरण होने का मुख्य कारण हैं। इस प्रदेश में भी वनावरण भिन्नताएं पाई जाती हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप, तथा मिज़ोरम में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 80 प्रतिशत भाग पर वन पाए जाते हैं। छतीसगढ़, उत्तराखंड, केरल, गोवा, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा,और सिक्किम में वनों का प्रतिशत 40 और 80 के बीच है।
मध्यम वनावरण वाले प्रदेश
इस वर्ग में 20 से 40 प्रतिशत वनाच्छादित प्रदेश वाले राज्य आते हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडू, उड़ीसा, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन एवं दीव सम्मिलित हैं।
कम वनावरण वाले प्रदेश
10 से 20 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र वाले प्रदेशों को कम वनाच्छादित प्रदेश कहते हैं। यह प्रदेश लगातार नहीं हैं। इसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल नामित है। केन्द्रशासित प्रदेशों में दिल्ली तथा पुदुचेरी शामिल हैं।
बहुत कम वनावरण वाले प्रदेश
इनमें 10 प्रतिशत से भी कम क्षेत्र पर वन उगे हुए हैं। भारत के उत्तर पश्चिमी भाग को इसमें रखा जाता है। इस वर्ग में शामिल राज्य है: राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, और गुजरात। इसमें लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भी है। इनके अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य भी इसी वर्ग में हैं। भौतिक और मानवीय कारणों से इन प्रदेशों में बहुत कम वन हैं।
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